NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
नर्मदा रिटर्न दिग्गी राजा
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की 6 महीने की निजी और धार्मिक यात्रा का समापन हो गया है इस दौरान उन्होंने मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी कही जाने वाली नदी नर्मदा की परिकर्मा पूरी की है I
जावेद अनीस
24 Apr 2018
Digvijay Singh
Image Courtesy: TwoCircles.net

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की 6 महीने की निजी और धार्मिक यात्रा का समापन हो गया है इस दौरान उन्होंने मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी कही जाने वाली नदी नर्मदा की परिकर्मा पूरी की है. अब वो एक बार फिर से मध्यप्रदेश की राजनीति में लौटने को आतुर नजर आ रहे हैं. यात्रा समापन के तुरंत बाद उनका बयान आया है कि वे राजनेता हैं और इस धार्मिक यात्रा के बाद वे कोई पकौड़ नहीं तलने वाले हैं. दिग्विजय सिंह की राजनीति में वापसी के एलान के बाद से मध्यप्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है, जहाँ एकतरफ कांग्रेसी उनकी इस  यात्रा की सफलता होने से उत्साहित हैं और उन्हें दिग्विजय सिंह में अपना तारणहार नजर आने लगा है तो दूसरी सत्ताधारी भाजपा उनको साधने की रणनीति बनाने में लग गयी है. बहरहाल अपने  इस बहुचर्चित गैर-सियासी यात्रा से दिग्गी राजा ने अपनी राजनीतिक छवि तो बदला ही लिया है साथ ही इससे उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता भी बढ़ गयी है.

मध्यप्रदेश छोड़ने के बाद दिग्विजय सिंह केंद्र में सक्रिय थे और वहां उन्होंने अपना खासा दखल बना लिया था, राहुल गांधी के शुरूआती दिनों में एक समय ऐसा भी था का उन्हें राहुल का मार्गदर्शक और यहाँ तक कि राजनीतिक गुरु भी कहा जाने लगा था लेकिन फिर धीरे- धीरे पार्टी में उनका कद लगातार छोटा होता गया,पार्टी के बाहर भी उनकी छवि मुस्लिम परस्त और  बिना सोच समझ कर बोलने वाले नेता की बन गयी.  अपने इस यात्रा से ठीक पहले गोवा में कांग्रेस के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद सरकार नहीं बना पाने के कारण वे निशाने पर थे और प्रभारी होने  के नाते सबसे ज्यादा किरकिरी उन्हीं की हुई थी. इसको लेकर पार्टी ही नहीं विपक्षी भी उन्हें निशाना बना रहे थे, मनोहर पर्रिकर ने उनपर तंज कसते हुए कहा था कि,”आप गोवा में आराम से घूमते रहे और हमने सरकार बना लिया”.

पिछले साल 30 सितंबर को नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट से शुरू हुयी नर्मदा परिक्रमा इस साल 9 अप्रैल को बरमान घाट पर ही संपन्न हुयी है जिसमें  वे करीब 3332 किलोमीटर पैदल चले हैं और इस दौरान उन्होंने लगभग सवा सौ से करीब डेढ़ सौ विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया है. यात्रा शुरू करने से पहले उन्होंने संकल्प लिया था वे राजनीति से जुड़ी कोई बात नहीं करेंगे जिसे अपने स्तर पर उन्होंने इसे निभाया भी. यही वजह रही कि यात्रा को विशुद्ध रूप से धार्मिक बताने के उनके दावे पर कोई सवाल नहीं उठा पाया.

ऐसा विश्वाश है कि नर्मदा एक ऐसी नदी हैं जिनके दर्शन मात्र से पाप कट जाते हैं इस लिहाज से देखें तो  दिग्विजय सिंह ने तो पूरी ने तो नर्मदा की परिकर्मा ही पूरी कर ली है. इस यात्रा से  उन्होंने अपने अपनी हिन्दू विरोधी नेता की छवि सेपीछा छुड़ा लिया है. आज उनके घोर विरोधी भी उनका गुणगान कर रहे हैं. दिग्विजय सिंह को मध्यप्रदेश की सत्ता से बेदखल करने वाली उमा भारती ने एक चिठ्ठी भेजा है जिसमें उन्होंने नर्मदा यात्रा पूरी करने के लिये उन्हें बधाई देते हुये इससे अर्जित हुए पुण्य में से एक हिस्सा और आशीर्वाद मांगा है.

