NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
मनरेगा पर मंडराते संकट के बादल
गरीबी को रोज़गार के जरिये ही मिटाया जा सकता है, लेकिन जब हम आंकड़ों की कसौटी पर ग्रामीण विकास मंत्री का बयान कसते हैं तो पता चलता है कि सबसे ज्यादा बेरोज़गारी मोदी कार्यकाल में ही बढ़ी है और उसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया।
पुलकित कुमार शर्मा
23 Jul 2019
MGNAREGA

हाल ही में केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में मनरेगा को लेकर कहा, 'मनरेगा बहुत ही जन-उपयोगी योजना है और जब से मोदी सरकार आयी है तब से यह योजना और भी ज्यादा उपयोगी हो गयी है… लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वो हमेशा मनरेगा को चलाने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि मनरेगा देश की गरीब जनता के लिए है और बीजेपी सरकार का मकसद देश से गरीबी को खत्म करना है।'  

मंत्री जी का यह बयान सुनने में तो बहुत अच्छा है लेकिन यह कई सवाल भी खड़े करता है।

सबसे पहला सवाल तो यही कि क्या बीजेपी सरकार सच में देश की गरीबी मिटाना चाहती है?

क्योंकि गरीबी को रोजगार के जरिये ही मिटाया जा सकता है, लेकिन जब हम आंकड़ों की कसौटी पर मंत्री जी का बयान कसते हैं तो पता चलता है कि सबसे ज्यादा बेरोजगारी मोदी कार्यकाल में ही बढ़ी है। यहां तक कि इसे रोकने के लिए केंद्र की तरफ से कोई ठोस कदम भी अब तक नहीं उठाया गया है। 

नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस यानी एनएसएसओ की रिपोर्ट के अनुसार बेरोज़गारी दर 2017-18 में 45 साल के उच्च स्तर 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी। द इंडियन एक्सप्रेस ने एनएसएसओ के 2017-18 के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) रिपोर्ट पर आधारित अपने लेख में बताया है कि देश में 2011-12 में पुरुष कामगारों की संख्या 30.4 करोड़ थी जो 2017-18 में घटकर 28.6 करोड़ हो गयी है।

अब कौन सा फार्मूला मंत्री जी के पास हैं जो वास्तविकता से परे जाकर देश की बेरोज़गारी और गरीबी को मिटा सके। 

मनरेगा की स्थिति 

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में 2018-19 के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 8.5 करोड़ से अधिक लोगों ने रोजगार की मांग की है। यह मांग साल-दर-साल लगातार बढ़ रही है। अब एक ओर जहां ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा की मांग इतनी तेजी से बढ़ रही है तो ऐसे में मनरेगा को कमजोर करना करोड़ों मजदूरों के रोजगार से खिलवाड़ करना होगा।

मोदी सरकार के केंद्र में आने के समय से ही मनरेगा पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। अपने दूसरे कार्यकाल में भी इस सरकार ने आवंटन राशि बढ़ाई जरूर है लेकिन मनरेगा में रोजगार की मांग करने वाले परिवारों तथा जिन परिवारों को रोजगार मिला हैं उनके बीच का अंतर बहुत बड़ा है। यह अंतर लगातार बना हुआ है। 

2014-15 में 46.55 लाख काम की मांग करने वाले परिवारों को रोजगार नहीं मिला था। यह आंकड़ा कुल परिवारों का 10.7 प्रतिशत था। 2018-19 में यह आंकड़ा बढ़कर 57.99 लाख परिवारों का हो गया। इसका मतलब यह हुआ कि अभी 57 लाख से अधिक ऐसे परिवार हैं जिन्होंने काम की मांग की थी लेकिन उन्हें रोजगार नहीं मिला। उन्हें खाली हाथ घर वापिस आना पड़ा।

रोज़गार की मांग करने तथा प्राप्त करने वाले परिवारों के बीच अंतर_0.png

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 में कहा गया था कि ग्रामीण क्षेत्रों की गरीब और बेरोजगार जनता को कम से कम 100 दिन रोजगार दिया जायेगा। हालांकि सच्चाई ये है कि जब से योजना लागू हुई है उसी समय से लेकर अब तक सभी सरकारें साल का औसतन 50 दिन भी रोजगार नहीं दे पाई हैं। 2014-15 में सभी परिवारों को औसतन 40 दिन का ही काम दिया गया था। यह आंकड़ा 2018-19 में औसतन 51 दिन का था। 

सालाना काम मिलने के औसतन दिन.png

इस हिसाब से साफ-साफ नजर आता है कि जब सरकार मनरेगा का बजट बनाती है उस समय वह मनरेगा में काम की मांग करने वाले परिवारों और उनको 100 दिन का रोजगार देने में आने वाले लागत को ध्यान में नहीं रखती है। इसके चलते काम की मांग करने वाले और वास्तविकता में काम पाने वाले परिवारों में अंतर रह जाता है। 

