NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
समाज
भारत
राजनीति
निशंक की ताजपोशी : क्या शिक्षा के भगवाकरण की मुहिम तेज़ होगी?
निशंक के मानव संसाधन विकास मंत्री बनने के बाद इसकी आशंका और बढ़ गई है। इसका एक कारण है उनके पूर्व के बयान, जिसमें वह धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष को विज्ञान और अनुसंधान से ऊपर रखते हैं।
मुकुंद झा
01 Jun 2019
Nishank

मोदी सरकार 2.O में रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ देश के नए शिक्षा मंत्री यानी मानव संसाधन विकास (HRD) मंत्री बनाए गए हैं। उन्होंने शुक्रवार को अपना कार्यभार संभाल लिया। कार्यभार संभालते ही उन्होंने पिछले कई सालों से लटकी हुई नई शिक्षा नीति को लेकर ड्राफ्ट जारी किया और सभी से अपील की कि वे इसमें सुधार के लिए सुझाव दें।

लेकिन इस ड्राफ्ट को लेकर पहले भी विवाद रहा है। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में भी कई शिक्षाविदों ने मोदी सरकार पर शिक्षा का भगवाकरण करने और आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया था। 

निशंक के शिक्षा मंत्री बनने के बाद इसकी आशंका और बढ़ गई है। इसका एक कारण है उनके पूर्व के बयान, जिसमें वह धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष को विज्ञान और अनुसंधान से ऊपर रखते हैं। उनके मुताबिक विज्ञान अभी तक भूकंप के बारे में भविष्यवाणी नहीं कर सकता है लेकिन ज्योतिषी ये कर सकता है। 

इसके अलावा वे हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में बताई गई बातों को आज के समय में सत्य के रूप स्थापित करते हैं। जैसा की प्रधानमंत्री समेत कई अन्य भाजपा नेताओं ने समय-समय पर कहा है कि गणेश का सर कट जाने के बाद हाथी का सर लगाना विज्ञान था। जबकि हम समय जानते हैं कि वो केवल एक धार्मिक मान्यता है उसका विज्ञान से कोई लेना देना नहीं है। कई लोग कह रहे हैं की निशंक जैसे व्यक्ति का शिक्षा मंत्री बनाना देश के वैज्ञानिक तार्किक ज्ञान के लिए खतरनाक है।
 

2019 में मोदी और भाजपा को एक बार फिर जनादेश मिला है। इसलिए समझा जा रहा है कि अब वो अपने शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक कार्यक्रमों को तेज़ी से लागू करेगी जिसे उसने अब तक उतनी आक्रमकता से नहीं किया है। इसमें भाजपा और आरएसएस का काफी समय से मानना रहा है कि छात्रों को विद्यालय में हिन्दू धर्म में वर्णित कथाओं को पढ़ना चाहिए। आरएसएस इन्हीं मान्यताओं को लेकर शिक्षा के क्षेत्र में काफी लंबे समय से काम कर रहा है। इसमें हिन्दू धर्म की मान्यताओं को न सिर्फ विज्ञान के कसौटी पर सही साबित करना है, बल्कि संघ के राष्ट्रवाद को भी स्थापित करना है, जो भारतीय राष्ट्रवाद से पूरी तरह से भिन्न है।

संघ अपनी इन्हीं अवधारणा को स्थापित करने के लिए सरस्वती विद्या मंदिर, एकल स्कूल और शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाली विद्याभारती जैसी संस्थाए काम करती रही हैं। इसके अलावा पिछले समय देखा गया है कि संघ ने देश के तमाम बड़े शिक्षण संस्थानों में संघ समर्थको की नियुक्ति के लिए अभियान चलाया जिसमें उसे पिछली भाजपा सरकार का भरपूर साथ मिला था। 

इसके अलावा पिछली सरकार में शिक्षा का भगवाकरण शुरू किया था। कई भाजपा शासित राज्यों ने पाठ्यक्रम में पुरोहित और कर्मकांड जैसे विषयों में पढ़ाई शुरू की। इसके साथ ही भाजपा ने इस दौरान प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत के इतिहास में संघ का नजरिया छात्रों पर थोपने का प्रयास किया। उसमें उसने कुछ हद तक कामयाबी भी हासिल की, लेकिन संघ के लोगों का मानना है कि भारत के इतिहास में केवल मुगलों को पढ़ाया जाता है जबकि हिन्दू शासकों के शौर्य को कम करके आंका गया है, जबकि वे हमारा गौरव हैं। लेकिन इस पर लोग सवाल करते हैं कि क्या आज भी संघ जौहर और सती प्रथा जैसी कुरुतियों पर गर्व करता है। 

इसके लिए आरएसएस ने कई बार सरकार को खुले तौर पर लिखा भी है कि वो भारत की शिक्षा में आमूल चूल परिवर्तन चाहता है।

छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विकास ने नई शिक्षा नीति पर कहा कि अभी जिस तरह की नई शिक्षा नीति तैयार की गई है, उसका उद्देश्य शिक्षा का बाज़ारीकरण, निजीकरण तो है ही साथ ही उसे मनुवाद के हिन्दुत्वादी एजंडे के अनुरूप बनाना है। 

आगे विकास कहते हैं कि जिस तरह की शिक्षा नीति है उसका अंतिम लक्ष्य जो दिखता है वो यह है कि आने वाली पीढ़ी के सोचने के तरीके को बदलना है। इसका उद्देश्य हिन्दू बाह्मणवादी सोच को स्थापित कर समाज को लड़ाना , वैज्ञानिक सोच को कम करना,तार्किकता को खत्म करना और प्राचीन और मध्यकालीन रूढ़िवादी मानसिकता को बढाना है।

nishank
MHRD
ramesh pokhriyal
cabinet 2019
saffronisation of education
Saffronisation
Education Sector
UGC

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा

बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर

कॉमन एंट्रेंस टेस्ट से जितने लाभ नहीं, उतनी उसमें ख़ामियाँ हैं  

उत्तराखंड : ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में बंद होते सरकारी स्कूल, RTE क़ानून की आड़ में निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार 

नेट परीक्षा: सरकार ने दिसंबर-20 और जून-21 चक्र की परीक्षा कराई एक साथ, फ़ेलोशिप दीं सिर्फ़ एक के बराबर 

यूजीसी का फ़रमान, हमें मंज़ूर नहीं, बोले DU के छात्र, शिक्षक

नई शिक्षा नीति ‘वर्ण व्यवस्था की बहाली सुनिश्चित करती है' 

सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUCET) सतही नज़र से जितना प्रभावी गहरी नज़र से उतना ही अप्रभावी

45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए होगी प्रवेश परीक्षा, 12वीं में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश खत्म


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License