NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान
'उन्माद का क्षेत्र'
आतंकवाद के चलते जब कभी एक व्यक्ति की मौत होती है पूरी मानवता मर जाती है।
सागरी छाबरा
21 Feb 2019
kashmir
image courtesy - indian express

वर्षों पहले कश्मीर के लिए कहा जाता था कि, 'अगर ज़मीन पर जन्नत है, तो यही है, यही है, यही है!’ लेकिन हमने दिल दहला देने वाली ख़बर सुनी है कि एक विस्फोटक से भरी कार पुलवामा में सीआरपीएफ के क़ाफिले में घुस गई जिसमें कम से कम 40 कर्मियों की मौत हो गई जबकि कई अन्य घायल हो गए।

सबसे ज़्यादा बुरा यह है कि आत्मघाती हमलावर जो इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) से लदे वाहन को चला रहा था वह स्थानीय एक कश्मीरी युवक था। 22 वर्षीय आदिल अहमद डार को अपनी जान गंवाने और बड़ी संख्या में सीआरपीएफ कर्मियों की जान लेने के लिए किस चीज ने बढ़ाया वह एक प्रश्न है जिसकी हमें तलाश करनी  चाहिए। कश्मीरी युवा इतनी आहत, व्याकुल और अलग-थलग क्यों महसूस कर रहे हैं; हमने कहां गलत किया, हमने उन्हें कैसे विफल कर दिया?

इससे भी बदतर यह कि अगर हम कश्मीर से प्यार करते हैं तो कश्मीरी युवाओं से क्यों नहीं? कश्मीरियों पर गुस्सा क्यों निकाला जा रहा है। देहरादून में दो कॉलेज प्राचार्यों ने कहा है कि वे कश्मीरी छात्रों का दाख़िला नहीं लेंगे? विभिन्न क्षेत्रों में कश्मीरियों को पुलिस सुरक्षा की आवश्यकता है।

शिवसेना और बीजेपी ने हिंदुत्व और पुलवामा का हवाला दिया है और देशविरोधी ताक़तों को कमजोर करने के लिए साथ आए। सोशल मीडिया यूजर्स और कई टेलीविज़न शो में देखा गया है कि वे काफी गुस्से में हैं और वे बदला लेने, प्रतिशोध और कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।

लेकिन क्या हम एक साथ आ सकते हैं और कल्पना में गोता लगा सकते हैं? अब से कई सौ साल बाद यह बिना सीमाओं वाली एक दुनिया हो सकती है जब लोग निष्कपट, मोहित और सर्वथा आदिम के रूप में भूखंड के लिए रक्तपात करने की हमारी सामूहिक क्षमता को देखेंगे।

यह भूमि मेरी या आपकी भूमि नहीं है मगर प्रकृति की देन है और अगर सियाचिन ग्लेशियर को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के चलते पिघलाना ही था तो यह अपने शरीर का अंग गंवाने वाले उन असंख्य लोगों का मज़ाक उड़ाएगा जो इसकी रक्षा करते हुए जमा देने वाले ठंढ के शिकार हुए।

प्रिय पाठक महज एक पल के लिए मत सोचिए कि मैं सशस्त्र बलों के बलिदान पर प्रकाश डालता हूं। मैं केवल पूछता हूं कि क्या उनका जीवन मौत से ज़्यादा क़ीमती नहीं है? क्या युवा भविष्य के लिए एक जलते हुए मशाल की तरह नहीं है कि इन्हें आत्मघाती हमलावर के रूप में ख़त्म हो जाना चाहिए? कश्मीर की माताएं शांति चाहती हैं जहां वे बेकाबू तलाशी से दखल महसूस न करें और इस बात को लेकर परेशान रहती हैं कि कब उनके बच्चे सुरक्षित घर लौट आएं। उन्होंने कर्फ्यू वाली रातों और गश्त के दिनों को काफी देखा है।

दो परमाणु शक्तियों के बीच सैन्य कार्रवाई से दोनों तरफ निस्संदेह विनाश हो सकता है। चाहे भारत लाहौर पर बम बरसाए ऐसे में अमृतसर प्रभावित होगा; और पाकिस्तान हमला करे तो इस उपमहाद्वीप में बड़ी संख्या में लोगों का नुकसान होगा।

