NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
उड़ता गुजरात पार्ट 2 : स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम की नाकामी
गुजरात का कौशल विकास कार्यक्रम एकदम निरर्थक रहा है. भाजपा का  15 साल लम्बे  राज ने गुजरात की जनता को निराशा ही दी है.
सुबोध वर्मा
06 Nov 2017
गुजरात मॉडल की सच्चाई

कौशल विकास हमारे नीति निर्माताओं का एक पसंदीदा मुद्दा है, ये इस गलत धारणा पर आधारित है कि कौशल प्राप्त लोगों को आसानी से नौकरी मिल जाती है . मोदी सरकार भी पिछली कांग्रेस सरकारों की ही तरह इस चीज़ को बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रही है . अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के आखिरी सालों में मोदी ने बहुत से विभागों में बहुआयामी स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम शरू किये . कौशल विकास मोदी सरकार के गुजरात मॉडल का ये महवपूर्ण अंश था जिसका प्रचार करना मोदी जी को बहुत पसंद है . 

भारत के कोम्प्तरोलर और ऑडिटर जनरल (सीएजी)  ने 2010-2015 के एक प्रोग्राम की परफॉरमेंस ऑडिट की. अपनी रिपोर्ट में सीएजी बताया कि ये प्रोग्राम एक बहुत बड़ी असफलता साबित हुआ है. रिपोर्ट में इस प्रोग्राम की असफलता के चौकाने वाले विवरण सामने आये हैं . कहीं पैसा ही नहीं खर्च किया गया , कहीं नामांकन के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया था, कहीं निजी कंपनियों ने अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभाई और पैसे डकार गए, कहीं मशीनें और उपकरण जर्जर इमारतों में धूल खा रहे थे, बहुत बार योग्य छात्रों को नौकरियाँ नहीं मिलीं और जब मिलीं तो राज्य के न्यूनतम मज़दूरी भी नहीं मिली . ये इसीलिए महवपूर्ण है क्योंकि मोदी अब केंद्र सरकार में हैं और उनका गुजरात स्किल कार्यक्रम अब राष्ट्रीय कार्यक्रम है .

सीएजी ने बताया है कि जिन 8 विभागों को स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम का काम दिया गया वो साल में 11.11 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने की क्षमता रखते थे. लेकिन 2010 से 2015 तक सिर्फ 5.48 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया, जो कि उपलब्ध क्षमता का सिर्फ 49% था .

क्राफ्टमेन ट्रेनिंग स्कीम में 4.14 लाख लोगों की भर्ती की गयी थी, जिनमें से 21% लोग ट्रेनिंग बीच में ही छोड़ दी और सिर्फ 2.96 लोग इसमें पास हुए . बहुत से आई.टी. संस्थानों में मशीनें बेकार या अनइनस्टॉलड पड़ी थीं. 32% प्रशिक्षक और 46% प्रिंसिपलों की नियुक्ति ही नहीं हुई थी. आई.टी. संस्थानों में बढ़ाई गयी  सीटों में से सिर्फ 13% नेशनल काउन्सिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग से सम्बद्ध थीं.

इसीलिए जो भी छात्र वहाँ से पास हुए उन्हें सर्टिफिकेट ही नहीं मिला, जिसकी वजह से वो कहीं भी नौकरी के लिए आवेदन नहीं भर सके. सभी पास हुए छात्रों को औद्योगिक इकाइयों में एपरेंटिस का काम करना था, पर 2.2 लाख सीटों में से सिर्फ 1.63 लाख भरीं गयीं और उनमें से सिर्फ 37% लोग पास हुए .

सरकार ने लगभग 772 वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोवाइडरों को रजिस्टर किये. सरकार ने 16 करोड़ रुपये उनके लिए आबंटित किये पर ग़लत नामांकन और अनियमितताओं की वजह से केवल 9.9 करोड़ रुपये ही इसमें खर्च हुए.

कौशल वर्धन केंद्र कार्यक्रम में एक बड़ा घोटाला सामने आया, जहाँ 1.87 लाख छात्र विभिन्न तरह की ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे थे. यहाँ दी जा रहे प्रत्येक प्रशिक्षण को एक छात्र के रूप में गिना गया, जिससे छात्रों की संख्या 5.34 लाख पहुँच गयी. जब इस हिसाब को ठीक किया गया तो स्पष्ट हुआ कि लक्ष्य का सिर्फ 40% ही हासिल किया गया था.

इंडस्ट्री और माइंस डिपार्टमेंट के पास “तकनीकी क्षमता की वृद्धि स्कीम“’ के लिए 270 करोड़ की राशि थी पर इसमें 5 सालों में सिर्फ 53 करोड़ ही खर्च किये गए. ट्रेनी छात्रों की संख्या लक्ष्य से बहुत कम थी और प्लेसमेंट रेट भी बहुत कम था.

