जैसे कि कई दिन से आशंका थी,वही हुआ। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली पीड़ित छात्रा को आज, मंगलवार को विशेष जाँच दल (एसआईटी) ने कथित तौर से हिरासत में ले लिया। हालांकि ताज़ा ख़बर ये है कि शाहजहांपुर कोर्ट ने छात्रा को फ़ौरी राहत देते हुए उनकी अग्रिम ज़मानत की याचिका स्वीकार कर ली है। अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी।
आपको बता दें कि पीड़िता ने अपनी गिरफ़्तारी की आशंका जताते हुए, सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी गिरफ़्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे ख़ारिज करते हुए निचली अदालत में जाने को कहा था। इसके बाद
पीड़िता ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिए शाहजहांपुर की स्थानीय अदालत में याचिका की थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार जब पीड़िता जो लॉ की छात्रा भी है, अपनी याचिका अदालत में लगाने के लिए जा रही थी उसी समय पुलिस ने उसे रास्ते में रोक लिया और अपने साथ ले गई। गौरतलब है पुलिस ने पीड़िता के खिलाफ चिन्मयानंद से जबरन पांच करोड़ रंगदारी माँगने का मामला भी दर्ज किया है।
इसे भी पढ़ें : चिन्मयानंद प्रकरण : एसआईटी ने जानबूझकर कमज़ोर किया मुकदमा?
बताया जाता है कि मंगलवार को पीड़िता अपने भाई और साथ अदालत जा रही थी। एसआईटी और पुलिस को सूचना मिली कि छात्रा बिना आज्ञा के घर से बाहर निकली है। एसआईटी अधिकारियों ने अदालत जाने के रास्ते में ही छात्रा को रोक लिया।छात्रा को शाहजहाँपुर के खिरनीबाग चौराहा पर रोक कर एसआईटी ने उससे सवाल जवाब किये।
सूत्रों के अनुसार पीड़ित छात्रा अदालत में हस्ताक्षर करने जा रही थी। अब एसआईटी ने उसके आसपास भारी पुलिस बल तैनाती कर दिया है।
क़ानून के जानकर मानते हैं पीड़िता पर वसूली का मामला नहीं बनता है। अधिवक्ता साक़िब सिद्दीक़ी कहते हैं केवल पीड़िता को फ़ंसाने के लिए ज़बरन वसूली का मामला लगाया गया है। जबकि यह मामला उस समय बनता,अगर पीड़िता ने चिन्मयानंद को जान से मारने की धमकी देकर उनसे पैसे मांगे होते।
इसे भी पढ़ें :चिन्मयानंद प्रकरण : बीजेपी किसे बचा रही है, बेटी को या अपने आरोपी नेताओं को?
अधिवक्ता साक़िब सिद्दीक़ी के अनुसार पूरे मामले में पीड़िता ने कभी भी चिन्मयानंद को धमकी देकर पैसे की मांग नहीं की। साक़िब सिद्दीक़ी का कहना है की क्यूँकि ज़बरन वसूली के मामले में 10 साल की सज़ा है और इसमें गिरफ़्तारी की जा सकती है इसलिए पीड़िता को इस मामले में फँसा कर जेल भेजने की कोशिश हो रही है। जिस से पीड़ित पक्ष पर दबाव बनाया जा सके और चिन्मयानंद के ख़िलाफ़ मामला हल्का किया जा सके।