NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सीबीआई कोर्ट: कुछ लोगों ने चयनित तथ्यों के साथ घोटाला का निर्माण किया, जुर्म के कोई सबूत नहीं
अगर सीबीआई कोर्ट के निर्णय पर विश्वास किया जाए तो राजा संचार तथा आईटी मिनिस्टर के रुप में नासमझ थे या सोए हुए थे।
प्रबीर पुरुकायास्थ
23 Dec 2017
2 g scam

2 जी मामले के सीबीआई जज ओपी सैनी द्वारा किया गया निर्णय अनोखी व्याख्या पेश करता है। ख़जाने के नुकसान का कोई प्रमाण नहीं है; इस मामले में हंगामा केवल "मीडिया" के कारण था;और यहां तक कि अगर दूरसंचार विभाग के ग़लत फैसले भी थे, तो दूरसंचार मंत्री ए राजा पर आरोप नहीं लगाना था। वह एक नासमझ व्यक्ति थें जिन्हें दूरसंचार विभाग के अधिकारियों ने गुमराह किया था, जो सभी निर्णयों के लिए जिम्मेदार थें। निर्णय के कुछ कथन, " इस प्रकार, कुछ लोगों ने कुछ चुनिंदा तथ्यों को व्यवस्थित कर घोटाले को अंजाम दिया और खगोल स्तरीय मान्यताओं से परे चीजों की अतिश्योक्ति कर घोटाले का निर्माण किया।" क्या इन लोगों ने कैग? सर्वोच्च न्यायलय? को शामिल किया? उक्त निर्णय की मदद के बिना एक सवाल जिसे हम विचार करने के लिए छोड़ते हैं।

जैसा कि हम 2 जी मामले को जानते हैं। सीबीआई न्यायालय के फैसले से इतर इस पर एक नज़र डालें।

सबसे पहले 2 जी घोटाले का बुनियादी तत्व - जिसे हम सैनी के 2 जी के फैसले के बावजूद एक घोटाला कहने जा रहे हैं। प्रश्न यह है कि हम स्पेक्ट्रम की कीमत कैसे लगाते हैं क्योंकि स्पेक्ट्रम एक दुर्लभ वस्तु है। भारत में, स्पेक्ट्रम सेल्यूलर ऑपरेटरों के लाइसेंस का एक हिस्सा बन गया, क्योंकि स्पेक्ट्रम की कुछ निश्चित राशि को लाइसेंस के साथ जोड़ा गया था। स्पेक्ट्रम के बिना लाइसेंस का कोई मूल्य नहीं है, क्योंकि कोई भी सेल्यूलर ऑपरेटर सेवाएं प्रदान नहीं कर सकता है।

यह स्पष्ट है कि वर्ष 2001 में स्पेक्ट्रम की कीमत जब चौथे ऑपरेटर का लाइसेंस नीलाम किया गया था तब वह 2008 में बाजार मूल्य से बिल्कुल अलग था। उस वक्त राजा लाइसेंस जारी कर रहे थें। वर्ष 2001 में केवल 4 मिलियन सेल्यूलर ग्राहक थें; वर्ष 2008 में यह क़रीब 350 मिलियन थे। राजा ने स्पेक्ट्रम/लाइसेंस की नीलामी के ख़िलाफ़ तर्क दिया और वर्ष 2001 की कीमतों पर अड़े रहे। उनके विचार में यदि स्पेक्ट्रम/लाइसेंस की कीमत कम रहती है तो सेवा की लागत भी कम होगी और इसलिए उपभोक्ताओं के लिए और अधिक किफ़ायती होगा। यदि यह वास्तव में लाइसेंस की नीलामी नहीं करने का तर्क था तो यह तार्किक कदम तब होता जब नए लाइसेंसधारियों के लिए कम से कम 3 वर्षों की अवधि के लिए लॉक-इन प्रदान किए जाता। इसके बजाए राजा के अधीन दूरसंचार विभाग ने स्पष्ट रूप से ऐसे लॉक-इन की आवश्यकता को आसान कर दिया और विलय की अनुमति दे दी। इससे भी बदतर यह कि इसने उन कंपनियों को जिसके पास लाइसेंस था इन कंपनियों के शेयरों की विशिष्ट मात्र बेचने को संभव बना दिया। इन कंपनियों के पास केवल एकमात्र संपत्ति थी जो स्पेक्ट्रम/लाइसेंस थी। वास्तव में, लाइसेंस देने की यह पद्धति उन लोगों को अनुमति देने के समान थी, जिन्होंने 2001 की कीमतों पर सस्ते लाइसेंस हासिल किए थे। ये प्रक्रिया निजी नीलामी करने और अप्रत्याशित लाभ पाने की अनुमति देने के समान थी।

यूनिटेक ने अपने शेयरों को टेलीनॉर को बेचा: 67.25% शेयर टेलीनॉर एशिया को 6,120 करोड़ रुपए की कीमत में स्थानांतरित कर दिया गया था। इसी तरह, स्वान टेलीकॉम ने अपने शेयर का45% हिस्सा वर्ष 2008 की क़ीमत पर 900 मिलियन डॉलर (या 4,113 करोड़ रुपए) में बेच दिया। फिर, इसने कुछ महीनों में ही जो कुछ निवेश किया था, उसका ढ़ाई गुना प्राप्त किया, जबकि अपने शेयरों का 50% से अधिक हिस्सा बनाए रखा।

