NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
रवीश कुमार को ट्रोल करने वाले शख्स को प्रधान मंत्री क्यों फॉलो करते हैं ?
इस पूरी प्रक्रिया को ध्यान से देखा जाये तो पता लगता है कि यह सब सुनियोजित तौर से किया जाता है। जब भी मौजूदा सरकार किसी भी मुद्दे पर मुश्किल में आती है उसके लोगों द्वारा संचालित ट्रोल आर्मी सवाल करने वालों को गाली देना शुरू कर देती है।
ऋतांश आज़ाद
29 Sep 2017
ट्रोल आर्मी
image: जनसत्ता

22 सितम्बर को NDTV के पत्रकार रवीश कुमार ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर वाट्सएप्प के कई स्क्रीन शॉट पोस्ट किये । उनमें से एक स्क्रीन शॉट पर लिखा था "मुझे दुख है कि  तू जीवित है ". उनका आरोप था कि “ऊँ धर्म रक्षति रक्षित:” नामक एक वाट्सएप्प ग्रुप में सिर्फ गाली देने के मकसद से उन्हें ऐड किया जाता है। रवीश ने अपने पोस्ट में कहा कि अगर वो इस ग्रुप से खुद को हटा लेते हैं तो भी उन्हें फिर से ऐड कर लिया जाता है।   इसके बाद ऑल्ट न्यूज़ ने इस मामले में जाँच करी और उन्हें ये पता चला कि जो व्यक्ति  उन्हें गलियां दे रहा था उसे ट्विटर पर प्रधान मंत्री फॉलो करते हैं।  

ऑल्ट न्यूज़ ने अपनी जाँच में ये भी पाया कि जिस नंबर से रवीश कुमार को ये बात कही गयी थी , उसे आंजनेय एक्सपोर्ट्स नामक एक कंपनी द्वारा  काफी प्रचारित किया जाता है । जब इस कंपनी के बारे जाँच की गयी तो पता चला कि इसके मैनेजिंग पार्टनर  नीरज दावेल नामक शख्स  हैं।  ये नंबर वही नंबर है, जो नीरज दावेल के ट्विटर और वाट्सएप्प अकाउंट दोनों पर नज़र आता  है । इसका अर्थ ये निकाला गया कि ये नंबर नीरज दावेल नामक शख्स का ही है , जिनके 2012 के एक ट्वीट से ये पता चलता है कि उनकी बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी से करीबी रही  है।  इसके साथ ही उनको  ट्विटर पर खुद  प्रधान मंत्री फॉलो करते हैं। “ऊँ धर्म रक्षति रक्षित:” नाम के इस  ग्रुप के एक एडमिन हैं जिनका नाम आकाश सोनी है।  इनकी वाट्सएप्प पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ डिस्प्ले पिक्चर है।  साथ ही इनका फेसबुक पर खुद का  पेज और एक पर्सनल प्रोफाइल  है ,जिस पर बीजेपी  के कई नेताओं  के साथ इनकी कई तस्वीरें हैं।  इसके साथ ही आकाश सोनी  नाम के इस  शख्स ने  अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर राजदीप सरदेसाई, बरखा दत्त , रवीश कुमार और अभिसार शर्मा जैसे पत्रकारों का प्राइवेट नंबर भी पोस्ट किया हुआ है। इसी वाट्सएप्प ग्रुप से निखिल दाधीच भी जुड़े हुए हैं, जिन्होंने  हाल में गौरी लंकेश  की  मौत पर "एक कुतिया कुत्ते की मौत मरी " लिखा था और उन्हें भी प्रधान मंत्री फॉलो करते हैं।  

ये पहली बार नहीं है कि बीजेपी सरकार पर सवाल उठाने  वालों को सोशल मीडिया पर धमकियाँ  मिली हों।  बल्कि ये घटना बहुत सी घटनाओं के  क्रम में एक और उदाहरण  है ।  पिछले साल रामजस कॉलेज में abvp की गुंडा  गर्दी के खिलाफ जब दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा गुरमेहर कौर ने आवाज़ उठाई तो उसे इस ट्रोल आर्मी द्वारा रेप करने की धमकियाँ तक मिली थीं ।  उनका एक पुराना वीडियो वायरल किया गया था, जिसमें उन्होंने "पाकिस्तान डिड नॉट किल माय फादर वॉर डीड " लिखा था।  इस वीडियो को ये कहकर वायरल किया गया कि वो देशद्रोही हैं और पाकिस्तान परस्त हैं। 

इसी  साल अरुंधती रॉय से सम्बंधित एक नकली खबर पर उन्हें  ट्रोल  किया गया। इस नकली खबर पर गौतम गंभीर  और बीजेपी  के संसद परेश रावल ने भी ट्वीट किया।  परेश रावल ने अपनी प्रतिक्रिया में ये तक लिखा कि  ''पत्थरबाज़ों की जगह अरुंधती रॉय को आर्मी की जीप के सामने बाँधना चाहिए I" वो कश्मीर में हुए उस वाकये की  बात कर रहे थे जब  आर्मी की जीप पर एक शख्स को बांधा गया था ,जिस पर तीखी प्रतिक्रियाएं आयी थीं।  बरखा दत्त को लगातार ट्रोल किया जाना तो अब आम बात हो गयी है, उन्हें  लगातार अभद्र और भद्दी बातें कही जाती हैं।  बूम.कॉम जो नकली खबरों को उजागर करता है कि मई रिपोर्ट के अनुसार बरखा दत्त की एक नकली फोटो सोशल मीडिया पर फैलाई गयी थी, जिसमें उनको पाकिस्तानी झंडा हाथ में लिए दिखाया गया है। 

हाल ही में पश्चिम बंगाल में जब दंगे हुए तो आर एस एस के लोगों ने दो पोस्टर जारी किए। एक पोस्टर का कैप्शन था, "बंगाल जल रहा है" , उसमें प्रोपर्टी के जलने की तस्वीर थी। दूसरे फोटो में एक महिला की साड़ी खींची जा रही थी और कैप्शन था "बंगाल में हिन्दू महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है" । बहुत जल्दी ही इस फोटो का सच सामने आ गया। पहली तस्वीर 2002 के गुजरात दंगों की थी जब मुख्यमंत्री मोदी ही सरकार में थे। दूसरी तस्वीर में भोजपुरी सिनेमा के एक सीन की थी।
 
ट्रोल आर्मी और फेक न्यूज़ दोनों साथ साथ चलते हैं और एक दूसरे के पूरक  साबित होते हैं।  इसका एक बड़ा उदाहरण है पिछले साल JNU की  घटना जब डॉक्टरड वीडियो के चलते कन्हैया  कुमार  और उमर खालिद के खिलाफ ज़बरदस्त नफ़रत फैलाई गयी। इसमें ज़ी न्यूज़ और टाइम्स नाउ पर डॉक्टरड वीडियो चलाने और नफ़रत फ़ैलाने के आरोप लगे थे। इस घटना से ये साबित हुआ था कि  ट्रॉलिग करने  और नकली खबरें फैलाने के खेल में न्यूज़ चैनल्स खुद शामिल रहे हैं । रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ लगातार फैलाई जा रही नकली खबरें और उनका साथ देने  वालों को ट्रोल किया जाना भी इसका एक और उदाहरण है।  

इस पूरी प्रक्रिया को  ध्यान  से देखा  जाये तो पता लगता है कि यह सब  सुनियोजित तौर से किया जाता है।  जब भी मौजूदा सरकार किसी  भी मुद्दे पर मुश्किल  में आती है उसके लोगों द्वारा संचालित ट्रोल आर्मी  सवाल करने वालों  को गाली देना  शुरू कर देती है।  इसके साथ ही सवाल पूछने वाले लोगों के खिलाफ  नकली खबरें  भी फैलाई  जाती है।  बहुत बार ये नकली प्रोफाइलों द्वारा किया जाता है जिससे इन लोगों  को ट्रैक न किया जा सके।  अगर इन ट्रोल्स के निशाने  पर कोई महिला हो  तो उसे अभद्र गलियां दी जाती है , उसे चरित्रहीन कहा जाता है यहाँ तक की उसे रेप कर देने की धमकियां भी दी जाती हैं।  इस मामले में गुरमेहर कौर के अलावा कविता कृष्णन और श्रुति सेठ का उदाहरण भी  दिया जा सकता है।  इन दोनों  को  सेल्फी विद डॉटर मुहिम पर सवाल उठाने पर 2015 में सोशल मीडिया पर भद्दी बातें  कहीं गयी थी।  इन ट्रोल आर्मी  के लोगों  को पैसे दिए जाते हैं और इनका काम बस लोगों को चुप करना है।

