NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
रफ़ाल पर केंद्र को बड़ा झटका : सुप्रीम कोर्ट ने प्रारंभिक आपत्ति ख़ारिज की
सरकार का दावा था कि इस मामले में याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज "विशेषाधिकार प्राप्त" हैं और इसलिए अदालत इन दस्तावेजों पर भरोसा नहीं कर सकती। इसके विपरीत कोर्ट ने कहा कि वो रफ़ाल फैसले पर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तारीख तय करेगा।
लाइव लॉ
10 Apr 2019
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस के. एम. जोसेफ

रफ़ाल पर दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार द्वारा उठाई गई प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर दिया है। सरकार का दावा था कि इस मामले में याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज "विशेषाधिकार प्राप्त" हैं और इसलिए अदालत इन दस्तावेजों पर भरोसा नहीं कर सकती। इसके विपरीत कोर्ट ने कहा कि वो रफ़ाल फैसले पर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तारीख तय करेगा।

यह फैसला चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस के. एम. जोसेफ की पीठ ने आम सहमति से सुनाया। इससे पहले 14 मार्च को पीठ ने इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

अटॉर्नी जनरल की दलील

इस दौरान अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने यह दलील दी थी कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज विशेषाधिकार प्राप्त दस्तावेज हैं, जिन्हें भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के अनुसार साक्ष्य नहीं माना जा सकता है। इन दस्तावेजों को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत संरक्षित किया जाता है। AG ने यह भी कहा कि दस्तावेजों के प्रकटीकरण को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत धारा 8 (1) (ए) के अनुसार छूट दी गई है।

न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की टिप्पणी

न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ ने हालांकि यह कहते हुए जवाब दिया था कि आरटीआई अधिनियम की धारा 22 ने आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम पर एक व्यापक प्रभाव दिया है। उन्होंने आरटीआई कानून की धारा 24 का उल्लेख करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन के संबंध में सुरक्षा प्रतिष्ठानों को भी जानकारी देने से छूट नहीं है।

याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण की दलील

मामले के याचिकाकर्ताओं में से एक प्रशांत भूषण ने AG के दावों को गलत बताते हुए कहा था कि विशेषाधिकार का दावा उन दस्तावेजों पर नहीं किया जा सकता जो पहले से ही सार्वजनिक क्षेत्र में हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 केवल "अप्रकाशित दस्तावेजों" की रक्षा करती है। उन्होंने कहा था कि स्रोतों की रक्षा करने के लिए पत्रकारों के विशेषाधिकार को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया एक्ट की धारा 15 के अनुसार द्वारा मान्यता प्राप्त है। उन्होंने 2 जी और कोल ब्लॉक मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों का भी उल्लेख किया था जिसके तहत आगंतुक सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के घर की विजिटर डायरी को यह बताने पर जोर दिए बिना सबूतों में स्वीकार किया गया कि उसे कैसे प्राप्त किया गया। उन्होंने "पेंटागन पेपर्स केस" का भी उल्लेख किया था और कहा कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने वियतनाम युद्ध से संबंधित दस्तावेजों के प्रकाशन की अनुमति दी थी। उन्होंने कहा, "सरकार की चिंता राष्ट्रीय सुरक्षा की नहीं है बल्कि उन सरकारी अधिकारियों की रक्षा करना है जिन्होंने सौदे की वार्ता में हस्तक्षेप किया है।"

मामले में एक अन्य याचिकाकर्ता अरुण शौरी ने टिप्पणी की कि वह यह स्वीकार करने के लिए AG के आभारी हैं क्योंकि उन्होंने माना है कि प्रस्तुत दस्तावेज वास्तविक हैं और संलग्न दस्तावेज की फोटोकॉपी हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट 14 दिसंबर 2018 के फैसले पर प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी व अन्य द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इस याचिका के साथ ही केंद्र सरकार द्वारा दायर की गई संशोधन याचिका और प्रशांत भूषण द्वारा कोर्ट को दिए नोट में गलत जानकारी देने के लिए परजूरी का केस चलाने की याचिका भी सूचीबद्ध है।
 

Rafale deal
Rafale Controversy
Rafale judgment
Supreme Court
Modi government
Anil Ambani
N Ram
prashant bhushan
arun shourie
yashwant sinha

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते


बाकी खबरें

  • एम. के. भद्रकुमार
    पुतिन की अमेरिका को यूक्रेन से पीछे हटने की चेतावनी
    29 Apr 2022
    बाइडेन प्रशासन का भू-राजनीतिक एजेंडा सैन्य संघर्ष को लम्बा खींचना, रूस को सैन्य और कूटनीतिक लिहाज़ से कमज़ोर करना और यूरोप को अमेरिकी नेतृत्व पर बहुत ज़्यादा निर्भर बना देना है।
  • अजय गुदावर्ती
    भारत में धर्म और नवउदारवादी व्यक्तिवाद का संयुक्त प्रभाव
    28 Apr 2022
    नवउदारवादी हिंदुत्व धर्म और बाजार के प्रति उन्मुख है, जो व्यक्तिवादी आत्मानुभूति पर जोर दे रहा है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन
    28 Apr 2022
    वाम दलों ने धरने में सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ व जनता की एकता, जीवन और जीविका की रक्षा में संघर्ष को तेज़ करने के संकल्प को भी दोहराया।
  • protest
    न्यूज़क्लिक टीम
    दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन
    28 Apr 2022
    वाम दलों ने आरएसएस-भाजपा पर लगातार विभाजनकारी सांप्रदायिक राजनीति का आरोप लगाया है और इसके खिलाफ़ आज(गुरुवार) जंतर मंतर पर संयुक्त रूप से धरना- प्रदर्शन किया। जिसमे मे दिल्ली भर से सैकड़ों…
  • ज़ाकिर अली त्यागी
    मेरठ : जागरण की अनुमति ना मिलने पर BJP नेताओं ने इंस्पेक्टर को दी चुनौती, कहा बिना अनुमति करेंगे जागरण
    28 Apr 2022
    1987 में नरसंहार का दंश झेल चुके हाशिमपुरा का  माहौल ख़राब करने की कोशिश कर रहे बीजेपी नेताओं-कार्यकर्ताओं के सामने प्रशासन सख़्त नज़र आया।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License