NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
फर्जी सूचनाओं को रोकने के लिए फेसबुक कुछ नहीं करना चाहता!
फेसबुक का पूरा कारोबारी मॉडल सूचनाओं को वायरल बनाकर इससे पैसे कमाने पर आधारित है।
सिरिल सैम, परंजॉय गुहा ठाकुरता
11 Feb 2019
FACEBOOK
सांकेतिक तस्वीर। साभार : गूगल

मिशी चौधरी सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर की कानूनी निदेशक हैं। नई दिल्ली और न्यूयॉर्क में रहने वाली मिशी चौधरी डिजिटल अधिकारों के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उनके जैसे स्वतंत्र पर्यवेक्षकों को यह लगता है कि फेसबुक अपने प्लेटफॉर्म को लोगों के इस्तेमाल के लिए सुरक्षित बनाने की दिशा में काफी कुछ कर सकता है।

वे कहती हैं कि फेसबुक को पहला काम तो यही करना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति को बगैर उसकी अनुमति के किसी भी फेसबुक समूह का सदस्य नहीं बनाया जा सके। अभी बगैर पहले से अनुमति लिए किसी को किसी फेसबुक समूह का सदस्य बनाया जा सकता है।

वे कहती हैं, ‘सभी तकनीकी कंपनियों की तरफ फेसबुक को भी यही लगता है कि सभी समस्याओं का समाधान तकनीक के जरिये किया जा सकता है। लेकिन कई बार चीजें इतनी सरल नहीं होती हैं।’ फेसबुक ने पहले भी अपने प्लेटफॉर्म के जरिए फर्जी खबरों के प्रसार की समस्या के समाधान की बात तकनीकी उपायों के जरिये करने को कहा है।

चौधरी कहती हैं कि संदेश सिर्फ चेतन मस्तिष्क को ही प्रभावित नहीं करते बल्कि अवचेतन मन को भी प्रभावित करते हैं। खास तौर पर फेसबुक और ट्विटर जैसे माध्यमों को जरिये प्रेषित किए जाने वाले संदेश। ये संदेश लोगों को आदी बनाने का काम करते हैं।

वे कहती हैं, ‘आप एक गलत बात को बार-बार स्पैम करना शुरू कीजिए। थोड़े समय बाद लोग उसे सच मानना शुरू कर देंगे। इसे गोएबल्स की पुरानी तकनीक कहा जाता है।’ मालूम हो कि पॉल जोसेफ गोएबल्स नाजी जर्मनी में 1933 से 1945 के दौरान अडोल्फ हिटलर के कार्यकाल में उनके करीबी सहयोगी और प्रोपगैंडा मंत्री थे।

फेसबुक के आलोचक कहते हैं कि फेसबुक फर्जी सूचनाओं के प्रसार को रोकने के लिए बोलने के अलावा कुछ नहीं करता। इसका पूरा कारोबारी मॉडल इस बात पर आधारित है कि कैसे कोई फेसबुक पोस्ट वायरल हो जाए। कोई भी पोस्ट जितना अधिक लोगों के बीच जाएगा, उससे फेसबुक को उतना ही आर्थिक लाभ होगा। जितना ज्यादा कोई व्यक्ति फेसबुक का इस्तेमाल करेगा और इस पर अपनी गतिविधियां चलाता रहेगा, उतना ही फेसबुक का फायदा होगा। 

फेसबुक के साथ तथ्यों की पड़ताल के लिए काम करने वाले एक व्यक्ति ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बातचीत की। उन्होंने कहा, ‘भारत में फर्जी सूचनाओं के प्रसार को फेसबुक जन संपर्क की समस्या की तरह देख रही है। गलत सूचनाओं के प्रसार से निपटने के लिए काफी कुछ किया जा सकता है लेकिन फेसबुक के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए यह प्राथमिकता का विषय नहीं है। उनके लिए इस दिशा में कुछ कदम उठाने की बात करना सिर्फ औपचारिकता भर है।’ फेसबुक के साथ काम कर रहे इस अधिकारी की बातों से पता चलता है कि फेसबुक एक कंपनी के तौर पर अपने प्लेटफॉर्म से फर्जी सूचनाओं के प्रसार को रोकने के लिए बिल्कुल भी गंभीर नहीं है।

हमारे सोशल मीडिया सीरीज़ के अन्य आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :-

#सोशल_मीडिया : क्या सुरक्षा उपायों को लेकर व्हाट्सऐप ने अपना पल्ला झाड़ लिया है?

