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बलिया कांड : उत्तर प्रदेश बनता जा रहा है गुनाह प्रदेश!, नहीं रुक रहे अपराध
बलिया जिले में आला अधिकारियों की मौजूदगी में चली गोली और फिर मुख्य हमलावर का वहां से भाग निकलना प्रदेश प्रशासन पर कई सवाल खड़े करता है।
सोनिया यादव
16 Oct 2020
Image Courtesy:  Social Media
Image Courtesy: Social Media

‘न्यूनतम अपराध’ का दावा करने वाली बीजेपी की योगी आदित्यनाथ सरकार सबसे ज़्यादा नाकामी का आरोप भी कानून व्यवस्था के नाम पर ही झेल रही है। राज्य में आए दिन कोई न कोई अपराध की घटना-दुर्घटना राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खी होती है। मुख्यमंत्री अपराधियों पर नकेल कसने की बात करते हैं लेकिन उनकी पार्टी बीजेपी के नेता-कार्यकर्ता ही बेलगाम हो जाते हैं। बलिया जिले में आला अधिकारियों की मौजूदगी में चली गोली इसका ताज़ा उदाहरण है, सरकार के ‘बेहतर कानून व्यवस्था’ की पोल खोलती आईना है।

क्या है पूरा मामला?

जानकारी के मुताबिक घटना बलिया ज़िले के रेवती थानाक्षेत्र के दुर्जनपुर की है। यहां पंचायत भवन पर कोटे की दो दुकानों के आवंटन के लिये गुरुवार, 15 अक्टूबर की दोपहर पंचायत भवन में खुली बैठक का आयोजन किया गया था। बैठक के दौरान एक पक्ष के लोगों ने अचानक गोलियां बरसानी शुरू कर दीं जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए।

हैरानी की बात ये है कि इस बैठक में बैरिया के एसडीएम सुरेश पाल, सीओ बैरिया चंद्रकेश सिंह और बीडीओ गजेन्द्र प्रताप सिंह के साथ ही रेवती थाने की पुलिस फोर्स भी मौजूद थी। सभी आला अधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद मुख्य हमलावर वहां से भाग निकला।

ballia khabar

मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह का है बीजेपी कनेक्शन!

स्थानीय मीडिया ‘बलिया खबर’ का इस घटना के संबंध में कहना है कि कोटे आवंटन के लिये चार स्वयं सहायता समूहों ने आवेदन किया था। जिसमे दो समूहों मां सायर जगदंबा स्वयं सहायता समूह और शिव शक्ति स्वयं सहायता समूह के बीच मतदान कराने का निर्णय लिया गया था।

चयन को लेकर अधिकारियों ने साफ तौर पर कहा कि वोटिंग वही करेगा जिसके पास आधार अथवा अन्य कोई पहचान पत्र होगा। एक पक्ष के पास अधार व पहचान पत्र था जबकि दूसरे पक्ष के पास कोई आईडी प्रूफ नहीं था। इसे लेकर दोनों पक्षों के बीच विवाद शुरू हो गया। मामला बिगड़ता देख बैठक की कार्रवाई को अधिकारियों द्वारा स्थगित कर दिया गया। जिसके बाद लोग वापस जाने लगे तभी धीरेंद्र प्रताप सिंह ने फ़ायरिंग की जिसमें जयप्रकाश उर्फ़ गामा पाल को गोली लग गई।

बता दें कि फायरिंग का आरोप जिस धीरेंद्र प्रताप सिंह पर लगा है वह बीजेपी नेता और स्थानीय विधायक सुरेंद्र सिंह का करीबी बताया जा रहा है। हालाँकि सुरेंद्र सिंह ने इस बात से इनकार किया है। वैसे कहा जा रहा है कि उन्होंने इसे ‘क्रिया की प्रतिक्रिया’ बताया है।

कई प्रत्यक्षदर्शियों ने नाम न छापने की शर्त पर न्यूज़क्लिक को बताया कि गोलीबारी से पहले भी दोनों पक्षों के बीच ईंट-पत्थर और लाठी-डंडे चले जिसमें कई लोग घायल हो गए। पांच घायलों की स्थिति काफ़ी गंभीर बताई जा रही है। इन सबके बावजूद अधिकारियों और पुलिसकर्मियों ने विवाद रोकने का प्रयास नहीं किया जिसकी वजह से मामला और बिगड़ गया।

बलिया पुलिस का क्या कहना है?

