NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
इराक़, सीरिया में अमेरिकी हवाई हमले : पूर्व-निर्धारित या उकसाने वाले?
ऐसा लगता है कि वाशिंगटन सबको एक स्पष्ट संदेश देना चाहता है कि उसे इराक़ में अमेरिकियों की रक्षा के लिए कार्यवाही करने पर मजबूर होना पड़ेगा।
एम. के. भद्रकुमार
30 Jun 2021
Translated by महेश कुमार
इराक़, सीरिया में अमेरिकी हवाई हमले : पूर्व-निर्धारित या उकसाने वाले?
अमेरिकी सेना ने ईरान समर्थित मिलिशिया के ऑपरेशन वाले और हथियार भंडारण वाली सुविधाओं को निशाना बनाते हुए इराक और सीरिया में हवाई हमले किए

किसी भी रविवार के दिन यह असामान्य सी बात लगती है कि पेंटागन के प्रेस सचिव, जॉन किर्बी को यह बताना पड़े कि सप्ताह के अंत में इराक और सीरिया में ईरान समर्थित मिलिशिया समूहों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सुविधाओं को निशाना बनाया गया और उन पर अमेरिकी हवाई हमले किए गए ताकि अमेरिकी सैनिकों पर हमले को रोका जा सके।  

किर्बी ने इन हमलों को अमरीकी सैनिकों पर "हमलों के बढ़ते जोखिम को सीमित करने के लिए डिज़ाइन की गई आवश्यक, उचित और जानबूझकर की गई कार्रवाई" बताया है। उन्होंने कहा कि हमलों ने एक "स्पष्ट हतोत्साह करनेवाला संदेश" दिया है। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि यह संदेश किसके लिए था।

इस दौरान, बाइडेन-हैरिस प्रशासन के बहुत नज़दीकि और शीर्ष अमेरिकी राजनीतिक व्यक्तित्व, यानि हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने भी एक बयान जारी किया है और कहा है कि हमले "एक गंभीर और खास खतरे को लक्षित करने की एक आनुपातिक प्रतिक्रिया" लगती हैं।

पेलोसी एक अनुभवी राजनेता हैं जिनकी टिप्पणी अमेरिका के राष्ट्रीय हितों के प्रति एक निर्णायक पल का संकेत देती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पेलोसी किसी और के नहीं बल्कि ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ के लंबे समय से दोस्त या परिचित हैं - यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि कोई इसे कैसे देखता है या किस नज़रिये से देखता है।

सनद रहे, कि पेलोसी और किर्बी दोनों को इस बात का पता होगा कि अमेरिकी हवाई हमले ऐसे समय में किए गए हैं, जब ईरान और अमेरिका के साथ-साथ यूरोपीय राजनयिक भी इस सप्ताह वियना में संभावित निर्णायक दौर की वार्ता की तैयारी कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप आम सहमति बनने की उम्मीद है ताकि जेसीपीओए को पुनर्जीवित किया जा सके। 

दरअसल, वियना में बातचीत की जल्दी इसलिए भी है ताकि बाइडेन प्रशासन शायद 3 अगस्त को नए राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के होने वाले शपथ ग्रहण से पहले इस समझौते को पूरा करने की उम्मीद कर रहा है।

तेहरान को इस बात से काफी उम्मीदें हैं कि अमेरिकी प्रतिबंध हटने वाले हैं। रविवार को संसद के राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति आयोग के सदस्यों के साथ बैठक के बाद, वियना वार्ता में ईरान के शीर्ष वार्ताकार, उप विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने एक मीडिया साक्षात्कार में कहा:- 

"जब संयुक्त राज्य अमेरिका ने जेसीपीओए को छोड़ दिया था लेकिन ईरान ने इसमें बना रहा,  तो ईरान के लिए इसमें रहने का काफी बड़ा और कठिन निर्णय था, और यही कारण था कि जेसीपीओए अभी तक ज़िंदा रहा था। अब अन्य पार्टियों की बारी है, कि वे तय करें कि जेसीपीओए को कैसे पुनर्जीवित किया जाए, अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अब तक हमने जो बातचीत की है, उसे देखते हुए उन्हें निर्णय लेना चाहिए, ताकि दोनों पक्ष एक समझौते पर पहुंच सकें।“

लेकिन तेहरान भी एक अच्छी लाइन पर चल रहा है। फरवरी में आईएईए के साथ ईरान की अस्थायी समझ की समय-सीमा, अतिरिक्त प्रोटोकॉल के संबंध में (जिसे तेहरान ने स्वेच्छा से 2015 के परमाणु समझौते (जेसीपीओए) में सद्भावना के संकेत के रूप में माना था) पिछले सप्ताह वह समझौता समाप्त हो गया। ईरान अब स्वतंत्र है। ईरानी परमाणु सुविधाओं के अंदर कैमरे संचालित किए जा रहे हैं ताकि संयुक्त राष्ट्र एजेंसी से डेटा और छवियों को रोका जा सके। 

बेशक, अगर ईरान उस विकल्प का प्रयोग करता है (जो कि उसका संप्रभु विशेषाधिकार है), तो इसका मतलब यह होगा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अब के बाद पता नहीं चलेगा कि ईरान के शीर्ष गुप्त परमाणु प्रतिष्ठानों के अंदर वास्तव में क्या चल रहा है।

समयरेखा का विस्तार करना या समयरेखा का विस्तार न करना - यही एक सवाल है। यकीनन, यह ईरान के किए एक किस्म का लाभ है जिसे तेहरान बिना किसी विलंब के अमरीकी प्रतिबंधों को हटाने के लिए उन कठिन निर्णयों के माध्यम से अमेरिका को मनाने के लिए तैयार कर सकता है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबजादेह ने कल एक ट्वीट में इस बात पर प्रकाश डाला कि "ईरान हमेशा बातचीत नहीं करता रहेगा।"

रविवार को, ईरानी संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाकर कलीबाफ ये अर्थ लगा रहे थे कि तेहरान अब आईएईए के साथ अपनी परमाणु गतिविधियों की वीडियो रिकॉर्डिंग साझा नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि तीन महीने की अवधि समाप्त हो गई है और "कुछ भी नवीनीकृत नहीं किया गया है और उसके बाद ईरान में दर्ज की गई कोई भी वस्तु कभी भी एजेंसी को नहीं दी जाएगी।"

लेकिन सोमवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता खतीबजादेह ने स्पष्ट किया कि "एजेंसी के साथ तकनीकी समझौते के विषय पर अभी तक कोई नया निर्णय नहीं लिया गया है, कि इसे जारी रखा जाएगा या नहीं।"

अनिवार्य रूप से, तेहरान में दबाव और विपरीत दबाव काम कर रहे हैं। यहाँ विंस्टन चर्चिल का प्रसिद्ध रूपक दिमाग में आता है – जिसके बारे में उन्होने कहा था कि "क्रेमलिन की राजनीतिक साज़िश के गलीचे के नीचे एक बुलडॉग लड़ाई चल रही है। जहां एक बाहरी व्यक्ति केवल गुर्राना सुन सकता है।” 

कम से कम कहने के लिए, वियना वार्ता की उपरोक्त अत्यधिक टकराव वाली राजनयिक पृष्ठभूमि में, ऐसा लगता है कि अमेरिका ने इराक और सीरिया में ईरान समर्थित मिलिशिया समूहों के खिलाफ हवाई हमले करके गैर-जिम्मेदाराना तरीके से काम किया है।

हालांकि, करीब से देखने पर, पेंटागन के प्रवक्ता किर्बी ने तर्क दिया था कि "लक्ष्यों का चयन इसलिए किया गया क्योंकि इन सुविधाओं का इस्तेमाल ईरान समर्थित मिलिशिया द्वारा किया जाता है जो इराक में अमेरिकी सैनिकों और उनकी सुविधाओं के खिलाफ मानव रहित हवाई हमलों में लगे हुए हैं।"

