NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका जो चाल ताइवान में चल रहा है, हूबहू वही यूक्रेन में भी
वास्तव में ताइवान और यूक्रेन  दोनों ही एक दूसरे से कूल्हे से जुड़े हुए हैं। अतः रूस एवं चीन के लिए कोई भी  दांव इसके ऊंचा नहीं हो सकता है।
एम. के. भद्रकुमार
23 Nov 2021
Taiwan and Ukraine

अमेरिका ने यूक्रेन की सीमा से 500 किलोमीटर से अधिक दूर येलन्या में रूसी सैन्य शिविर की उपग्रह छवि के आधार पर आरोप लगाया है कि मास्को यूक्रेन में आक्रमण की योजना बना रहा है और इस लिहाजन, यहां नाटो की जो मौजूदा संलग्नता है, वह उचित है। ऐसा करते हुए अमेरिका ने युद्ध उन्माद को एक तरह से बढ़ा दिया है। 

अमेरिकी राष्ट्रपति जोए बाइडेन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पिछले मंगलवार को हुई आभासी बैठक ने जून में जिनेवा में हुए अमेरिका-रूस शिखर सम्मेलन से अधिक “फील गुड” कराया है। 

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बाइडेन की बातचीत ने जाहिर तौर पर रूस के साथ "स्थिर और अनुमानित" संबंध बनाने की अपेक्षा की थी, लेकिन आज तो युद्ध की बात हो रही है। 

मंगलवार को, बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, जेक सुलिवन ने बाइडेन-शी शिखर सम्मेलन के बारे में एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि अमेरिका और उसके समान विचारधारा वाले साझीदार "अपने हितों और मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए नियम" लिखेंगे और चीन के मसले पर पीछे हटेंगे। 

गुरुवार को, बाइडेन ने खुलासा किया कि वे पेइचिंग में शीतकालीन ओलंपिक के राजनयिक बहिष्कार पर विचार कर रहे हैं।

शुक्रवार को, अमेरिकी विदेश विभाग ने घोषणा की कि वाणिज्यिक और आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के लिए आज एक अमेरिका-ताइवान आर्थिक समृद्धि साझेदारी वार्ता आयोजित की गई, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि ताइवान अमेरिका-चीन संबंधों में ताइवान एक गंभीर उत्तेजना का बिंदु बना रहेगा और बाइडेन प्रशासन ताइपे (ताइवान की राजधानी) के साथ सेना ढांचे और प्रौद्योगिकी सहयोग संबंध को आगे बढ़ाएगा। 

शनिवार को, अमेरिकी हिंद-प्रशांत कमांड के प्रमुख एडमिरल जॉन एक्विलिनो ने एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की अमेरिकी प्रतिबद्धता की पुष्टि की और सहयोगियों को चीन और उसके सैन्य कार्यों के साथ बढ़ते तनाव को दूर करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। 

इसके बाद, व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारियों ने पेइचिंग से "सड़क के नियम", या "यातायात नियमों" को वैकल्पिक रूप से पालन करने का आग्रह किया है।

इन घटनाक्रमों पर आखिर में चीन ने शुक्रवार को पलटवार किया। अमेरिका में चीनी राजदूत किन गैंग ने अमेरिका के यह तय किए जाने पर सवाल उठाया कि पेइचिंग को व्हाइट हाउस द्वारा निर्धारित "यातायात नियमों" का पालन करना चाहिए। किन ने अमेरिका पर चीन को नियंत्रित करने, रोकने के लिए एक और "बर्लिन की दीवार" बनाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। 

इसकी तुलना में, जिनेवा में बाइडेन-पुतिन शिखर सम्मेलन की जीवनावधि कहीं अधिक रही है। फिर भी, अमेरिका अब अपने सहयोगियों को आगाह कर रहा है कि रूस यूक्रेन में युद्ध की ओर बढ़ रहा है। 

