NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
वन नीति पर जनजातीय मंत्रालय के उठाए मुद्दे पर पर्यावरण मंत्रालय ध्यान देगा?
आदिवासियों के लिए वन प्रशासन अधिकार सुनिश्चित करने के क़ानूनों के बावजूद दशकों से भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया है।
पृथ्वीराज रूपावत
24 Jul 2018
Tribal Ministry

निजी कंपनियों को फायदा पहुँचाने के लिए ये प्रस्तावित नीति मौजूदा वन कानूनों को ख़त्म कर देगा। इससे आदिवासियों और वनवासियों का बड़ा नुकसान होगा।

एक महीने से भी कम समय में नई राष्ट्रीय वन नीति (एनएफसी) 2018 को अंतिम रूप देने की उम्मीद है। जैसा कि इसकी घोषणा पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय(एमओईएफसीसी) के अधिकारियों द्वारा की गई थी। इस मसौदा नीति के विभिन्न प्रावधानों पर जनजातीय मामलों के मंत्रालय (एमओटीए) सहित कई क्षेत्रों से उठाए गए मुद्दे अभी भी अस्पष्ट है जिस पर ध्यान देने की ज़रूरत है।

इस साल मार्च में एमओईएफसीसी ने एनएफसी 2018 का मसौदा प्रकाशित किया था और इसके जवाब में 700 से अधिक लोगों ने अपने विचार भेजे थें। ये नीति साल 1988 की नीति को प्रतिस्थापित कर देगी। इस नीति की विभिन्न पहलुओं पर कड़ी आलोचना हुई है। इसकी आलोचना वन की परिभाषा की अस्पष्टता से लेकर वनों की "बढ़ती उत्पादकता" के लिए पब्लिक- प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल लाने तक की गई। एमओटीए ने इस मामले में भी हस्तक्षेप किया जिसने कहा कि एमओईएफसीसी के पास वनों से संबंधित नीतियों को तैयार करने के लिए "विशेष क्षेत्राधिकार" नहीं है।

19 जून के एक पत्र में जनजातीय मामलों के सचिव लीना नायर ने पर्यावरण सचिव सीके मिश्रा को पत्र लिखा कि इस तरह की नीति तैयार करने से पहले एमओईएफसीसी को जनजातीय मंत्रालय और वनवासियों से सलाह लेने की आवश्यकता है। नायर ने कहा, "वन नीति लाने का विचार स्वागतयोग्य है, लेकिन दुर्भाग्यवश इस नीति ने वनों के परंपरागत संरक्षक और वनों के पारंपरिक समाज अर्थात् आदिवासियों को नज़रअंदाज़ कर दिया है।" उन्होंने आगे कहा कि एक आम धारणा थी कि ये मसौदा नीति "निजीकरण, औद्योगिकीकरण और व्यावसायीकरण के लिए वन संसाधनों का विघटन पर ज़ोर देता है।"

वन अधिकार अधिनियम 2006 (एफआरए) का ज़िक्र करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि "यह भी महसूस किया जाता है कि इस नीति में वर्णित वनीकरण और कृषि वानिकी के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल उन क्षेत्रों में खुलेंगे जिन पर आदिवासियों और वनवासियों के पास एफआरए के तहत क़ानूनी अधिकार हैं।" एफआरए के अनुसार आदिवासी और वनवासियों की सहमति उनके पारंपरिक वन भूमि के किसी भी तरह के इस्तेमाल के लिए ज़रूरी है। हालांकि, खबरों से पता चलता है कि पर्यावरण मंत्रालय पीपीपी मॉडल और वनों के व्यावसायीकरण से पीछे नहीं लौटना चाहता है।

यद्यपि अनुसूचित क्षेत्र अधिनियम, 1996 मे पंचायत विस्तार और एफआरए आदिवासी क्षेत्रों में वनों पर ग्राम सभा प्राधिकार देता है जबकि ये मसौदा नीति इसे नज़रअंदाज़ करती है। नायर ने लिखा कि "ये दोनों क़ानून अनुसूचित जनजातियों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं और समुदाय-आधारित वन प्रशासन को सुनिश्चित करके जैव विविधता संरक्षण के साथ-साथ जनजातीय समाज को संसाधनों के प्रबंधन में प्रमुख हितधारक भी बनाते हैं।"

सैकड़ों नागरिक समाज संगठनों ने सर्वसम्मति से इस मसौदा नीति की आलोचना की है और यह दावा करते हुए कहा कि यह केवल कॉर्पोरेट को फायदा पहुंचाएगा। इसके साथ-साथ यह बताया गया था कि प्रस्तावित नीति में 'वनों' की परिभाषा में स्पष्टता भी नहीं थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने जनजातीय मंत्रालय को नज़रअंदाज़ कर दिया है। इस महत्वपूर्ण मंत्रालय के बजट आवंटन पर नज़र डालने पर जो नतीजे सामने आते हैं वो चौकाने वाले है।

ये मंत्रालय आदिवासी कल्याण के लिए नोडल एजेंसी है। इस मंत्रालय के आवंटन में मामूली वृद्धि हुई है। कुल आवंटन 2017-18 में 5329 करोड़ रुपए से बढ़कर चालू वर्ष में 5935करोड़ रुपए हुए है। इस क्षेत्र में सरकार द्वारा कुल व्यय का हिस्सा पहले से ही चौंकाने वाला है। पिछले साल 0.25 फीसदी थी जो कम होकर इस साल 0.24 फीसदी हो गई है। इससे साफ पता चलता है कि जब धनराशि आवंटित की जाती है तो जनजातीय मंत्रालय सरकार को दिखाई ही नहीं देती है। दूसरी तरफ आवंटित इस मामूली रक़म को भी अनुमानित रूप से खर्च नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए यद्यपि 2017-18 के दौरान न्यूनतम वन उत्पादन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत 100 करोड़ रुपए आवंटित किए गए इसमें से मात्र 25 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए थे। इसी तरह पिछले साल आवंटित राशि 505 करोड़ रुपए का लगभग 21 प्रतिशत सरकार ख़र्च करने में विफल रही जिसके चलते अन्य कल्याणकारी योजनाओं सहित 'वनबंधु कल्याण योजना' के लिए कुल आवंटन लगभग 17 प्रतिशत घट गया है।

आदिवासियों के लिए वन प्रशासन अधिकार सुनिश्चित करने के क़ानूनों के बावजूद दशकों से भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया है। अब केंद्र सरकार द्वारा तैयार की गई वन नीति यदि पारित हो जाती है तो यह मौजूदा वन क़ानूनों को आदिवासियों और वनवासियों की क़ीमत पर निजी कंपनियों को फायदा पहुँचाने के लिए प्रतिस्थापित कर देगा।

ministry of tribal affairs
environment ministry
tribals

Related Stories

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 

दक्षिणी गुजरात में सिंचाई परियोजना के लिए आदिवासियों का विस्थापन

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

व्यासी परियोजना की झील में डूबा जनजातीय गांव लोहारी, रिफ्यूज़ी बन गए सैकड़ों लोग

बाघ अभयारण्य की आड़ में आदिवासियों को उजाड़ने की साज़िश मंजूर नहीं: कैमूर मुक्ति मोर्चा

सोनी सोरी और बेला भाटिया: संघर्ष-ग्रस्त बस्तर में आदिवासियों-महिलाओं के लिए मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली योद्धा

मध्य प्रदेश के जनजातीय प्रवासी मज़दूरों के शोषण और यौन उत्पीड़न की कहानी


बाकी खबरें

  • MUNDIKA
    मुकुंद झा, रौनक छाबड़ा
    मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर
    14 May 2022
    संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में, जहां शवों और घायल लोगों को चिकित्सा सहायता के लिए लाया गया था, वहां लोगों में निराशा के दृश्य थे, क्योंकि परिवार के सदस्य अपने परिजनों के बारे में कुछ जानकारी की…
  • FINALS
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बैडमिंटन टूर्नामेंट: 73 साल में पहली ‘थॉमस कप’ का फाइनल खेलेगा भारत
    14 May 2022
    बैडमिंटन टूर्नामेंट में भारत ने इतिहास रच दिया है, 73 साल में पहली बार भारत थॉमस कप के फाइनल में पहुंचा है।
  • Congress
    न्यूज़क्लिक टीम
    कांग्रेस का उदयपुर चिंतन शिविर: क्या सुधरेगी कांग्रेस?
    14 May 2022
    लंबे अरसे बाद कांग्रेस विधिवत चिंतन कर रही है। इसके लिए उसने उदयपुर में चिंतन शिविर आयोजित किया। वर्षो से बेहाल कांग्रेस को क्या ऐसे शिविर से कुछ रास्ता दिखेगा? क्या उसका राजनीतिक गतिरोध खत्म होगा? #…
  • Indian Muslims
    न्यूज़क्लिक टीम
    हम भारत के लोगों की कहानी, नज़्मों की ज़ुबानी
    14 May 2022
    न्यूज़क्लिक के इस ख़ास कार्यक्रम 'सारे सुख़न हमारे' के इस एपिसोड में हम आपको सुना रहे हैं मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा, और मुसलमान होने के मायनों से जुड़ी नज़्में।
  • sugaercane
    अमेय तिरोदकर
    महाराष्ट्र में गन्ने की बम्पर फसल, बावजूद किसान ने कुप्रबंधन के चलते खुदकुशी की
    14 May 2022
    मराठवाड़ा में जहां बड़े पैमाने पर गन्ने की पैदावार हुई है, वहां 23 लाख टन गन्ने की पेराई सरकार की कुव्यवस्था से अभी तक नहीं हुई है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License