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स्टीवन हॉकिंग्स: ब्रह्माण्ड का व्याख्याता
‘मैं दिमाग को एक कंप्यूटर की तरह मानता हूँ, जो अपने विभिन्न अवयवों के ख़राब होने के साथ ही काम करना बंद कर देता हैI ख़राब कंप्यूटरों के लिए कोई स्वर्ग या जीवन के बाद की दुनिया नहीं है; यह सिर्फ ऐसे लोगों के दिमाग की उपज है जो अँधेरे से डरते हैंI’
सुबोध वर्मा
15 Mar 2018
स्टीवन हॉकिंग्स

‘मैं दिमाग को एक कंप्यूटर की तरह मानता हूँ, जो अपने विभिन्न अवयवों के ख़राब होने के साथ ही काम करना बंद कर देता हैI ख़राब कंप्यूटरों के लिए कोई स्वर्ग या जीवन के बाद की दुनिया नहीं है; यह सिर्फ ऐसे लोगों के दिमाग की उपज है जो अँधेरे से डरते हैंI’ यह साल 2011 में स्टीवन हॉकिंग्स ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा थाI इससे न सिर्फ हमें उनके विचारों की झलक मिलती है बल्कि उनकी स्पष्टवादी रवैये और तीखी व्यंग्यात्मक शैली का भी पता लगता हैI

14 मार्च 2018 की सुबह, इस कंप्यूटर ने काम करना बंद कर दियाI ब्रह्माण्ड की पड़ताल करने और इस मुश्किल विज्ञान को लोकप्रिय बनाने वाले हमारे समय की महान शख्सियत हॉकिंग्स 76 साल की उम्र में चल बसेI 21 साल की उम्र में उन्हें मालूम हुआ कि उन्हें मोटर न्यूरॉन नाम की बीमारी है, डॉक्टरों ने उन्हें जीने के लिए सिर्फ दो और साल दिए थेI वे इसके बाद न सिर्फ और 55 साल ज़िन्दा रहे, बल्कि अपनी ज़िन्दगी को ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से जुड़े सैद्धांतिक शोध और साथ ही ब्लैक होल के जन्म और अंत, इन्फ्लेशन ऑफ़ यूनिवर्स और समय तथा स्पेस की शुरुआत जैसी अविश्वसनीय गुत्थियों की जाँच कीI

उनकी उपलब्धियाँ अपने आप में ही मंत्रमुग्ध करने वाली हैं, लेकिन दुनिया में उनकी शारीरिक छवि भी काफी जानी गयीI लोग व्हीलचेयर तक सीमित और अभिव्यक्ति के लिए कंप्यूटर पर निर्भर उनके बीमार शरीर को भी उनकी पहचान के एक हिस्से के रूप में जानते थेI यह असीम संभावनाओं से लैस उस मानव मस्तिष्क का एक प्रतीक-सा बन गया था जो खुद को अथाह ब्रह्माण्ड की पेचीदगियों को समझने के प्रयास में होI   

हॉकिंग्स अपने साथी रॉजर पेनरोज सहित 1970 में दुनिया के सामने आये जब उन्होनें यह दिखाने की कोशिश की कि जहाँ से ब्रह्माण्ड की शुरुआत हुई वो एक ख़ास जगह थीI सारी ऊर्जा और मैटर इस बिन्दू पर नष्ट होते थेI इनकी जोड़ी ने इस निष्कर्ष तक पहुँचने के लिए ब्लैक होल के गणित को पूरे ब्रह्माण्ड पर लागू कियाI

साल 1947 में क्वांटम सिद्धांत के आधार पर हॉकिंग्स ने यह तर्क रखा कि ब्लैक होल रेडिएशन छोड़ते हैं और वे अंततः मर जायेंगेI इसका परिणाम यह होगा कि जो भी ज्ञान ब्लैक होल के भीतर गिरेगी, वह भी नष्ट हो जाएगीI वैज्ञानिक जगत में इससे काफी हंगामा हुआ क्योंकि तब तक यह एक दृढ़ विश्वास था कि कोई भी ज्ञान हमेशा के लिए गुम नहीं हो सकतीI बाद में, हॉकिंग्स ने (एक पब में) अपनी कंप्यूटरी आवाज़ में अपने ही इस सिद्धांत का खंडन करते हुए घोषणा की कि ‘शायद जानकारी का नष्ट न हो’I

1982 में हॉकिंग्स ने यह सिद्धांत दिया कि बिग बैंग के तुरंत बाद मैटर में टाइनी रिप्प्लस (क्वांटम फ्लक्चुएशन्स) ने ब्रह्माण्ड के विस्तार को शुरूआती दौर में उछाल दिया होगाI

