NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
पगड़ी का रंग मत गिनवाओ, उठो ज्ञानी खेत संभालो!
शाह आलम
08 Apr 2015
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से 23 मार्च 2015 को शहीदी दिवस पर अखबारों में विज्ञापन छपा जिसमें शहीद-ए-आज़म भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की साझा तस्वीर है। इस तस्वीर में भगत सिंह को फिर से पगड़ी पहना कर क्रांतिकारी चेतना को कम करने की एक बार फिर से साजिश रची गई है। यह क्रांतिवीर का अपमान है क्योंकि भगत सिंह पूरे देश के शहीद हैं।
 
 
भगत और बटुक: शामलाल की खींची तस्‍वीर 
 
क्रांतिकारियों के दल हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के खुफिया हेडक्वार्टर आगरा में गोरी हुकूमत के बहरे कानों को खोलने के मंथन के बाद बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह मौत से खेलने दिल्ली आ धमके थे। महीने भर यह जोड़ी दिल्ली में जमी रही। दोनों क्रांतिकारियों ने कई शाम बम को अखबार में लपेटे कपड़ों में छिपाते हुए संसद भवन की रेकी की। सर्वाधिक विचार सम्पन्‍न भगत सिंह ने अंतिम दौर में अपने बाल कटवा लिए थे। केन्द्रीय असेम्बली में धमाका करने के चार दिन पहले भगत सिंह ने बटुक से कहा, ''चलो, फोटो खिंचवाएं।'' बटुक ने इसे टालना चाहा, लेकिन भगत सिंह जि़द पर अड़े रहे। 
 
आखिरकार 3 अप्रैल, 1929 को कश्मीरी गेट पर इन्‍होंने फोटो खिंचवाई। शामलाल की खींची हुई यह बहुप्रचलित तस्वीर आखिरी यादगार है। फ्लैट हैट में भगत सिंह की यह तस्वीर आज तक लोगों के जेहन में मौजूद है जिसके लिए वह अवाम में जाने-पहचाने जाते हैं। तब सरकारें शुरू से ही उन्हें क्रांतिकारी विचारधारा से अलग-थलग कर सिक्ख बनाने पर क्‍यों तुली हैं जबकि क्रांतिवीर के सारे अदालती दस्तावेज, पर्चे, बयान, पत्र-व्यवहार, आलेख, उनके पत्रकार जीवन में लिखी गई टिप्पणियां, जेल डायरी आदि सब कुछ हमारे सामने है? फांसी के फंदे के साये में 5-6 अक्टूबर को लिखा गया उनका लेख 'मैं नास्तिक क्यो हूं?' इसका सबसे चर्चित सबूत है।
 
 
नए-नए मुखौटों का शिकारी: हुसैनीवाला में नरेंद्र मोदी 
 
बड़ा सवाल यह है जाति, धर्म के नाम पर इन शहीदों को बांटने का काम अंग्रेजों ने टुच्ची साजिश के तहत उस दौर में किया था। आज वही काम हुक्मरानों की तरफ से किया जा रहा है। वोट बैंक की सियासत के मोह में प्रधानमंत्री का 23 मार्च को हुसैनीवाला में शहीदों के स्मारक पर किया नाटक इसी कड़ी का नतीजा था। वहीं जेएनयू से रिटायर्ड प्रोफेसर चमनलाल 29 मार्च, 2015 को बीबीसी हिंदी डॉट काम पर लिखकर सवाल उठाते हैं, ''भगत सिंह को पीली पगड़ी किसने पहनाई?''
 
सवाल पीली, हरी, भगवा रंग का नहीं है बल्कि पगड़ी पहनाने का है। प्रो. चमनलाल की ''भगत सिंह की क्रांतिकारी विरासत''  नाम की उद्भावना से प्रकाशित (मई 2007, कीमत 8 रुपये) पुस्तिका जो हमारे पास मौजूद है, उसके कवर पेज पर भगत सिंह लाल पगड़ी पहने हुए हैं। हम प्रो. चमनलालजी से जानना चाहते है कि भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के सबसे बड़े प्रवक्ता भगत सिंह को लाल पगड़ी किसने पहनाई?
 
 
 
दरअसल, साझी शहादत, साझी विरासत को विभाजित करने का षडयंत्र क्रांतिकारी चेतना का अपमान है। क्रांतिकारियों की बहादुराना शहादत को कम आंकना इसे टुकड़ों-टुकड़ों में देखने की साजिश है। आज से छियासी साल पहले आज की संसद मे बैठने वाले बहरों के कानो को खोलने के लिए बम का धमाका किया गया था। ऐसा कर के असल में दुनिया में साम्राज्यशाही के खिलाफ सबसे बड़ी इबारत लिख दी थी दोनों क्रांतिवीरों ने, जब पार्टी के लाल रंग के पर्चे संसद हॉल में चारों तरफ बिखरा दिए गए थे।
 
परचे पर लिखी पंक्तियां कुछ यूं थीं:
 
