NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
फ़ारस की खाड़ी में जंगी-तूफ़ान का साया
ईरान ने अमेरिका और इसराइल को चेतावनी दी है कि उनके किसी भी हमले का “कुचल देने वाला” जवाब दिया जाएगा।
एम. के. भद्रकुमार
04 Jan 2021
फ़ारस की खाड़ी में जंगी-तूफ़ान का साया
जनरल कासिम सोलेमानी के मारे जाने की पहली बरसी पर तेहरान में 31 दिसम्बर 2020 को आयोजित कार्यक्रम का दृश्य।

ईरान की एलिट फोर्स कुद के प्रमुख जनरल कासिम सोलेमानी, की हत्या की पहली बरसी पर कुछ न कुछ तो होना ही था। सोलेमानी की 3 जनवरी 2020 को एक अमरीकी ड्रोन हमले में हत्या कर दी गई थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसकी बाद में तस्दीक भी की थी।  ईरान तभी से लगातार कहता रहा है कि सोलेमानी की हत्या का बदला अभी बाकी है। 

और उस घटना के बाद, खास कर अमेरिकी अधिकारी घबराए हुए दिख रहे हैं। दिसम्बर में अमेरिका के युद्धक बमबर्षक विमान फारस की खाड़ी के ऊपर पर दो बार उड़ान भर चुके हैं, जिसका मतलब ईरान को अमेरिकी या उसके सहयोगियों पर मध्य-पूर्व में किसी भी संभावित हमले से रोकना है। 

अमेरिकी सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि पिछले बुधवार को वायुसेना के दो बी-52 ‘स्ट्रेटफोर्स’ बमवर्षक विमानों ने दूसरी बार उड़ान भरी थी। ये उड़ान इस आशय के संकेत मिलने के बाद भरी गई थी कि ईरान आने वाले दिनों में इराक या इसी क्षेत्र में कहीं भी अमेरिका व उसके सहयोगियों पर हमले की योजना बना सकता है। उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी खुफ़िया एजेंसियों ने हाल ही में ईरान के “स्पष्टत: वास्तविक धमकी” के एक संदेश को पकड़ा था।

हालांकि, यह मालूम होता है कि अमेरिका ग़लतफहमी में है। ईरान के अधिकारी हाल के दिनों में यह लगातार कहते रहे हैं कि तेहरान की मंशा जंग छेड़ने की नहीं है, लेकिन यह चेतावनी है कि उसके पास इतनी कूव्वत है कि वह अपने ऊपर किए गए किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब दे सके।

दरअसल, इस क्षेत्र में बहुत ही अमंगलकारी घटनाएँ हो रही हैं। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएईए) ने गत शुक्रवार को वियना में एक बयान जारी कर खुलासा किया कि “ईरान ने एजेंसी को सूचित किया है कि उसकी संसद में हालिया पारित प्रस्ताव के कानूनी अधिनयम के पालन के क्रम में वह कम-समृद्ध यूरेनियम का 20 प्रतिशत उत्पादन अपने फोरदो ईंधन संवर्द्धन संयंत्र में करना चाहता है।” बयान में कहा गया है कि ईरान से यह संदेश 31 दिसम्बर को मिला है, लेकिन “उसने (तेहरान ने) यह नहीं बताया कि परमाणु संवर्द्धन का उसका काम कब से शुरू होगा।”

तेहरान ने सूचित किया है कि उसकी योजना यूरेनियम को 20 फीसद की परिशुद्धता की हद तक संवर्द्धन करना है। वास्तव में, इस स्तर को वह 2015 के समझौते के पहले ही फोरदो संयंत्र पर हासिल कर चुका है। दरअसल, यह कदम ईरान के परमाणु वैज्ञानिक की हत्या के विरोध में पिछले महीने संसद द्वारा पारित किए गए कानून में कई बार जिक्र किए गए कदमों से एक है। तेहरान ने इस हत्या के लिए इसराइल को दोषी करार दिया है।

2015 में हुआ समझौता ईरान को फोरदो में यूरेनियम संवर्द्धन की इजाज़त नहीं देता। ईरान ने अपने इस संयंत्र को किसी हवाई हमले से बचाने के लिए पहाड़ों में बनाया हुआ है। अभी तक ईरान मात्र 4.5 प्रतिशत की परिशुद्धता के स्तर को ही पा सका है, जो 2015 में समझौते के पहले हासिल की गई उसकी क्षमता की तुलना में काफी कम है। 

