NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
नितीश की नई पारी और बिहार में राजनीतिक भूचाल
लालू यादव और उनके परिवार के भ्रष्टाचार के मामले सामने आने के बाद से ही ये अटकलें लगायी जाने लगी थी कि , बिहार में राजनितिक उथल पुथल होना संभव है ।
रितांश आज़ाद
03 Aug 2017
नितीश की नई पारी और बिहार के राजनीतिक भूचाल

लालू यादव और उनके परिवार के भ्रष्टाचार के मामले सामने आने के बाद से ही ये अटकलें लगायी जाने लगी थी कि , बिहार में राजनीतिक उथल पुथल  होना संभव है ।  बीजेपी ने इन मामलों के बाहर आते  ही तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग करना शुरू कर दी थी और मीडिया में भी अटकलें तेज़ हो गयी  कि जेडीयू,  तेजस्वी पर इस्तीफे का दबाव डाल सकती है।  पर नितीश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे और उसके कुछ ही घंटों में बीजेपी के समर्थन से सरकार बना लेने के फैसले ने सबको भौंचक्का कर दिया । इस पूरे घटनाक्रम से ये साफ़ हो जाता है की नितीश कुमार और बीजेपी की पहले से सांठ गांठ थी , और वह बस एक अच्छे मौके  की तलाश  में थे। यह तक कहा जा रहा है की जदयु के कुछ बड़े नेता भी इस बात से अनभिज्ञ थे । जानकारों का मानना है की नोटबंदी के  समय नितीश का बीजेपी को समर्थन इसी बात का संकेत था की वो कभी भी अपना पाला बदल सकते है। 

ये सब होने के बाद राजद ने नितीश पर जनादेश से धोखा करने का आरोप लगाया। राजद के नेता तेजस्वी यादव ने कहा "हे राम से जय श्री राम हो गए  है नितीश''।  साथ ही  उन्होंने कहा की उनसे कभी इस्तीफा देने को कहा ही नहीं गया था।  बिहार में सक्रिय वामपंथी पार्टी  भकपामाले ने भी इसे जनादेश से गद्दारी कहा और उनके विधायकों ने "नो कॉन्फिडेंस मोशन " में नितीश सरकार  के खिलाफ वोट किया। 

जनवादी हलकों में नितीश के इस कदम को मौकापरस्ती का नाम दिया जा रहा है , क्योंकि बिहार में संघ और बीजेपी की फासीवादी राजनीति को रोकने की उम्मीद उनसे लगायी जा रही थी।  बिहार के अलावा देश के जनवादी आंदोलन को भी इससे काफी धक्का लगेगा क्योंकि नितीश २०१९ के लोक सभा चुनाव के मुख्य विपक्षी नेता के तौर पर उभर सकते थे।  पर नीतीश का ये कदम  उनके राजनैतिक इतिहास से अलग नहीं है।  वो पहले  भी  कई बार NDA  सरकारों  में  मंत्री  रह चुके हैं और कई बार सेकुलरिज्म के नाम पर पाला भी  बदलते  रहें हैं।  इस कदम से ये साफ़ साबित हो जाता है की पिछड़ों और धर्मनिरपेक्षता के नाम पर की गई नितीश की राजनीति कोरी लफ़्फ़ाज़ी थी , और ये भी की जेपी और लोहिया का समाजवादी आंदोलन, आज जातिओं के जोड़ तोड़ की राजनीति बनता जा रहा है। 

पूंजीवाद के संकट का ये दौर जब फासीवाद उभार पर है , एक मज़बूत विपक्ष की मांग करता है , जो सही मायनों में जनता के सवालों को उठाने का काम करे।  नितीश के इस कदम के बाद विपक्ष में जो वैक्यूम बन गया है, उसे  वामपंथी और समाजवादी  दल बखूबी से भर सकते हैं , और इस मायने में ये एक बहुत सुनहरा मौका साबित हो सकता है।  मज़दूरों और किसानों के बिगड़ते आर्थिक हालत और फासीवादियों के बढ़ते कदमों को न सिर्फ रोकना ज़रूरी है बल्कि एक मज़बूत विकल्प देने की भी ज़रुरत है , जो जन आंदोलनों द्वारा ही किया जा सकता है। ये समझते हुए हमें ये भी ध्यान रखना होगा की समाजवाद के नाम पर मौकापरस्ती से सावधान रहा जाये और सहयोगियों को ध्यान से चुना जाये।

 

बिहार
नितीश कुमार
लालू प्रसाद यादव

Related Stories

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय: आनिश्चित काल के लिए हुआ बंद

मध्यप्रदेश: एक और आश्रयगृह बना बलात्कार गृह!

मुज़फ्फरपुर सुधारगृह कांड: बिहार सरकार ने मुख्य आरोपी के अखबार को दिये थे लाखों के विज्ञापन

बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था के खस्ता हाल

यूपी-बिहार: 2019 की तैयारी, भाजपा और विपक्ष

बिहार: सामूहिक बलत्कार के मामले में पुलिस के रैवये पर गंभीर सवाल उठे!

नई नीति बिहार में सरकारी स्कूलों की वास्तविकता को उज़ागर करती हैं

बिहार: मंदिर निर्माण से होगा महिला सशक्तिकरण ?

दिन में भाजपा की आलोचना की और शाम को जदयू से एमएलसी का टिकट लिया

बिहार चुनावों में संघ परिवार का घातक गठजोड़


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License