NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
शर्मनाक! विश्व भूख सूचकांक में भारत की स्थिति और ख़राब, 100 से 103वें स्थान पर पहुंचा
वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से इस क्षेत्र में भारत की स्थिति लगातार कमज़ोर हुई है और रैकिंग लगातार गिरी है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
15 Oct 2018
सांकेतिक तस्वीर।
Image Courtesy: pcfm.co.ls

मोदी सरकार के तमाम दावों और वादों के बीच भूख या भुखमरी के मामले में भारत की स्थिति और ज़्यादा ख़राब हुई है। साल 2018 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index) में भारत की रैंकिंग और तीन पायदान गिर गई है। कुल 119 देशों की सूची में भारत का स्थान 103वां है। जबकि पिछले साल ये 100वां था।

ghi.jpg

विडबंना ये है कि अपने छोटे-छोटे पड़ोसियों से भी हम पीछे हैं। इस सूचकांक में श्रीलंका- 67वें, म्यांमार (बर्मा) 68वें, नेपाल-72वें और बांग्लादेश-86वें स्थान पर है। चीन जिससे हम मुकाबला करने करने की बात करते हैं वो तो हमसे बहुत आगे है। इस सूचकांक में चीन 25वें स्थान पर है। बस पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देश ही हमसे पीछे हैं। पाकिस्तान-106 और अफगानिस्तान-111वें स्थान पर है।  

ghi list.jpg

ध्यान देने वाली बात यह है कि वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनने के बाद से इस क्षेत्र में भारत की स्थिति लगातार कमज़ोर हुई है और रैकिंग लगातार गिरी है।

साल 2014 में भारत विश्व भूख सूचकांक में 55वें पायदान पर था। 2015 में 80वें, 2016 में 97वें और पिछले साल 100वें पायदान पर आ गया। इस बार रैंकिंग 3 पायदान और गिर गई। जीएचआई ने हमें गंभीर श्रेणी में रखा है। अब इसे मोदी सरकार की उपलब्धि कहा जाए या कुछ और, यह उसे ही तय करना होगा।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस स्थिति के लिए मोदी सरकार पर तंज करते हुए आज एक ट्वीट जारी किया। ट्वीट में उन्होंने लिखा-

“चौकीदार ने भाषण खूब दिया/ पेट का आसन भूल गये।

योग-भोग सब खूब किया/ जनता का राशन भूल गये।”

चौकीदार ने भाषण खूब दिया,
पेट का आसन भूल गये।

योग-भोग सब खूब किया,
जनता का राशन भूल गये।https://t.co/RTlyKbKeZl

— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 15, 2018

क्या है ग्लोबल हंगर इंडेक्स?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) यानी विश्व भूख सूचकांक की शुरुआत साल 2006 में इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने की थी। वेल्ट हंगरलाइफ़ नाम के एक जर्मन संस्थान ने 2006 में पहली बार ग्लोबल हंगर इंडेक्स जारी किया था। इस बार यानी 2018 का इंडेक्स इसका 13वां संस्करण है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में दुनिया के तमाम देशों में खानपान की स्थिति का विस्तृत ब्योरा होता है, जैसे लोगों को किस तरह का खाद्य पदार्थ मिल रहा है, उसकी गुणवत्ता और मात्रा कितनी है और उसमें क्या कमियां हैं। GHI रैंकिंग हर साल अक्टूबर में जारी होती है।

मोदी सरकार में विकास के दावे बड़े जोर-शोर से किए जा रहे हैं। हर क्षेत्र में फील गुड जैसे बड़े-बड़े विज्ञापन हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी हर भाषण में गरीब, मज़दूर और किसान जैसे शब्द, उनकी भलाई के दावे और उनके लिए चलाई जा रही तमाम योजनाओं की बातें होती हैं, लेकिन ज़मीन पर इसके उलट स्थिति नज़र आ रही है।

इस साल के आंकड़े अब जारी हुए हैं लेकिन देश के कई हिस्सों में भूख से मौत की कई ख़बरें इस साल सुर्खियों में रहीं। आधार को भी गरीबों तक कई तरह की योजनाओं का लाभ पहुंचाने के नाम पर अनिवार्य किया गया लेकिन इससे उनकी खाद्यान्न सुरक्षा ही नहीं हो सकी। इस नाम पर तो उनका राशन तक रोक लिया गया। जबकि देश में भोजन के अधिकार का भी कानून है।

इस साल जीएचआई में रोमानिया, बेलारूस, टर्की, कुवैत और क्यूबा जैसे छोटे-छोटे देश टॉप पर हैं।

अपने देश के हालात देखकर तो आज भी दुष्यंत कुमार का वही शेर याद आता है कि-

“भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ

आजकल संसद में है ज़ेरे बहस ये मुद्दआ”

"अच्छे दिनों" के नारे के बीच दुष्यंत का ये शेर आज और भी प्रासंगिक है लेकिन विडंबना ये कि अब तो संसद में भूख पर बहस भी नहीं होती। 

GHI 2018
Global Hunger Index
india ranking in hunger index
Modi government

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता


बाकी खबरें

  • सौरभ शर्मा
    'नथिंग विल बी फॉरगॉटन' : जामिया छात्रों के संघर्ष की बात करती किताब
    09 May 2022
    वह जिनमें निराशा भर गई है, उनके लिए इस नई किताब ने उम्मीद जगाने का काम किया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी विवाद में नया मोड़, वादी राखी सिंह वापस लेने जा रही हैं केस, जानिए क्यों?  
    09 May 2022
    राखी सिंह विश्व वैदिक सनातन संघ से जुड़ी हैं। वह अपनी याचिका वापस लेने की तैयारी में है। इसको लेकर उन्होंने अर्जी डाल दी है, जिसे लेकर हड़कंप है। इसके अलावा कमिश्नर बदलने की याचिका पर सिविल जज (…
  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक ब्यूरो
    क्या हिंदी को लेकर हठ देश की विविधता के विपरीत है ?
    08 May 2022
    पिछले महीने देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बयान दिया कि अलग प्रदेशों के लोगों को भी एक दूसरे से हिंदी में बात करनी चाहिए। इसके बाद देश में हिंदी को लेकर विवाद फिर एक बार सामने आ गया है। कई विपक्ष के…
  • farmers
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग
    08 May 2022
    किसान संगठनों ने 9 मई को प्रदेशभर में सिवनी हत्याकांड और इसके साथ ही एमएसपी को लेकर अभियान शुरू करने का आह्वान किया।
  • kavita
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : माँओं के नाम कविताएं
    08 May 2022
    मदर्स डे के मौक़े पर हम पेश कर रहे हैं माँओं के नाम और माँओं की जानिब से लिखी कविताएं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License