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फ्रांस : सुधार की मांग को लेकर 'येलो वेस्ट आंदोलन' तेज़
इस आंदोलन के कमज़ोर पड़ने की अफवाहों के बीच आठवें सप्ताह के अंत में लगभग 50,000 प्रदर्शनकारी फ्रांस की सड़कों पर इकट्ठा हुए। उनकी मांगों में विभिन्न मुद्दों पर जनमत संग्रह शुरू करने के लिए संवैधानिक सुधार शामिल थे।
सुरंग्या कौर
09 Jan 2019
फाइल फोटो
Photo by Patrice Gravoin

येलो वेस्ट आंदोलन के आठवें सप्ताह के अंत में फ्रांस के विभिन्न शहरों और कस्बों में लगभग 50,000 प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनकारियों में ज़्यादातर महिलाएं थीं। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि मीडिया हिंसा की अन्य घटनाओं को देखे और आंदोलन के मूल कारणों पर ध्यान केंद्रित करे।

इस बीच 8 जनवरी को बीबीसी ने रिपोर्ट किया कि फ्रांस सरकार अनाधिकृत विरोध प्रदर्शनों और आंदोलन के दौरान मास्क पहनने के ख़िलाफ़ एक नए क़ानून पर विचार कर रही थी।

29 दिसंबर (32,000) को जमा हुई भीड़ की संख्या में अचानक सप्ताह के आखिरी दिन मामूली कमी ने इस धारणा को स्थापित किया कि आंदोलन कमज़ोर हो रहा था। ये आंतरिक मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़े हैं जिसे कई लोग मानते हैं कि वास्तविक संख्या को काफी कम आंका गया है।

इमैनुएल मैक्रोन के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा कथित तौर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ईंधन करों में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद 17 नवंबर को आंदोलन शुरू हुआ। इस निर्णय ने मैक्रोन के पदभार ग्रहण करने के बाद से पारित किए गए सभी ग़रीब-विरोधी सुधारों के ख़िलाफ़ लोगों के गुस्से को भड़का दिया। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया कि वे जलवायु को लेकर कार्रवाई के ख़िलाफ़ नहीं थे बल्कि ग़लत तरीके से निशाना बनाए जाने के ख़िलाफ़ थे। उन्होंने बताया कि उद्योगों और अन्य बड़े पैमाने पर प्रदूषण पैदा करने वालों को किसी भी अन्य जांच या जुर्माना के बिना काम करने दिया जा रहा था।

इकट्ठा हुई भारी भीड़ के कारण सरकार को कर में वृद्धि वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके अलावा मैक्रॉन ने पेंशनधारियों के लिए कर कटौती की भी घोषणा की और मालिकों को उनके श्रमिकों को बोनस देने के लिए कहा। लेकिन ये छोटी पहल कामकाजी तथा निम्न मध्यम वर्ग के लोगों के गुस्से को शांत करने में नाकाम रही।

प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि यह व्यवस्था ग़रीबों की आवश्यकताओं के लिए अधिक समावेशी हो जिन्होंने मैक्रॉन की ग़रीब-विरोधी नीतियों का ख़ामियाजा उठाया है।

न्यूनतम मज़दूरी में वृद्धि की मांग पर सहमत होने के बजाय मैक्रॉन ने घोषणा की कि सरकार कम आय वाले श्रमिकों को भुगतान के टॉप-अप को बढ़ाएगी। इससे नियोक्ताओं को कुछ भी खर्च नहीं होगा क्योंकि पैसा संभवतः सार्वजनिक सेवा में कटौती से आएगा। हालांकि यह टॉप-अप श्रमिकों के लिए 20 यूरो के एक छोटा लाभ का केवल परिणाम होगा क्योंकि ये वृद्धि पहले से ही योजनाबद्ध थी। यहां तक कि नियोक्ताओं के लिए साल का अंत में बोनस 1,000 यूरो से कम होने पर कर मुक्त होगा।