हर साल जिन परिवारों को काम मिला हैं उनके श्रम की देय धनराशि हर साल शेष रह जाती हैं जोकि 2015-2016 में 1,233 करोड़ देय थी और 2018-2019 में बढ़ कर 5,042 करोड़ हो गयी थी यानि सरकार नये साल के आवंटित बजट में से पहले देय धनराशि की कटौती करती हैं उसके बाद शेष धनराशि को वित्तीय वर्ष के लिए आवंटित करती है। 

देय राशि (करोड़ में).png

यह सभी सरकारों की विफलता है कि वे देश की बेरोजगार जनता को रोजगार दे पाने में नाकाम रहे हैं। मनरेगा को ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दूर करके रोजगार की गारंटी देने वाली योजना के रूप में जाना जाता है। ऐसे में जब जब तक नई नौकरियों के लिए कदम नहीं उठाये जाते तब तक मनरेगा में सरकारी खर्च को बढ़ाये जाने की खास जरूरत है। जिससे इस योजना के माध्यम से ग्रामीण जनता को राहत मिलती रही। 

हालांकि कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि मनरेगा में हर साल कम से कम 80,000 करोड़ रुपये खर्च करने की जरूरत है लेकिन सरकार द्वारा जो आवंटन व खर्च किया जा रहा है वह काफी कम है।

 

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में योजना को मजबूत करने के लिए किसी उपाय की तलाश नहीं की गई और न ही दूसरे कार्यकाल में ऐसी कोई कोशिश नजर आती है। अब तो केंद्रीय मंत्री खुले तौर पर योजना को बंद करने की वकालत करते नजर आते हैं। 

MGNREGA
MGNREGA Wages
Modi government
Narendra modi
BJP
RURAL Unemployment
unemployment

Related Stories

छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया

छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

कश्मीर: कम मांग और युवा पीढ़ी में कम रूचि के चलते लकड़ी पर नक्काशी के काम में गिरावट

तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है

ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना

मई दिवस: मज़दूर—किसान एकता का संदेश

ग्राउंड रिपोर्ट: जल के अभाव में खुद प्यासे दिखे- ‘आदर्श तालाब’

मनरेगा: ग्रामीण विकास मंत्रालय की उदासीनता का दंश झेलते मज़दूर, रुकी 4060 करोड़ की मज़दूरी

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: अभी नहीं चौथी लहर की संभावना, फिर भी सावधानी बरतने की ज़रूरत
    14 May 2022
    देश में आज चौथे दिन भी कोरोना के 2,800 से ज़्यादा मामले सामने आए हैं। आईआईटी कानपूर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. मणींद्र अग्रवाल कहा है कि फिलहाल देश में कोरोना की चौथी लहर आने की संभावना नहीं है।
  • afghanistan
    पीपल्स डिस्पैच
    भोजन की भारी क़िल्लत का सामना कर रहे दो करोड़ अफ़ग़ानी : आईपीसी
    14 May 2022
    आईपीसी की पड़ताल में कहा गया है, "लक्ष्य है कि मानवीय खाद्य सहायता 38% आबादी तक पहुंचाई जाये, लेकिन अब भी तक़रीबन दो करोड़ लोग उच्च स्तर की ज़बरदस्त खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। यह संख्या देश…
  • mundka
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड : 27 लोगों की मौत, लेकिन सवाल यही इसका ज़िम्मेदार कौन?
    14 May 2022
    मुंडका स्थित इमारत में लगी आग तो बुझ गई है। लेकिन सवाल बरकरार है कि इन बढ़ती घटनाओं की ज़िम्मेदारी कब तय होगी? दिल्ली में बीते दिनों कई फैक्ट्रियों और कार्यस्थलों में आग लग रही है, जिसमें कई मज़दूरों ने…
  • राज कुमार
    ऑनलाइन सेवाओं में धोखाधड़ी से कैसे बचें?
    14 May 2022
    कंपनियां आपको लालच देती हैं और फंसाने की कोशिश करती हैं। उदाहरण के तौर पर कहेंगी कि आपके लिए ऑफर है, आपको कैशबैक मिलेगा, रेट बहुत कम बताए जाएंगे और आपको बार-बार फोन करके प्रेरित किया जाएगा और दबाव…
  • India ki Baat
    बुलडोज़र की राजनीति, ज्ञानवापी प्रकरण और राजद्रोह कानून
    13 May 2022
    न्यूज़क्लिक के नए प्रोग्राम इंडिया की बात के पहले एपिसोड में अभिसार शर्मा, भाषा सिंह और उर्मिलेश चर्चा कर रहे हैं बुलडोज़र की राजनीति, ज्ञानवापी प्रकरण और राजद्रोह कानून की। आखिर क्यों सरकार अड़ी हुई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License