मूल रूप से, राजनयिक स्तर पर, बाइडेन प्रशासन का उद्देश्य चीन या रूस के साथ द्विपक्षीय तनावों को संघर्ष में बदलने से रोकने के लिए सुरक्षात्मक "रेलिंग" बनाना है। वास्तव में, हालांकि, ये "रेलिंग" अमेरिका के हितों की तुलना में चीन और रूस के लिए एकतरफा बाधा के रूप में कार्य करेंगे।

यह अविश्वास और दुश्मनी का नुस्खा है। वाशिंगटन में इंस्टीट्यूट फॉर चाइना-अमेरिका स्टडीज के सीनियर फेलो सौरभ गुप्ता ने "ला कार्टे (मुद्देवार) लेन-देनवाद" के रूप में एक प्रतिमान तैयार किया है, जो वास्तविक सहयोग को दरकिनार करता है। 

स्पष्ट रूप से, न तो चीन और न ही रूस इस तरह के गड्मड्, प्रबंधित सह-अस्तित्व के लिए कोई समझौता करेंगे, क्योंकि ताइवान और यूक्रेन दोनों ही उनके अस्तित्व के मुद्दे हैं। लिहाजा, वे किसी बिंदु पर अमेरिका को झांसा देंगे। यूक्रेन को लेकर मौजूदा तनाव इसका द्योतक है। 

अमेरिका सलामी रणनीति (इसमें विरोधी को विभाजित कर उस पर हमले किए जाते हैं और कामयाबी हासिल की जाती है) अपना रहा है, जो लगातार उत्तेजक है और पेइचिंग और मॉस्को को तनाव में डालता है। यह धरातल पर नए तथ्य पैदा करने के लिए लगातार उनकी "लाल रेखाओं" को टटोलता रहता है। 

एक प्रमुख रूसी पंडित, प्रोफेसर ग्लेन डिसेन ने पिछले सप्ताह लिखा था, "लाल रेखाएं प्रतिरोध के बारे में हैं। पहले स्थान पर उन्हें आकर्षित करने का उद्देश्य महत्त्वपूर्ण सुरक्षा हितों और गंभीर परिणामों को संप्रेषित करना है, बशर्ते अगर उन्हें कमतर आंका जाता है, या उन्हें नजरअंदाज किया जाता है। संक्षेप में, मास्को के अल्टीमेटम का उद्देश्य पश्चिम को खतरनाक गलत अनुमान लगाने से रोकना है।" 

प्रो. डिसेन ने समझाया: यह "निवारक उपाय तीन सी : क्षमता, विश्वसनीयता और संचार (capability, credibility, and communication) पर टिका हुआ है। रूस उसकी लाल रेखाएं अगर पार की जाती हैं, तो इसका जवाब देने के लिए उसके पास सैन्य क्षमता है, यदि उसने खतरों पर कार्रवाई करने के लिए अपनी तैयारियों के संदर्भ में विश्वसनीयता का प्रदर्शन किया है, और यह जानता है कि अपनी क्षमताओं को स्पष्ट रूप से संप्रेषित किया जाना चाहिए ताकि पश्चिम कोई भी गलत कदम न उठा सके जिसके लिए उसे एक जबरदस्त प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता होगी। हालांकि, इसकी लाल रेखाओं में कमजोरी वर्तमान में विवरण की कमी है कि क्या होगा यदि कोई अन्य राष्ट्र एक हद से अधिक कदम उठा लेता है।” 

18 नवंबर को मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यूक्रेन में "लाल रेखाओं" के बारे में की गई जोरदार टिप्पणी के तुरंत बाद प्रो. डिसेन क्रेमलिन-वित्त पोषित रूस टुडे या आरटी में इस लेख को लिखा था। 

