NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सरकारी ऋण से बने 25% सस्ते मकान अब भी खाली
सार्वजनिक उपक्रमों पर एक संसदीय पैनल एक रिपोर्ट में यह पाया गया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और मध्य प्रदेश, वे प्रमुख राज्य हैं जहाँ निर्मित घरों का कब्ज़ा न लेने की समस्या है।
अरुण कुमार दास
14 Aug 2018
Translated by महेश कुमार
affordable housing schemes
Image for representational purposes. Courtesy: Hindustan Times

इस तथ्य का गंभीर नोट लेते हुए कि घर निर्माण एक गहरे संकट मैं है, सस्ती दरों से निर्मित घरों का 25 प्रतिशत जो सरकारी ऋण से बना है वह अभी भी खाली पड़े हुए हैं, इस सम्बंध में गठित एक संसदिय समीति ने सम्बंधित मंत्रालय से विचार करने के लिए कहा है।

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत आवास और शहरी विकास निगम (हुडको) के प्रदर्शन की जाँच करने वाली समीति ने पाया कि इकाइयों का निर्माण तीन सरकारी योजनाओं - शहरी गरीब के लिए आधारभूत सेवाएँ (बीएसयूपी), एकीकृत आवास और झोपड़पट्टी विकास कार्यक्रम के लिए बुनियादी सेवाएँ (आईएचएसडीपी) और जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत हुआ है।

भाजपा सांसद शांता कुमार की अध्यक्षता वाली समीति को यह पता चला कि कई लाभार्थियों ने जेएनएनयूआरएम, बीएसयूपी और आईएचएसडीपी की तीन योजनाओं के तहत हुडको द्वारा दिए गए ऋणों से निर्मित इकाइयों पर कब्ज़ा नहीं किया था।

हडको, 100 प्रतिशत सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी है, मुख्य रूप से सामाजिक आवास क्षेत्र और देश में कोर शहरी आधारभूत संरचना को खड़ा करने के लिए स्थापित की गई थी।

मंत्रालय के सचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और मध्य प्रदेश में अधिकतम गैर-कब्ज़े वाले आवास हैं।

पैनल ने नोट किया कि घरों की लोगों द्वारा कब्ज़ा न लेने के विवरण से संबंधित अपनी विशिष्ट पूछताछ के जवाब में, हुडको ने केवल इतना कहा था कि घरों के अधिग्रहण का विवरण केवल राज्य सरकारों के पास  उपलब्ध है और कंपनी की भूमिका केवल ऋण सहायता प्रदान करने तक ही सीमित है।

समीति ने महसूस किया कि घरों की गैर-कब्ज़े के प्रति हुडको की उदासीनता सही नहीं है, विशेष रूप से जब देश में आवास की भारी कमी हैI हुडको के इस रुख ने उसके सामाजिक आवास के उद्देश्य को हरा दिया है।

समीति के मुताबिक कंपनी को अपने लिए ऋण के साथ बनाए गए घरों के गैर-अधिग्रहण की समस्या के बारे में जानकारी होनी चाहिए थीI साथ ही इसके संभावित कारणों का विश्लेषण करना चाहिए था और तदनुसार, ऋण लेने वाले एजेंसियों के साथ एक रणनीति तैयार करनी चाहिए थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जिन लाभार्थियों के लिए इन घरों का निर्माण किया गया था, वे घरों पर कब्ज़ा ले सकें।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "मंत्रालय इस संबंध में नीतियों का पुनरीक्षण कर सकता है ताकि उपायों का पता लगाने और पहल करने के लिए आवास इकाइयों के बड़े प्रतिशत का अधिग्रहण किया जा सके और तदनुसार नवीनतम राज्यवार कब्ज़े का विवरण के साथ समीति को अवगत कराया जा सके।"

जहाँ तक हुडको की कार्यान्वयन के लिए विभिन्न रियल एस्टेट और आधारभूत संरचना परियोजनाओं के साथ संयुक्त उद्यम साझेदारी कि बात है, समीति ने कंपनी को इन घाटे के संयुक्त युग्मों से जितनी जल्दी हो सके बाहर निकलने की सलाह दी है।

समीति ने कहा कि कुछ हद तक जोखिम लेना ठीक है और कंपनी के लिए महत्वपूर्ण था, हडको को शायद उचित सहारे के लिए संयुक्त उद्यम में शामिल होना चाहिए, साथ ही पर्याप्त काम की प्राप्ति के मामले में वैकल्पिक कार्य योजना भी होनी चाहिए।

(अरुण कुमार दास दिल्ली स्थित पत्रकार हैं और उन्हें akdas2005@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

सस्ते आवास
गरीबों के लिए आवास योजनाएँ
HUDCO
Housing and Urban Development Corporation

Related Stories

दिल्ली : क्यों चुनावी मुद्दा नहीं बन रहा गरीबों को सस्ते-किफ़ायती घर का वादा?

IL&FS संकट : 'हज़ारों करोड़ की पीएफ राशि पर ख़तरा'


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License