हॉकिंग्स के कई विचारों, खासतौर से क्वांटम ग्रेविटी से जुड़े विचार जिनपर वे ताउम्र काम करते रहे, को वैज्ञानिक समुदाय में हमेशा ही स्वीकृति नहीं मिलीI लेकिन विज्ञान दरअसल ऐसा ही है, जहाँ विचार विकसित होते हैं, उन्हें नकारा जाता है या साबित किया जाता है, और फिर दूसरे विचार पैदा होते हैंI

हॉकिंग्स के अन्य महत्वपूर्ण योगदानों में से एक हैं उनकी बड़ी-ही लगन और शिद्दत लिखीं किताबों की श्रंखला जो काफी पसंद की गयींI इनके ज़रिए उन्होंने विज्ञान को लोकप्रिय बनाने का सफल प्रयास कियाI उन्हें प्रसिद्धि उनकी साल 1988 में आई किताब ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ़ टाइम (A Brief History of Time) से मिली, इस किताब का 40 भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है और इसकी 25 मिलियन से ज़्यादा प्रतियाँ बिक चुकी हैंI इसके बाद साल 1996 में द इलस्ट्रेटेड ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ़ टाइम (The Illustrated Brief History of Time) और साल 2011 में द यूनिवर्स इन अ नटशैल (The Universe in a Nutshell) किताबें आयींI दोनों ही किताबों में बेहतरीन छवियाँ और चित्र हैं जिन्हें हॉकिंग्स के निर्देशन में बड़ी बारीक़ियों के साथ तैयार किया गयाI साल 2007 में उन्होंने अपनी बेटी लूसी के साथ मिलकर बच्चों के लिए एक विज्ञान की किताब लिखी जिसका नाम जॉर्ज’ज़ सीक्रेट के टू द यूनिवर्स (George’s Secret Key to the Universe) हैI साल 2010 में उनकी आखिरी किताब द ग्रैंड डिज़ाइन (The Grand Design) में उन्होंने इसकी पड़ताल की कि कैसे मानवजाति का ब्रह्माण्ड सम्बन्धी ज्ञान समय के साथ किस तरह विकसित होते हुए अपने मौजूदा स्वरुप तक पहुँचा हैI      

हॉकिंग्स को सामाजिक मुद्दों पर सोचने और बोलने में ख़ास दिलचस्पी थी जो अपने आप में विशिष्ट बात है क्योंकि वैज्ञानिक आमतौर पर ऐसे मुद्दों से बेज़ार ही रहते हैंI साल 1968 में वे वियतनाम युद्ध के विरोध में हज़ारों युवाओं के साथ रैली का हिस्सा बने I फिलीस्तीन के पक्ष में उन्हें जब राज़ी किया गया तो उन्होंने इज़रायल में होने वाले एक सम्मलेन में हिस्सेदारी से पीछे हट गयेI वे स्वास्थ सुविधाओं के सामाजिककीकरण के मुखर पक्षधर थे और ब्रिटिश एनएचएस (स्वास्थ कार्यक्रम) में कटौती का विरोध करते हुए उन्होंने कहा, ‘व्यवस्था से जितना मुनाफ़ा कमाया जाता है, उतनी ही निजी मोनोपॉली बढ़ती हैं और स्वास्थ सेवाएँ भी उतनी ही महँगी होती जा रही हैंI एनएचएस को व्यावसायिक स्वार्थ से बचाया जाना चाहिएI’ उन्होंने यूएस-यूके द्वारा साल 2014 इराक़ पर हमले की यह कहकर घोर निंदा की कि यह युद्ध अपराध है और झूठ पर आधारित हैI उन्होंने बार-बार समाज को चेताया कि हम जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से नहीं समझ रहे हैंI और तो और पूँजीवाद का भी उनकी अपनी एक ख़ास आलोचना थी क्योंकि यह व्यवस्था सामाजिक ग़ैर-बराबरी को जन्म देती हैI इस बारे में उनका कहना था कि, ‘अगर मशीन-मालिक संपत्ति के [सामाजिक] वितरण के खिलाफ़ माहौल बनाते रहे तो ज़्यादातर लोग बेहद गरीब हो जायेंगे’I  

स्टीवन हॉकिंग्स की ज़िन्दगी और विचारों का सार उनके ही शब्दों में किया जा सकता है: ‘किसी ने ब्रह्माण्ड नहीं रचा और न ही कोई हमारी किस्मत निर्धारित करता हैI इस तथ्य से मैं एक विशिष्ट अनुभूति तक पहुँचा हूँI शायद कोई स्वर्ग नहीं है और न ही मौत के बाद कोई ज़िन्दगीI ब्रह्माण्ड के बृहत् डिज़ाइन को सराहने के लिए हमारे पास एक ही ज़िन्दगी है- और मैं इस अवसर के लिए बेहद शुक्रगुज़ार हूँ’I

स्टीवन हॉकिंग्स
ब्रह्माण्ड
ब्लैक होल

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