NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
फिर-फिर घोटाले, क्या बदला इन सालों में?
“डीएचएफएल की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने कम से कम 36 बैंकों से कर्ज लिया है- जिसमें 32 राष्ट्रीयकृत और निजी बैंकों के साथ-साथ छह विदेशी बैंक भी शामिल हैं।”
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
30 Jan 2019
cobrapost pc
Image Courtesy : NewsLaundry

दावा किया गया था कि वो दौर गया जब रोज़ नये घोटाले सुनने को मिलते थे। लेकिन यह सिलसिला रुका नहीं है। आज भी नये-नये घोटाले और दावे सुनने को मिल रहे हैं। बैंकों के हज़ारों-लाखों करोड़ के कर्ज़दार देश छोड़कर आसानी से भाग रहे हैं। कब कौन उड़न छू हो जाएगा, पता नहीं चल रहा है। इसी कड़ी में एक और घोटाला सामने आया है, जिसके बारे में कहा जा रहा है उसके सामने अभी तक हुए सारे घोटाले छोटे पड़ जाएंगे।  

अपनी खोजी पत्रकरिता के लिए मशहूर कोबरापोस्ट वेबसाइट ने मंगलवार को वित्तीय क्षेत्र  के एक और घोटाले को उजागर करने का दावा किया। यह घोटाला नॉन बैंकिंग फिनांसियल  कंपनी के तौर पर काम करने वाली संस्था दीवान हाउसिंग फाइनेंशियल लिमिटेड (डीएचएफएल) से जुड़ा है। कोबरापोस्ट का दावा है कि इस कम्पनी पर तकरीबन 31 हजार करोड़ रुपये से अधिक जनता के पैसे के हेराफेरी का मामला बनता है। कोबरापोस्ट के खुलासे के मुताबिक इस हेराफेरी के लिए डीएचएफएल ने शेल कंपनियां बनाईं। इन्हें लोन और एडवांस दिया। इन फर्जी संदिग्ध कंपनियों के माध्यम से पैसों को विदेशों में ट्रांसफर किया। और इन पैसों से खुद ही निजी सम्पतियों की खरीददारी की।

न्यूज़क्लिक कोबरापोस्ट के दावों की स्वतंत्र तौर पर पुष्टि नहीं करता है, लेकिन कोबरापोस्ट का कहना है कि उसने इस घोटाले का खुलासा पहले से ही पब्लिक अथॉरिटी के पास मौजूद दस्तावेजों की बारीकी से जांच करके किया है। 

नॉन बैंकिंग फिनांसियल कम्पनी के तौर पर काम वाली कंपनियां बैंकों की तरह ही काम करती हैं। बस अंतर इतना ही होता है कि ये पैसे जमा नहीं करतीं केवल उधारी देने का काम करती हैं। और यह उधारी जमानती और गैर जमानती दोनों तौर पर दी जाती है। कोबरापोस्ट के मुताबिक़ इस घोटाले को संदिग्ध शेल कंपनियों/पास-थ्रू कंपनियों को बहुत बड़ी रकम का जमानती और गैर जमानती कर्ज देकर अंजाम दिया गया। ये सभी शेल कंपनियां डीएचएफएल के मालिकों: कपिल वधावन, अरुणा वधावन और धीरज वधावन से संबंधित हैं। कोबरपोस्ट का कहना है कि इन लोगों ने कम्पनी की वित्त समिति में अपनी सदसयता होने से मिली शक्तियों का फायदा उठाया। इस कम्पनी के वित्त समिति के सदस्यों को यह हक़ मिलता है कि वह 200 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज की मंजूरी दे सकें। इसका इस्तेमाल करते हुए इन लोगों ने अपने द्वारा बनाई गयी फर्जी कंपनियों को लोन दिया और उसका इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए किया।  इन लोगों ने एक लाख के मामूली पूंजी से दर्जनों फर्जी कंपनियां बनाईं। कोबरापोस्ट ने अपनी खोजबीन में पाया कि इन सारी कंपनियों के पते एक हैं और इनके डायरेक्टर भी एक हैं। यहां तक कि इन कंपनियों के खातों की जांच करने वाले ऑडिटरों भी एक ही समूह से जुड़े हैं। 

कोबरापोस्ट का आरोप यह भी है कि इस गैर बैंकिंग कम्पनी के प्रोमोटरों ने बिना किसी छानबीन के स्लम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के नाम पर हजारों करोड़ रूपये  का लोन दिया। आमतौर पर किसी प्रोजेक्ट को कर्ज प्रोजेक्ट के हिस्से पूरे होते रहने पर दिए जाते हैं लेकिन यहाँ सारा कर्ज एक ही बार में दे दिया गया  और इसके लिए किसी तरह की छानबीन भी नहीं की गयी। 

