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भारत
राजनीति
वेदांता की सहायक कंपनी के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन पर पुलिस फायरिंग से 11 लोगों की मौत
मृत्तक Sterlite Copper के खिलाफ़ 100 दिनों से ज़्यादा से प्रदर्शन करने वाले हज़ारों लोगों में शामिल थेI
बिबिन सैम थॉमस
24 May 2018
Vedanta Protest Tamil Nadu

तमिलनाडु के तूतूकुड़ी शहर में वैश्विक खदान समूह वेदांता की एक सहायक Sterlite Copper के खिलाफ़ विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस के बर्बर हमले और फायरिंग में कम-से-कम 11 लोगों की मौत हुई और महिलाओं व बच्चों समेत कई और लोग घायल हुएI इन मौतों का औपचारिक आँकड़ा 11 हैI यह फायरिंग इस विरोध प्रदर्शन के 100वें दिन हुई जब यहाँ अंदाज़तन 1 लाख प्रदर्शनकारी जुटे थेI राज्य के मतस्य पालन विभाग के मंत्री ने इस फायरिंग को ‘अपरिहार्य’ करार दिया जबकि मुख्यमंत्री ने मृतकों के लिए 10 लाख के मुआवज़े की घोषणा कीI

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता के. कनागाराज Sterlite Copper के खिलाफ़ आन्दोलन में शामिल रहे हैं, उनका कहना है कि पुरे शहर पर पुलिस ने कब्ज़ा कर लिया है और वे लोगों को खदेड़ने के लिए बल का प्रयोग कर रहे हैंI इस इलाके में लगभग 4,000 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया हैI CrPC की धारा 144 लगाकर लोगों को इस क्षेत्र में घुसने से रोका गया ताकि वे यहाँ इकठ्ठा न हो सकेंI पुलिस ने शहर के विभिन्न इलाकों में प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और आँसू गैस से हमला कियाI यहाँ तक कि घरों और गलियों तक उनका पीछा कर औरतों और बच्चों समेत लोगों को बेरहमी से पीटाI सोशल मीडिया में कई विडियो उभरे हैं जिनमें साफ़ देखा जा सकता है कि पुलिस सीधे प्रदर्शनकारियों पर गोली चला रही है और एक विडियो में तो एक पुलिसकर्मी कहता दिखाई पड़ रहा है कि “कम-से-कम एक आदमी को तो मारो!”  

प्रदर्शनकारियों की दो माँगें हैं: इलाके में स्थित Sterlite के तांबा स्मेल्टर (धातु पिघलाना) प्लांट को बंद किया जाये और तूतूकुड़ी के अन्य इलाकों में इसके विस्तार की तैयारी को रोका जायेI  

इस प्लांट में 1997 में काम शुरू हुआ और तभी से इसपर आरोप लग रहे हैं कि यहाँ पर्यावरण और मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है, जिससे तूतूकुड़ी के निवासियों के लिए व्यापक स्वास्थ और जीविका सम्बन्धी परेशानियाँ खड़ी हुईंI Sterlite Copper वेदांता लिमिटेड की तांबा बनाने वाली भारतीय यूनिट हैI वेदांता लिमिटेड, वेदांता रिसोर्सेज़ की एक सहायक कंपनी हैI वेदांता रिसोर्सेज़ की नींव अनिल अग्रवाल ने रखी जिनकी मौजूदा संपत्ति अंदाज़तन 3.3 बिलियन डॉलर है जबकि उनकी कंपनी की संपत्ति 12.9 बिलियन डॉलर हैI

