NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मोदी का महत्वाकांक्षी 'नमामि गंगे' कार्यक्रम असफल
गंगा नदी का प्रदूषण स्तर साल 2014 की तुलना में ज़्यादा, फंड का इस्तेमाल नहीं हुआ जबकि प्रोजेक्ट भी हैं अधूरे।
अरूण कुमार दास
28 Aug 2018
ganga

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों और बाद के विधानसभा चुनावों से पहले गंगा की सफाई योजना बीजेपी के प्रमुख चुनाव वादों में से एक था। विडंबना यह है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में गंगा विपक्ष के लिए चुनावी अखाड़ा बन सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मोदी द्वारा 'माँ गंगा' की सफाई के लिए ज़ोर शोर से किया गया वादा पूरी तरह असफल रहा है।

भारत की बड़ी आबादी के लिए गंगा धार्मिक जीवन के साथ साथ आर्थिक जीवन का एक स्रोत है। यही कारण है कि भगवा पार्टी ने इस नदी के लिए ढ़ेर सारा वादा किया था। और, बीजेपी से नदी के सफाई की काफी ज़्यादा उम्मीद थी, जो उसके सबसे वफ़ादार मतदाता के विश्वास का अभिन्न अंग था।

सबसे पहले, नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि 2016-17 की अवधि के दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल में नदी के प्रदूषण का स्तर निर्धारित स्तर से छह से 334 गुना अधिक था।

हाल में एक आरटीआई के जवाब से ये बात सामने आई है कि गंगा नदी में प्रदूषण का स्तर साल 2014 में दर्ज स्तरों से अधिक है। ज्ञात हो कि इसी साल मोदी सरकार ने अपने महत्वाकांक्षी 'नमामि गंगे' कार्यक्रम की शुरुआत की थी। विशेष रूप से प्रयोगशाला परीक्षणों में सामने आया है कि मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में बैक्टीरिया संबंधी प्रदूषण साल 2014 में दर्ज किए गए स्तर की तुलना में अधिक है।

साल 2014 को उन दिनों को याद करना बेहद ज़रूरी है जब मोदी अपने भाषणों में लगातार उन बातों का ज़िक्र कर रहे थे जिसने उन्हें सत्ता तक पहुंचा दियाः

- 24 अप्रैल 2014 को अपना नामांकन दाखिल करते समय नरेंद्र मोदी ने कहा था, "सबसे पहले मैंने यह सोचा कि बीजेपी ने मुझे यहां भेजा है,तब मैंने सोचा कि मैं काशी जा रहा हूं, लेकिन जब मैं यहां आया, तो मुझे लगा कि माँ गंगा ने मुझे बुलाया है। मैं एक ऐसे बच्चे की तरह महसूस करता हूं जो अपनी माँ की गोद में लौट आया है।"

- 3 मई 2014 को मोदी ने कहा था, "गंगा की स्थिति चिंताजनक है। दूषित पानी बच्चों के लिए ख़तरनाक है। हम इसे बदलना चाहते हैं। यह राजनीति नहीं बल्कि मानवता है।"

- 18 मई 2014 को मोदी ने कहा था, "प्रचार के दौरान आपसे बात करने से मुझे रोक दिया गया था, लेकिन फिर भी, आपने मुझे जिताया...वाराणसी में विकास के लिए बड़ी संभावना है। मैं इस शहर और गंगा को साफ करने का वादा करता हूं।"

- मोदी ने कहा, "मैं अपनी इच्छा के वाराणसी नहीं आया, बल्कि माँ गंगा ने मुझे बुलाया। अब, मुझे माँ गंगा के लिए काम करने का यही समय है।"

- उन्होंने आगे कहा, "माँ गंगा प्रदूषण से मुक्त होने के लिए अपने बेटे का इंतज़ार कर रही है।"

- 24 मई 2014 को मोदी ने कहा था, "मैं लोकसभा में वाराणसी का प्रतिनिधित्व करूंगा और मैं माँ गंगा की सेवा करने और वाराणसी के विकास के लिए काम करने के इस अद्भुत अवसर को भविष्य में देखता हूं।"

2016-17 के सीएजी रिपोर्ट और आरटीआई के जवाब का हवाला देते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा, "एक नई आरटीआई ने खुलासा किया है कि गंगा नदी में प्रदूषण का स्तर साल 2014 में दर्ज स्तरों से अधिक है, जब मोदी सरकार ने अपने सबसे महत्वाकांक्षी 'नमामि गंगे' योजना की शुरूआत की थी, विशेष रूप से पीएम मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में गंगा के जल का बैक्टीरिया संबंधी प्रदूषण प्रयोगशाला परीक्षणों में साल 2014 में दर्ज स्तरों से अधिक पाया गया।"

अब तक नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत विभिन्न कार्यों के लिए कुल 221 परियोजनाएं स्वीकृत की गई। ये कार्य नगर निगम सीवेज का ट्रीटमेंट,औद्योगिक प्रदूषण का ट्रीटमेंट, नदी के सतह की सफाई आदि हैं। इसके लिए 22,238.73 करोड़ रुपए ख़र्च करने का वादा किया गया था। अब तक केवल 58 परियोजनाएं ही पूरी हो पाई हैं।

