उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर के 2013 के दंगों में 6 साल बाद भी अभी इंसाफ नहीं हो पाया है। यही नहीं मामला बढ़ने पर गवाह या तो मुकर रहे हैं या मारे जा रहे हैं।
मुज़फ़्फ़रनगर की एक अदालत ने जिले में हुए दंगों के एक मामले के चश्मदीद गवाह की हत्या से जुड़े मामले को सुनवाई के लिए सत्र अदालत के पास भेज दिया।
अब इस मामले में एक जुलाई से सुनवाई होगी।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राकेश कुमार गौतम ने सोमवार को छह आरोपियों के खिलाफ हत्या के मामले को सुनवाई के लिए सत्र अदालत के पास भेजा और उनसे एक जुलाई को उसके सामने पेश होने को कहा।
अपने दो भाइयों के हत्याकांड के चश्मदीद अशफ़ाक़ की मुज़फ़्फ़रनगर जिले के खतौली में इस साल मार्च में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
अशफ़ाक़ के दो भाइयों की 2013 दंगों के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
आपको यहां ये भी बता दें कि अभी 28 मई को सबूतों के अभाव में दंगों के 12 आरोपी बरी हो गए हैं। मुज़फ़्फ़रनगर के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव कुमार तिवारी ने गवाहों के मुकरने पर दंगा मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 395 (डकैती) और 436 (आगजनी) से आरोपियों को बरी कर दिया।
(भाषा के इनपुट के साथ)
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