NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सीबीआई की अंदरूनी लड़ाई: संस्थाओं की बर्बादी की कहानी
क्या सीबीआई में हो रहे तमाशे की जड़ में ररफाल है या सरकार के अनुसार सीबीआई के दो आला अधिकारियों की लड़ाई है?
अजय कुमार
26 Oct 2018
CBI
Image Courtesy: The Hindu

भारत की संस्थाओं का ढांचा ऐसा है कि सरकारें संस्थाओं को नियंत्रित करती हैं और संस्थाएं सरकारों कोI सरकार और संस्थाएं मिलकर जनता की भलाई के लिए काम करती हैंI लेकिन इस समय जनता की भलाई नहीं हो रही हैI बल्कि सरकारें संस्थाओं को बर्बाद कर रही है और संस्थाओं के चापलूस अधिकारी सरकारों कोI साथ में संस्थाओं को चलाने वाले अधिकारी इतने उलझ चुके हैं कि सरकारों से स्वतंत्र होकर काम कर पाए, ऐसा भी असम्भव लगता है और इन दोनों का गठजोड़ जनता की भलाई कर पाए, यह भी असम्भव लगता हैI

सीबीआई के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि दो आला अधिकारी एक-दूसरे से लड़ रहे हैं और लड़ाई ऐसी है कि संस्थाओं की ढहती दीवार साफ तौर पर नजर आ रही है और सरकार द्वारा संस्थाओं की गर्दन मरोड़ने वाला हाथ भी साफ़ तौर पर दिख रहा हैI हुआ यह है  कि गुजरात काडर के अधिकारी राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के मामले में पहले से ही सीबीआई जाँच चल रही थी। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के लिखित विरोध के बाद भी अस्थाना को विशेष निदेशक बना दियाI जबकि नियम यह होता है कि स्पेशल डायरेक्टर के चुनाव के लिए सीबीआई डायरेक्टर की सलाह को ध्यान में रखा जाता हैI लेकिन इस मामले में सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा की सलाह पर केंदीय सतर्कता आयोग द्वारा निर्धारित पैनल ने बिलकुल ध्यान नहीं दिया और अस्थाना को चुन लियाI

इसके साथ इस मामलें में ये हैरान करने वाली बात है कि जिस 'स्टर्लिंग बॉयोटेक'  मसले में भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई कर रही थी, उसी के एक आरोपी को सीबीआई का विशेष निदेशक बना दिया जाता है! "ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा" जैसी बड़ी बड़ी बातें बोलने वाले मोदी जी की आख़िर ऐसी क्या मजबूरी थी कि भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे अपने प्रिय अस्थाना को उन्होंने जबरन सीबीआई में उच्च पद पर नियुक्त कर दिया?

राकेश जी गुजरात सरकार द्वारा गठित उस एसआईटी का हिस्सा थे जिसने गोधरा कांड पर मोदी को क्लीन चिट दे डाला था। सूरत, अहमदाबाद और बड़ोदरा में पुलिस अधिकारी के तौर पर कई बड़े पदों पर रहने वाले अस्थाना प्रधानमंत्री मोदी एवं अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। अब तक लालू यादव से लेकर माल्या, नीरव मोदी, चौकसी, मोईन क़ुरैशी जैसे कई संवेदनशील मामलों को देखने वाले अस्थाना के बचाव के लिए रातों- रात सीबीआई अधिकारीयों की बदलाव कर देना अस्थाना से लेकर भाजपा सरकार के इरादों पर कई सवाल खड़ा करती हैI

बीते 4 अक्टूबर को प्रशांत भूषण, अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा ने 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद के संबंध में सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को लिखित शिकायत सौंपकर  नरेन्द्र मोदी और अनिल अंबानी के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। सूत्रों से जानकारी है कि भाजपा शासित सरकार इस बात से नाराज़ थी  कि निदेशक आलोक वर्मा ने तीनों से मुलाकात कर राफेल पर शिकायत पत्र स्वीकार किया और जाँच प्रक्रिया शुरू करने पर विचार कर रहे थे।

कहीं ऐसा तो नहीं कि मोदी जी को इस बात का डर सताने लगा कि अस्थाना की जबरन नियुक्ति से दुखी निदेशक आलोक वर्मा राफेल डील की जाँच संबंधी प्रक्रिया शुरू कर देंगे? आख़िर राकेश अस्थाना की अपनी नियुक्ति का मामला जब शांत होने लगा था तो उन्होंने क्यूँ एकाएक अपने बॉस के ख़िलाफ़ ही भ्रष्टाचार के लिखित शिकायत कर डाले? अस्थाना अभी यह शिकायत  क्यों कर रहे हैं कि आलोक वर्मा ने कुरैशी के मामलें में घुस लिया है, लालू यादव के खिलाफ रेड डालने में बाधा बन रहे थेI क्या अस्थाना ने ये लंबी चौड़ी शिकायत बिना अपने आकाओं के इशारे पर किया? और जब जवाब में सीबीआई ने अस्थाना पर ही एफआईआर दर्ज करके गिरफ़्तार करने की तैयारी की, तो प्रधानमंत्री मोदी हरकत में आ गए!