किसी गफलत में न रहिए, यह मुकम्मल तूफान है। सच पूछिए तो, ईरान की योजना 2015 के समझौते के प्रावधानों के तहत दिए अपने अधिकारों पर प्रतिक्रिया देना है, जब जेसीपीओए पर दस्तख़त करने वाले—इस मामले में वाशिंगटन—अपनी जवाबदेहियों को पूरी करने में विफल रह गया है। दूसरे, तेहरान ने अपनी योजना को अधिसूचित कर दिया है, लेकिन उसके परमाणु मामले के प्रमुख अली अकबर सलेही ने शनिवार को यह साफ किया कि इस बारे में आगे कदम बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति हसन रूहानी के अपेक्षित आदेश का अभी इंतजार हो रहा है। 

तीसरे, जैसे और जब राष्ट्रपति रूहानी का निर्देश मिल जाएगा, ईऱान आइएईए की निगरानी में यूरेनियम गैस कैप्सुल को बदल देगा। सलेही ने इस काम में लगे वैज्ञानिकों की अपनी टीम को “इस्लामी पद्धति का सैनिक” बताया।

संक्षेप में, भविष्य के लिए निश्चित ही यहाँ एक गंभीर परिस्थिति की संभावना बन रही है। क्रमिक रूप से 2015 का समझौता कमज़ोर होता गया है और ईरान के परमाणु वैज्ञानिक की इसराइल द्वारा की गई हत्या ने तेहरान के लिए “ब्रेकआउट टाइम” से अपने पांव खींच कर बम बनाने के लिए पर्याप्त विखंडनीय सामग्री को उत्पादित करने का मार्ग खोल दिया है। अगर इन्होंने बम बनाने का फैसला कर लिया तो दो से तीन महीने से लेकर एक साल में वह बना लेंगे। 

आइएईए का अब तक आकलन रहा है कि ईरान परमाणु कार्यक्रम में इतना आगे नहीं बढ़ रहा है, जितना वह बढ़ सकता था। लेकिन यह स्थिति अब बदल सकती है। 

हालांकि, ईरान ने 2015 के समझौते के तहत लगाए गए अनेक प्रतिबंधों की अवहेलना की है, लेकिन वह आइएईए को अब भी सहयोग कर रहा है और जो किसी भी देश की सत्ता के परमाणु कार्यक्रम की सबसे ज्यादा दखलकारी जांच-पड़ताल के तहत निरीक्षकों को अपने यहाँ आने और उन्हें निरीक्षण की इजाज़त दे रहा है।

कहा गया है कि, आइएईए का यह बयान भी रिकॉर्ड पर है कि ईरान ने 2019 से ही तीन कॉसकेड अथवा क्लस्टर्स के ज़रिए उन्नत अपकेंद्रण के साथ संवर्द्धन के कार्यक्रम को फोरदो के अपने भूमिगत संयंत्र पर शुरू कर दिया है। नवम्बर में, आइएईए ने कहा था कि ईरान ने यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड गैस का कच्चा माल उन भूमिगत कॉसकेड में पहले ही फीड कर दिया है।  

फोरदो के संयंत्र पर 2015 के समझौते में यूरेनियम संवर्द्धन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस संयंत्र को ईरान ने पहाड़ों के भीतर गोपनीय तरीके से विकसित किया है। वहां अपकेंद्रण को केवल स्थिर समस्थानिक (isotopes) के उत्पादन की ही इजाज़त दी गई है, जबकि ईरान ने वहां 1,044 आइआर-1 अपकेंद्रण का संवर्द्धन कर लिया है। “जाने-अनजाने” यहाँ विखंडनीय पदार्थ के संचय को हथियारों के विकास में व्यापक तौर पर एक बड़ी बाधा के रूप में देखा जा रहा है। स्पष्ट रूप से, यहां एक अस्थिर स्थिति की संभावना बन रही है।

लेकिन ईरान ने अमेरिका या इसराइल से किसी भी हमले होने की स्थिति में उन्हें “कुचल देने” की चेतावनी दी है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खातिबजादेह ने कल शनिवार को कहा, “यरूशलम की सत्ता को यह अच्छी तरह मालूम है कि अगर किसी ने ईरान की सीमा उल्लंघन की जुर्रत की तो ईरान अपने जवाबी हमले में उसे पीस डालेगा। हम राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों पर न समझौता करते हैं और न मेल-मिलाप करते हैं।”

