NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सरकार की आलोचना की क़ीमत! कौशलेन्द्र प्रपन्ना की मौत
दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था पर एक लेख लिखने की वजह से कथित तौर पर प्रताड़ना झेलने के बाद कौशलेन्द्र प्रपन्ना 5 अगस्त से अस्पताल में भर्ती थे। आज शनिवार को उनकी अस्पताल में मौत हो गई है।
मुकुंद झा
14 Sep 2019
kaushlendra
अस्पताल में भर्ती के समय का फोटो

आज हमने एक शिक्षक, लेखक, पत्रकार और शिक्षा सुधारक को खो दिया। कौशलेन्द्र प्रपन्ना की आज 14 सितंबर को दोपहर में मौत हो गई। उनका दिल्ली के रोहिणी स्थित सरोज अस्पताल में निधन हो गया। वहां वो शिक्षक दिवस के बाद से भर्ती थे। तब से ही वो ज़िंदगी और मौत से जूझ रहे थे। आज वो इस जंग को हर गए।

लेकिन उनकी मौत हमारी व्यवस्था पर एक तमाचा है कैसे हमने एक कार्यकर्ता खो दिया, जो लगातार व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव के लिए लिखता और बोलता रहा। लेकिन सरकार को उसकी आलोचना से इतनी धक्का लगा कि उसने अपने सरकारी तंत्र और सत्ता के दंभ में एक शिक्षक और शिक्षा सुधारक की जान ले ली। जो लेखनी कौशलेन्द्र की ताक़त थी आज वही उनकी मौत का कारण बनी है।

आपको बता दें कि 25 अगस्त को जनससता में दिल्ली सरकार की शिक्षा नीति की आलोचना करते हुए कौशलेन्द्र प्रपन्ना ने एक लेख लिखा था। जिसके बाद ही सरकार ने अपनी शक्ति का इस्तेमाल करना शुरू किया। टेक महिंद्रा फ़ाउंडेशन जिसमें वह पिछले छह वर्षों से काम कर रहे थे, उस पर दबाव डाला गया और उस संस्था ने भी अपनी सारी हदें पार करते हुए, कौशलेन्द्र की बेइज़्ज़ती की और उनसे जबरन त्याग पत्र लिया और संस्था से निकल दिया। इस प्रताड़ना और अपमान से बुरी तरह टूट चुके कौशलेन्द्र को दिल का दौरा पड़ा। जिसके बाद वो दिल्ली एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती हुए। शिक्षक दिवस यानी 5 सितंबर से लेकर आज तक यानी पिछले नौ दिन से वेंटीलेटर पर ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहे कौशलेन्द्र की आज मौत हो गई।

वरिष्ठ पत्रकार पीयूष बाबले कौशलेंद्र की मौत पर टिप्पणी करते हुए लिखते हैं, "कौशलेंद्र एक प्रतिष्ठित कंपनी में शिक्षा के कामकाज से जुड़े थे। पिछले दिनों उन्होंने दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था पर एक लेख लिखा था जो एक प्रतिष्ठित अख़बार में छपा था। इस लेख के बाद उनकी कंपनी ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। सिर्फ़ निकाला ही नहीं बेइज़्ज़त करके निकाला इस घटना से उनके जैसे संवेदनशील आदमी को हार्ट अटैक आ गया। वह पिछले कई दिन से एक अस्पताल में भर्ती थे।

जब उन्हें लेख लिखने के कारण नौकरी से निकाले जाने की ख़बर एक प्रतिष्ठित वेब पोर्टल पर चलाई गई तो प्रतिष्ठित कंपनी ने अपनी ताक़त लगाकर वह ख़बर हटवा दी और आज कौशलेंद्र दुनिया छोड़कर चले गये। मुझे नहीं पता कि उनकी मृत्यु उन प्रतिष्ठित पत्रकार की हत्या की तरह मीडिया की सुर्खियां बन पाएगी या नहीं लेकिन मेरी नज़र में कौशलेंद्र अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए शहीद हो गए हैं।

हम एक भयानक वक़्त में जी रहे हैं और जो इस वक़्त को भयानक कहने की हिम्मत कर रहे हैं वे मर रहे हैं।"

कौशलेंद्र प्रपन्ना कौन?

कौशलेंद्र प्रपन्ना भाषा एवं शिक्षा विशेषज्ञ थे। शिक्षा पर दो पुस्तकों के रचयिता, 500 से ज़्यादा रिसर्च पेपर प्रकाशित कर चुके थे। टीचर ट्रेनर रिसॉर्स पर्सन के रूप में जाने जाते थे।

उनके परिवार में पत्नी विशाखा अग्रवाल और 8 महीने की एक बेटी है। हिंदी दैनिक इकोनॉमिक टाइम्स में उन्होंने क़रीब डेढ़ साल नौकरी की थी। उसके बाद वह पिछले छह सालों से टेक महिंद्रा फ़ाउंडेशन में वाइस प्रेसीडेंट एजुकेशन थे। इससे पहले प्रपन्ना दिल्ली सरकार के स्कूल में बतौर शिक्षक नौकरी कर चुके हैं। उन्होंने शिक्षा सुधार और उन्नति पर कई किताबें लिखी हैं और भारत के सैकड़ों स्कूलों का दौरा किया। शिक्षा की पद्धति को कैसे बेहतर बनाया जाये इसके लिए उन्होंने कई नस्य देशो के दौरे भी किये।

उनके काम की देश ही नहीं दुनिया में तारीफ़ होती थी लेकिन कुछ लोगों को उनके काम से दिक़्क़त थी। एक पत्रकार लेखक, शिक्षक, शिक्षा सुधारक और ना जाने कितनी प्रतिभा के धनी थे कौशलेन्द्र, शायद ही इतना बहुमुखी और प्रतिभाशाली व्यक्ति आपको मिले। 

लेकिन एक लेख के कारण इस व्यवस्था ने उनकी हत्या कर दी, हाँ मैं उनकी मौत को हत्या कह रहा हूँ! क्योंकि यह कोई सामान्य स्थिति नहीं थी जिसमें आपके काम के लिए ही आपको प्रताड़ित किया जाए क्योंकि वो सत्ताधारीयो को नापसंद हो। ये ख़तरनाक है कि आपका बोलना और लिखना आपकी जान ले ले। 

धन्य है ये शिक्षा व्यवस्था!

इसे भी पढ़े शिक्षकों को लगातार नियंत्रित करती दिल्ली सरकार!

Kaushalendra Prapanna
education system
Delhi
Teacher
writer
journalist
Education reformer
Government criticism

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

धनशोधन क़ानून के तहत ईडी ने दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ़्तार किया

बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

मुंडका अग्निकांड के लिए क्या भाजपा और आप दोनों ज़िम्मेदार नहीं?

मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर

मुंडका अग्निकांड : 27 लोगों की मौत, लेकिन सवाल यही इसका ज़िम्मेदार कौन?

दिल्ली : फ़िलिस्तीनी पत्रकार शिरीन की हत्या के ख़िलाफ़ ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी ऑर्गेनाइज़ेशन का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License