NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
न्यायाधीश लोया के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेराफेरी हुई
कारवां मैगज़ीन मैगज़ीन ने नागपुर के एक डॉक्टर और भाजपा के बीच पुराने संपर्कों का खुलासा किया I
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
03 Apr 2018
Translated by मुकुंद झा
Judge Loya

न्यायाधीश लोया की मौत में एक और मोड़ आया, कारवां मैगज़ीन ने बताया है कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेरफेर किया गया था। रिपोर्ट में पोस्टमार्टम में छेड़छाड़ के पीछे राजनीतिक ताकत को उजागर किया । इसमे डॉ. मकरंद व्यवहारे -जब वो  सरकार के नागपुर मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक विभाग में थे-और तब उनके भाई के जो कि वर्तमान महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुन्गंतिवर के मध्य संबध पर ध्यान आकर्षित कराया है | रिपोर्ट के अनुसार डॉ. व्यवहारे ने लगातार अपने सहयोगियों को याद दिलाया करते और उनके संबंधों के बारे में बताते थे । जब वह एक स्नातकोत्तर छात्र थे  तो उनकी एक प्रोफेसर के साथ गंभीर बहस हुई । बहस के बाद, प्रोफेसर को स्थानांतरित कर दिया गया था। हालांकि, इस बात का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है कि डॉ. व्यवहारे का इससे कोई लेना-देना हैI लेकिन क्योंकि वे हमेशा ही अपने संपर्कों और संबंधो के बारे में लोगों को बताते रहते थे, इसलिए उनका इस मामले से सम्बन्ध होना कोई अविश्वसनीय बात नहीं लगतीI

कारवां मैगज़ीन द्वारा साक्षात्कार के अज्ञात कर्मचारियों के मुताबिक, डॉ० व्यवहारे उस दिन आसमान्य रूप से जल्दी आये थे जिस दिन न्यायाधीश लोया की लाश को लेकर आया गया। जिससे लगता है कि उन्हें ज़रूर पहले से ही पता होगा कि आज लाश को लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह उस दिन चिड़चिड़े से लग रहे थे और उन्होंने आमतौर पर जितना धूम्रपान करते हैं उससे अधिक किया। उन्होंने डॉ० एन.के. तुम्राम को निर्देश दिया कि रिपोर्ट में क्या लिखा जाए। डॉ. व्यवहारे के भाई, सुधीर मुन्गंटीवार 1995 में भाजपा के महाराष्ट्र के पार्टी अध्यक्ष थे। उनके मुख्यमंत्री बनने की भी चर्चा थी, हालांकि बाद में देवेंद्र फडणवीस को नामित किया गया। कारवां मैगज़ीन के लेख की सामग्री निश्चित रूप से पोस्टमार्टम में राजनीतिक दख़ल के बारे में है |

डॉ० तुम्राम का नाम रिपोर्ट में लिखा हुआ है लेकिन डॉ० व्यवहारे का नहीं |  उस समय पर उपस्थित व्यक्तियों ने कहा कि पहली बार उन्होंने डॉ० व्यवहारे को शारीरिक रूप से पोस्ट-मॉर्टम के संचालन में रुचि लेते  हुए देखा। उन्होंने न्यायाधीश लोया के सिर के पीछे घाव को अनदेखा किया, साथ ही साथ, उन अन्य लक्षणों को भी, जिनकी वजह से ये मौत अप्राकृतिक प्रतीत हो रही थी। हालांकि, इस बात के कोई सबूत नहीं थे कि जज लोया की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई, फिर भी उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि रिपोर्ट में मृत्यु का कारण यही दर्ज़ किया जायेI

यह कोई अकल्पनीय नहीं है कि महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल के सदस्य डॉ. व्यवहारे को पोस्टमार्टम रिपोर्ट को प्रभावित करने का आदेश दिया गया था। सहकर्मियों और अधीनस्थों ने उल्लेख किया कि उन्होंने अपने संपर्कों का पूरा उपयोग किया | उन्होंने अतीत में भी पोस्ट-मॉर्टम के साथ हेरफेर किया है | यह अपने गृहनगर से लाशों के साथ अधिकतर ऐसा करते थे | अक्सर मौत के समय से संबंधित मामूली बदलाव दर्ज़ किया करते थेI  एक कर्मचारी के अनुसार संभवतः एक पूरी जाँच के बाद ये पूरा नतीजा बदल सकता है। एक घटना का उल्लेख किया गया जहाँ एक लाश के पेट खोलने के बाद कीटनाशक की भारी गंध उठी | यह रिपोर्ट में  आसानी से छोड़ा दिया गया था | यदि वह व्यक्ति एक किसान था तो इस पर असर पड़ेगा कि कैसे किसान आत्महत्याएँ दर्ज़ की जा रही हैं। इस प्रकार, ये जो संबंध डॉ. व्यवहारे और मंत्री सुधीर के मध्य मौजूद है वह एक साझेदारी है |

अन्य विवरण जैसे कि रिपोर्ट को बदलने की तारीखें भी बदली हैं। ऐसा भी हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के सामने सुनवाई के दौरान पोस्टमार्टम रिपोर्ट में एक पेज ही नहीं था। न्यायालय ने पृष्ठ लाने के निर्देश दिए। हालांकि पृष्ठ केवल तहसीन पुनावाला को उपलब्ध कराया गया, अन्य याचिकाकर्ताओं, बॉम्बे वकील संघ और यहाँ तक कि एडमिरल रामदास को भी नहीं उपलब्ध कराया गया। इस स्तर पर यह निश्चित रूप से न्यायपालिका के सर्वोत्तम हित में होगा की वो न्यायधीश लोया की मौत में एक स्वतंत्र जाँच के आदेश दें |

Judge Loya
BJP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License