NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
नरोदा पाटिया मामला : 3 तथ्य और 5 सवाल
माया कोडनानी मामले में एक आश्चर्यजनक मोड़, पूर्व भाजपा मंत्री माया कोडनानी, जिसे एक बार नरोदा पटिया नरसंहार की 'सरगना' कहा जाता था, गुजरात उच्च न्यायालय ने उसे बरी कर दिया है।
सुबोध वर्मा
21 Apr 2018
Translated by महेश कुमार
माया

20 अप्रैल को, गुजरात उच्च न्यायालय ने 16 वर्ष पहले 28 फरवरी 2002 को घटे कुख्यात नरोदा पटिया नरसंहार मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय पारित किया, जो उसके सामने अपील के लिए आया था। इसने अपने फैंसले एमिन नरेंद्र मोदी की सरकार में पूर्व विधायक और मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया उनके ऊपर गुजरात में गंभीर नुकसान पहुंचाने और साजिश का हिस्सा होने के आरोप था, आरोप के मुताबिक़ करीब 5000-10000 के बीच एक भीड़ ने, अहमदाबाद के दो उपनगरों में के इलाकों में नरोदा पटिया और नरोदा गाम पर हमला किया था, जहां 2000 से अधिक मुस्लिम परिवार, ज्यादातर कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, के प्रवासी रहते थे।

घटना के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं:

  • हमला 28 फरवरी 2002 की सुबह शुरू हुआ और देर रात तक जारी रहा। पूरे इलाके को धराशायी और नष्ट कर दिया गया था, एक मस्जिद को जला दिया गया था, आधिकारिक तौर पर 36 महिलाओं और 35 बच्चों सहित 97 लोग सबसे क्रूर तरीके से (काटकर, चाक़ू-तलवार से दाग कर, सर कलम करने से, और शरीर के टुकड़े करने से) मारे गए थे, कई महिलाओं जो गर्भवती थी, का बलात्कार किया गया था। पुलिस को 150 से ज्यादा कॉल की गयी  गईं, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। स्थानीय पुलिसकर्मी हमलावरों की मदद कर रहे थे जो कथित तौर पर भगवा पटका सरों पर पहने हुए थे और हिंदू नारे लगा रहे थे।
  • आरोप लगाया गया था कि तत्कालीन बीजेपी विधायक माया कोडनानी ने नरोदा पटिया पर हमला करने वाली भीड़ को उकसाने के लिए उत्तेजक भाषण दिए थे, और कथित तौर पर घटना स्थल पर कार से बाहर निकल, भीड़ को तेज धारदार हथियार (तलवार)  वितरित करने के लिए कथित रूप से देखा गया था। पेशे से एक स्त्री रोग विशेषज्ञ कोडनानी लंबे समय से आरएसएस से संबद्ध राष्ट्रीय सेवा समिति का हिस्सा रही थी  और उन्हें उनके द्वारा दंगा भड़काने के लिए कट्टर धार्मिक विचारों के लिए जानी जाती थी। बाद में, 2007 में वह गुजरात में मोदी मंत्रालय में महिला और बाल विकास मंत्री बनी लेकिन 2009 में उन्हें उपरोक्त मामले में गिर्फत्स्सरी के बाद इस्तीफा देना पडा।
  • नरोदा पाटिया की घटना 2002 में गुजरात में हुए नरसंहार की श्रृंखला में सबसे बड़ी हत्याकांड के रूप में घटी थी। 58 लोगों को भयावह रूप से जला दिया गया था, जब वे 27 फरवरी 2002 को गोधरा में एक ट्रेन में यात्रा कर रहे थे। हिंसा ने राज्य को गले लगा लिया और कई हफ्तों तक कई मायनों में यह हिंसा जारी रही। सभी, आधिकारिक रिपोर्टों में इस हिंसा में राज्यव्यापी स्तर पर मारे गए लोगों की संख्या में 1,044 लोगों की मौत हुयी, 223 लापता हुए, और 2,500 लोग घायल हुए। मृतकों में 790 मुस्लिम और 254 हिंदू थे। अन्य स्वतंत्र रिपोर्टों ने लगभग 2000 लोगों की मृत्यु दर दर्ज की थी।  

गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश ने इस मामले के बारे में कई परेशान करने वाले प्रश्न उठाए हैं। जो कुछ महत्वपूर्ण हैं वे इस प्रकार यहीं:

  1. 2012 में एसआईटी अदालत ने कहा था कि माया कोडनानी "दंगों की सरदार थी" और उन्होंने भीड़ का नेतृत्व किया और उन्हें हिंसा के लिए उकसाया। उसने हिंसक भीड़ को उकसाया और समर्थन दिया, यह कहा गया। अदालत ने कहा था, "वह (कोडनानी) ने हिंदू लोगों को उत्तेजित करने की भूमिका निभाई है, जिससे सह साजिशकर्ताओं द्वारा अपराधों के अंजाम को बढ़ावा दिया गया। उन्होंने षड्यंत्र को निष्पादित करने के लिए अवैध सभा को संगठित किया था। यह प्रत्यक्षदर्शी साक्ष्य, फोन कॉल रिकॉर्ड इत्यादि के आधार पर था। फिर "दंगा भड़काने की सरदार" चार साल के भीतर "दोषी नहीं" कैसे तय हो गया? फिर उनके खिलाफ सारे सबूतों का क्या हुआ?
  2. गुजरात उच्च न्यायालय ने पाया कि 11 प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के ब्यान जो नरसंहार की जगह पर कोडानी की उपस्थिति को दर्शाते हैं वे "अविश्वसनीय" हो गए। जबकि एसआईटी अदालत ने अन्य सबूतों के अलावा इन बयानों पर खुद को आधारित किया था। तो इस बीच क्या बदल गया? प्रत्यक्षदर्शी और उनके साक्ष्य के साथ क्या हुआ?
  3. सितंबर 2017 में, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, जो उस समय भाजपा विधायक थे, ने नरोदा पटिया मामले की सुनवाई के दौरान गुजरात उच्च न्यायालय से कहा कि वह सुबह 8.30 बजे विधानसभा में कोडनानी से मिले और फिर सिविल अस्पताल में 9.30 बजे पूर्वाह्न मिले। ऐसा लगता है कि उन सभी अन्य साक्ष्यों का खंडन हुआ है जो दिखाते हैं कि उस समय कोडनानी नरोदा पटिया में थीं। 2012 में, शाह ने एसआईटी अदालत को बताया था कि वह सुबह 8.30 बजे विधानसभा में कोडनानी से मिले थे। सुनवाई अदालत ने कहा था कि "यह अदालत का मानना है कि गांधीनगर और अहमदाबाद जुड़वां शहर हैं, शायद ही एक दूसरे से 30 किमी की दूरी पर हैं। इसलिए, अगर आरोपी को सुबह 8.40 बजे राहत मिली, तो उसके लिए मुश्किल नहीं है कि वे 9 बजे के बाद नरोदा पटिया साइट पर पहुंचे "। तो, सवाल यह है कि शाह की गवाही को कितना बदल दिया?

 

  1. एक अभूतपूर्व घटना में, गुजरात उच्च न्यायालय के छह न्यायाधीशों ने खुद को अपील सुनने से खुद को अलग कर लिया। वे हैं: जस्टिस अकील कुरेशी, एम आर शाह, के एस झावेरी, जी बी शाह, सोनिया गोकानी और आर एच शुक्ला। सवाल उठता है कि उन्होंने क्यों ऑप्ट आउट किया?

 

  1. क्या आखिरकार, गुजरात सरकार इस उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ माया कोडनानी की रिहाई के खिलाफ अपील करेगी?
maya kodnani
BJP
Gujarat High Court
Naroda Patiya Case
नरेंद्र मोदी
गुजरात हाई कोर्ट. गोधरा

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License