''राष्ट्रीय दमन और अपमान की इस उत्तेजनापूर्ण परिस्थिति में अपने उत्तरदायित्व की गंभीरता को महसूस कर हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र ने अपनी सेना को यह कदम उठाने का आज्ञा दी है। इस कार्य का प्रायोजन है कि कानून का यह अपमानजनक प्रहसन समाप्त कर दिया जाए। विदेशी शोषक नौकरशाही जो चाहे करे, परन्तु उसकी वैधानिकता की नकाब फाड़ देना आवश्यक है। जनता के प्रतिनिधियों से हमारा आग्रह है कि वे इस पार्लियामेंट के पाखंड को छोड़कर अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों को लौट जाएं और जनता को विदेशी दमन
और शोषण के विरुद्ध क्रांति के लिए तैयार करें।'' 
 
 
दल की पूर्व योजना के तहत इंकलाब जिंदाबाद के नारे के साथ इन्‍होंने अपनी गिरफ्तारी दे दी। अफसोसनाक है कि आज तक भारतीय संसद में इन दोनों क्रांतिकारियों के खिलाफ निंदा का प्रस्ताव दर्ज है। इतने दिनों बाद भी 'सुअरबाड़े' के चरित्र में कोई परिवर्तन नही आया है।
 
बम कांड के 86 साल बाद आज भी जनता के प्रतिनिधियों की कथित असेंबली शहादतों के प्रति बहरी बनी हुई है जबकि इस देश के बुद्धिजीवी पगड़ी का रंग गिनवाने में ही अपनी ऊर्जा नष्‍ट कर रहे हैं। आज जब इस देश के किसानों की जमीनें उनकी सहमति के बगैर हड़पने का फ़रमान जारी कर दिया गया है, तो ऐसे में क्रांतिवीरों के सच्‍चे वारिसों को एक बार फिर देश की जनता को अपनी महान शहादतें और उनकी सच्‍चाइयां याद दिलाने का वक्‍त है ताकि नकली चेहरों के परदाफाश के लिए उनके नकाब को नोच कर फेंका जा सके और लोगों की ज़मीन को उनके पैरों तले खिसकने से बचाया जा सके। असेंबली बम कांड के भुला दिए गए नायक बटुकेश्‍वर दत्‍त और हुक्‍मरानों के पसंदीदा रंगों में कैद किए जा चुके कम्‍युनिस्‍ट क्रांतिवीर भगत सिंह को आज के दिन याद करने का असली मतलब यही है।
 
सौजन्य:- junputh.com
 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

 

 

भगत सिंह
एनडीए
नरेंद्र मोदी
भाजपा
शहीद दिवस

Related Stories

CAA-NPR-NRC: बिहार में वाम ने मोर्चा संभाला, 25 को मानव श्रृंखला, 30 को सत्याग्रह

“हवा में रहेगी मेरे ख़्याल की बिजली...”

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

“हवा में रहेगी मेरे ख़्याल की बिजली...”

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

रोज़गार में तेज़ गिरावट जारी है

अविश्वास प्रस्ताव: विपक्षी दलों ने उजागर कीं बीजेपी की असफलताएँ

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

यूपी-बिहार: 2019 की तैयारी, भाजपा और विपक्ष

चुनाव से पहले उद्घाटनों की होड़


बाकी खबरें

  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    संतूर के शहंशाह पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में निधन
    10 May 2022
    पंडित शिवकुमार शर्मा 13 वर्ष की उम्र में ही संतूर बजाना शुरू कर दिया था। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में 1955 में किया था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ग़ाज़ीपुर के ज़हूराबाद में सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर पर हमला!, शोक संतप्त परिवार से गए थे मिलने
    10 May 2022
    ओमप्रकाश राजभर ने तत्काल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम, गाजीपुर के एसपी, एसओ को इस घटना की जानकारी दी है। हमले संबंध में उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया। उन्होंने कहा है कि भाजपा के…
  • कामरान यूसुफ़, सुहैल भट्ट
    जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती
    10 May 2022
    आम आदमी पार्टी ने भगवा पार्टी के निराश समर्थकों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए जम्मू में भाजपा की शासन संबंधी विफलताओं का इस्तेमाल किया है।
  • संदीप चक्रवर्ती
    मछली पालन करने वालों के सामने पश्चिम बंगाल में आजीविका छिनने का डर - AIFFWF
    10 May 2022
    AIFFWF ने अपनी संगठनात्मक रिपोर्ट में छोटे स्तर पर मछली आखेटन करने वाले 2250 परिवारों के 10,187 एकड़ की झील से विस्थापित होने की घटना का जिक्र भी किया है।
  • राज कुमार
    जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप
    10 May 2022
    सम्मेलन में वक्ताओं ने उन तबकों की आज़ादी का दावा रखा जिन्हें इंसान तक नहीं माना जाता और जिन्हें बिल्कुल अनदेखा करके आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन तबकों की स्थिति सामने रखी जिन तक आज़ादी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License