NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
मुफ्त इंटरनेट के जरिये कब्ज़ा जमाने की फेसबुक की नाकाम कोशिश?
जो काम फेसबुक ने कई देशों में कर दिया था, वह करने में फेसबुक भारत में नाकाम कैसे हो गई!
सिरिल सैम, परंजॉय गुहा ठाकुरता
08 Mar 2019
सांकेतिक तस्वीर

भारत में फेसबुक द्वारा कार्यालय खोले जाने के दो साल बाद यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन गया है जिसके जरिये अधिकांश लोग ऑनलाइन राजनीतिक संवाद करने लगे। खास तौर पर युवा वर्ग। इस वजह से फेसबुक इस्तेमाल करने वालों की संख्या में काफी वृद्धि हुई। 2011 में 1.5 करोड़ लोग फेसबुक इस्तेमाल करते थे। उसके अगले साल फेसबुक इस्तेमाल करने वालों की संख्या 2.8 करोड़ हो गई। इनमें से अधिकांश लोग 17 से 35 साल आयु वर्ग वाले थे। 

अक्टूबर, 2014 में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग हरियाणा को चंद्रौली गांव में हेलीकॉप्टर से पहुंचे। वे वहां यह पता करने के लिए पहुंचे कैसे इंटरनेट और सोशल मीडिया से आम लोगों की जिंदगी बदल रही है। अपनी उसी यात्रा में दिल्ली में उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई। जुकरबर्ग डिजिटल इंडिया योजना को लेकर बेहद उत्साहित दिखे।

कुछ महीने बाद मार्च, 2015 में फेसबुक ने अपनी योजना इंटरनेट डॉट ओआरजी की घोषणा की। इसके तहत कंपनी तीन दर्जन वेबसाइट लोगों को बगैर पैसे के उपलब्ध कराने वाली थी। उस योजना को फेसबुक रिलायंस मोबाइल के साथ मिलकर लागू कर रही थी। इस कंपनी ने अपने विज्ञापन में लिखा, ‘सूरज की रौशनी के पैसे नहीं लगते। न तो हवा के। तो फिर इंटरनेट निशुल्क क्यों नहीं होना चाहिए?’

उस वक्त फेसबुक को इस बात का अंदाज नहीं था कि यह योजना खारिज कर दी जाएगी। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण यानी ट्राई ने इस योजना पर लोगों की टिप्पणियां आमंत्रित कीं। फेसबुक की इस ‘फ्री बेसिक्स’ योजना का विरोध होने लगा। इस योजना का मजाक उड़ाने वाले एआईबी की कॉमेडी कार्यक्रम को 35 लाख लोगों ने देखा। फिर भी फेसबुक ने इस योजना को लागू करने की कोशिश की। इसके लिए कंपनी ने जो प्रचार अभियान चलाया, उस पर 250 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया।

सितंबर, 2015 में कैलिफॉर्निया के सिलिकन वैली में फेसबुक मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टाउनहॉल बैठक को संबोधित करने गए। वहां वे जुकरबर्ग से गले मिले। फेसबुक के प्रवर्तक ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘भारत, इंडोनेशिया, यूरोप और अमेरिका, सब जगह के अभियानों में यह देखने में आ रहा है कि जिसके सबसे अधिक फेसबुक फॉलोअर हैं, वही चुनाव जीत रहा है।’

महीने भर के अंदर जुकरबर्ग एक बार फिर भारत आए। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में उन्होंने इंटरनेट उद्यमियों को संबोधित किया। फेसबुक की फ्री बेसिक्स योजना को लेकर कई लोगों में कई तरह के संदेह थे। इन्हें यह ठीक नहीं लग रहा था कि कुछ वेबसाइटों के प्रति भेदभावपूर्ण बर्ताव अपनाने की योजना है। यह कुछ उसी तरह की बात है जैसे किसी पुस्तकालय में यह बताया जाए कि कुछ खंडों की पुस्तकें पाठक बगैर कोई शुल्क दिए पढ़ सकते हैं।

ट्राई द्वारा लोगों की राय आमंत्रित किए जाने की समय सीमा खत्म होने के दो दिन पहले जुकरबर्ग ने टाइम्स ऑफ इंडिया में एक लेख लिखा। 1.6 करोड़ फेसबुक उपभोक्ताओं को परोक्ष रूप से इस बात के लिए प्रेरित किया गया कि वे ‘फ्री बेसिक्स’ के समर्थन में ट्राई को पत्र लिखें।

इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के अपार गुप्ता उस दौर को याद करते हुए कहते हैं कि फेसबुक प्रतिनिधियों से उनके गहरे मतभेद रहते थे। वे कहते हैं, ‘हम लोग फेसबुक के लोगों को कहते थे कि अपनी बात लोगों के सामने या सरकार के सामने रखने का यह तरीका नहीं है, लेकिन वे यह मानने को तैयार नहीं थे।’

हालांकि, फेसबुक की सारी कोशिशें नाकाम हो गईं और ‘फ्री बेसिक्स’ योजना को मंजूरी नहीं मिली। जबकि इसी तरह की योजना को कोलंबिया, घाना, कीनिया, नाइजीरिया, मैक्सिको, पाकिस्तान और फीलिपिंस में स्वागत किया गया था। ट्राई के फैसले का काफी लोगों ने स्वागत किया। फेसबुक ने अपनी इस योजना को 8 फरवरी, 2016 को बंद कर दिया।

उसके कुछ समय बाद जून, 2016 में उमंग बेदी भारत में फेसबुक के प्रमुख बनाए गए। वे लंबे समय तक टिक नहीं पाए। 15 महीने बाद अक्टूबर, 2017 में उनकी जगह संदीप भूषण ने ले ली। 

उसी साल मई में फेसबुक ने एक्सप्रेस वाईफाई योजना शुरू की थी। इसके लिए उसने भारती एयरटेल से हाथ मिलाया था। इस योजना के तहत पूरे भारत में 20,000 वाईफाई हॉटस्पॉट लगाए जाने थे। हमने बेदी की राय जानने के लिए उनसे संपर्क किया। लेकिन अपने पूर्व नियोक्ता से अनुबंध की गोपनीयता का हवाला देकर उन्होंने कुछ नहीं बताया। 

हमारे सोशल मीडिया सीरीज़ के अन्य आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :-

#सोशल_मीडिया : लोकसभा चुनावों पर फेसबुक का असर?

क्या सोशल मीडिया पर सबसे अधिक झूठ भारत से फैलाया जा रहा है?

#सोशल_मीडिया : सत्ताधारियों से पूरी दुनिया में है फेसबुक की नजदीकी

जब मोदी का समर्थन करने वाले सुषमा स्वराज को देने लगे गालियां!

फेसबुक पर फर्जी खबरें देने वालों को फॉलो करते हैं प्रधानमंत्री मोदी!

फर्जी सूचनाओं को रोकने के लिए फेसबुक कुछ नहीं करना चाहता!

#सोशल_मीडिया : क्या सुरक्षा उपायों को लेकर व्हाट्सऐप ने अपना पल्ला झाड़ लिया है?

#सोशल_मीडिया : क्या व्हाट्सऐप राजनीतिक लाभ के लिए अफवाह फैलाने का माध्यम बन रहा है?

#सोशल_मीडिया : क्या फेसबुक सत्ताधारियों के साथ है?

#सोशल_मीडिया : क्या नरेंद्र मोदी की आलोचना से फेसबुक को डर लगता है?

#सोशल_मीडिया : कई देशों की सरकारें फेसबुक से क्यों खफा हैं?

सोशल मीडिया की अफवाह से बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा

 

#socialmedia
Social Media
Facebook India
Real Face of Facebook in India
#Facebook
Mark Zuckerberg

Related Stories

विज्ञापन में फ़ायदा पहुंचाने का एल्गोरिदम : फ़ेसबुक ने विपक्षियों की तुलना में "बीजेपी से लिए कम पैसे"  

फ़ेसबुक पर 23 अज्ञात विज्ञापनदाताओं ने बीजेपी को प्रोत्साहित करने के लिए जमा किये 5 करोड़ रुपये

कानून का उल्लंघन कर फेसबुक ने चुनावी प्रचार में भाजपा की मदद की?

रामदेव विरोधी लिंक हटाने के आदेश के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया की याचिका पर सुनवाई से न्यायाधीश ने खुद को अलग किया

यूपी चुनावः कॉरपोरेट मीडिया के वर्चस्व को तोड़ रहा है न्यू मीडिया!

मृतक को अपमानित करने वालों का गिरोह!

फ़ेसबुक/मेटा के भीतर गहरी सड़न: क्या कुछ किया जा सकता है?

आज तक, APN न्यूज़ ने श्रीनगर में WC में पाकिस्तान की जीत का जश्न बताकर 2017 का वीडियो चलाया

हेट स्पीच और भ्रामक सूचनाओं पर फेसबुक कार्रवाई क्यों नहीं करता?

एक व्हिसलब्लोअर की जुबानी: फेसबुक का एल्गोरिद्म कैसे नफ़रती और ज़हरीली सामग्री को बढ़ावा देता है


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License