NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक संयुक्त प्रवर समिति को भेजा गया
विधेयक को पेश किये जाने का कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, राकांपा सहित विपक्षी दलों ने विरोध किया था और कहा कि इसके माध्यम से लोगों की निजता को खतरे में डाला जा रहा है।
भाषा
11 Dec 2019
डाटा संरक्षण विधेयक

वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक (Personal Data Protection Bill) 2019 को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त प्रवर समिति (Joint select committee) के पास विचार के लिए भेजा गया है।

विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में इस संबंध में प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। सदन ने आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन के एक संशोधन को अस्वीकृत कर दिया।

प्रस्ताव के अनुसार संयुक्त प्रवर समिति में लोकसभा के 20 और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे।

प्रसाद ने समिति में शामिल किये गये लोकसभा के 20 सदस्यों के नाम गिनाते हुए कहा कि इस संबंध में राज्यसभा को संदेश भेजकर 10 सदस्यों के नाम देने को कहा गया है।

उन्होंने कहा कि यह समिति बजट सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट संसद को देगी।

समिति में लोकसभा से मीनाक्षी लेखी, पी पी चौधरी, राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़, तेजस्वी सूर्या, एस एस अहलूवालिया, हिना गावित और संजय जायसवाल (भाजपा), कांग्रेस के गौरव गोगोई तथा एस ज्योति मणि, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, द्रमुक की कनिमोई, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, बीजद के बी महताब और बसपा के रितेश पांडे आदि शामिल होंगे।
तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने सौगत राय की पार्टी संबंधी कार्यों में व्यस्तता का हवाला देते हुए पार्टी सदस्य महुआ मोइत्रा को इसमें शामिल करने की मांग की।
 
हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि अगर सदस्य के नाम में परिवर्तन करना है तो बाद में दूसरा प्रस्ताव सरकार को लाना होगा, अन्यथा आज मतदान होगा तो राय ही समिति के सदस्य रहेंगे।
उन्होंने कहा कि ऐसे विषय पर पहले से विचार विमर्श हो जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बाद में राय अगर समिति की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे तो वह नये सदस्य के बारे में विचार कर लेंगे।

कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि समिति में हमारे दल के सदस्यों के नाम हमसे पूछकर शामिल नहीं किये गये हैं।

इस पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सदन में कांग्रेस के मुख्य सचेतक के सुरेश से इस बारे में बातचीत हुई है। अगर उनकी पार्टी के अंदर कोई समस्या है तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की नहीं है।
आरएसपी सदस्य प्रेमचंद्रन ने कहा कि किसी समिति के गठन के प्रस्ताव का नोटिस दो दिन पहले दिया जाना चाहिए।

इस पर स्पीकर बिरला ने कहा कि सभी लोग नियमावली पुस्तिका में अंकित इस बात को पढ़ लें कि अध्यक्षीय व्यवस्था अंतिम व्यवस्था होगी।

इससे पहले प्रसाद ने आज भोजनावकाश से पहले विपक्ष के विरोध और वाकआउट के बीच लोकसभा में वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक 2019 पेश किया।

विधेयक को पेश किये जाने का कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, राकांपा सहित विपक्षी दलों ने विरोध किया था और कहा कि इसके माध्यम से लोगों की निजता को खतरे में डाला जा रहा है।

जब विधेयक पेश करने को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मत विभाजन करने को कहा तब विपक्षी दलों ने सदन से वाकआउट किया।

कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने विधेयक को सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति को भेजने की मांग की थी।

प्रसाद ने कहा कि आधार मामले में उच्चतम न्यायालय ने डाटा संरक्षण के लिये निर्देश दिया था और इसलिये यह विधेयक लाया गया है ।

उन्होंने विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा, ‘‘इस बारे में आरोप निराधार और दुर्भावनापूर्ण हैं। विधेयक में निजता और डाटा सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है और बिना किसी के अनुमति के कोई डाटा जारी करने पर करोड़ों रूपये का जुर्माना लगेगा।’’

