NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
श्रीनगर : ख़राब स्वास्थ्य सेवाओं की वजह से घर पर ही पैलेट निकाल रहे निवासी
स्वास्थ्य सेवाएँ न होने की वजह से नौसिखियों को घर पर ही पैलेट बंदूकों से लगे ज़ख़्मों का इलाज करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
सुमेधा पाल
01 Oct 2019
srinagar

57 दिनों से घेराबंदी में रह रही कश्मीर की जनता न सिर्फ़ संपर्क साधन बंद होने की वजह से हताश है, बल्कि उनकी स्वास्थ्य सेवाओं तक भी कोई पहुँच नहीं है। इसका हासिल ये है, कि कश्मीरी ख़ुद ही शरीर से पैलेट निकालने को मजबूर हैं, और लगातार ख़ुद को इस काम की ट्रेनिंग दे रहे हैं।

निवासियों का कहना है कि विरोध प्रदर्शनों के केंद्र सौरा में, पिछले दो महीने में 300 से ज़्यादा लोग पैलेट के हमलों का शिकार हुए हैं। ये इलाक़ा अब भारत सरकार और सेन के ख़िलाफ़ बग़ावत का गढ़ बनता जा रहा है। हर शुक्रवार को नमाज़ के बाद, जनाब साब मस्जिद के बाहर विरोध प्रदर्शन होते हैं। जनता और सेना के बीच लगातार होती झड़प की वजह से, इस इलाक़े को बाक़ी राज्य से अलग-थलग कर दिया गया है, जिसकी वजह से वहाँ तक स्वास्थ्य सेवाएँ भी नहीं पहुँच पा रही हैं।

अपने 65 वर्षीय चाचा के ज़ख़्म दिखाते हुए फ़िरोज़ी(बदला हुआ नाम) ने कहा, "उनको मस्जिद के बाहर गोली मारी गई थी। वो फ़ौज के सामने हाथ जोड़ रहे थे कि वो उनको गोली न मारें! इनकी दिमाग़ी हालत ठीक नहीं है, इनका चेहरा देखिये, आपको लगता है कि ये किसी को नुक़सान पहुँचा सकते हैं? उन्होंने इन्हें बेहद क़रीब से गोली मारी, जिसकी वजह से इनको गहरी चोट लगी है। इनका ज़ख़्म इतना गहरा था कि हमें इन्हें अस्पताल ले जान पड़ा। लेकिन हम आज भी इनकी पट्टी बदलवाने के लिए वहाँ से तारीख़ मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं। अब हमारे पास एक ही चारा है कि हम इंतज़ार करें और देखें कि इनका इलाज हो पाता है या नहीं!"
sri nagar 2.PNG
फ़िरोज़ी के चाचा की तरह, हज़ारों लोग पैलेट का शिकार हुए हैं और किसी भी स्वास्थ्य सेवा से दूर अपने घरों में तड़प रहे हैं। 16 साल के इरशाद(बदला हुआ नाम) की माँ कहती हैं, "इसको हाल ही गोली लगी है। इस पर पूरी एक राउंड पैलेट से हमला किया गया था। फ़ौज कहती है कि वो हमारे बच्चों को मार रहे हैं, क्योंकि वो पत्थरबाज़ हैं। लेकिन मेरा बेटा तो बस सड़क पर खड़ा था जब उस पर हमला हुआ। उसके दिमाग़ में गहरी चोट आई है।"

इरशाद की माँ ने बताया कि वो अकेले ही इरशाद को पालती हैं। उन्होंने कहा, "इसके इलाज के लिए मैं सिर्फ़ अपनी क़ौम की मोहताज हूँ। हम इतने खौफ़ में हैं कि हम अपने घर भी नहीं जा रहे हैं और दूसरों के घर पर रह रहे हैं।"

इरशाद पर दो हफ़्ते पहले हमला किया गया था। उनकी माँ का कहना है कि क़रीब 200 पैलेट अभी भी उसके सर में मौजूद हैं, वहीं फ़िरोज़ी के चाचा के पैर से 250 पैलेट अभी तक नहीं निकाल सके हैं। उनको हमेशा के लिए न चल पाने का ख़तरा है।