बलिया पुलिस ने इस संबंध में सोशल मीडिया पर ट्वीट कर जानकारी दी कि घटना से संबंधित समस्त तथ्यों की जानकारी ली जा रही है उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

रेवती थाना क्षेत्र के दुर्जनपुर गांव में कोटे के दुकान के आवंटन के समय हुये विवाद को लेकर गोली मार कर हत्या कर देने के संबंध में पुलिस अधीक्षक बलिया की बाईट।@Uppolice @adgzonevaranasi @digazamgarh pic.twitter.com/26Y78LoNMT

— Ballia Police (@balliapolice) October 15, 2020

पुलिस अधीक्षक एसपी देवेंद्र नाथ ने बताया कि विवाद बढ़ने की मुख्य वजह यही थी कि पंचायत भवन पर बिना आधार कार्ड के पहुंचे लोग दुकान आवंटन के लिए वोटिंग करना चाहते थे। लेकिन एसडीएम ने चयन प्रक्रिया स्थगित कर दी। जिसके बाद दोनों ही पक्षों में विवाद और बढ़ गया, पथराव भी होने लगा और इसी बीच एक सहायता समूह का समर्थन कर रहे धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ़ डब्लू ने गोली चलानी शुरू कर दी।

योगी सरकार ने क्या किया?

राज्य सरकार ने बलिया की इस घटना पर संज्ञान लेते हुए रेवती थाना क्षेत्र के एसडीएम और पुलिस क्षेत्राधिकारी समेत कई पुलिसकर्मियों को भी निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही कहा है कि अधिकारियों की भूमिका की जांच की जाएगी और जिम्मेदार लोगों पर आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।

UP CM #YogiAdityanath takes cognisance of the #Ballia incident in which a murder was committed in front of police personnel by a criminal; directs that SDM, CO and police personnel on the spot be suspended immediately and strictest action be taken against the accused. pic.twitter.com/jflmRlUvD9

— All India Radio News (@airnewsalerts) October 15, 2020

विपक्ष ने लगाया बीजेपी पर गुंडागर्दी का आरोप

इस मामले को लेकर विपक्ष ने बाजेपी की योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपाइयों को यूपी में गुंडागर्दी का लाइसेंस दे दिया गया है। तो वहीं समाजवादी पार्टी ने इस घटना को प्रदेश में कानून व्यवस्था की सच्चाई से जोड़ते हुए तंज कसा है।

पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना पर ट्वीट करते हुए लिखा, “बलिया में सत्ताधारी भाजपा के एक नेता के, एसडीएम और सीओ के सामने खुलेआम, एक युवक की हत्या कर फ़रार हो जाने से उप्र में क़ानून व्यवस्था का सच सामने आ गया है।अब देखें क्या एनकाउंटरवाली सरकार अपने लोगों की गाड़ी भी पलटाती है या नहीं।“

बलिया में सत्ताधारी भाजपा के एक नेता के, एसडीएम और सीओ के सामने खुलेआम, एक युवक की हत्या कर फ़रार हो जाने से उप्र में क़ानून व्यवस्था का सच सामने आ गया है.

अब देखें क्या एनकाउंटरवाली सरकार अपने लोगों की गाड़ी भी पलटाती है या नहीं. #नहीं_चाहिए_भाजपा

— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 16, 2020

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मयावती ने सरकार को कानून व्यवस्था की ओर ध्यान देने की सलाह देते हुए कहा, “यू.पी. में बलिया की हुई घटना अति-चिन्ताजनक तथा अभी भी महिलाओं व बच्चियों पर आये दिन हो रहे उत्पीड़न आदि से यह स्पष्ट हो जाता है कि यहाँ कानून-व्यवस्था काफी दम तोड़ चुकी है। सरकार इस ओर ध्यान दे तो यह बेहतर होगा। बी.एस.पी. की यह सलाह।”

यू.पी. में बलिया की हुई घटना अति-चिन्ताजनक तथा अभी भी महिलाओं व बच्चियों पर आयेदिन हो रहे उत्पीड़न आदि से यह स्पष्ट हो जाता है कि यहाँ कानून-व्यवस्था काफी दम तोड़ चुकी है। सरकार इस ओर ध्यान दे तो यह बेेहतर होगा। बी.एस.पी. की यह सलाह।

— Mayawati (@Mayawati) October 16, 2020

बलिया कांग्रेस के अध्यक्ष ओम प्रकाश पाण्डेय ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि बलिया के दुर्जनपुर में भाजपा नेता धीरेंद्र सिंह के द्वारा एसडीएम और सीओ की मौजूदगी में हत्या ने जंगलराज की कलई खोल दी है। इस घटना की निंदा करते हुए पार्टी ने तुरंत कार्यवाही और आरोपी बीजेपी नेता की तत्काल गिरफ़्तारी की मांग की है।

