NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
स्टेन स्वामी की मौत एक संस्थानिक हत्या थी’: सह-कैदियों ने उद्धव ठाकरे को अपने पत्र में लिखा था
पत्र में तलोजा जेल के अधीक्षक कौस्तुभ कुर्लेकर को स्वामी की मौत का जिम्मेदार ठहराया गया है और उन पर जान-बूझकर स्वामी के स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति को अशक्त बनाने का आरोप लगाया गया है।
पार्थ एमएन
07 Oct 2021
Stan Swamy
चित्र साभार: टाइम्स ऑफ़ इंडिया

भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार तीन राजनीतिक बंदियों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में दावा किया गया है कि झारखंड स्थित आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की मौत प्राकृतिक कारणों से नहीं हुई है। इस पत्र में लिखा गया है, “यह एक संस्थानिक हत्या थी”, जिसे मानवाधिकार वकील सुरेंद्र गाडलिंग और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं रमेश गाईचोर और सागर गोर्खे द्वारा हस्ताक्षरित किया गया है जो जेल में स्वामी के साथ हो रहे व्यवहार के चश्मदीद गवाह थे।

अक्टूबर 2020 में यूएपीए जैसे सख्त आतंकवाद-विरोधी कानून के तहत गिरफ्तार 84 वर्षीय स्वामी जुलाई 2021 में दिल का दौरा पड़ने से होने वाली मौत से पहले आठ महीने से अधिक समय तक जेल में बिता चुके थे। वे इस मामले में गिरफ्तार किये गए 16 बंदियों में सबसे उम्रदराज व्यक्ति थे। उन सभी पर माओवादियों के साथ जुड़े होने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने और पुणे से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक पर हिंसक झड़पों को भड़काने का आरोप है।

विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक, इन सभी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को कथित तौर पर आरोपित किया गया है।

हर साल 1 जनवरी को भीमा-कोरेगांव के युद्ध स्मारक पर हजारों की संख्या में दलित-बहुजन तीर्थयात्रियों का जमावड़ा लगता है। यह ब्रिटिश सेना द्वारा पेशवाओं के खिलाफ जीते गए ऐतिहासिक युद्ध की याद दिलाता है, जिसमें पेशवाओं के खिलाफ लड़ रहे दलित सैनिकों का एक महत्वपूर्ण दस्ता शामिल था। दलित समुदाय के लिए यह युद्ध अस्पृश्यता के खिलाफ उनकी लड़ाई का महत्वपूर्ण प्रतीक है। इसलिए, 2018 में इस घटना के 200वीं वर्षगांठ के अवसर पर भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक पर जमा होने वाली भीड़ आम वर्षों की तुलना से कहीं अधिक थी। हालांकि, सभा पर कथित तौर पर दक्षिणपंथी समूहों से जुड़े उच्च जाति की भीड़ द्वारा हमला कर दिया गया था।

दंगों के एक दिन बाद पुणे की जाति-विरोधी कार्यकर्ता अनीता सावले ने एक शिकायत दर्ज कराते हुए मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिड़े को इस हमले के “मुख्य साजिशकर्ताओं” के तौर पर नामित किया था।

इसके उलट, जांच एजेंसियों ने हिंसा से एक दिन पहले पुणे शहर में आयोजित एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम की ओर अपना सारा ध्यान केंद्रित किया, जहां कई समूहों और कार्यकर्ताओं ने “सांप्रदायिक ताकतों के पक्ष में मतदान नहीं करने” की शपथ ली थी।

बाद में जाकर पुणे पुलिस की शहरी शाखा और एनआईए ने प्रतिष्ठित मानवाधिकार अधिवक्ताओं, विद्वानों एवं कार्यकर्ताओं के यहां छापेमारी की और उनको गिरफ्तार किया।

एक बार हिरासत में लिए जाने के बाद से जेल के भीतर स्वामी का स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ता चला गया, जहां मेडिकल आधार पर जमानत मिलने के इंतजार में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मौत पर विभिन्न टिप्पणीकारों, मानवाधिकार रक्षकों और राजनेताओं की ओर से घोर निंदा की गई थी और यहां तक कि इसे न्यायिक हत्या तक कहा गया था।