ताइवान में अमेरिका जो कर रहा है, लगभग हूबहू वही वह यूक्रेन में कर रहा है। ताइवान और यूक्रेन दोनों में, अमेरिका ने "लाल रेखा" को बाधित करते हुए, विशेष बलों की तैनाती के रूप में अपने "ट्रिप वायर्स" लगाए हैं। और दोनों ही मामलों में, अमेरिका सलामी रणनीति को धीमी गति से आगे बढ़ा रहा है-" पहले उसके पतले टुकड़ों को काटते हुए फतह की तरफ बढ़ना। कोई भी कार्रवाई इस हद तक अपमानजनक नहीं होती कि वह युद्ध का बहाना बन जाए। लेकिन एक दिन, आप पलट कर महसूस करते हैं कि आपने कितनी जमीन खो दी है,” जैसा कि प्रो डिसेन ने लिखा है।

मास्को का धैर्य चुकता जा रहा है। विशेष रूप से, मास्को यह अब और स्वीकार नहीं कर सकता है और न ही करेगा, कि- 


· कीव द्वारा मिन्स्क समझौते को छोड़ने के लिए अमेरिकी समर्थन को;


· यूक्रेन में विद्रोही भावनाओं को भड़काने का पश्चिमी देशों के उकसावे को; 


· यूक्रेन को "रूसी विरोधी" देश के रूप में बदलने के लिए पश्चिमी रोड मैप को; 


· यूक्रेन के लिए सैन्य समर्थन की तीव्रता को; 


· यूक्रेन और काला सागर में अमेरिकी सेना की तैनाती को; तथा 


· यूक्रेन के साथ नाटो की सक्रिय भागीदारी और काला सागर में उसकी उपस्थिति को। 

पुतिन को उम्मीद थी कि बाइडेन रूस की चिंताओं को समझेंगे, लेकिन उनकी राय में कोई सुधार नहीं हुआ है और पुराने दृष्टिकोण को ही सख्ती से आगे बढ़ाया जा रहा है। रूसी दृष्टिकोण से, अमेरिकी नीति मास्को के लिए कीव (यूक्रेन की राजधानी) के साथ सामान्य संबंधों को असंभव बना रही है, वहीं इसकी पश्चिमी सीमा पर रूसी विरोधी एक देश के निर्माण के लिए कठोर रूप से अग्रसर है। 

दिलचस्प बात यह है कि पुतिन ने अपनी टिप्पणी में चीन-रूसी अर्ध-गठबंधन की केंद्रीयता को भी शामिल किया था। पुतिन ने कहा था, 'हमारे कुछ पश्चिमी साझेदार खुले तौर पर मास्को और पेइचिंग के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। हम उनके इन इरादों से अच्छी तरह वाकिफ हैं। हम अपने चीनी मित्रों के साथ मिलकर, अपने राजनीतिक, आर्थिक और अन्य सहयोग का विस्तार करके और विश्व क्षेत्र में समन्वय के कदम उठाकर इस तरह के प्रयासों का जवाब देना जारी रखेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय ने पुतिन की टिप्पणी की सराहना की। 

चीन और रूस ने 19 नवंबर को जापान सागर और पूर्वी चीन सागर में एक संयुक्त रणनीतिक हवाई गश्त की। दस घंटे से अधिक समय तक चली इस गश्त में रूसी और चीनी दोनों पक्षों के एक-एक परमाणु-सक्षम बमवर्षकों ने भाग लिया। तास ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पुतिन इससे अवगत थे। 

एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, अन्य बातों के साथ, गश्त का उद्देश्य "दोनों पक्षों के रणनीतिक समन्वय और संयुक्त परिचालन क्षमताओं के स्तर को उन्नत करना और संयुक्त रूप से वैश्विक रणनीतिक स्थिरता की रक्षा करना है।" 

चीन और रूस के लिए ताइवान और यूक्रेन उनके अपने अस्तित्व के मुद्दे हैं। पेइचिंग ताइवान के मेटास्टेसिस को अमेरिका के नेतृत्व वाले कॉर्डन सैनिटेयर के एक घटक के रूप में बर्दाश्त नहीं कर सकता है। मॉस्को भी अपनी पश्चिमी और दक्षिणी सीमा पर इस तरह की घटना को बर्दाश्त नहीं कर सकता। (पिछले हफ्ते, नाटो महासचिव ने पूर्वी यूरोप में परमाणु हथियारों की तैनाती के बारे में खुलकर बात की थी।) 