Sterlite Copper के खिलाफ़ विरोध तभी से शुरू हो गया था जब से इसने काम करना शुरू कियाI इसके खिलाफ़ शिकायतों की वजह से कई बार इसे बंद करना पड़ा लेकिन बहुत ही छोटे अर्से के लिएI राज्य ने इस कंपनी का साथ दिया जिससे यह अपना काम जारी रखने में कामयाब रहीI मार्च 2013 में तमिलनाडु पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (TNPCB) ने पाया कि प्लांट में एक गैस रिसाव है, इन आरोपों की जाँच के लिए सुप्रीमकोर्ट ने जाँच कमेटी बनायीI कमेटी ने पाया कि आरोप सच्चे थे और प्लांट से पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ को भारी नुक्सान हो रहा हैI साथ ही यह भी पाया गया कि जब से प्लांट का काम शुरू हुआ है तब से ही तथ्यों को छिपाया गया या उन्हें तोड़-मरोड़कर पेश किया गयाI (यह रिपोर्ट यहाँ पढ़ी जा सकती है) लेकिन तूतीकोरिन पोर्ट के कार्गो के लिए इस प्लांट के बड़े हिस्से के लिए और केंद्र व राज्य सरकार के लिए भारी राजस्व पैदा करने के लिए, अपनी ही जाँच के निष्कर्शों के बावजूद वेदांता पर उन्होंने सिर्फ 100 करोड़ रूपये का दंड लगायाI वेदांता लिमिटेड जैसी कंपनी के लिए यह रक़म कितनी छोटी है इसका अंदाज़ा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया में तांबा पिघलाने के उद्योग से कंपनी को 2000 से 2017 के बीच 3.62 बिलियन डॉलर की आय हुईI

पिघलाकर और रिफाइन कर तांबा बनाना एक ऐसा उद्योग जिससे कई घातक बायप्रोडक्ट निकलते हैं जैसे लेड, आर्सेनिक और सल्फर ऑक्साइड आदि, इनसे मिटटी, पानी और हवा पर काफी गहरे असर पड़ते हैंI वेदांता के ही मुताबिक, तूतूकुड़ी के प्लांट में तांबा पिघलाने की लागत दुनिया में सबसे कम हैI इससे इस बात पर सवाल उठते हैं कि क्या प्लांट के वेस्ट उत्पाद और एमिशन को नियंत्रित या कम करने के लिए यहाँ किसी तरह के कोई ख़ास प्रावधान हैं कि नहींI Sterlite Copper के चीफ़ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर प. रामनाथ का कहना है कि विस्तार के बाद प्लांट, यह प्लांट एक ही जगह पर स्थित एशिया का सबसे बड़ा तांबा बनाने वाला प्लांट बन जायेगाI तांबा पिघलाने के साथ साथ यहाँ एक फास्फोरिक एसिड प्लांट, एक सुल्फुरिक एसिड प्लांट और कॉपर रॉड प्लांट भी चलता हैI इन तीनों से ही आस-पास के इलाके के पर्यावरण को भारी नुकसान पहुँच रहा हैI सुप्रीमकोर्ट ने खुद माना है कि प्लांट का होना ही अपने आप में कई पर्यावरण सम्बन्धी कानूनों का उल्लंघन हैI TNPCB ने प्लांट को जो ‘कंसेंट ऑफ़ एस्टेब्लिश’ (बनाये जाने की मंज़ूरी) दी उसके मुताबिक ही इसे पर्यावरण की नज़र से संवेदनशील मन्नार की खाड़ी से 25 किलोमीटर से ज़्यादा दूर होना चाहिएIलेकिन यह प्लांट इस खाड़ी से महज़ 14 किलोमीटर दूर है और इसमें ज़हरीला कूड़ा डाल रहा है, जिससे यहाँ मछलियों की आबादी कम हुई है और आस-पास के मछुआरों की जीविका पर काफी असर पड़ा हैI साथ ही बोर्ड ने Sterlite के आस-पास के इलाके में आवश्यक ग्रीन बेल्ट की चौड़ाई को 250 मीटर से घटाकर वेदांता की दरखास्त पर महज़ 10% ही कर दी हैI  

2006 में तिरुनेलवेली मेडिकल कॉलेज ने Sterlite Industries के 5 किलोमीटर के रेडियस के अंदर एक महामारी विज्ञान सम्बन्धी अध्ययन कियाI जिसमें पता चला कि यहाँ अस्तमा, pharyngitis (गले में सूजन), साइनसाईटिस और अन्य श्वास से जुड़े संक्रमण आदि काफी तादाद में हैं जो वायु में ज़हरीली गैस और खतरनाक अणुओं की मौजूदगी की वजह से होती हैंI इस इलाके में रहने वाली महिलाओं में मासिक धर्म से जुड़ी बीमारियाँ जैसे menorrhagia और dysmenorrhea काफी ज़्यादा मात्रा में पायी गयींI इस सब के आलावा यहाँ से लिए गये मिट्टी के नमूनों में आयरन, कैडमियम, निकल और आर्सेनिक काफी ज़्यादा मात्रा में मिले जिससे यहाँ की ज़मीन खेती के लिए अनुपयोगी हो गयी हैI

जुलाई 1997 में इस प्लांट से ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ जिससे पास की फैक्ट्री में काम करने वाली फैक्ट्री रमेश फ्लावर्स में काम करने वाली 165 महिलाएँ बेहोश हो गयींI इनमें से कुछ महिलाओं का बाद में गर्भपात हो गयाI

Anti Killer Sterlite People’s Movement की प्रतिनिधि प्रोफेसर फ़ातिमा बाबू ने मीडिया को इस मुद्दे की गंभीरता के बारे में बतायाI उन्होंने कहा, “लगभग हर घर में कोई कैंसर से पीड़ित हैI सबसे ज़्यादा प्रभावित बच्चे हैंI गले का कैंसर बढ़ गया हैI आँखों का कैंसर भीI यह सब बहुत अजीब और चौंकाने वाला हैI हमने यह निश्चय कर लिया कि ये ज़िला अब और नहीं सहेगाI” पिछले साल सितम्बर में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यह पाया कि Sterlite प्लांट ओडाई नदी की ऊपरी जगह पर कॉपर स्लैग (धातु से निकला हुआ पथरीला कूड़ा) फेंक रहा है और इससे नदी के धाराप्रवाह रुक रहा हैI ट्रिब्यूनल के आदेश से यह भी सामने आया कि यह प्लांट 2013 से 2017 के बीच Hazardous Wastes (Management, Handling एंड Transboundary Movement) Rules, 2008 के तहत बिना आज्ञा के ही काम कर रहा था और इसी आदेश दिए गये थे कि इसके फैलाये प्रदूषण से गाँववालों पर जो बुरे प्रभाव पड़े हैं उनकी भरपाई करेI

अभी जारी विरोध इसलिए शुरू हुआ क्योंकि यह प्लांट अपना विस्तार कर अपनी मौजूदा क्षमता से दोगुना, सालाना 800000 टन, धातु पिघलाने वाला प्लांट बनने की तैयारी में हैI इस विस्तार से तूतूकुड़ी और आस-पास के ज़िलों के निवासियों के लिए स्वास्थ और पर्यावरण सम्बन्धी अभूतपूर्व खतरे पैदा हो सकते हैंI कई सालों के दौरान यहाँ कथित तौर पर 17 मौतें और कई लोग घायल हुए, इन हादसों की वजह रही कि Sterlite Copper ने सीधे तौर पर पर्यावरण या काम की जगहों से जुड़े निर्देशों की अनदेखी कीI इस मुद्दे के प्रति राज्य सरकार की उदासीनता और प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए पुलिस बल के प्रयोग की वजह से इस इलाके में रहने वाले लोगों का गुस्सा बढ़ गया हैI इस प्लांट को बंद करने और दूसरी जगहों पर इसके विस्तार को रोकने के लिए अब और भी बड़े प्रदर्शनों और रैलियों की तैयारी की जा रही हैI

तूतूकुड़ी में भी भोपाल गैस त्रासदी जैसा कोई हादसा न हो इसलिए सरकार को लोगों की पक्षधरता करते हुए वेदांता को प्लांट में उत्पादन करने से मना करना चाहिए और साथ ही जो नुक्सान हो चुका है उसकी भरपाई के लिए भी कहना चाहिएI वेदांता ने पहले भी ऐसे अपराध किये हैंI एक न्यायिक जाँच ने औपचारिक तौर से यह सामने आया कि वेदांता ने छत्तीसगढ़ के कोबरा में घटिया सामान इस्तेमाल किया जिससे 2009 में चिमनी गिर गयी और कम-से-कम 42 लोगों की मौत हुईI ओड़िशा, पंजाब, राजस्थान और ज़ाम्बिया में लोग अपने इलाकों में वेदांता के आपराधिक और भ्रष्ट तौर तरीकों के खिलाफ़ सालों से प्रदर्शन कर रहे हैंI

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