#सोशल_मीडिया : क्या व्हाट्सऐप राजनीतिक लाभ के लिए अफवाह फैलाने का माध्यम बन रहा है?

#सोशल_मीडिया : क्या फेसबुक सत्ताधारियों के साथ है?

#सोशल_मीडिया : क्या नरेंद्र मोदी की आलोचना से फेसबुक को डर लगता है?

#सोशल_मीडिया : कई देशों की सरकारें फेसबुक से क्यों खफा हैं?

सोशल मीडिया की अफवाह से बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा

 

Social Media
#socialmedia
Real Face of Facebook in India
#Facebook

Related Stories

रामदेव विरोधी लिंक हटाने के आदेश के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया की याचिका पर सुनवाई से न्यायाधीश ने खुद को अलग किया

यूपी चुनावः कॉरपोरेट मीडिया के वर्चस्व को तोड़ रहा है न्यू मीडिया!

मृतक को अपमानित करने वालों का गिरोह!

आज तक, APN न्यूज़ ने श्रीनगर में WC में पाकिस्तान की जीत का जश्न बताकर 2017 का वीडियो चलाया

एनसीआरबी रिपोर्ट: ‘फ़ेक न्यूज़’ के मामलों में 214% की बढ़ोतरी

शराब बांटने का वीडियो किसान आंदोलन का नहीं बल्कि लुधियाना का है जहां शराब चढ़ायी जाती है

फ़ेक न्यूज़ आपको कैसे काबू कर लेती है?

फ़ैक्ट-चेक : वायरल तस्वीर में ब्रिटिश पुलिस जिसे कोड़े मार रही है, वो भगत सिंह हैं?

रिपब्लिक भारत ने ‘तालिबान का क्रूर चेहरा’ दिखाते हुए BSP नेता हाजी याक़ूब क़ुरैशी की फ़ोटो दिखायी

छत्तीसगढ़ की वीडियो की सच्चाई और पितृसत्ता की अश्लील हंसी


बाकी खबरें

  • भाषा
    श्रीलंका में हिंसा में अब तक आठ लोगों की मौत, महिंदा राजपक्षे की गिरफ़्तारी की मांग तेज़
    10 May 2022
    विपक्ष ने महिंदा राजपक्षे पर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला करने के लिए सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को उकसाने का आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिवंगत फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को दूसरी बार मिला ''द पुलित्ज़र प्राइज़''
    10 May 2022
    अपनी बेहतरीन फोटो पत्रकारिता के लिए पहचान रखने वाले दिवंगत पत्रकार दानिश सिद्दीकी और उनके सहयोगियों को ''द पुल्तिज़र प्राइज़'' से सम्मानित किया गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी
    10 May 2022
    केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के आचरण पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि वे इस घटना से पहले भड़काऊ भाषण न देते तो यह घटना नहीं होती और यह जघन्य हत्याकांड टल सकता था।
  • विजय विनीत
    पानी को तरसता बुंदेलखंडः कपसा गांव में प्यास की गवाही दे रहे ढाई हजार चेहरे, सूख रहे इकलौते कुएं से कैसे बुझेगी प्यास?
    10 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्टः ''पानी की सही कीमत जानना हो तो हमीरपुर के कपसा गांव के लोगों से कोई भी मिल सकता है। हर सरकार ने यहां पानी की तरह पैसा बहाया, फिर भी लोगों की प्यास नहीं बुझ पाई।''
  • लाल बहादुर सिंह
    साझी विरासत-साझी लड़ाई: 1857 को आज सही सन्दर्भ में याद रखना बेहद ज़रूरी
    10 May 2022
    आज़ादी की यह पहली लड़ाई जिन मूल्यों और आदर्शों की बुनियाद पर लड़ी गयी थी, वे अभूतपूर्व संकट की मौजूदा घड़ी में हमारे लिए प्रकाश-स्तम्भ की तरह हैं। आज जो कारपोरेट-साम्प्रदायिक फासीवादी निज़ाम हमारे देश में…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License