यह कहने की जरूरत नहीं है कि मौजूदा रुझानों को रूस दृढ़ता से नहीं लेगा। फिर देखते हैं कि आगे क्या होता है? क्रेमलिन ने तो गंभीर होती जा रही स्थिति के बारे में अपनी तरफ से आगाह कर दिया है। 

दरअसल, यहां कोई भी चीन-रूसी "मिलीभगत" के बारे में बात नहीं कर रहा है। न ही यह मॉस्को या पेइचिंग का मामला है। मुद्दा केवल युद्ध में जाने या न जाने का है, बस। चीन और रूस दोनों अभी भी अपने लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए सक्रिय रुख अपना सकते हैं। 

ताइवान के इंडिपेंडेंस फोर्स की उकसावापूर्ण गतिविधियों से निपटने के लिए पेइचिंग के पास निश्चित रूप से उपाय होंगे। मास्को के लिए भी, यूक्रेन पर आक्रमण के विकल्प कम हैं। कहना काफी है कि  दोनों देशों के पास अपने टूलबॉक्स में विकल्प हैं, जिनका अभी तक उपयोग नहीं किया गया है। 

हालांकि, यह पूरी तरह से एक नया परिदृश्य हो सकता है, अगर सुदूर पूर्व और पूर्वी यूरोप में "एक्शन-रिएक्शन" सिंड्रोम में यह एक साथ दिखाई दे। पर खेल में बदलाव को प्रभावित करने वाली वस्तुएं भी हैं लेकिन परिदृश्य की एकतानता का पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र और विश्व स्तर पर अमेरिका के लिए भू-राजनीतिक रूप से अनुकूल परिणामदेय नहीं हो सकता। वास्तव में, तब दुनिया पूरी तरह से एक अलग रूप ले सकती है। 

यदि पेइचिंग रूस को यूक्रेन में "हारते", टुकुर-टुकुर देखता रह गया तो अमेरिका इससे केवल उत्साहित ही होगा और उसके प्रभुत्व को पीछे धकेलने की चीनी क्षमता कमजोर पड़ जाएगी। फिर, अगर अमेरिका सुदूर पूर्व में विजयी होता है, तो वह रूस पर अपनी शर्तों पर वैश्विक रणनीतिक स्थिरता लाने की व्यवस्था लागू करेगा, अब वह चाहे कुछ भी हो। 

ताइवान और यूक्रेन वास्तव में एक दूसरे से कूल्हे पर जुड़े हुए हैं, और रूस तथा चीन के लिए कोई भी बाजी ऊंची नहीं कही जा सकती है। 

(एमके भद्रकुमार एक पूर्व भारतीय राजनयिक हैं। लेख में व्यक्त विचार उनके निजी हैं।) 

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें 

What US is Doing in Taiwan is Almost Ditto in Ukraine

Taiwan
ukraine
United States
Russia and China
Joe Biden
Xi Jinping
US-Russian summit
vladimir putin

Related Stories

बाइडेन ने यूक्रेन पर अपने नैरेटिव में किया बदलाव

पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन

और फिर अचानक कोई साम्राज्य नहीं बचा था

यूक्रेन युद्ध से पैदा हुई खाद्य असुरक्षा से बढ़ रही वार्ता की ज़रूरत

फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने

यूक्रेन में संघर्ष के चलते यूरोप में राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव 

सऊदी अरब के साथ अमेरिका की ज़ोर-ज़बरदस्ती की कूटनीति

गर्भपात प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट के लीक हुए ड्राफ़्ट से अमेरिका में आया भूचाल

गुटनिरपेक्षता आर्थिक रूप से कम विकसित देशों की एक फ़ौरी ज़रूरत

यूक्रेन की स्थिति पर भारत, जर्मनी ने बनाया तालमेल


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License