सौरा में हाल में हर उम्र के 300 से ज़्यादा लोग ज़ख़्मी हैं। 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से विरोध प्रदर्शन बढ़े और साथ ही ज़ख़्म भी बढ़े हैं। निवासियों ने जनाब साब मस्जिद के अंदर एक छोटा एमर्जन्सी कमरा बन लिया है, जहाँ ख़ुद ही अपना इलाज करते हैं। वो छोटे से छोटे पैलेट निकालने के लिए ब्लेड, डेटोल लगी रूई और यहाँ तक कि मोमबत्तियों का भी इस्तेमाल करते हैं।

फ़िरोज़ी बताती हैं कि अस्पताल तक पहुँच पाना या इलाज के पैसे जमा कर पाना उनके लिए नामुमकिन है। उन्होंने कहा, "मैंने अपने हाथों से अपने छोटे भाई-बहनों, यहाँ तक कि ख़ुद अपने बदन से पैलेट निकाले हैं। मुझे कोई ट्रेनिंग नहीं मिली है, लेकिन मेरे पास और कोई ज़रिया नहीं है। मेरे भाई के आँख में पैलेट लग गई थी। हम उसकी आँख का इलाज घर पर नहीं कर पाए, हम ये भी नहीं जानते कि हमको अस्पताल में तारीख़ मिल पाएगी या नहीं।"

फ़िरोज़ी ने कहा कि तमाम लोग पैलेट का शिकार हुए हैं, इसलिए उन्हें ख़ुद ब्लेड उठाना पड़ा। वो कहती हैं, "ये प्रक्रिया बहुत मुश्किल है क्योंकि बहुत दर्द होता है और लगातार ख़ून बहता रहता है। अंग ख़राब हो जाने का भी ख़तरा होता है, लेकिन मुझे ख़ुद ही ब्लेड उठाना पड़ा और कुछ करना पड़ा। पैलेट बाहर निकालने की प्रक्रिया, हमले से भी ज़्यादा दर्दनाक है।"

20 साल के माजिद, जो अब व्हीलचेयर पर हैं, वो बताते हैं कि उनको 2 साल पहले गोली मारी गई थी। उन्होंने कहा, "मैं देख रहा हूँ फिर से वही सब हो रहा है। मेरे इर्द-गिर्द सभी नौजवान ज़ख़्मी हो रहे हैं। ऐसे हालात में जीने से तो मर जान अच्छा है।"

माजिद(बदला हुआ नम) अभी तक अपने दिमाग़ में लगे पैलेट से उभर रहे हैं। दिमाग़ में लगे ज़ख़्म की वजह से उनके लिए बात करना भी मुश्किल है। निवासी बताते हैं कि माजिद का इलाज करवाने के लिए उनके घरवालों को अपनी ज़मीन बेचनी पड़ी थी। जब उनसे इलाज के ख़र्च के बारे में पूछा गया, उन्होंने कहा, "मैंने 2 लाख से ज़्यादा पैसे ख़र्च कर दिये हैं, जो कि पैलेट निकलवाने के लिए एवरेज रक़म है। मैं अभी भी दवाइयाँ खाता हूँ और नियमित चेक-अप करवाता हूँ। मेरे परिवार इतन ख़र्च करने में असमर्थ है।"

Kashmir Lockdown
Soura protests
Pellet Injuries
Medical Access in Kashmir
Home Treatment in Soura
300 Pellet Injury Cases

Related Stories

इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत की पैरवी भाजपा के ख़िलाफ़ है- क्या दिग्विजय सिंह नहीं जानते?

ज़दीबाल का हाल : घेराबंदी, झड़प और इबादत 

जम्मू-कश्मीर : ‘लॉकडाउन’ का एक साल

सदमे में हैं कश्मीरी : अनुच्छेद 370 रहित कश्मीर के एक साल पूरे होने पर तारिगामी का नज़रिया

कश्मीर रिपोर्ट : कश्मीर को तहस-नहस कर दिया गया है

COVID-19 लॉकडाउन: सड़क किनारे रेहड़ी लगाकर कमाने वाले कश्मीरी वेंडर के हाथ ख़ाली

कश्मीर के डोमिसाईल क़ानून में संशोधन से 'जनसांख्यिकी परिवर्तन' का डर बढ़ेगा

कश्मीर: घर से दूर हिरासत में लोगों से मिलना एक बड़ा संघर्ष

कश्मीर : 370 हटने के 4 महीने बाद भी स्थानीय निवासी बोलने से डर रहे हैं

कश्मीर: रैनावारी महिलाओं का आरोप, पुलिस प्रशासन ने स्थापित किया “आतंक का साम्राज्य”


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License