हालांकि, स्वामी के गुजर जाने के बाद, भारत सरकार का कहना था “भारत में प्राधिकारी वर्ग कानून के उल्लंघन के खिलाफ कार्यवाई करते हैं, न कि अधिकारों के वैध उपयोग के खिलाफ। क्योंकि उनके खिलाफ आरोपों की प्रकृति विशिष्ट थी, इसलिए उनकी जमानत याचिकाओं को अदालतों द्वारा खारिज कर दिया गया था।”

अब, जेल के भीतर असल में क्या हो रहा था, इस पर इसके चश्मदीद गवाहों के रूप में मुंबई के बाहरी इलाके में स्थित तलोजा केंद्रीय कारावास में उनके तीन सह-कैदियों ने ठाकरे को लिखे एक पत्र में स्वामी के साथ किए गए व्यवहार का विवरण दिया है। इसकी एक-एक प्रति महाराष्ट्र के गृह मंत्री, दिलीप वालसे पाटिल, बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और राज्य के मानवाधिकार आयोग को भी भेजी गई थी।

उनकी मौत के दो दिन बाद 5 जुलाई 2021 को लिखे गए इस पत्र में कहा गया है “हम इस मामले में फादर के साथ सह-आरोपी हैं और उनके खिलाफ की गई साजिश के चश्मदीद गवाह हैं।” “हमारे दृष्टिकोण में वे एक स्वाभाविक मौत नहीं मरे हैं। यह एक सुनियोजित सांस्थानिक हत्या थी। हम फादर के निधन से बेहद व्यथित और दुखी हैं। और हमने विरोध के प्रतीक के तौर पर एक दिन का उपवास रखने का फैसला लिया है।”

पत्र में तलोजा जेल के अधीक्षक कौस्तुभ कुर्लेकर को स्वामी की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, और उन पर स्वामी को यथोचित उपचार से वंचित करके, जब उन्हें मदद की जरूरत थी तो उन्हें एकांतवास में रखा गया और यहां तक कि जेल के प्रवेश द्वार पर उनकी तलाशी लेने के नाम पर समूचे स्टाफ के सामने पूर्ण रूप से नग्न करने जैसे आदेशों के जरिए सुनियोजित रूप से स्वामी के स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति को तोड़कर रख देने का आरोप लगाया गया है।

इस पत्र में कहा गया है “जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था तो फादर पहले से ही पर्किन्सन और कुछ अन्य बीमारियों से पीड़ित चल रहे थे। हिरासत में रहने से उनका स्वास्थ्य गंभीर रूप से बिगड़ता जा रहा था क्योंकि कुर्लेकर ने इस बात को सुनिश्चित किया कि जेल में उन्हें समुचित इलाज न मिल सके।”

पत्र में कहा गया कि यहां तक कि जब स्वामी का स्वास्थ्य चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया था तो उन्हें जेल के बाहर किसी अस्पताल में स्थानांतरित किए जाने पर प्रतिबंध लगाए गए थे। पत्र में विस्तार से बताया गया है कि “उन्हें जरूरी दवाएं और पानी पीने के लिए स्ट्रॉ-सिपर तक से वंचित कर दिया गया था।” “पर्किंन्सन के चलते उन्हें एक सहायक की सख्त जरूरत थी। उन्हें अपने साथी-कैदियों से किसी भी प्रकार की मदद न मिल सके इसलिए उन्हें सबसे अलग-थलग रखा गया। यह कुर्लेकर का सोची समझी कोशिश थी कि उन्हें शारीरिक और मानसिक तौर पर अशक्त बना दिया जाए। अपने सह-अभियुक्त कार्यकर्ताओं से उन्हें दूर रखने के लिए, चार महीनों के भीतर उन्हें आर्थर रोड कारावास में स्थानांतरित करने के लिए तीन बार प्रयास किए गए।”

जब स्वामी को मेडिकल चेक-अप कराने के बाद जेल में लाया गया था तो गेट पर उनकी तलाशी लेने के दौरान “समूचे स्टाफ के सामने उनसे अपने सारे कपड़े उतारने के लिए कहा गया था।” पत्र में कहा गया है कि “यह उन्हें अपमानित करने का एक प्रयास था।”