हमले शनिवार को हुए जब सशस्त्र ड्रोनों ने कथित तौर पर उत्तरी इराक में स्वायत्त कुर्दिस्तान क्षेत्र में नए अमेरिकी वाणिज्य दूतावास की साइट के पास के इलाकों में ईरबिल को निशाना बनाया था। वास्तव में, पेलोसी ने स्पष्ट रूप से उन्हें "एक गंभीर और खास खतरे के खिलाफ  आनुपातिक प्रतिक्रिया" कहा है।

पेलोसी ने अपने बयान में यह भी कहा कि, "इन सुविधाओं का इस्तेमाल करने वाले ईरान समर्थित मिलिशिया अमेरिकी सैनिकों को धमकी देने वाले हमलों में लगे हुए हैं। अमरीकी संसद युद्ध शक्ति अधिनियम के तहत इस ऑपरेशन की औपचारिक अधिसूचना प्राप्त करने और समीक्षा करने और प्रशासन से अतिरिक्त ब्रीफिंग हासिल करने के लिए तत्पर है।

कहने का तात्पर्य यह है कि पेलोसी ने मांग की है कि बाइडेन प्रशासन को हमलों को सही ठहराने के लिए कांग्रेस को समझाने की उम्मीद है। संभव है कि बाइडेन और अधिक हमले करने का आदेश देने के लिए आगे नहीं बढ़ेंगे। 

दूसरी ओर, जमीनी हकीकत यह है कि मिलिशिया समूहों का दबदबा है और शनिवार को तीन ठिकानों पर किए गए हवाई हमले किसी भी तरह से गेम चेंजर नहीं हैं। क्या ईरान को यह नहीं पता होगा? सीधे शब्दों में कहें तो, उकसाने की कार्रवाई के बजाय, वाशिंगटन एक स्पष्ट संदेश भेजने की कोशिश कर रहा है कि इराक में अमेरिकियों की रक्षा के लिए वह मजबूर है और इसलिए वह इस तरह की कार्यवाही को हमेशा मजबूर होगा। 

इसे एक पूर्व-निर्धारित कदम कहा जाना चाहिए। पश्चिम एशिया में बड़ी तस्वीर यह है कि अमेरिका इस क्षेत्र से वायु रक्षा प्रणालियों को वापस बुला रहा है और पेंटागन इस समय अफ़ग़ानिस्तान से सैन्य वापसी के बिलकुल बीच में है।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक पर क्लिक करें।

US Airstrikes in Iraq, Syria: Pre-Emptive or Provocative?

US Airstrikes in Iraq
US Airstrikes in Syria
Biden

Related Stories

अमेरिकी आधिपत्य का मुकाबला करने के लिए प्रगतिशील नज़रिया देता पीपल्स समिट फ़ॉर डेमोक्रेसी

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा

खाड़ी में पुरानी रणनीतियों की ओर लौट रहा बाइडन प्रशासन

जलवायु परिवर्तन : हम मुनाफ़े के लिए ज़िंदगी कुर्बान कर रहे हैं

यूक्रेन युद्ध में पूंजीवाद की भूमिका

क्यों बाइडेन पश्चिम एशिया को अपनी तरफ़ नहीं कर पा रहे हैं?

समय है कि चार्ल्स कोच अपने जलवायु दुष्प्रचार अभियान के बारे में साक्ष्य प्रस्तुत करें

रूस ने अपने ऊपर लगाए गए प्रतिबंधों पर जवाबी कार्रवाई की

ईरान पर विएना वार्ता गंभीर मोड़ पर 

जंग से फ़ायदा लेने वाले गुंडों के ख़िलाफ़ एकजुट होने की ज़रूरत


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License