इसके बजाय प्रिय पाठक मैं आपसे कहता हूं कि बिना सीमाओं वाली दुनिया की तरफ देखें। दूसरे शब्दों में कश्मीरी युवाओं के साथ संवाद शुरू करें और सुनें कि वे वास्तव में क्या चाहते हैं। सिर्फ सरकार ही नहीं स्वयंसेवी समूहों को इन युवाओं के दिलों और दिमागों से जुड़ने देना चाहिए जो हमें रंजिसजदा लगते हैं और हम अपने पैसे से उनके उचित सपने और इच्छा को पूरा करने में मदद करें।

हम पाकिस्तान के साथ बातचीत कर हल निकालें। भारत को अहिंसा और सत्याग्रह की विरासत है जो कमजोर नहीं बनाता है; वास्तव में हमें अपने अहिंसा के खोए हुए स्थान को फिर से प्राप्त करना चाहिए जिसे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान और उसके बाद क़ायम रखा है। यूनाइटेड प्रेस के वेब मिलर ने देखा कि किस तरह से ब्रिटिश सैनिकों ने धरासना में काम कर रहे नमक सत्याग्रहियों पर लाठियों से हमला किया और उन्होंने जवाबी कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। मिलर ने लिखा कि पश्चिम ने जो भी नैतिक श्रेष्ठता पाई थी वह आज ख़त्म हो गई है। यही एक वास्तविक विरासत है जिसके तहत हम अहिंसा के नक्शेकदम पर चल सकते हैं।

और हम अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को शामिल करें और हमें लस्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी गुटों को समाप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता की आवश्यकता है। हम इसे अकेले नहीं कर सकते।

संयुक्त राज्य अमेरिका जो कि अफगानिस्तान से हटने के लिए तैयार है और एक शांतिपूर्ण क्षेत्र चाहता है। क्या इसे पाकिस्तान के पक्ष में वापस जाना चाहिए या आतंकवाद को समाप्त करने के लिए बातचीत करनी चाहिए? चीन की भू-राजनीतिक स्थिति और क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं को देखते हुए हमें उससे भी बातचीत करनी होगी लेकिन द्विपक्षीय और बहु-राष्ट्रीय संवादों के माध्यम से।

आतंकवाद राष्ट्रीय मुद्दा ही नहीं है बल्कि यह सीमाओं को पार करता है और सभी देशों पर प्रभाव डालता है। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 के हमले के बाद कहा जाता था कि उससे अधिक सुरक्षित स्थान हो ही नहीं सकता है। आज क्यों नहीं?

और आखिर में प्रिय पाठक वह आदमी जो मर जाता है चाहे भारतीय हो या पाकिस्तानी वह एक उत्कृष्ट इंसान है जो एक बिखरे हुए परिवार को अपने पीछे छोड़ जाता है जो यादों और स्मृति चिह्नों से जकड़ जाता है क्योंकि लाखों जीवन को लीलने वाले भयावह विभाजन का कोई भी पीड़ित इसकी गवाही देगा। ये विभाजन एक राजसी भू-राजनीतिक खेल था जिसमें इस उपमहाद्वीप के लाखों लोगों ने एक भयानक क़ीमत चुकाया है; क्या हम इससे कुछ सीख सकते हैं?

यहां तक कि जब आतंकवाद के चलते एक भी इंसान मारा जाता है तो पूरी मानवता मर जाती है। आइए हम उन्माद के चक्र को रोकें, हम शांति क़ायम करें; प्रिय पाठक अब किसी युद्ध की बात न करें!

(लेखक फिल्म निर्देशक और पुरस्कार-विजेता-लेखक हैं)

Kashmir crises
hate in india
hate in youth of kashmir
pulwama attack
humanity

Related Stories

कश्मीर में ज़मीनी स्तर पर राजनीतिक कार्यकर्ता सुरक्षा और मानदेय के लिए संघर्ष कर रहे हैं

नगालैंड व कश्मीर : बंदूक को खुली छूट

कश्मीर में दहेज़ का संकट

कुछ सरकारी नीतियों ने कश्मीर में पंडित-मुस्लिम संबंधों को तोड़ दिया है : संजय टिक्कू

किसान आंदोलन: एक शाम शहीदों के नाम

क्या अर्नब गोस्वामी को बालाकोट एयर स्ट्राइक की जानकारी पहले से थी?

पठानकोट-पुलवामा में NIA की चार्जशीट: अब पाकिस्तान का हाथ, तब जिहादी ताकत!

मुंह को ढक लो मगर ज़ेहन को खोल लो...

दिल्ली हिंसा : नफ़रत के ज़हर के ख़िलाफ़ प्यार का भरोसा दिलातीं 'दस कहानियां'

सवाल पुलवामा का, बीजेपी ने राहुल को बनाया निशाना


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License