NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
तिरछी नज़र: बढ़ती महंगाई का मतलब है कि देश में बहुत ही अधिक विकास हो रहा है
अब आप स्वयं ही सोचिये कि क्या देश की जनता को इतना अधिक विकास होने के बाद भी इतना सस्ता पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस खरीदने में शर्म नहीं आती? आती ना! तो देश की आम जनता को शर्मिंदगी से बचाने के लिए ही सरकार जी ने इन सब चीजों को इतना महंगा कर दिया है।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
28 Feb 2021
cartoon

देश में बहुत ही अधिक विकास हो रहा है। विकास के अजेंडे पर बनी सरकार बहुत ही तेजी से लोगों का विकास कर रही है। जब सोने के, चांदी के रेट बढ़ते हैं तो ऐसा लगता है कि कुछ ही लोगों का विकास हो रहा है। ऐसे ही शेयरों के दाम बढ़ने या फिर सेंसेक्स बढ़ने पर भी बहुत थोड़े लोगों की ही उन्नति होती है क्योंकि इन सब चीजों में बहुत ही कम लोग पैसा लगाने वाले होते हैं।

सरकार बनी है सबका विकास करने के लिए। चुनाव में ही नारा दिया गया था कि 'सबका साथ, सबका विनाश’, ओह सॉरी, सबका विकास तो सरकार जी ने सोचा कि विकास सबका ही होना चाहिए। मतलब यह कि आम जनता यह न सोचे कि अमीरों का ही विकास हो रहा है, सेंसेक्स और सोना ही बढ़ता जा रहा है। तो सरकार जी ने पेट्रोल के, डीजल के और रसोई गैस के दाम भी बढ़ाने शुरू कर दिये जिससे आम जनता को भी लगे कि उनका भी विकास हो रहा है। देश के विकास में वे पीछे नहीं छूट रहे हैं।

सरकार जी का वायदा था। सरकार जी ने सरकार जी बनने से पहले ही वायदा किया था कि पेट्रोल पैंतीस रुपये लीटर मिलेगा। जब पेट्रोल पैंतीस रुपये मिलता तो डीजल तो तीस रुपये ही मिलता और रसोई गैस भी तीन सौ रुपये प्रति सिलेंडर। अब आप स्वयं ही सोचिये कि क्या देश की जनता को इतना अधिक विकास होने के बाद भी इतना सस्ता पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस खरीदने में शर्म नहीं आती? आती ना! तो देश की आम जनता को शर्मिंदगी से बचाने के लिए ही सरकार जी ने इन सब चीजों को इतना महंगा कर दिया है।

सरकार जी ने यह भी बताया है कि इन सब चीजों के दाम बढ़ने में पूर्ववर्ती सरकारों की ही जिम्मेदारी है। अब बताइए, सूरज तो पहले से ही है। सूरज कोई मोदी जी थोड़ी ही न लाये हैं। सूरज तो तब से है जब से धरती है, चांद और सितारे हैं। पर क्या नेहरू ने सौर ऊर्जा की खोज की? देश भर में गंदगी से भरे नाले बहुतायत में हैं और बहुत समय से हैं पर इन नालों में बनने वाली रसोई गैस की खोज क्या मोदी जी से पहले किसी ने की? नेहरू ने और पहले वाली सरकारों ने यह पुण्य कार्य कर दिया होता तो क्या आज पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम इतने अधिक होते? नहीं ना!

लेकिन मुझे लगता है कि सिर्फ इन पूर्ववर्ती सरकारों पर जिम्मेदारी डालने से बात नहीं बनेगी। असली जिम्मेदारी तो तय करनी ही पड़ेगी। ये पेट्रोल और ये डीजल, ये डालते हैं बाइक और स्कूटी में, कार में, बस और ट्रक में, ट्रैक्टर में। और इन सबमें ही होते हैं पहिये। और अगर पहिया ही नहीं होता तो ये भी नहीं होते। तब पेट्रोलियम उत्पाद भी कोड़ियों के मोल मिलते। तो असली जिम्मेदारी है उसकी जिसने करीब छह हजार वर्ष पहले पहिया बनाया। मेरी सरकार जी से गुजारिश है कि उसे ढूंढ कर उस पर देशद्रोह की धाराएं लगा जल्द ही यूएपीए में गिरफ्तार किया जाये।

इसी तरह से उसकी भी खोज की जाये जिसने पहली बार आग की खोज की। न वह आग खोजता, न हम खाना पकाने के चक्कर में पड़ते। कच्चा प्राकृतिक भोजन खाते और अधिक स्वस्थ रहते। तब न रसोई होती और न ही रसोई गैस। और जब होती ही नहीं तो रसोई गैस के दाम कहाँ से बढ़ते हजूर! वैसे भी इस आग खोजने वाले ने तो और भी बहुत ही जुल्म ढहाया है। न वह आग खोजता और न ही दहेज के लिए बहुएं जलाई जातीं। न वह आग खोजता और न ही दंगों में घर जलाये जाते। उसे तो तुरंत ही पकड़ कर सीधे सीधे फांसी पर चढ़ा देना चाहिए।

हंसी-मजाक एक तरफ, सच्ची बात तो यह है कि इस सरकार को पूरा अधिकार है पेट्रोल और डीजल के दाम अनाप-शनाप बढ़ाने का। आखिर यह इतने सारे लोगों को मुफ्त में वैक्सीन जो लगा रही है। बताया जा रहा है कि यह काम देश में पहली बार हो रहा है। इससे पहले की सरकारों ने जो देश में जो पहले चेचक (small pox) का और फिर पोलियो का खात्मा किया था वह तो ऐंवे ही था। उन्होंने तो पानी के टीके लगा कर चेचक भगा दिया था और फिर रंगीन बूँदें पिला कर पोलियो। इसीलिए इसके लिए उन सरकारों को कीमत बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं पड़ी।

पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमत बढाने में सरकार की मंशा बहुत ही अच्छी है। यह तर्क भी दिया जा रहा है कि रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से लोगबाग शाकाहारी खानपान पर आ जायेंगे। ये मलेच्छ भी मांस भक्षण छोड़ घास-फूस खाने लगेंगे। और पेट्रोल मंहगा होगा तो मलेच्छों के लड़के अपनी बाइक दौड़ा कर हमारी लड़कियों को नहीं पटा पायेंगे। गौहत्या और लव जिहाद, दोनों ही समाप्त हो जायेंगे। अब चाहे पेट्रोल दो सौ रुपये प्रति लीटर मिले या रसोई गैस दो हजार रुपये प्रति सिलेंडर, हिन्दू राष्ट्र की ओर बढ़ते कदमों के लिए सब स्वीकार्य है।

(‘तिरछी नज़र’ एक व्यंग्य स्तंभ है। लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
dron sharma
Inflation
Jobless growth
NDA Govt
Narendra modi
Satire
Political satire

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..

ख़बरों के आगे-पीछे: राष्ट्रीय पार्टी के दर्ज़े के पास पहुँची आप पार्टी से लेकर मोदी की ‘भगवा टोपी’ तक

कश्मीर फाइल्स: आपके आंसू सेलेक्टिव हैं संघी महाराज, कभी बहते हैं, और अक्सर नहीं बहते

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल मॉडल ऑफ़ गवर्नेंस से लेकर पंजाब के नए राजनीतिक युग तक

उत्तर प्रदेशः हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं जनमत के अपहरण को!


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License