NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
भारतीय क्रिकेट व फ़िल्मी जगत की हस्तियों के नाम खुला ख़त : ‘आप प्रसिद्ध हैं लेकिन आप बड़े नहीं हैं’
आपका क़द और किरदार यहां बहुत छोटा है। आप यहां असंवेदनशील और पाखंडी नजर आते हैं। ...क्या आपमें हिम्मत नहीं देश हित में सत्ता से सवाल कर सकें? अगर नहीं है तो कम से कम चुप रहिए।
सुमित कटारिया
05 Feb 2021
भारतीय क्रिकेट व फ़िल्मी जगत की हस्तियों के नाम खुला ख़त
Image courtesy: Lokmat

किसान अर्थात अन्नदाता पिछले दो महीने से किसान विधेयकों को रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलनरत है जबकि बहुमत वाली भाजपा सरकार, बिना किसी चर्चा के ध्वनि मत से पारित किए गए तीन कृषि विधेयकों को रद्द नहीं कर रही है। बिना किसी चर्चा के पारित किए गए विधेयकों पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब ये विधेयक कानून की शक्ल ले चुके हैं। सरकार के इन तीन कानूनों का देश भर में विरोध हुआ। यह विरोध न केवल किसानों द्वारा किया गया बल्कि कृषि विशेषज्ञों द्वारा भी इन कानूनों का विरोध किया गया। कानून विशेषज्ञों ने भी इन्हें संविधान के साथ खिलवाड़ कहा। किसानों के साथ हुई दस से अधिक बैठकों में भी किसानों ने कृषि कानूनों की खामियां गिनाई।

इसके बावजूद सरकार ने इन कानूनों को रद्द नहीं किया। जब किसानों को कई प्रकार से बदनाम करने की कोशिशें नाकाम रही तो सरकार ने क्रूर तरीके से किसानों की आवाज़ को दबाने की कोशिश की और भारी पुलिस व सैन्य बल द्वारा कार्यवाही कर किसानों के आंदोलन को दबाने की कोशिश की और फिर पानी और शौच सुविधाएं बंद करवा दी गईं। इसके बाद इंटरनेट को लगभग संपूर्ण हरियाणा में प्रतिबंधित कर दिया गया। और रात्रि में पुलिस व अर्धसैन्य बल से लाठीचार्ज कर हटाने की योजना बनाई। लेकिन इसमें भी किसान विरोधी सरकार को सफलता नहीं मिली तब आंदोलन स्थलों के इर्द गिर्द लोहे की बड़ी बड़ी कीलों को सड़कों पर जमा दिया गया व कंक्रीट की दीवारें खड़ी कर दी गई और कंटीले तारों द्वारा सड़कों को पूरी तरह से आने जाने के लिए बंद कर दिया गया। यह अपने आप में अभूतपूर्व था कि किसी सरकार ने अपने देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का इस प्रकार से हनन किया हो। सरकार का अड़ियल रवैया अभी तक जारी है।

जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह खबरें पहुंची तो उन्होंने इंटरनेट प्रतिबंध करने, किसानों को प्रताड़ित करने, किसानों की मांगों को अवहेलना करने व मानवाधिकारों का हनन करने को लेकर बोलना लिखना शुरू किया और भाजपा की केंद्र सरकार की आलोचना की। बड़ी बड़ी विदेशी हस्तियों ने ट्वीट किए, फेसबुक, इंस्टाग्राम इत्यादि सोशल मीडिया माध्यमों पर संदेश लिखे। लेकिन भारतीय क्रिकेटर, फिल्मी जगत के लोगों आपने इसे देश का आंतरिक मामला बोला और देश भक्ति दिखाई।

निसंदेह यह देश का आंतरिक मामला हो सकता है। लेकिन आप जैसे प्रसिद्ध लोगों ने किसानों की व्यथा, उनके मानवाधिकारों के हनन, कृषि कानूनों के विषय कुछ नहीं लिखा और न कहा।

मैं आपसे पूछता हूं कि देश क्या होता है? देश किससे बनता है? क्या किसान देश के नहीं है? ये विदेश से आए हैं? क्या आप प्रतिक्रिया व्यक्त ही करते रहोगे? क्या आप खाना नहीं खाते? यह खाना जो आपके घरों और पेट तक पहुंचता है इसे किसान ही उपजाते हैं। शायद आज आपका पेट भरा हुआ है लेकिन आने वाली पीढ़ियों के लिए यह कानून घातक होंगे। सरकार कुछ चंद पूंजीपति घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि कानूनों की आड़ में संपूर्ण देश की जनता को गुलाम बनाने पर उतारू है। ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह बड़ी बड़ी कंपनिया भारत को गुलाम बना लेंगी और बना रही हैं।

क्रिकेटर्स, फिल्मी जगत के लोगों द्वारा सरकार की तरफदारी करना बेहद निराशाजनक है। देश के लोगों ने ही आपको फर्श से अर्श पर बिठाया है। भाजपा सरकार के समर्थन में किए गए आपके ट्वीट साफतौर पर आपकी उदासीनता को दिखाते हैं कि आप किसानों और देश हित के विषय में कुछ नहीं सोचते। आपको तो केवल बड़ी बड़ी कंपनिया के विज्ञापन करने हैं और अपनी जेब गरम करनी है। किसी भी सामाजिक आर्थिक राजनीतिक सरोकार के मुद्दों पर तो आपकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आती जब आप बोलने में असक्षम हैं तब कोई संवेदनशील व्यक्ति लिखता है, बोलता है या ट्वीट करता है तब आप सब उनको समझाने लगते है यह देश का आंतरिक मामला है। क्या आपने हिम्मत नहीं देश हित में सत्ता से सवाल कर सकें? अगर नहीं है तो कम से कम चुप रहिए। किसान आंदोलन के दौरान तो आपकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई लेकिन जब विदेशी मीडिया और प्रसिद्ध हस्तियों ने बोलना, लिखना शुरू किया तो आप भाजपा सरकार के हिमायती बन कर आए गए। यह ढोंग नहीं तो क्या है?