1993 में विधानसभा चुनाव से पहले बतौर मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिग्विजय सिंह ने राज्य की यात्रा की थी और हिन्दुतत्व के रथ पर सवार भाजपा को पराजित कर दिया था आज एक बार फिर परिस्थितियां वैसी ही बन रही हैं हालांकि अभी मध्यप्रेश में उनकी कोई सीधी जिम्मेदारी नहीं है लेकिन इसके बावजूद प्रदेश कांग्रेस की राजनीति उन्हें की इर्दगिर्द सिमटती हुई नजर आ रही है. मध्य प्रदेश में इस साल के अंत तक चुनाव होने हैं और आज भी मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह ही इकलौते  कांग्रेसी नेता हैं नेता हैं जिनकी  पहचान पूर मध्यप्रदेश में है . 2003 में सत्ता से बेदखल होने के बाद उन्होंने अगले दस साल तक  मध्यप्रदेश की राजनीति से दूर रहने की घोषणा किया था आज इस घोषणा के  करीब चौदह साल बीत चुके हैं. हालांकि उन्होंने कहा है कि इसबार वे मुख्यमंत्री  पद के उम्मीदवार नहीं हैं और कांग्रेस को जिताने के लिए पार्टी में फेविकोल का काम करना चाहते हैं, पर साफ दिख रहा है कि उनकी महत्वाकांक्षाएं कुलांचे मार रही है. फिलहाल सबकुछ उनके पक्ष में नजर आ रहा है पार्टी आलाकमान अभी तक यह तय  नहीं कर सका है कि मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा. बीच में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम खूब उछला था लेकिन कुछ तय  नहीं हो पाया. दिग्विजय सिंह की यात्रा से पहले जो अनिश्चितता की स्थिति थी वो आज भी कायम है इसी वजह से यात्रा के समापन के तुरंत बाद ही उन्हें यह दावा जताने का मौका मिल गया कि “प्रदेश में चुनाव के लिहाज से मैं पार्टी का प्रतिनिधित्व करने को तैयार हूँ”. फिलहाल वो बहुत ही सधे हुये तरीके से आगे बढ़ रहे हैं और यह कहना नहीं भूल रहे हैं कि भविष्य में कांग्रेस में उनकी क्या भूमिका होगी यह अध्यक्ष राहुल गांधी ही तय करेंगे.

नर्मदा परिक्रमा के बाद दिग्विजय सिंह अब मध्यप्रदेश की राजनीतिक परिकर्मा करने की तैयारी में हैं. “एकता यात्रा” के नाम से निकाले जाने वाली इस यात्रा में वे प्रदेश के हर जिले का दौरा करेंगें और अलग-अलग धड़ों में बिखरे कांग्रेसियों को जोड़ने का काम करेंगें. अगर दिग्विजय सिंह अपने कहे के प्रति गंभीर हैं और उनकी यह प्रस्तावित यात्रा वाकई में कांग्रेस को एकजुट  करने के लिये ही है तो फिर इससे मध्यप्रदेश में कांग्रेस की किस्मत बदल सकती है.

लेकिन इन सबके बीच  असली पहेली यह है कि वे खुद के लिए क्या चाहते? हालांकि वे साफकर चुके हैं कि उनका इरादा तीसरी बार मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का नहीं है लेकिन इसके साथ ही आगामी चुनाव के लिये कांग्रेस का चेहरा कौन होगा इसके बारे में वो मौन भी है और साथ ही यह जोड़ना भी नहीं भूल रहे हैं कि “मैं इसका बारे में अपनी पसंद सिर्फ राहुल गांधी  को ही बताऊंगा”. चुनावी साल में दिग्गी राजा की वापसी के बाद प्रदेश कांग्रेस में समीकरण बदलना तय है, आने वाले महीनों में वे अघोषित रूप से ही सही विधानसभा चुनाव में पार्टी का कमान वो अपने हाथ में रखने की हर मुमकिन जतन करेंगें .

दिग्विजय सिंह ने अपने परिकर्मा के दौरान पाया है कि कभी साल भर ना सूखने वाली नर्मदा का यह वरदान बहुत तेजी से ख़त्म हो रहा है. लेकिन इसी नर्मदा की परिकर्मा से दिग्विजय सिंह की राजनीतिक जमीन जरूर सिंचित हो गयी है .

डिस्क्लेमर: यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं और आवश्यक नहीं कि न्यूज़क्लिक के विचारों का प्रतिनिधित्व करते होंI

Digvijay Singh
parikrama
Narmada River

Related Stories

नर्मदा के पानी से कैंसर का ख़तरा, लिवर और किडनी पर गंभीर दुष्प्रभाव: रिपोर्ट

बलिया पेपर लीक मामला: ज़मानत पर रिहा पत्रकारों का जगह-जगह स्वागत, लेकिन लड़ाई अभी बाक़ी है

जीत गया बलिया के पत्रकारों का 'संघर्ष', संगीन धाराएं हटाई गई, सभी ज़मानत पर छूटे

पेपर लीक प्रकरणः ख़बर लिखने पर जेल भेजे गए पत्रकारों की रिहाई के लिए बलिया में जुलूस-प्रदर्शन, कलेक्ट्रेट का घेराव

मध्य प्रदेश विधानसभा ने सदन में 1,161 शब्दों के इस्तेमाल पर लगायी रोक, विधायकों ने जताया ऐतराज़

इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत की पैरवी भाजपा के ख़िलाफ़ है- क्या दिग्विजय सिंह नहीं जानते?

महामारी का मृत्यु - पर्व और पॉजिटिविटी का गरुड़ पुराण

ओडिशा-मध्यप्रदेश में बाढ़ का क़हर जारी, जान-माल के साथ फ़सल भी बर्बाद

राज्यसभा चुनाव: बीजेपी को आठ और कांग्रेस को चार सीटें, आंध्र में वाईएसआर कांग्रेस का दबदबा

सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला और बाग़ी विधायकों के नाम दिग्विजय की भावुक अपील


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License