हाल के कुछ घटनाक्रम के चलते भारतीय न्यूज़ चैनलों की हंगामी और कोलाहल भरी डिबेट्स को लेकर एक बार फिर बहस तेज हुई है. ज्यादातर चैनल सूचना और संवाद के अपने घोषित लक्ष्य की बजाय सत्तातंत्र की महिमा और कारपोरेट-हितों के प्रचारक-प्रसारक क्यों बन गये हैं? वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का विश्लेषण का विश्लेषण