असम में सीएए के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर विरोध करने वाले और आरटीआई कार्यकर्ता अखिल गोगोई पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है। उनके हिरासत की अवधि शुक्रवार को समाप्त होने वाली थी।
आरटीआई कार्यकर्ता, किसान नेता और सीएए के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने वाले अखिल गोगोई के घर पर गुरुवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने छापा मारा और तलाशी ली। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार गोगोई को इस महीने की शुरुआत में एजेंसी ने गिरफ्तार किया था।
असम में नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे इस युवा नेता को ग़ैरक़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन विधेयक (यूएपीए) के तहत गिरफ़्तार किया गया है। उनकी हिरासत की अवधि शुक्रवार को समाप्त होने वाली थी।
पीटीआई के अनुसार आतंकवाद-रोधी दस्ता के अधिकारियों ने गुवाहाटी के निज़रापारा इलाके में गोगोई के आवास की तलाशी ली और उनके पैन कार्ड, एसबीआई डेबिट कार्ड, मतदान पहचान पत्र (ईपीआईसी) और बैंक पासबुक को भी ज़ब्त कर लिया।
सुबह सात बजे शुरू हुई तीन घंटे की तलाशी ख़त्म हो गई। गोगोई की पत्नी गीताश्री तामुली ने पत्रकारों को ज़ब्त की गई वस्तुओं की एक सूची दिखाई।
सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार द्वारा पंजीकरण का प्रमाण पत्र, एएसआई मिलन कुमार चौले के अधीक्षण में पुरातत्वविद् का एक पत्र, "क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो केएमएसएस फाइल मिस्क", "जेल 2015", "जेल डायरी 2014" और "एनएचपीसी एलएसएचईपी 2015" सूची में दर्ज था।
तामुली ने कहा, "वे (एनआईए) हमारे घर की फाइलों को देखना चाहते थे और उनमें से कुछ को छांटकर ले गए। मैंने उन्हें ज़ब्त फाइलों की प्रतियां देने के लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया। मुझसे यह भी पूछा गया था कि जेल जाने से पहले क्या अखिल उग्रवादियों से मिले थे।”
समाचार वेबसाइट स्क्रॉल डॉट इन को दिए एक साक्षात्कार के अनुसार, गोगोई ने शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की कठोर यातना की शिकायत की है।
इस बीच, किसानों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए समर्पित संगठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति के प्रमुख किसान नेता की बीमार मां 20 दिसंबर से गोलाघाट ज़िले के सेलनघाट में अपने घर के सामने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। वह एनआईए की हिरासत से अपने बेटे की रिहाई की मांग कर रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, गोगोई की मां की हालत बिगड़ती जा रही है।
द वायर ने प्रियादा की स्थानीय मीडिया से हुई बातचीत के हवाले से लिखा, "मेरी तबीयत अच्छी नहीं। मेरे बेटे ने मुझसे कहा था कि वह जल्द ही मुझे चेक-अप के लिए ले जाएगा... उसने हमेशा असमिया लोगों के लिए लड़ाई लड़ी है ... किसी ने या सरकार ने मेरे बेटे को फंसाया है। वे नहीं चाहते कि वह विरोध करे क्योंकि राज्य के लोग एकजुट हो गए हैं और उन्हें डर है कि वे (सरकार) जल्द ही गिर जाएंगे।”
भाजपा-आरएसएस के एक कड़े आलोचक गोगोई को असम पुलिस ने 12 दिसंबर को हिरासत में लिया था और एनआईए को सौंप दिया था। सरबानंद सोनोवाल के आगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने 2009 में कांग्रेस सरकार द्वारा उनके खिलाफ दर्ज एक मामले को भी शुरु कर दिया है। 2017 और इस साल सितंबर महीने में सोनोवाल सरकार ने उन पर राजद्रोह का मामला दर्ज करा दिया और यह भी आरोप लगाया कि उनके माओवादियों के साथ संबंध थे। हालांकि दोनों ही बार गौहाटी उच्च न्यायालय ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और उन्हें रिहा कर दिया।
स्क्रॉल डॉट इन से बातचीत के दौरान गोगोई ने इन सभी आरोपों से इनकार करते हुए बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य में सीएए के ख़िलाफ़ व्यापक विरोध को पटरी से उतारने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि: मैं कभी माओवादियों के साथ नहीं रहा, न उनके साथ हूं और भविष्य में कभी उनके साथ नहीं रहूंगा। यह लोगों के विरोध और आंदोलन को पटरी से उतारने की एक चाल है। यह आंदोलन के प्रगतिशील तत्वों को ख़त्म करने और इसे नष्ट करने के लिए किया गया है।”
(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट्स के साथ)
अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
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