प्रवक्ता खातिबजादेह ने आगे कहा, “लेकिन अमेरिका के इस मामले में आगे बढ़ने की स्थिति में, हम निश्चित ही कुछ शरारत होते देखते हैं और यह पर्याप्त इशारा हैं कि ये गतिविधियाँ शरारतपूर्ण हैं। हमने बिना किसी लाग-लपेट के कहा है कि ऐसे किसी भी दुस्साहस के दुष्परिणामों के लिए सीधे-सीधे अमेरिका को ही ज़िम्मेदार माना जाएगा। हम निश्चित रूप से तनाव नहीं देख रहे हैं, लेकिन इसी तरह हम अपने हितों की हिफाज़त को लेकर भी बहुत संजीदा हैं।”

खातिबजादेह ने बताया, “हम पहले किसी चीज़ की शुरुआत नहीं करेंगे। लेकिन हमारा जवाब फैसलाकुन, सटीक और करारा होगा। हम उम्मीद करते हैं कि वे अपनी अमंगलकारी विरासत में कोई और गुनाह नहीं जोड़ेंगे। हम यही उम्मीद करते हैं कि वह व्हाइट हाउस से सम्मानजनक तरीके से अपनी विदाई  के दिन पूरे कर रवाना हो जाएंगे। यह अपशकुनी विरासत ही अमेरिका के समूचे इतिहास के लिए काफी है।”

खातिबजादेह  ने ज़ोर दिया कि तेहरान ने क्षेत्रीय देशों को भी अगाह कर दिया है कि वे सतर्क रहें और ईरान के विरुद्ध किसी “साजिश और शैतानी हरकतों” के बहकावे में न आएँ।

वास्तव में, पेंटागन कोई चांस नहीं ले रहा है। बृहस्पतिवार को जब उसके बी-52 बमबर्षक विमानों  ने दूसरी उड़ान भरी, पेंटागन ने  फारस की खाड़ी में तैनात नौसैनिक विमानवाहक पोत यूएसएस ‘निमित्ज’ को स्वदेश बुलाने का फैसला किया।

ट्रंप के व्हाइट हाउस को छोड़कर जाने में एक पखवाड़े के लगभग समय ही रह गया है। इतने कम समय में ट्रंप अगर कुछ नहीं करते हैं तो इससे उनकी छवि को बड़ा नुकसान होगा। लेकिन अगर वह अमेरिकी कांग्रेस की इजाज़त लिए बगैर जंग छेड़ते हैं तो यह न केवल राजद्रोह होगा बल्कि अमेरिकियों के जीवन पर भी इसके भयानक दुष्परिणाम होने की आशंका है। इसके अलावा, यह कदम फारस की खाड़ी में इसराइल और अमेरिका के सहयोगियों के विखंडन का कारण भी बनेगा।

जैसा कि ईरान के सर्वोच्च नेता के सलाहकार और पूर्व रक्षा मंत्री हुसैन देहकन  ने कहा, अमेरिकी बदला (ईरान के) लेने के भय से खौफ में हैं और उन्होंने दिखावे के लिए फारस की खाड़ी के ऊपर बी-52 विमान उड़ाए हैं।  इस क्षेत्र में उनके सभी सैनिक अड्डे हमारी मिसाइलों की मारक जद में हैं।  ट्रंप का  ईरान के खिलाफ बहु प्रचारित “अत्यधिक दबाव” अप्रत्याशित रूप से उन्हीं की ओर मुड़ गया है। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Perfect Storm Gathers in Persian Gulf

US
IRAN
Persian Gulf
Israel
Donald Trump
Hassan Rouhani
Quds Force
Gen. Qasem Soleimani
IAEA
Fordow

Related Stories

ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि

90 दिनों के युद्ध के बाद का क्या हैं यूक्रेन के हालात

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा

यूक्रेन युद्ध से पैदा हुई खाद्य असुरक्षा से बढ़ रही वार्ता की ज़रूरत

न नकबा कभी ख़त्म हुआ, न फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध

यूक्रेन में संघर्ष के चलते यूरोप में राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव 

अल-जज़ीरा की वरिष्ठ पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन में इज़रायली सुरक्षाबलों ने हत्या की

असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की

छात्रों के ऋण को रद्द करना नस्लीय न्याय की दरकार है

सऊदी अरब के साथ अमेरिका की ज़ोर-ज़बरदस्ती की कूटनीति


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License