नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की विरासत पर 'सियासत' पहले भी होती रही है. लेकिन इस दफ़ा वह कुछ ज़्यादा अशोभनीय होती दिख रही है. वजह है: बंगाल का चुनाव. विवेकानन्द, टैगोर और सुभाष बाबू जैसे बडे आइकॉन में किसी का नाम नहीं छोड़ा जा रहा है. पर उनके काम या विरासत की किसी को परवाह नहीं! इस बीच, कांग्रेस ने अपने आंतरिक चुनाव जून तक टाल दिये हैं. उधर, किसान आंदोलन को बदनाम करने या उसमें हिंसा कराने की कुछ सनसनीखेज़ साज़िशों का खुलासा हुआ है. उत्तर के कुछ समूह अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को भारतीय मूल की वीरांगना बताकर कीर्तन करते नजर आये तो दक्षिण में उनके 'तमिल ब्राहमण मूल' पर गर्व किया जा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार Urmilesh का इन चार अहम् समाचारों पर विचारोत्तेजक विश्लेषण: