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चुनाव 2022
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भारत
राजनीति
यूपी चुनाव आख़िरी चरण : ग़ायब हुईं सड़क, बिजली-पानी की बातें, अब डमरू बजाकर मांगे जा रहे वोट
उत्तर प्रदेश में अब सिर्फ़ आख़िरी दौर के चुनाव होने हैं, जिसमें 9 ज़िलों की 54 सीटों पर मतदान होगा। इसमें नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत अखिलेश का गढ़ आज़मगढ़ भी शामिल है।
रवि शंकर दुबे
06 Mar 2022
उत्तर प्रदेश में अब सिर्फ़ आख़िरी दौर के चुनाव होने हैं, जिसमें 9 ज़िलों की 54 सीटों पर मतदान होगा। इसमें नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत अखिलेश का गढ़ आज़मगढ़ भी शामिल है।

उत्तर प्रदेश का सियासी पारा इन दिनों बेहद हाई है, चुनाव के आखिरी और  सातवें चरण के लिए 7 मार्च को मतदान होगा, इस चरण में 9 ज़िलों की 54 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। आपको बता दें कि बीते सभी चरणों के मुकाबले सातवें चरण में लोगों की ज्यादा राजनीतिक दिलचस्पी है, क्योंकि इस चरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख भी दांव पर होगी, दरअसल इस चरण में मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की 8 विधानसभा सीटों पर भी वोट डाले जाएंगे। यही कारण है कि देश के प्रधानमंत्री पिछले कई दिनों से उत्तर प्रदेश में ही डेरा जमाएं हुए हैं। और तरह-तरह की वेषभूषा धारण कर लोगों की रिझाने की कोशिश में लगे हुए हैं। कुछ दिनों पहले की ही बात है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिव का रूप धारण कर डबरू बजाते नज़र आए हैं। ये कहना ग़लत नहीं होगा कि इन सबके बीच भाजपा समर्थकों के मन में तो यही चल रहा होगा कि चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री ने जितनी तेज़ी से रूप बदले हैं उतनी ही तेज़ी से अगर जनता का मन बदल गया तो समस्या आन पड़ेगी।

अखिलेश के लिए प्रतिष्ठा दांव पर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी के अलावा सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए भी ये चरण प्रतिष्ठा की बात है, क्योंकि आज़मगढ़ की 10 विधानसभा सीटों पर जनता मतदान करेंगी और अपना प्रतिनिधि चुनेगी। क्योंकि अखिलेश यादव आज़मगढ़ से सांसद है, ऐसे में एक-एक सीट उनके लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है।

613 उम्मीदवार मैदान में

पश्चिम से पूर्वांचल तक 349 सीटों पर मतदान होने के बाद अब 54 सीटें बची हैं, जिसके लिए पूर्वांचल के आज़मगढ़ से लेकर काशी तक 613 उम्मीदवार मैदान में हैं। जिनके भाग्य का फैसला 7 मार्च को ईवीएम में कैद हो जाएगा।

9 ज़िले - 54 विधानसभा सीटें

आजमगढ़ ज़िला- अतरौलिया, गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़, निज़ामाबाद, फूलपुर-पवई, दीदारगंज, लालगंज (एससी), मेहनगर (एससी)

मऊ ज़िला- मधुबन, घोसी, मुहम्मदाबाद-गोहना(एससी), मऊ

जौनपुर ज़िला- बदलापुर, शाहगंज, जौनपुर, मल्हनी, मुंगड़ा बादशाहपुर, मछलीशहर (एससी), मरियाहू,  जफराबाद, केराकत(एससी)

भदोही ज़िला- भदोही, ज्ञानपुर, औराई (एससी)

वाराणसी ज़िला- पिंडरा, अजगरा (एससी), शिवपुर, रोहनिया, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी छावनी, सेवापुरी

मिर्जापुर ज़िला- छानबे (एससी), मिर्जापुर, मझवां, चुनार, मड़िहान

गाजीपुर ज़िला- जाखानिया (एससी), सैदपुर (एससी), गाजीपुर, जंगीपुर, ज़हूराबाद, मोहम्मदाबाद, ज़मानिया

चंदौली ज़िला- मुगलसराय, सकलडीह, सैयदराजा, चकिया (एससी)

सोनभद्र ज़िला- घोरावाल, रॉबर्ट्सगंज, ओबरा (एसटी), दुद्धी(एसटी)

