NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
मप्र-राजस्थान में मनरेगा का नहीं मिला पूरा लाभ, लोगों में नाराज़गी
फंड की कमी और राजनीतिक विद्वेष की वजह से लाखों लोगों को मनरेगा के माध्यम से काम करने से वंचित किया गया है, जबकि यहां मजदूरी भी बहुत कम है।
सुबोध वर्मा
24 Nov 2018
mgnrega

चूंकि देश भर में नौकरी का संकट गहरा रहा है, ग्रामीणों को काम की गारंटी के कार्यक्रम मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत काम की मांग पिछले कुछ सालों में नाटकीय रूप से बढ़ी है। मध्यप्रदेश और राजस्थान में, दो बड़े राज्य जहां विधानसभा सीटों के लिए जल्द ही मतदान होने वाला है, यहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की जीतने की संभावनाओं पर अंधेरा छा गया है, क्योंकि दोनों में, वास्तव में काम की मांग बढ़ने के बावजूद लोगों को काम नही मिल रहा है। (नीचे चार्ट देखें)

MGNREGA.1jpg.jpg

मध्य प्रदेश में, पिछले साल लगभग 76.5 लाख लोगों ने आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार काम की मांग की थी, लेकिन वास्तव में केवल 61 लाख लोगों को ही काम दिया गया था। दूसरे शब्दों में, कुल 15.5 लाख व्यक्तियों - पांच में से एक – को काम न मिलने की वजह से वापस लौटना पड़ा। उन्हे खुद काम खोजने के लिए कहा गया। चार्ट में यह भी नोट किया गया कि 2015-16 के बाद से काम की मांग में लगातार बढ़ोतरी हुयी है। फिर भी, काम न मिलने वालों की तादाद में तेजी से वृद्धि हुई है।

राजस्थान में, ऐसी ही स्थिति मौजूद है। पिछले साल लगभग 77 लाख लोगों ने काम की मांग की थी, लेकिन वास्तव में केवल 65 लाख लोगों को ही काम उपलब्ध करा पाए थे। लगभग 11.5 लाख या 15 प्रतिशत लोगों को काम से इनकार कर दिया गया था। राजस्थान में भी काम की मांग तेजी से बढ़ी है।

सबसे गरीब सबसे बुरी तरह पीड़ित हैं

याद रखें कि इस कार्यक्रम के तहत काम करने वाले लोग दोनों राज्यों के विशाल ग्रामीण इलाकों में सबसे गरीब लोग हैं, वे सबसे बेबस लोग हैं, जो ज्यादातर कृषि मजदूर या सीमांत किसान परिवारों से हैं। उनके पास कोई वित्तीय साधन नहीं है, कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है, कोई बचत या संसाधन नहीं है। यही कारण है कि वे अंतिम साधन के रूप में, सरकारी प्रायोजित मैनुअल श्रम कार्यक्रम में काम की तलाश करते हैं।

एमपी और राजस्थान सरकारें, जो बड़े व्यापार के लिए व्यवसाय और निवेश के अवसरों को आसान रास्ता मुहैया कराने के बारे में गर्व करती हैं, और बाजार से उधार उठाने में रिकॉर्ड स्थापित कर चुकी हैं, जब मनरेगा के रूप में ऐसे महत्वपूर्ण कल्याण कार्यक्रमों पर खर्च करने की बात आती है तो उनकी मुट्ठी सख्त हो जाती है। इसके चौंकाने वाले सबूत नीचे दिए गए चार्ट में देखे जा सकते हैं जो मनरेगा के लिए प्रदान की गई औसत मजदूरी को दिखाता है।

MGNREGA.2jpg.jpg

पिछले साल, दोनों राज्य जो मनरेगा में काम के लिए दैनिक मजदूरी दे रहे थे वह देश में दी जा रही मज़दूरी के औसत से काफी नीचे है। राजस्थान में पूरे देश से सबसे कम दरों में मज़दूरी दी जाती है, प्रति दिन 136 रुपये 84 पैसे जबकि मध्य प्रदेश ने प्रति दिन 165 रुपये 46 पैसे दिए गए हैं। पिछले साल देश भर में औसत मज़दूरी 169 रुपये 45 पैसे थी, जो खुद ही एक शर्मनाक स्तर है।

हालांकि, कानून यह प्रदान करता है कि काम की गारंटी योजना के तहत काम सालाना 100 दिनों के लिए उपलब्ध होना चाहिए, एमपी में यह औसत पिछले साल केवल 47 दिन का थी जबकि राजस्थान में यह 53 दिन था।

दोनों राज्यों में, भुगतान में असामान्य रूप से देरी होती है, बैंक खातों में मजदूरी हस्तांतरण और आधार से जुड़े प्रमाणीकरण के साथ बड़ी समस्याएं हैं। असल में, कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली ही है जो अधिकांश गिरावट का कारण बनी है क्योंकि समय से ज्यादा देरी लोगों को काम की तलाश करने से हतोत्साहित करती है।