सच्चाई ये है कि इस विवाद को सीबीआई के नंबर 1 और नंबर 2 की लड़ाई बनाकर पीछे से कुछ और खेल खेला जा रहा है। जब निदेशक आलोक वर्मा का कार्यकाल दो महीने बाद दिसंबर 2018 में ख़त्म ही होने वाला था, तो अस्थाना की शिकायत पर बेताबी से उन्हें छुट्टी पर भेजकर आधी रात को नया निदेशक नियुक्त करने की असल वजह क्या है?  क्या सीबीआई में हो रहे तमाशे की जड़ में राफेल है या सरकार के अनुसार सीबीआई के दो आला अधिकारियों की लड़ाई हैIअभी हालिया स्थिति यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा से जुड़ी शिकायत का निपटान करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया हैI इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एIके पटनायक के निगरानी सीवीसी करेगीI साथ में सीबीआई के नये निदेशक अक्टूबर 23 के बाद अपने द्वारा लिए गये सभी फैसलों को एक बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपेंगेI इस मामलें में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अगली सुनवाई नवम्बर 12 को की जाएगीI    

क़ानूनी जानकार कहते हैं कि सीबीआई निदेशक को ट्रान्सफर,सस्पेंड और रिमूवल करने का अधिकार चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया, प्रधानमंत्री और नेता विपक्ष से बने पैनल के पास होती हैI केन्द्रीय सतर्कता आयोग केवल ऐसे मामलों की जाँच कर सकती हैI इसके पास किसी को छुट्टी पर भेजने का अधिकार नहीं होताI इसलिए सरकार के तरफ से यह कहा जाना कि संस्थागत सम्मान को बचाए रखने के लिए सीवीसी ने यह कार्यवाही की, यह बात हजम नहीं होती हैI इसके साथ सीबीआई के दो आला अधिकारियों के साथ जिन अन्य अधिकारियों का ट्रान्सफर किया गया है,उन अधिकारीयों के ट्रान्सफर से स्पेशल डायरेक्टर अस्थाना को फायदा पहुंचता दिख रहा हैI क्योंकि इसमें वे अफसर भी शामिल हैं जो राकेश अस्थाना से जुड़े शिकायत के मामलें की जांच कर रहे थें, जिनकी नजदीकी राकेश अस्थाना से थी और जो सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के नजदीक थेI यहाँ यह गौर करने वाली बात है कि उन अधिकारीयों को ट्रांसफर कर पोर्ट ब्लयेर भेजा गया है जो राकेश अस्थाना के खिलाफ की गयी शिकायत की जांच कर रहे थेI इसलिए यहाँ ऐसा लगता है कि अधिकारी सरकार की बात मानने के लिए किसी हद तक जा सकते हैं और सरकार भी अपने अफसरों को बचाने के लिए तरह के नियमों का धत्ता उड़ा सकती हैI  सरकार संस्थाओं को बर्बाद कर रही है और संस्थाओं के अधिकारी सरकार कोI इन सबमें नियमबद्ध सरकार और नियमबद्ध संस्था की अहमियत बर्बाद होती जा रही हैI

 

CBI
CBI director
alok verma
special director Rakesh Asthana

Related Stories

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?

सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव के ख़िलाफ़ नया मामला दर्ज किया, कई जगह छापे मारे

सीबीआई को आकार पटेल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मिली अनुमति

आकार पटेल ने सीबीआई के ख़िलाफ़ अवमानना याचिका दाख़िल की

एमनेस्टी इंडिया के प्रमुख आकार पटेल का दावा, उन्हें अमेरिका जाने से रोका गया

CBI क्यों बनी 'तोता', कैसे हो सकती है आजाद, CJI ने क्यों जताई चिंता

सीबीआई पर खड़े होते सवालों के लिए कौन ज़िम्मेदार? कैसे बचेगी CBI की साख? 

व्यापमं घोटाला : सीबीआई ने 160 और आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया

गुजरात : एबीजी शिपयार्ड ने 28 बैंकों को लगाया 22,842 करोड़ का चूना, एसबीआई बोला - शिकायत में नहीं की देरी


बाकी खबरें

  • भाषा
    बच्चों की गुमशुदगी के मामले बढ़े, गैर-सरकारी संगठनों ने सतर्कता बढ़ाने की मांग की
    28 May 2022
    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में भारत में 59,262 बच्चे लापता हुए थे, जबकि पिछले वर्षों में खोए 48,972 बच्चों का पता नहीं लगाया जा सका था, जिससे देश…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: मैंने कोई (ऐसा) काम नहीं किया जिससे...
    28 May 2022
    नोटबंदी, जीएसटी, कोविड, लॉकडाउन से लेकर अब तक महंगाई, बेरोज़गारी, सांप्रदायिकता की मार झेल रहे देश के प्रधानमंत्री का दावा है कि उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे सिर झुक जाए...तो इसे ऐसा पढ़ा…
  • सौरभ कुमार
    छत्तीसगढ़ के ज़िला अस्पताल में बेड, स्टाफ और पीने के पानी तक की किल्लत
    28 May 2022
    कांकेर अस्पताल का ओपीडी भारी तादाद में आने वाले मरीजों को संभालने में असमर्थ है, उनमें से अनेक तो बरामदे-गलियारों में ही लेट कर इलाज कराने पर मजबूर होना पड़ता है।
  • सतीश भारतीय
    कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  
    28 May 2022
    मध्यप्रदेश में मजदूर वर्ग का "तेंदूपत्ता" एक मौसमी रोजगार है। जिसमें मजदूर दिन-रात कड़ी मेहनत करके दो वक्त पेट तो भर सकते हैं लेकिन मुनाफ़ा नहीं कमा सकते। क्योंकि सरकार की जिन तेंदुपत्ता रोजगार संबंधी…
  • अजय कुमार, रवि कौशल
    'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग
    28 May 2022
    नई शिक्षा नीति के ख़िलाफ़ देशभर में आंदोलन करने की रणनीति पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सैकड़ों विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने 27 मई को बैठक की।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License