श्रीमान अक्षय कुमार, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, अनिल कुंबले, सुनील शेट्टी और सुश्री लता मंगेशकर, कंगना रनौत सरीखे लोग जो अपने कार्य क्षेत्र में प्रसिद्धि की ऊंचाइयों पर हैं उनसे इस प्रकार की प्रतिक्रिया शोभा नहीं देती। यह कोई क्रिकेट का मैदान नहीं है यह जीवन का मैदान है और यह कोई कोई कलाकारी या गीत का क्षेत्र नहीं बल्कि जिंदगी का गीत है। इस जिंदगी के मैदान में एक ट्वीट द्वारा आप किसानों की व्यथा को नहीं गा सकते। आप के तो गीत, कलाकारी और खेल ही बेसुर में है। आपको क्या लगता है एक ट्वीट कर आपने अपनी देशभक्ति दिखा दी? नहीं आपने ऐसा कोई काम नहीं किया है जो प्रताड़ित किसानों के हित में हो। किसान आंदोलन के दौरान सैकड़ों किसान शहीद हो गए और सैकड़ों किसान लापता हैं। इस पर आपकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई! कोई दुख प्रकट नहीं किया। क्या ये किसान देश के नहीं थे? कंगना रनौत जैसे कुछ फिल्मी जगत के कलाकार तो किसानों को आतंकवादी तक बोल गए। किसानों द्वारा उपजाए अन्न की तो शर्म कर लेते। अगर ये आतंकवादी है तो सरकार इनके साथ बैठकें क्यों कर रही है? सरकार इनको जेल में क्यों नहीं डाल देती? सरकार कोई कार्यवाही क्यों नहीं करती? अगर ये आतंकवादी नहीं है तो सरकार कंगना रनौत पर कार्यवाही क्यों नहीं करती? कंगना रनौत को जनता द्वारा गए कर अदायगी से सरकारी सुरक्षा क्यों मुहैया कराई गई है?

आपने नस्लभेद के कारण प्रताड़ित जॉर्ज फ्ल्योड की हत्या पर #BlackLivesMatter  हैशटैग के साथ ट्विटर संवेदनाएं व्यक्त की थीं। आपने बहुत सही किया और नस्लभेद की खिलाफ हमेशा आवाज़ उठानी चाहिए। क्या यह सच्ची संवेदना थी या केवल वैश्विक स्तर पर चल रहे आंदोलन में क्रिकेटर्स और फिल्मी जगत के कलाकारों द्वारा खालिस एक ट्वीट भर था? यह आप ही जानें! भारत में जातीय हिंसा, सांप्रदायिकता, दलित, आदिवासी, पिछड़ों के साथ हो रहे अत्याचारों पर आपकी कोई टिप्पणी, ट्वीट, विरोध, प्रदर्शन आदि दिखाई नहीं देता। भारत देश में प्रतिदिन अखबारों और किसी न किसी टीवी चैनल की खबरों में आपको जरूर दिखाई देता होगा लेकिन आपको तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता। आपकी संवेदनशीलता कहां चली जाती है? या आपको यह दिखाई नहीं देता? या आप अनदेखा कर देते है? या आपके निहित स्वार्थ कहीं और जुड़े है? आप #DalitLivesMatter, #NoCasteDiscrimination #NoCommunalism आदि हैशटैग के साथ ट्वीट क्यों नहीं करते? दरअसल आपका ढोंग स्पष्ट है। भारत की तथाकथित प्रसिद्ध हस्तियां तब बहुत छोटी हो जाती हैं जब इनके ऊपर अत्याचार होता है और अपना मुंह बंद कर लेते, मुंह फेर लेते है और अनदेखा कर देते है। आप प्रसिद्ध हैं लेकिन आप बड़े नहीं हैं। आपका क़द और किरदार यहां बहुत छोटा है। आप यहां असंवेदनशील और पाखंडी नजर आते हैं। यही स्थिति वर्तमान में भी है जब किसानों पर अत्याचार हो रहा तब आप सहूलियत खोज रहे थे कि क्या करें और इस प्रकार की प्रतिक्रिया दी जो अत्याचारियों के समर्थन में थी। इतिहास सदा याद रखेगा की जब किसानों पर अत्याचार हो रहा था तब आप लोग सरकार की चाटुकारिता कर रहे थे। आप अत्याचारी और अत्याचार का साथ दे रहे थे। जो अत्याचार को मौन स्वीकृति दे रहे थे और दे रहे है समय उनका भी इतिहास लिखेगा।

इंकलाब जिंदाबाद

सुमित कटारिया

(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधार्थी और एसएफआई दिल्ली राज्य समिति के अध्यक्ष हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Social Issue
Indian Celebrities
Actors
bollywood
indian cricketer
Indian Sports
Indian Sports Players
farmers protest
Social Media

Related Stories

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी

युद्ध, खाद्यान्न और औपनिवेशीकरण

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

फ़िल्म निर्माताओं की ज़िम्मेदारी इतिहास के प्रति है—द कश्मीर फ़ाइल्स पर जाने-माने निर्देशक श्याम बेनेगल

किसान-आंदोलन के पुनर्जीवन की तैयारियां तेज़

कलाकार: ‘आप, उत्पल दत्त के बारे में कम जानते हैं’

किसान आंदोलन: मुस्तैदी से करनी होगी अपनी 'जीत' की रक्षा


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License