दूसरा स्पष्ट मुद्दा लाइसेंस जारी करने की शैली का था। और उस पर राजा के एक से अधिक "एकपक्षीय" निर्णय थे। उन्होंने घोषणा की कि आवेदनों के लिए कट-ऑफ तारीख़ 1 अक्टूबर, 2007 के अनुसार पहले आओ पहले पाओ के आधार पर लाइसेंस जारी किए जाएंगे। 10 जनवरी 2008 को डीओटी ने एक नया प्रेस विज्ञप्ति जारी किया जिसमें कहा गया कि आवेदन के लिए कट- ऑफ तिथि 25 सितंबर, 2007 के अनुसार ली जाएगी। इस प्रेस विज्ञप्ति में कंपनियों से अपने डिमांड ड्राफ्ट - 1,658 करोड़ रूपए तक - उसी दिन 3.30 बजे से 4.30 बजे के बीच जमा करने को कहा गया। सीबीआई जज यह नहीं मानते हैं कि ये कंपनियां 45 मिनट के भीतर इन मांगों को इतनी बड़ी राशि का डिमांड ड्राफ्ट जमा कर सकती हैं, ऐसा केवल तभी हो सकता था जब उनके पास पहले से सूचना थी। अंत में इस प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़, वे जो "पहले आओ पहले पाओ" के आधार पर लाइसेंस प्राप्त करेंगे उन्हें निश्चित किया जाएगा, आवेदन की तारीख़ के अनुसार नहीं बल्कि डिमांड ड्राफ्ट पहले जमा करने वालों को दिया जाएगा। कोर्ट को यह स्पष्ट करने में हैरानी नहीं हुई कि प्रेस विज्ञप्ति जारी करने से पहले ही बैंक गारंटी या डिमांड ड्राफ्ट किस तरह तैयार किए जा सकते थे, जैसा कि बैंक गारंटी/डिमांड ड्राफ्ट पर तारीख़़ों को देखा जा सकता है। इन सबके बाद, कोर्ट ने फैसला किया कि उक्त कंपनियों और आरोपी, ए राजा के बीच साज़िश या मिलीभगत के कोई सबूत नहीं था।

एक अन्य मुद्दा जो लगता है कि फिर कोर्ट ने नजरअंदाज़ किया वह ये कि स्वान टेलीकॉम और लूप टेलिकम्युनिकेशन्स जैसी कंपनियों ने अनिल अंबानी रिलायंस और एस्सार (रुइया) से भारी मात्रा में राशि लेकर पूंजी की जरूरतों को पूरा किया, जो कि ये अनिल अंबानी और रुईया की बेनामी कंपनियां थी। जाहिर तौर पर, सहस्राब्दी के भ्रष्टाचार का सबसे महत्वपूर्ण मामला एक प्रकार से अब समाप्त हो गया है। जज ने षड्यंत्र के किसी भी सबूत को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिसे कैग और सुप्रीम कोर्ट ने पाया था और जिस वजह से ख़जाने का भारी नुकसान हुआ। यदि निर्णय को स्वीकार कर लिया जाए तो क्या संपूर्ण मंत्री वर्ग तत्कालीन संचार तथा आईटी मिनिस्टर ए राजा से लेकर तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम और प्रधानमंत्री को संचार विभाग के कुछ निम्न श्रेणी के अधिकारियों द्वारा गुमराह किया गया। और ज़ाहिर तौर पर, भले ही उन्होंने ऐसा किया हो, यह संबंधित कंपनियों से लाभ और ख़़जाने को लूटने की किसी भी साज़िश के कारण नहीं, बल्कि वे पूरी तरह अयोग्य थें।

भ्रष्टाचार के सभी मामलों में हमें देखना चाहिए कि किसे लाभ हुआ। हां, राजा और डीएमके लाभार्थियों का हिस्सा थे, जैसा कि हम से देख सकते हैं 200 करोड़ रूपए जो शाहिद बलवा के स्वान टेलीकॉम से करुनानिधि परिवार के कलैगनर टीवी को मिला। लेकिन बड़े लाभार्थी बड़े कॉर्पोरेट घराने थे जैसे अंबानी, रूइया, चंद्र(यूनिटेक)। टाटा जैसे और फिर अंबानी, जो फिर से 2001 की कीमतों पर क्रॉस-ओवर लाइसेंस से लाभान्वित हुए - सीडीएमए लाइसेंस रखने वाली कंपनियों को जीएसएम लाइसेंस खरीदने के लिए अनुमति दी गई। और आख़िर में एयरटेल तथा वोडाफोन, जिन्होंने राजा और दूरसंचार विभाग से फिर सस्ता स्पेक्ट्रम प्राप्त किया था। ये भी वर्तमान शासन के लाभार्थी हैं।

अगर हम सोचते हैं कि अदालत हमें मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था के लूट से रक्षा करेगी, तो 2 जी निर्णय एक बड़े झटके के रूप में सामने आया है।

2 g scam
Congress
DMK
BJP
Corruption
A.Raja

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License