पत्र में आगे कहा गया है कि स्वामी को दिल का दौरा पड़ना इस उत्पीड़न का परिणाम था और लापरवाही और इलाज के अभाव के चलते उनकी मृत्यु हो गई, जिसके लिए कुर्लेकर पर हत्या का आरोप लगाया जाए और स्वामी की मौत की न्यायिक जांच की जाए। पत्र का अंत एक संकल्प के साथ किया गया है: हम आपसे अनुरोध करते हैं कि हमारी मांगों पर विचार किया जाए ताकि हम और हमारे साथ के सह-अभियुक्तों के भाग्य में भी वैसा ही परिणाम देखने को न मिले जैसा कि फादर के साथ किया गया।

स्वामी के निधन के फ़ौरन बाद ही मरणोपरांत जमानत की अर्जी पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा था “हम उनके कामों को लेकर उनका बेहद सम्मान करते हैं।” हालांकि, आलोचक इस बात पर हैरान थे कि यदि ऐसा मामला था तो उन्हें आखिर जमानत क्यों नहीं मिल पाई। अपनी आखिरी जमानती सुनवाई के दौरान, वास्तव में देखें तो स्वामी ने अपनी मृत्यु की भविष्यवाणी कर दी थी, जब उन्होंने न्यायाधीशों से कहा था “अगर ऐसा ही चलता रहा तो मैं तकलीफ उठाउंगा और संभवतः बहुत जल्द ही मर जाऊंगा।”

जब इस रिपोर्टर द्वारा कुर्लेकर से इस पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया तो उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

'Stan Swamy's Death was an Institutional Murder': Co-inmates write to Uddhav Thackeray

Bhima Koregaon
Stan Swamy
Taloja Central Prison
Uddhav Thackeray
Jail
Father Swamy
Dalit-Bahujan

Related Stories

मोदी जी, देश का नाम रोशन करने वाले इन भारतीयों की अनदेखी क्यों, पंजाबी गायक की हत्या उठाती बड़े सवाल

इतवार की कविता: भीमा कोरेगाँव

सवर्णों के साथ मिलकर मलाई खाने की चाहत बहुजनों की राजनीति को खत्म कर देगी

भीमा कोरेगांव: HC ने वरवर राव, वर्नोन गोंजाल्विस, अरुण फरेरा को जमानत देने से इनकार किया

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

एनआईए स्टेन स्वामी की प्रतिष्ठा या लोगों के दिलों में उनकी जगह को धूमिल नहीं कर सकती

अदालत ने वरवर राव की स्थायी जमानत दिए जाने संबंधी याचिका ख़ारिज की

भीमा कोरेगांव: बॉम्बे HC ने की गौतम नवलखा पर सुनवाई, जेल अधिकारियों को फटकारा

बहुमत के बावजूद उद्धव सरकार को क्यों गिराना चाहती है भाजपा

महाराष्ट्र सरकार पर ख़तरे के बादल? क्यों बाग़ी मूड में नज़र आ रहे हैं कांग्रेस के 25 विधायक


बाकी खबरें

  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • JAHANGEERPURI
    नाज़मा ख़ान
    जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी
    27 Apr 2022
    अकबरी को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था न ही ये विश्वास कि सब ठीक हो जाएगा और न ही ये कि मैं उनको मुआवज़ा दिलाने की हैसियत रखती हूं। मुझे उनकी डबडबाई आँखों से नज़र चुरा कर चले जाना था।
  • बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    27 Apr 2022
    वाहनों में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से निर्भया सेफ्टी मॉडल तैयार किया गया है। इस ख़ास मॉडल से सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी।
  • श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    प्रभात पटनायक
    श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    27 Apr 2022
    श्रीलंका के संकट की सारी की सारी व्याख्याओं की समस्या यह है कि उनमें, श्रीलंका के संकट को भड़काने में नवउदारवाद की भूमिका को पूरी तरह से अनदेखा ही कर दिया जाता है।
  • israel
    एम के भद्रकुमार
    अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात
    27 Apr 2022
    रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License