इस घोटाले में हुई लूट को समझने के लिए एक बार कम्पनी के खातों के विवरण को देखना जरूरी है। साल  2017-18 में ऑडिट की गई वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार डीएचएफएल की कुल संपत्ति 8,795 करोड़ रुपये है, जबकि लेनदारी कुछ इस तरह है- कंपनी ने बैंकों (भारतीय और विदेशी दोनों) के साथ-साथ वित्तीय संस्थानों से 96,880 करोड़ रुपये का कर्जा ले रखा है। दावा किया गया है कि, डीएचएफएल की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने कम से कम 36 बैंकों से कर्ज लिया है- जिसमें 32 राष्ट्रीयकृत और निजी बैंकों के साथ-साथ छह विदेशी बैंक भी शामिल हैं। 32 राष्ट्रीयकृत बैंकों में, भारतीय स्टेट बैंक ने 6-4-2018 तक डीएचएफएल को सबसे ज्यादा 12,000 करोड़ रुपये का कर्ज स्वीकृत किया था। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा (4,396 करोड़), बैंक ऑफ इंडिया (4,150 करोड़) और केनरा बैंक (3,100 करोड़) का नंबर आता है.

इन खातों को देखने के बाद यह बात उभरती है कि हो सकता है कि इस घोटाले के सामने अभी तक हुए या सुने गए सारे घोटाले बौने लगें। इन पैसों से तकरीबन 34 फर्जी कंपनियां बनाई गयी। फर्जी कंपनियां बनाकर टैक्स चोरी की गयी। सरकारी पैसे या आम जनता के पैसे का धड़ल्ले से निजी सम्पति खरीदने में इस्तेमाल किया गया। दावा है कि यह सब करने में वधावन समूह का हाथ है और इसने जमकर पैसा बनाया है। यहां तक कि इस पैसे से श्रीलंका क्रिकेट प्रीमियर लीग में एक टीम भी खरीद रखी है। 

कोबरपोस्ट के मुताबिक, “यह घोटाला न केवल एनबीएफसी के नकारा कॉरपोरेट गवर्नेंस पर उंगली उठाता है बल्कि ये सार्वजनिक निकायों की लापरवाही या कहें मिलीभगत पर भी गंभीर सवाल खड़ा कर देता है। यह साफ़ तौर पर सरकारी यानी जनता के पैसे का प्राइवेट लोगों द्वारा दुरुपयोग और गैरकानूनी रूप से इस्तेमाल करने का मामला है।''

अब इस स्टोरी में उस हिस्से की बात करते हैं जिसके बिना इतना बड़ा घोटाला संभव नहीं है। यानी इस लूट में सरकारी हिस्सेदारी।  दावा किया गया है कि साल 2014-15 और 2016-17 के बीच तीन डेवलपर्स द्वारा 19.5 करोड़ रुपये का चंदा सत्ता पर काबिज भाजपा को दिया गया।  ये तीनों डेवलपर वधावन से जुड़े हुए हैं. ये डेवलपर्स हैं- आरकेडब्ल्यू डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, स्किल रियल्टर्स और दर्शन डेवलपर्स। इस खुलासे में यह भी आरोप लगाया गया है कि डीएचएफएल ने गुजरात और कर्नाटक में कुछ कंपनियों को वहां के विधानसभा चुनावों के दौरान कर्ज दिया। गुजरात में, डीएचएफएल ने कथित तौर पर कई योजनाओं और परियोजनाओं के तहत गुजरात स्थित विभिन्न कंपनियों को कुल 1,160 करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूर किया और वितरित किया। वर्तमान में वो सभी परियोजनाएं नगर निगम द्वारा लंबित हैं और अधिकांश परियोजनाएं निलंबित होने की स्थिति में है- इसके चलते स्वत: ही सभी स्वीकृत कर्ज बैड लोन में बदल गए। कोबरापोस्ट की इस पूरे खुलासे पर DHFL का कहना है कि कोबरापोस्ट ने गलत मकसद से यह छानबीन की है और हम किसी भी तरह के जाँच के लिए तैयार हैं। 

Cobrapost Investigation
DHFL
expose
shell companies
siphoned off Rs 31
000 crore

Related Stories

पीएमएवाई(यू) घोटाले ने किया केंद्र की सबके लिए आवास योजना की विफलता को उजागर

पेंशन सत्याग्रह: 'नेशनल पेंशन स्कीम बनी नेशनल प्रॉब्लम स्कीम'

उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन के पीएफ में इतना बड़ा घोटाला कैसे हुआ?

UPPCL पीएफ घोटाला : क्या है डीएचएफएल और बीजेपी का कनेक्शन!

शान्ति दूत मोदी और बिकाऊ BOLLYWOOD

कोबरापोस्ट स्टिंगः बॉलिवुड हस्तियां पैसे लेकर राजनीतिक दलों का प्रचार करने को तैयार

सनातन संस्था बेनक़ाब, साधकों के ख़तरनाक मनसूबे कैमरे में क़ैद

कोबरापोस्ट जाँच : पत्रकारिता की पवित्रता गहरे खतरे में


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License