केंद्र सरकार से धनराशि के हस्तांतरण में देरी भी, राज्य सरकारों के तहत काम की गारंटी योजना की तबाही  का कारण बन गया है।

देश भर के लोगों को एक करोड़ नौकरियां उपलब्ध कराने के बीजेपी के वादे के संदर्भ में, और मुद्रा (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी), कौशल भारत और भारत में मेक इन इंडिया वाली विभिन्न योजनाओं के वादे का पालन से, लोग दोनों राज्यों की राज्य सरकारों से ही नही, बल्कि केंद्र में मोदी की अगुवाई वाली सरकार से भ्रमित/नाराज़ हैं। इसने किसानों के लिए उनके उत्पादन और कर्ज़ को चुकाने के लिए पैसे की वापसी न होने से उत्पन्न कृषि संकट को हल करने के लिए मोदी सरकार की पूरी अनिच्छा को साबित करती है।

राजनीतिक पंडित और चुनावविद् लोगों के साथ मोदी के विश्वासघात के बारे उनके गुस्से का गलत अनुमान लगा रहे हैं। यह आश्चर्यजनक नहीं है कि आगामी चुनावों में मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी से लोगों का राजनीतिक अलगाव दिखाई दे रहा है।

MGNREGA
Madhya Pradesh government
Rajasthan sarkar
Madhya Pradesh elections 2018
Rajasthan elections 2018
minimum wage
Assembly elections 2018

Related Stories

छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया

छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार

पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल

तमिलनाडु: छोटे बागानों के श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी और कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है

चुनावी राज्यों में क्रमवार दंगे... संयोग या प्रयोग!

जोधपुर की घटना पर माकपा ने जताई चिंता, गहलोत सरकार से सख़्त कार्रवाई की मांग

ग्राउंड रिपोर्ट: जल के अभाव में खुद प्यासे दिखे- ‘आदर्श तालाब’

मनरेगा: न मज़दूरी बढ़ी, न काम के दिन, कहीं ऑनलाइन हाज़िरी का फ़ैसला ना बन जाए मुसीबत की जड़

क्यों है 28-29 मार्च को पूरे देश में हड़ताल?

28-29 मार्च को आम हड़ताल क्यों करने जा रहा है पूरा भारत ?


बाकी खबरें

  • Modi yogi
    अजय कुमार
    आर्थिक मोर्चे पर फ़ेल भाजपा को बार-बार क्यों मिल रहे हैं वोट? 
    14 Mar 2022
    आख़िर किस तरह के झूठ का जाल भाजपा 24 घंटे लोगों के बीच फेंकने काम करती है? जिससे आर्थिक रूप से कमजोर होते जा रहे राज्यों में भी उसकी सरकार बार बार आ रही है। 
  • रवि शंकर दुबे
    पांचों राज्य में मुंह के बल गिरी कांग्रेस अब कैसे उठेगी?
    14 Mar 2022
    मैदान से लेकर पहाड़ तक करारी शिकस्त झेलने के बाद कांग्रेस पार्टी में लगातार मंथन चल रहा है, ऐसे में देखना होगा कि बुरी तरह से लड़खड़ा चुकी कांग्रेस गुजरात, हिमाचल और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए…
  • अजय गुदावर्ती
    गुजरात और हिंदुत्व की राजनीतिक अर्थव्यवस्था
    14 Mar 2022
    एक नई किताब औद्योगिक गुजरात में सांप्रदायिकता की राजनीतिक अर्थव्यवस्था की परख करती है। इससे मिली अंतर्दृष्टि से यह समझने में मदद मिलती है कि हिंदुत्व गुजरात की अपेक्षा अविकसित उत्तर प्रदेश में कैसे…
  • abhisar sharma
    न्यूज़क्लिक टीम
    कानून का उल्लंघन कर फेसबुक ने चुनावी प्रचार में भाजपा की मदद की?
    14 Mar 2022
    न्यूज़चक्र के इस एपिसोड में आज वरिष्ठ पत्रकार बात कर रहे हैं एक न्यूज़ एजेंसी के द्वारा की गयी पड़ताल से ये सामने आया है की Facebook ने हमेशा चुनाव के दौरान BJP के पक्ष में ही प्रचार किया है। देखें…
  • misbehaved with tribal girls
    सोनिया यादव
    मध्य प्रदेश : मर्दों के झुंड ने खुलेआम आदिवासी लड़कियों के साथ की बदतमीज़ी, क़ानून व्यवस्था पर फिर उठे सवाल
    14 Mar 2022
    मध्य प्रदेश बाल अपराध और आदिवासियों के साथ होने वाले अत्याचार के मामले में नंबर एक पर है। वहीं महिला अपराधों के आंकड़ों को देखें तो यहां हर रोज़ 6 महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License