आय में वृद्धि, मैक्रोन के इस्तीफे और समाप्त हुए संपत्ति कर की बहाली के अलावा येलो वेस्ट ने एक संवैधानिक सुधार की मांग भी शुरू कर दी है जो लोकतंत्र को अधिक साझीदार बना देगा। वे चाहते हैं कि विभिन्न मामलों को तय करने के लिए जनमत संग्रह किया जाए यदि इसके लिए अधिक से अधिक नागरिक याचिका दायर करते हैं।

इस सप्ताह के अंत में प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने पेरिस में एक मंत्रालय के परिसर में फोर्कलिफ्ट से दरवाजा तोड़कर घुस गए। पिछले सप्ताह की तरह प्रदर्शनकारी पेरिस के संपन्न इलाकों में प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा हुए। पुलिस के एक बयान के अनुसार 35 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

बोर्डोक्स, टूलूज़, रूएन और लियोन ऐसे ही कुछ अन्य शहर थे जहां की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों की संख्या काफी अधिक थी। बोर्डोक्स में पुलिस ने आंसू गैस छोड़कर लगभग 4,600 प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर किया। रूएन में भी शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने वालों पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए।

पुलिस हिंसा में भी वृद्धि दर्ज की गई है। पुलिस अधिकारियों द्वारा अनावश्यक बल प्रयोग की कई घटनाओं को फोन कैमरे पर रिकॉर्ड किया गया और सोशल मीडिया पर फैलाया गया। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी पुलिस हिंसा के अत्यधिक होने का आरोप लगाया।

सुरक्षा बल प्रदर्शनकारियों को इकट्ठा होने से रोकने के लिए नाकाबंदी कर रहे हैं। कई लोगों ने इसे प्रदर्शन करने और इकट्ठा होने के अधिकार को प्रभावी ढ़ंग से प्रतिबंध लगाने के रूप में वर्णित किया है।

यहां तक कि पुलिसकर्मी सख्त ड्यूटी और सीमित संसाधनों के चलते धैर्य खो रहे हैं। 19 दिसंबर को पुलिस ने जानबूझ कर पासपोर्ट नियंत्रण ड्यूटी को धीमी तरीके से किया और कुछ पुलिस स्टेशन ओवरटाइम बकाया तय न होने के कारण बंद हो गए। इसके परिणामस्वरूप सरकार ने 12 घंटे के भीतर पुलिस के वेतन में 150 यूरो बढ़ा दिए।

विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से मैक्रॉन की लोकप्रियता तेजी से घट रही है। अब उनकी लोकप्रियता लगभग 23% हो गई है जो वर्ष 2018 की शुरुआत में 50% थी और उनके राष्ट्रपति बनने के समय 62% थी।

येलो वेस्ट से प्रेरित होकर कनाडा और मध्य अफ्रीकी गणराज्य जैसे देशों में प्रदर्शनकारी उच्च-दृश्यता वाले जैकेट पहने हुए इसी तरह के प्रदर्शन कर रहे हैं। फ्रांस के बाहर विरोध कर रहे लोगों की मांगें भी समान हैं और मौजूदा नवउदारवादी सत्ता के अधीन बड़े पैमाने पर धन असमानताओं को लेकर गुस्से और असंतोष की अभिव्यक्ति है।

फ्रांस में सरकारी अधिकारी इस आंदोलन को ख़ारिज करते रहे। शिक्षा मंत्री जीन मिशेल ब्लैंकेर को एलसीआई न्यूज़ चैनल के हवाले से कहा गया कि फ्रांस को एक ऐसा देश बनने से रोकने की ज़रूरत है जो सबसे ज़्यादा शोर करने वालों की बात सुनता हो।

इस आंदोलन को वापस लेने से इनकार करने और लोगों को अपनी मांगों को पूरा करने के लिए अधिक दृढ़ संकल्प होने के साथ सरकार को अपने मौजूदा गैर ज़िम्मेदार रुख पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता होगी।

France
Yellow Vests movement
Emmanuel Macron
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anti-poor reforms

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