सी.ए.जी. ने पाया कि 43 कॉटेज इंडस्ट्री ट्रेनिंग सेंटरों में से सिर्फ 26 सेंटर काम कर रहे थे और वह भी जर्जर इमारतों में और वहाँ अनइन्सटाल्ड मशीनें बेकार पड़ी थीं.  

शिक्षा विभाग के अंतर्गत उच्च विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए छात्रों को 1000 से 4000 तक की राशि दी जानी थी. इस राशी को ट्रेनिंग पार्टनरों और गुजरात नौलिज सोसाइटी द्वारा आपस में बाँटा जाना था. सी.ए.जी. ने पाया कि हालांकि 2.25 लाख ने इसमें रजिस्टर किये गये थे, पर 5 सालों में  सिर्फ 85,000 ही पास हुए थे.

आदिवासी युवाओं के लिए वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर (VTC)  पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के अंतर्गत स्थापित किये गए थे. सरकार ने इनके अंतर्गत हर सेंटर के लिए 10 एकड़ ज़मीन, 75% कैपिटल कॉस्ट, 100% आवर्ती अनुदान दिया था. ट्राइबल सब प्लान के अंतर्गत 54 करोड़ दिए गए थे. 44,345  के लक्ष्य में से सिर्फ 15,687 (35%) ट्रेनियों को प्रशिक्षित किया गया, जिसमें महिलाओं की भागेदारी सिर्फ 17% थी . सी.ए.जी.  ने जिन तीन VTC का निरिक्षण किया वहाँ  40 परीक्षकों के निर्धारित पदों में से सिर्फ 14 पर ही नियुक्तियाँ हुई थीं.आदिवासियों  के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रम के अंतर्गत तकरीबन 35 करोड़ रुपए खर्च करके करीब 15000 अभ्यर्थियों को परीक्षण दिया गया, जो लक्ष्य का सिर्फ 39% था. साथ ही, उनमें से किसी को NCVT सर्टिफिकेट नहीं मिले.

केंद्र सरकार की योजना 'दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना' में 45,000 अभ्यार्थियों को प्रोजेक्ट इम्प्लेमेंटेशन एजेंसी के द्वारा प्रशिक्षित किया जाना था, किन्तु चुनाव में देरी के चलते केवल 3,312 अभ्यार्थी का नामांकन हुआ, जिनमें से केवल 587  अभ्यार्थी ही सफलतापूर्वक उत्तीर्ण हुए. आश्चर्यजनक रूप से 1,009 प्रार्थियों को नौकरी दिलवाने का दावा किया गया.

सीएजी की टीम ने टेलीफोन के माध्यम से लिए 1,060 इंटरव्यू जिनसे पता चला कि 39% अभ्यार्थियों  को परीक्षण के बाद नौकरी मिली, 24% ने स्वरोजगार का रास्ता चुना और  37% बेरोज़गार ही रहे. नौकरीपाने वाले 410 अभ्यार्थियों में से 44% को  6,960 रूपये प्रतिमाह न्यूनतम वेतन से कम वेतन मिला और  56% को न्यूनतम वेतन से अधिक.

सीएजी की रिपोर्ट में और भी कई सूचनाएँ और उदाहरण हैं, लेकिन निष्कर्ष एकदम स्पष्ट है : गुजरात का कौशल विकास कार्यक्रम एकदम निरर्थक रहा है. भाजपा का  15 साल लम्बे  राज ने गुजरात की जनता को निराशा ही दी है.

 

गुजरात
गुजरात मॉडल
बीजेपी
स्किल इंडिया
CAG

Related Stories

मुद्दा: नई राष्ट्रीय पेंशन योजना के ख़िलाफ़ नई मोर्चाबंदी

एनपीएस की जगह, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग क्यों कर रहे हैं सरकारी कर्मचारी? 

सरकार ने CEL को बेचने की कोशिशों पर लगाया ब्रेक, लेकिन कर्मचारियों का संघर्ष जारी

नीतीश सरकार ने एससी-एसटी छात्रवृत्ति फंड का दुरूपयोग कियाः अरूण मिश्रा

कुंभ मेले की सीएजी रिपोर्ट को लेकर योगी सरकार पर उठे सवाल

कैग रिपोर्ट : एफसीआई के कुप्रबंधन से हुआ 55 करोड़ से अधिक का वित्तीय नुकसान

कार्टून क्लिक: ...दो गज़ की दूरी, कैग के लिए भी ज़रूरी!

रिलायंस को जिओ स्पेक्ट्रम के लिए भारी बकाये का भुगतान करना होगा: सांसद

बिहार वाकई ‘बदलाव’ की ओर बढ़ रहा है!

खोज ख़बरः बेपरवाह PM, न किसान, न देश की परवाह


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License