गंगा में गिरने वाला गहरा काला सीवेज गुर्गलिंग जो प्लास्टिक, शव, कचरा, और मानव तथा पशु मलमूत्र से भरा है- इसलिए गंगा वाराणसी में ऐसी दिखती है, जो मोदी सरकार द्वारा की गई पूरी तरह उपेक्षा का एक ज़िंदा मिसाल है।

इस बीच कुंभ मेला जनवरी 2019 में इलाहाबाद में गंगा नदी के तट पर आयोजित किया जाएगा और मोदी सरकार आने वाले चुनावी वर्ष में प्रवासी भारतीय दिवस के प्रतिनिधियों को इस पवित्र कार्यक्रम को दिखाने की योजना बना रही है। पीएम का निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी इस वर्ष प्रवासी भारतीय दिवस की मेजबानी करने जा रहा है।

सिंघवी ने कहा, "मई 2018 में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने मार्च 2019 को गंगा नदी को साफ करने के लिए नई समय सीमा तय की थी और पानी की गुणवत्ता में 70 से 80 प्रतिशत सुधार सुनिश्चित किया था। स्वीकृत परियोजनाओं में से केवल एक-चौथाई ही अगस्त 2018तक पूरा हो पाया, सरकार अगले छह से सात महीनों में इस चमत्कार को कैसे हासिल कर सकती है?"

दिसंबर 2017 में सीएजी ने पाया था कि आवंटित धन का भी इस्तेमाल नहीं किया गया था। संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है: "स्वच्छ गंगा के राष्ट्रीय मिशन, विभिन्न राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूहों और निष्पादन एजेंसियों/ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से जुड़े2,133.76 करोड़ रुपए, 422.13 करोड़ रुपए और 59.28 करोड़ रुपए के फंड का इस्तेमाल नहीं किया गया था (31 मार्च, 2017 के मुताबिक़)।"

केंद्रीय बजट 2018 पेश करते समय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था, "16,713 करोड़ रुपए की लागत से बुनियादी ढांचे के विकास, नदी की सतह की सफाई, ग्रामीण स्वच्छता और अन्य कार्यों के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत कुल 187 परियोजनाएं मंज़ूर की गई हैं। सैंतालीस परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं और शेष परियोजनाएं पूरा होने के विभिन्न चरणों में हैं।"

वर्षों से सरकारें नदी में प्रवाहित प्रदूषण के उपचार के लिए बेहतर समाधान करने में सक्षम नहीं हैं। उदाहरण के लिए, चमड़े के उद्योग का एक प्रमुख केंद्र कानपुर में 50 एमएलडी तक विषाक्त टैनरी अपशिष्ट जल प्रतिदिन उत्पन्न होता है, लेकिन इस शहर में केवल 9 एमएलडी का ही ट्रीटमेंड करने के लिए आधारभूत संरचना है।

आज तक नमामि गंगे ने लक्ष्य रखे गए 2,278.08 माइल्ड सीवेज ट्रीटमेंट क्षमताओं में से प्रति दिन केवल 329.3 मिलियन लीटर तैयार किया था। अब तक केवल 26 परियोजनाएं ही पूरी की गई हैं।

साल 2016 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बीजेपी की अगुआई वाली उत्तर प्रदेश सरकार को गंगा में शवों को प्रवाहित करने की इजाज़त देने पर ज़बरदस्त फटकार लगाई थी।

(अरुण कुमार दास दिल्ली स्थित पत्रकार हैं और उनसे akdas2005@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

ganga
Narendra modi
BJP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • एजाज़ अशरफ़
    दलितों में वे भी शामिल हैं जो जाति के बावजूद असमानता का विरोध करते हैं : मार्टिन मैकवान
    12 May 2022
    जाने-माने एक्टिविस्ट बताते हैं कि कैसे वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि किसी दलित को जाति से नहीं बल्कि उसके कर्म और आस्था से परिभाषित किया जाना चाहिए।
  • न्यूज़क्लिक टीम
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,827 नए मामले, 24 मरीज़ों की मौत
    12 May 2022
    देश की राजधानी दिल्ली में आज कोरोना के एक हज़ार से कम यानी 970 नए मामले दर्ज किए गए है, जबकि इस दौरान 1,230 लोगों की ठीक किया जा चूका है |
  • सबरंग इंडिया
    सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल
    12 May 2022
    सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ एमपी के आदिवासी सड़कों पर उतर आए और कलेक्टर कार्यालय के घेराव के साथ निर्णायक आंदोलन का आगाज करते हुए, आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाए जाने की मांग की।
  • Buldozer
    महेश कुमार
    बागपत: भड़ल गांव में दलितों की चमड़ा इकाइयों पर चला बुलडोज़र, मुआवज़ा और कार्रवाई की मांग
    11 May 2022
    जब दलित समुदाय के लोगों ने कार्रवाई का विरोध किया तो पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। प्रशासन की इस कार्रवाई से इलाके के दलित समुदाय में गुस्सा है।
  • Professor Ravikant
    न्यूज़क्लिक टीम
    संघियों के निशाने पर प्रोफेसर: वजह बता रहे हैं स्वयं डा. रविकांत
    11 May 2022
    लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रविकांत के खिलाफ आरएसएस से सम्बद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ता हाथ धोकर क्यों पड़े हैं? विश्वविद्यालय परिसरों, मीडिया और समाज में लोगों की…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License