पिछले चुनावों में चली थी भाजपा लहर

साल 2014 के बाद से पूर्वांचल में भाजपा की अच्छी खासी पकड़ रही है, इसी कड़ी में पिछले यानी 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने इन 54 सीटों पर विपक्षियों को पूरी तरह साफ कर दिया था, इस चरण में भाजपा और उसके सहयोगियों ने 36 सीटें अपने नाम की थीं, जिसमें भाजपा को 29, अपना दल(एस) को 4, और सुभासपा के 3 सीटें मिली थीं। वहीं सपा ने 11 सीटें, बसपा ने 6 सीटें और निषाद पार्टी ने एक सीट जीती थी। जबकि कांग्रेस खाता तक नहीं खोल सकी थी। हालांकि इस बार ओम प्रकाश राजभर ने भाजपा से नाता तोड़ सपा से हाथ लिया है, तो कांग्रेस भी मैदान में नज़र आ रही है, ऐसे में सियासी समीकरण बदल सकते है।

अपने-अपने क्षेत्र में प्रदर्शन

जैसे सबको पता है कि आज़मगढ़ और जौनपुर सपा का गढ़ रहा है, उसी तरह वाराणसी में भाजपा का दबदबा है, तो ये सियासी समीकरण 2017 में भी बरकरार रहे थे, अपने-अपने क्षेत्र में दोनों पार्टियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। ज़िलेवार किस पार्टी ने कितनी सीटें जीती आंकड़ों के ज़रिए देखते हैं।

बदल चुके हैं हालात

पिछले चुनावों की तुलना में इस बार हालात काफी ज्यादा बदल चुके हैं। जहां सुभासपा ने भाजपा का साथ छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है, तो इस चरण में बसपा का भी अच्छा-खासा जनाधार है, वहीं अगर साल 2017 के चुनावों को न देखें तो इस चरण में 90 के दशक से जातिगत समीकरण हावी रहे हैं। कहने का अर्थ ये है कि इस आखिरी चरण में सपा-बसपा के अलावा, संजय निषाद, ओपी राजभर और अनुप्रिया पटेल की भी परीक्षा है।

अल्पसंख्यकों की अच्छी तादाद

निषाद, राजभर और पटेल समाज के अलावा इस चरण की 54 सीटों पर मुस्लिम आबादी भी अच्छी खासी तादाद में है, औसत के हिसाब से इन सीटों पर 12 फीसदी मुस्लिम आबादी और 24 फीसदी अनुसूचित जाति की आबादी है। ब्राह्मण और ठाकुरों की आबादी 20 प्रतिशत है। जबकि 20 फीसदी में कुर्मी, पटेल, निषाद, राजभर और बनिया शामिल हैं। इस क्षेत्र में यादवों की तादाद भी अच्छी खासी है। इन सभी जातियों में अल्पसंख्यकों की सबसे ज्यादा आबादी मऊ, आज़मगढ़ और वाराणसी में है, जो क्रमश: 19%, 16% और 15% है। जबकि अनुसूचित जाति की सर्वाधिक आबादी सोनभद्र में 42% मीरजापुर में 27% और आज़मगढ़ में 26% है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सातवें चरण के इस क्षेत्र में 30% सीटें ऐसी हैं जहां गठबंधन के सहयोगियों का सीधा प्रभाव है। वहीं इस चरण की 70% सीटें ऐसी हैं जहां सीधे सपा और भाजपा भिड़ रही हैं। जिनमें दो सवाल निकलकर आते हैं:

  • अब यह देखना रोचक होगा कि क्या अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद, उन सीटों पर जहां उनके नहीं बल्कि भाजपा के उम्मीदवार हैं, को भाजपा के पक्ष में मतदान करवा सकेंगे।
  • वहीं क्या राजभर और अनुप्रिया की मां कुर्मी और राजभर मतदाताओं को सपा के पक्ष में मतदान के लिए तैयार कर सकेंगे।

NYOBC निभाएगा महत्वपूर्ण भूमिका

गैर यादव ओबीसी मतदाता यानी एनवाई ओबीसी मतदाता भी यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 57% कुर्मी और 61% एनवाईओबीसी वोट मिले थे। समाजवादी पार्टी अपने गठबंधन के जरिये भाजपा के इसी वोटबैंक में सेंध लगाना चाहती है। SP ने ओबीसी जनगणना का पासा फेंका है। साथ ही यह भी आरोप लगाए हैं कि भाजपा आरक्षण को खत्म करने की कोशिशों में जुटी हुई है।

सपा की रणनीति

सपा की रणनीति है कि भाजपा के 30-35% फीसदी एनवाईओबीसी मतदाताओं को वो अपनी ओर खींच ले। यदि ऐसा हो जाता है तो भाजपा को 6-7 फीसदी वोट शेयर का नुकसान होगा और इसका सीधा फायदा सपा को होगा। 12-14 प्रतिशत का यह झुकाव पूर्वांचल का सारा समीकरण बदल सकता है।

UP ELections 2022
Narendra modi
PRIYANKA GANDHI VADRA

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