कानून मंत्री ने कहा कि इस बारे में श्रीकृष्ण आयोग के नेतृत्व वाली एक समिति बनी और व्यापक विचार विमर्श किया गया, 2000 सुझाव प्राप्त हुए और उन पर विचार करने के बाद विधेयक लाया गया है।

प्रसाद ने कहा कि अगर डाटा बिना अनुमति के जाहिर किया जाता है तब जुर्माने का प्रावधान है। गंभीर श्रेणी के डाटा को भारत के बाहर नहीं भेजा जा सकता है।

personal data protection bill
data
privacy
privacy of citizens
Data Protection
India
indian parliament

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा

UN में भारत: देश में 30 करोड़ लोग आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर, सरकार उनके अधिकारों की रक्षा को प्रतिबद्ध

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक

वर्ष 2030 तक हार्ट अटैक से सबसे ज़्यादा मौत भारत में होगी

लू का कहर: विशेषज्ञों ने कहा झुलसाती गर्मी से निबटने की योजनाओं पर अमल करे सरकार

वित्त मंत्री जी आप बिल्कुल गलत हैं! महंगाई की मार ग़रीबों पर पड़ती है, अमीरों पर नहीं

आधार को मतदाता सूची से जोड़ने पर नियम जल्द जारी हो सकते हैं : मुख्य निर्वाचन आयुक्त

रूस की नए बाज़ारों की तलाश, भारत और चीन को दे सकती  है सबसे अधिक लाभ


बाकी खबरें

  • bulldozer
    न्यूज़क्लिक टीम
    दिल्ली: बुलडोज़र राजनीति के ख़िलाफ़ वामदलों का जनता मार्च
    11 May 2022
    देश के मुसलमानों, गरीबों, दलितों पर चल रहे सरकारी बुल्डोज़र और सरकार की तानाशाही के खिलाफ राजधानी दिल्ली में तमाम वाम दलों के साथ-साथ युवाओं, महिलाओं और संघर्षशील संगठनों ने उपराज्यपाल अनिल बैजल के…
  • qutub minar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब क़ुतुब मीनार, ताज महल से हासिल होंगे वोट? मुग़ल दिलाएंगे रोज़गार?
    11 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में आज वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा सवाल पूछ रहे हैं कि देश में कभी क़ुतुब मीनार के नाम पर कभी ताज महल के नाम पर विवाद खड़ा करके, सरकार देश को किस दिशा में धकेल रही…
  • sedition
    विकास भदौरिया
    राजद्रोह पर सुप्रीम कोर्ट: घोर अंधकार में रौशनी की किरण
    11 May 2022
    सुप्रीम कोर्ट का आज का आदेश और न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ का हाल का बयान, जिसमें उन्होंने कहा था कि नागरिकों के असंतोष या उत्पीड़न को दबाने के लिए आपराधिक क़ानून का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए, एक आशा…
  • RAVIKANT CASE
    असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय: दलित प्रोफ़ेसर के ख़िलाफ़ मुक़दमा, हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं!
    11 May 2022
    प्रोफ़ेसर रविकांत चंदन हमले की FIR लिखाने के लिए पुलिस के आला-अफ़सरों के पास दौड़ रहे हैं, लेकिन आरोपी छात्रों के विरुद्ध अभी तक न तो पुलिस की ओर से क़ानूनी कार्रवाई हुई है और न ही विवि प्रशासन की ओर…
  • jaysurya
    विवेक शर्मा
    श्रीलंका संकट : आम जनता के साथ खड़े हुए खिलाड़ी, सरकार और उसके समर्थकों की मुखर आलोचना
    11 May 2022
    श्रीलंका में ख़राब हालात के बीच अब वहां के खिलाड़ियों ने भी सरकार और सरकार के समर्थकों की कड़ी निंदा की है और जवाब मांगा है। क्रिकेट जगत के कई दिग्गज अपनी-अपनी तरह से आम जनता के साथ एकजुटता और सरकार…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License