NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
न्याय से बेजार गुजरात के बच्चे !
यौन – शोषण के शिकार गुजरात के बच्चों को न्याय पाने के लिए करना होगा 55 – 200 वर्ष का इंतजार
द सिटिज़न ब्यूरो
04 Jun 2018
यौन शोषण
vijaymat.com

 एक “आदर्श” राज्य के तौर पर प्रचारित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गृह - राज्य गुजरात बाल यौन शोषण के लंबित मामलों की सुनवाई पूरी करने के मामले में देश के अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे पीछे है. नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित द कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक बाल यौन शोषण के मामलों की सुनवाई पूरी करने में गुजरात को 55 से लेकर 200 साल से भी अधिक समय लगेगा !

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर 2016 तक लंबित मामलों की कुल संख्या के आधार पर गणना की जाये, तो गुजरात को इन मामलों की सुनवाई पूरी करने में 55 वर्ष लगेंगे. लेकिन अगर (2016 तक) मामलों के निपटारे की दर के आधार पर अगर गणना की जाये, तो इस राज्य को “लंबित मामलों की सुनवाई पूरी करने के लिए 200 वर्ष से अधिक समय” की जरुरत होगी. सुनवाई पूरी करने के लिए 200 वर्ष से भी अधिक समय लेने के मामले में गुजरात के साथ “होड़” लेने में सिर्फ दो छोटे राज्य – अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर – हैं.

यह रिपोर्ट पूरे देश को हिला देने वाली जम्मू – कश्मीर के कठुआ में इस साल जनवरी में आठ वर्ष की एक मासूम बच्ची के बलात्कार और हत्या की घटना की पृष्ठभूमि में प्रकाशित की गयी है. इस “दर्दनाक घटना” के खिलाफ उभरे “जन - विरोध” ने दिसम्बर 2012 में दिल्ली में एक युवती के साथ सामूहिक बलात्कार की खौफ़नाक घटना के खिलाफ हुए व्यापक विरोध – प्रदर्शनों की याद ताज़ा कर दी, जिसके बाद बलात्कार से संबंधित न्यायिक प्रक्रिया में संशोधन कर उसे और अधिक सख्त और मजबूत बनाया गया था.

बाल यौन शोषण के मामलों की कुल संख्या और इन मामलों के निपटारे की दर के आधार की गयी गणना के हिसाब से सबसे अच्छा प्रदर्शन पंजाब का है, जहां इन मामलों की सुनवाई पूरी होने में मात्र दो साल लगेंगे. इसके बाद आन्ध्र प्रदेश, हरियाणा और छत्तीसगढ़ का नंबर आता है, जहां ऐसे मामलों की सुनवाई पूरी करने के लिए तीन से चार साल तक का समय लगेगा. तमिलनाडु को ऐसे मामलों की सुनवाई पूरी करने के लिए चार से सात साल तक के समय की दरकार है. इसी काम के लिए मध्य प्रदेश, झारखंड और जम्मू एवं कश्मीर को चार से आठ साल तक का समय चाहिए. जबकि हिमाचल प्रदेश को इस काम को पूरा करने के लिए छह से 11 वर्ष तक के समय की जरुरत होगी.

इस संदर्भ में सबसे बुरा प्रदर्शन करने वाले, हालांकि गुजरात से कहीं बेहतर साबित होने वाले, राज्य के तौर पर वामपंथी पार्टियों द्वारा शासित केरल का नाम आता है, जहां ऐसे मामलों की सुनवाई पूरी करने के लिए 23 से 74 साल तक का समय लगेगा. केरल से थोड़ा बेहतर प्रदर्शन पश्चिम बंगाल है, जिसे इस काम के लिए 19 से 67 साल तक का समय चाहिए होगा. इसी काम के लिए महाराष्ट्र को 16 से 49 साल, बिहार को 13 से 40 साल, दिल्ली को 13 से 37 साल, कर्नाटक को 12 से 35 साल, उड़ीसा को 12 से 33 साल, राजस्थान को 10 से 28 साल और उत्तर प्रदेश को 10 से 27 साल तक के समय की जरुरत होगी.

“द चैलेंज कैननॉट वेट : स्टेटस ऑफ़ पेंडिंग ट्रायल्स इन चाइल्ड एब्यूज केसेस इन इंडिया” शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है की ऐसी बदतर स्थिति तब है जब भारतीय दंड संहिता, 1980 में संशोधन कर बलात्कार की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है और बच्चों के साथ हुए बलात्कार के मामलों की जांच को मामला दर्ज होने के दो महीने के भीतर पूरा करने और मामले की सुनवाई भी दो महीने के भीतर पूरी करने का प्रावधान किया गया है.