#बलिया के बैरिया में भाजपा नेता धीरेंद्र सिंह द्वारा सरे आम SDM और CO के सामने युवक को गोली मार के हत्या कर दी गयी, जिसकी मैं कड़े शब्दों में भ्रतस्ना करता हूँ।
बलिया कांग्रेस की तरफ़ से हमारी माँग है कि तुरंत कार्यवाही हो और आरोपी नेता को तुरंत गिरफ़्तार किया जाए। @balliapolice pic.twitter.com/HQHXe1lbdd

— Om Prakash Pandey (@OmprakaashINC) October 15, 2020

इस मामले पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बीजेपी पर गुंडागर्दी का आरोप लगाते हुए ट्वीट किया, “यूपी में भाजपाइयों को गुंडागर्दी का लाइसेन्स! जब शासक अपराधी हों, कानून गुंडों की दासी हो, तो संविधान को रौंदना राजधर्म बन जाता है।”

यू.पी में भाजपाईयों को गुंडागर्दी का लाइसेन्स!

जब शासक अपराधी हों,
क़ानून गुंडों की दासी हो,
तो संविधान को रौंदना राजधर्म बन जाता है। https://t.co/YR6tMfj1IA

— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 15, 2020

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में लगातार दर्ज हो रही आपराधिक घटनाओं के चलते प्रदेश की कानून व्यवस्था बीते लंबे समय से सुर्खियों में है। कभी समाजवादी पार्टी को कानून व्यवस्था के नाम पर घेरने वाली बीजेपी, अब सत्ता में आने के बाद खुद जिस मुद्दे पर सबसे ज़्यादा नाकाम साबित होती दिखाई पड़ रही है। महिलाओं-दलितों के खिलाफ बढ़ते अपराध से लेकर पत्रकारों की सरेआम हत्या और अब अधिकारियों की मौजूदगी में गोली चलने की घटनाओं ने रामराज पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

कहां है कानून? कहां है व्यवस्था?

एनसीआरबी के आंकड़ों को देखें तो उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराधों में, बलात्कार, हत्या, हिंसा और भूमी से संबंधित मुद्दों को लेकर उत्तर प्रदेश का नाम शीर्ष राज्यों में रहता है। एनसीआरबी के अनुसार, यूपी में दलितों के खिलाफ अपराधों में वर्ष 2014 से 2018 तक 47 प्रतिशत की भारी बढ़ोत्तरी हुई है। इसके बाद गुजरात और हरियाणा हैं, जहां क्रमश: 26 और 15 फीसदी अपराध बढ़े हैं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की इस साल जनवरी में आई सालाना रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ 2018 में कुल 378,277 मामले हुए और अकेले यूपी में 59,445 मामले दर्ज किए गए। यानी देश के कुल महिलाओं के साथ किए गए अपराध का लगभग 15.8%।

इसके अलावा प्रदेश में हत्या, लूट और डकैती जैसे अपराधों की न जाने कितनी वारदातें हो चुकी हैं और कई मामलों में पुलिस अभी अभियुक्तों की तलाश में ही है।

कानपुर के चर्चित संजीत यादव अपहरण कांड में पुलिस वालों ने किडनैपर्स को कथित तौर पर फ़िरौती की रक़म भी दिला दी, फिर भी संजीत की हत्या कर दी गई, बावजूद इसके किडनैपर्स का पता लगाने में उसे काफ़ी समय लग गया। संजीत के परिजन शव की तलाश में अब भी भटक रहे हैं और पुलिस से गुहार लगा रहे हैं।

 जानकारों के अनुसार क़ानून-व्यवस्था बेहतर होने का मतलब यह होना चाहिए कि आपराधिक घटनाओं पर लगाम तो लगे ही साथ दबंगों में क़ानून का भय भी। ख़बर लिखे जाते वक़्त भी प्रदेश के उरई में बीमार मां को अस्पताल देखने जा रही 11वीं की छात्रा से गेंगरेप की खबर सामने आ रही है। ऐसे में यह कहना बड़ा मुश्किल है कि अपराधियों में क़ानून का भय है और सीएम के रामराज के दावे में सच्चाई!

UttarPradesh
Yogi Adityanath
UP Law And Order
Ballia shooting case
UP police

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