रवीश कुमार के साथ जो हुआ वो एक बड़े खेल का हिस्सा  है, जिसमें सवाल  करने  वाली आवाज़ों को दबाने की  कोशिश की  जा रही  है।  ये फासीवादी प्रवृत्ति से प्रेरित है और लगातार भय का माहौल बनाने के लिए किया जा रहा है। इस राजनीति को  तथ्यों के साथ चुनौती देना ज़रूरी है वर्ना ये सवाल करने की संस्कृति को ख़तम कर देगी ।

ट्रोल आर्मी
रविश कुमार
बीजेपी
संघ परिवार

Related Stories

झारखंड चुनाव: 20 सीटों पर मतदान, सिसई में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में एक ग्रामीण की मौत, दो घायल

झारखंड की 'वीआईपी' सीट जमशेदपुर पूर्वी : रघुवर को सरयू की चुनौती, गौरव तीसरा कोण

हमें ‘लिंचिस्तान’ बनने से सिर्फ जन-आन्दोलन ही बचा सकता है

यूपी-बिहार: 2019 की तैयारी, भाजपा और विपक्ष

असमः नागरिकता छीन जाने के डर लोग कर रहे आत्महत्या, एनआरसी की सूची 30 जुलाई तक होगी जारी

अहमदाबाद के एक बैंक और अमित शाह का दिलचस्प मामला

आरएसएस के लिए यह "सत्य का दर्पण” नहीं हो सकता है

उत्तरपूर्व में हिंदुत्वा का दोगुला खेल

अशोक धावले : मोदी सरकार आज़ाद भारत के इतिहास में सबसे किसान विरोधी सरकार है

छत्तीसगढ़ में नर्सों की हड़ताल को जबरन ख़तम कराया गया


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    महामारी के दौर में बंपर कमाई करती रहीं फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है जो यह बताता है कि कोरोना महामारी के दौरान जब लोग दर्द…
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    हैदराबाद फर्जी एनकाउंटर, यौन हिंसा की आड़ में पुलिसिया बर्बरता पर रोक लगे
    26 May 2022
    ख़ास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बातचीत की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर से, जिन्होंने 2019 में हैदराबाद में बलात्कार-हत्या के केस में किये फ़र्ज़ी एनकाउंटर पर अदालतों का दरवाज़ा खटखटाया।…
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   
    26 May 2022
    बुलडोज़र राज के खिलाफ भाकपा माले द्वारा शुरू किये गए गरीबों के जन अभियान के तहत सभी मुहल्लों के गरीबों को एकजुट करने के लिए ‘घर बचाओ शहरी गरीब सम्मलेन’ संगठित किया जा रहा है।
  • नीलांजन मुखोपाध्याय
    भाजपा के क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान करने का मोदी का दावा फेस वैल्यू पर नहीं लिया जा सकता
    26 May 2022
    भगवा कुनबा गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का हमेशा से पक्षधर रहा है।
  • सरोजिनी बिष्ट
    UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश
    26 May 2022
    21 अप्रैल से विभिन्न जिलों से आये कई छात्र छात्रायें इको गार्डन में धरने पर बैठे हैं। ये वे छात्र हैं जिन्होंने 21 नवंबर 2021 से 2 दिसंबर 2021 के बीच हुई दरोगा भर्ती परीक्षा में हिस्सा लिया था
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License