इस रिपोर्ट में कहा गया, “बच्चों के साथ होने वाले बलात्कार और यौन उत्पीड़न की कहानी कुछ ऐसी है कि एक उत्तरदायी न्यायिक प्रणाली के अभाव में यहां हर दिन कठुआ जैसी घटनाएं सामने आती रहती हैं.”

इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि बाल यौन शोषण के लंबित मामलों की राज्यवार समय – सारणी लोकसभा में (1 अगस्त, 2017 को) पूछे गए एक अतारांकित प्रश्न के जवाब में भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए विवरण पर आधारित है. ये आंकड़े “प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ओफ्फेंसेस (पीओसीएसओ) एक्ट के तहत 2014 से 2016 के बीच की अवधि में बाल यौन शोषण के मामलों के अभियोजन” पर आधारित हैं.

“बाल यौन शोषण के लंबित मामलों की राज्यवार समय – सारणी” के आधार पर “सुनवाई पूरी होने की बेहद धीमी गति” की ओर इशारा करते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में इस तरह के “बकाया मामलों को सुलटाने में औसतन लगभग दो दशक का समय” लगेगा. हालांकि, राज्य – स्तर पर इस मामले में कई अंतर दिखायी देते हैं. मसलन, “पंजाब में जहां दो वर्ष का समय लगना है वहीँ अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, मणिपुर, पश्चिम बंगाल और केरल में 60 वर्ष से भी अधिक समय की दरकार है”. साथ ही, “पिछले साल के मुकाबले लंबित मामलों की संख्या” में निरंतर इज़ाफा होता जाता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, “वर्ष 2014 के मुकाबले 2015 के दौरान लंबित मामलों की संख्या में 37% का इज़ाफा हुआ. वर्ष 2014 में लंबित मामलों की कुल संख्या 52, 309 थी जो 2015 में बढ़कर 71,552 हो गयी. इसी प्रकार, 2015 के बनिस्बत 2016 में लंबित मामलों की संख्या में 26% की बढ़ोतरी हुई. मतलब यह कि 2015 के कुल 71,552 लंबित मामले 2016 में बढ़कर 89,999 हो गये.”

दोष – सिद्धि को “दूर का सपना” बताते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया, “पीओसीएसओ एक्ट के तहत दोष – सिद्धि की दर 2014 – 16 की अवधि में 30% पर स्थिर रही. यह अलग बात है कि 2015 में इस मामले में 6% वृद्धि देखी गयी.”

 

Courtesy: द सिटिज़न
गुजरात
यौन हिंसा
बाल यौन शोषण
भाजपा

Related Stories

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

बिहार के 'बालिका सुधार गृह' की सच्चाई

बिहार: बालिका सुधारगृह में मासूम बच्चियों से सालों से हो रहा था बलात्कार!

''सिलिकोसिस बीमारी की वजह से हज़ारो भारतीय मजदूर हो रहे मौत के शिकार''

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

बुलेट ट्रेन परियोजना के खिलाफ गोदरेज ने की हाई कोर्ट में अपील

आरक्षण खात्मे का षड्यंत्र: दलित-ओबीसी पर बड़ा प्रहार

झारखंड बंद: भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त विरोध

झारखण्ड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल, 2017: आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार


बाकी खबरें

  • समीना खान
    विज्ञान: समुद्री मूंगे में वैज्ञानिकों की 'एंटी-कैंसर' कम्पाउंड की तलाश पूरी हुई
    31 May 2022
    आख़िरकार चौथाई सदी की मेहनत रंग लायी और  वैज्ञानिक उस अणु (molecule) को तलाशने में कामयाब  हुए जिससे कैंसर पर जीत हासिल करने में मदद मिल सकेगी।
  • cartoon
    रवि शंकर दुबे
    राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास
    31 May 2022
    10 जून को देश की 57 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी पार्टियों ने अपने बेस्ट उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। हालांकि कुछ दिग्गजों को टिकट नहीं मिलने से वे नाराज़ भी हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 
    31 May 2022
    रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाना, पहले की कल्पना से कहीं अधिक जटिल कार्य साबित हुआ है।
  • अब्दुल रहमान
    पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन
    31 May 2022
    फरवरी में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए हैं। इन देशों ने रूस पर यूक्रेन से खाद्यान्न और उर्वरक के निर्यात को रोकने का भी आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट
    31 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,338 नए मामले सामने आए हैं। जबकि 30 मई को कोरोना के 2,706 मामले सामने आए थे। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License