NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
कला
भारत
राजनीति
नयनतारा सहगल: "इसकी संभावना काफी है कि आयोजक राजनीतिक दबाव में थे"
अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के आयोजकों ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना द्वारा आयोजन में खलल डालने की धमकी देने के बाद हाल ही में प्रख्यात लेखिका नयनतारा सहगल को दिया गया निमंत्रण वापस ले लिया है। लेखिका को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के साथ साहित्यिक समागम के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया गया था, जो 11 से 13 जनवरी, 2019 तक यवतमाल, नागपुर में होना तय था।
सौजन्य: इंडियन कल्चरल फोरम
10 Jan 2019
Translated by महेश कुमार
नयनतारा सहगल

अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के आयोजकों ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना द्वारा आयोजन में खलल डालने की धमकी देने के बाद हाल ही में प्रख्यात लेखिका नयनतारा सहगल को दिया गया  निमंत्रण वापस ले लिया है। लेखिका को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के साथ साहित्यिक समागम के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया गया था, जो 11 से 13 जनवरी, 2019 तक यवतमाल, नागपुर में होना तय था।

एक प्रेस विज्ञप्ति में, साहित्यिक समागम की तैयारी समिति के कार्यकारी अध्यक्ष, रमाकांत कोलटे ने कहा कि आयोजकों ने "राजनीतिक संगठन द्वारा दी गई धमकी की गम्भीरता को भांपते हुए” सहगल के निमंत्रण को रद्द कर दिया था "ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके जिसके लिए धमकी दी गई थी"। इंडियन कल्चरल फोरम से बात करते हुए, नयनतारा सहगल ने कहा, "मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि उन्होंने मेरा निमंत्रण क्यों रद्द किया है लेकिन यह पूरी तरह से संभव है कि ऐसा आयोजक ने राजनीतिक दबाव में किया है।"घटना से सहगल का नाम वापस लेने का विरोध और प्रतिष्ठित लेखक के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हुए, विभिन्न मराठी लेखकों ने आगामी सम्मेलन का बहिष्कार करने का आह्वान किया है।इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सहगल ने कहा, “मराठी लेखक निमंत्रण रद्द करने को लेकर काफी परेशान हैं और मुझे बहुत खुशी है कि वे मेरे साथ एकजुटता में खड़े हुए हैं। मैं उनके समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद देती हूं और मुझे उन पर बहुत गर्व है।”

नयनतारा सहगल का नाम अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के प्रमुख श्रीपद जोशी ने उद्घाटन के लिए प्रस्तावित किया था। उन्हें हाल ही में पेन (PEN)इंटरनेशनल के मानद उपाध्यक्ष का पद दिया गया था। पीईएन दक्षिण भारत और दक्षिण अभियान ने भी लेखक के साथ एकजुटता में एक बयान जारी किया और इस पूरी घटना को "दुर्भाग्यपूर्ण" कहा है।सहगल को उनके उपन्यास ‘रिच लाइक अस’ (हमारे जैसे अमीर) (1985) के लिए 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। हालाँकि, 6 अक्टूबर 2015 को तर्कवादी, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक गोविंद पानसरे, नरेंद्र दाभोलकर और एमएम कलबुर्गी की की हत्याओं के बाद- और दादरी में भीड़ द्वारा घटना को अंजाम देने के बाद - सहगल ने राष्ट्र में बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ अपना विरोध प्रकट करने के लिए और असहमति के अधिकार के समर्थन में अपना अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था। ।

एक महीने से भी कम समय में यह दूसरी बार है जब महाराष्ट्र राज्य में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का प्रयास किया गया है। 12 दिसंबर को, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (एसपीपीयू), महाराष्ट्र ने एक तरफा राजनीतिक दबाव में 79 वीं वार्षिक भारतीय इतिहास कांग्रेस को "स्थगित" कर दिया था।

उर्दू लेखक और साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, रहमान अब्बास ने भी समिति के कदम पर अपनी असहमति जताई है। इंडियन कल्चरल फोरम से बात करते हुए, लेखक ने कहा, “एक निर्वाचित सरकार एक भयावह आतंकवादी राजनीतिक संगठन के सामने आत्मसमर्पण कैसे कर सकती है? हम सभी को यह मांग करनी चाहिए कि AIML उन लोगों के खिलाफ केस दर्ज करे जिन्होंने हिंसा की धमकी दी है। यह न केवल लेखक को चुप कराने का प्रयास है, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी गंभीर खतरा है।”

ताज़ा जानकारी के अनुसार अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के प्रमुख श्रीपद जोशी ने विरोध में अपना त्याग पत्र दे दिया है. अपने इस्तीफे में श्रीपद बालचंद्रन जोशी ने कहा कि “लेखिका नयनतारा सहगल से निमंत्रण वापस लेना एक बड़ी गलती थी और महासम्मेलन के अध्यक्ष होने के नाते वे इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं.”

 

सौजन्य: इंडियन कल्चरल फोरम  

 

 

Nayantara sahgal maharastra dissent sahitya academy marathi sahitya sammelan

Related Stories


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License