NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
अगर ‘ये सरकार ग़रीबों की है’, तो दिहाड़ी मज़दूरों की आत्महत्याएं क्यों बढ़ रहीं हैं?
‘सबका साथ, सबका विकास’ वाले भारत में आर्थिक तंगी से बदहाल मज़दूरों का विकास नहीं हो पा रहा है। साल दर साल इनकी आत्महत्या के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। एनसीआरबी 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक खुदकुशी करने वाला हर चौथा शख़्स दिहाड़ी मज़दूर है।
सोनिया यादव
05 Sep 2020
तो दिहाड़ी मज़दूरों की आत्महत्याएं क्यों बढ़ रहीं हैं
प्रतीकात्मक तस्वीर

‘अच्छे दिन’ के वादे के साथ सत्ता में आई बीजेपी की मोदी सरकार दिहाड़ी मज़दूरों के अच्छे दिन लाने में विफल साबित हो रही है। बड़े-बड़े दावों और वादों के बीच देश में मज़दूरों की हालत किस कदर खस्ता है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एनसीआरबी द्वारा जारी ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में आत्महत्या करने वालों में सबसे ज्यादा संख्या दिहाड़ी मज़दूरों की थी। इस साल खुदकुशी करने वाला हर चौथा शख्स दिहाड़ी मज़दूर है।

क्या कहते हैं एनसीआरबी के आंकड़ें?

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली संस्था राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी), भारतीय दंड संहिता व विशेष और स्थानीय क़ानून की देख-रेख में आंकड़े एकत्र करने और उस पर गहन विश्लेषण कर अपराध की सालाना रिपोर्ट जारी करती है।

एनसीआरबी हर साल एक्सीडेंटल डेथ्स और सुसाइड्स से संबंधित रिपोर्ट भी निकालती है। जिसमें अलग-अलग वर्गों के बीच कई कारणों से हुई आत्महत्याओं का विवरण होता है। हाल ही में एनसीआरबी द्वारा जारी साल 2019 की सलाना रिपोर्ट बताती है कि इस साल किसानों की आत्महत्या में हल्की गिरावट तो आई है लेकिन दिहाड़ी मज़दूरों की आत्महत्या का प्रतिशत पिछले पांच वर्षों में 6 गुना बढ़ गया है।

अगर साल 2019 के आंकड़ों पर नज़र डाले तो इस साल आत्महत्या से मरने वाले लोगों की कुल संख्या 1,39,123 रही। यह 2018 की तुलना में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि है। इसमें से कुल 32,559 दिहाड़ी मज़दूर थे और इनका प्रतिशत 23.4% रहा। यानी खुद को मारने वाला हर चौथा इंसान दिहाड़ी मज़दूर था। कुल आत्महत्याओं में से दैनिक वेतन भोगियों की संख्या 23.4 प्रतिशत था।

एनसीआरबी की रिपोर्ट में आत्महत्या के आंकड़ों को पेशे के हिसाब से नौ श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। 2019 में कुल 97,613 पुरुषों ने आत्महत्या की। इनमें सबसे अधिक 29,092 दैनिक वेतनभोगी श्रेणी से थे। इनमें 14,319 लोग अपना काम करते थे और 11,599 लोग बेरोजगार थे।

2019 में 41,493 महिलाओं ने आत्महत्या की। इनमें सबसे अधिक (21,359) गृहणियां थी, जबकि इसके बाद दूसरे नंबर पर छात्राएं रहीं। 4,772 छात्राओं ने आत्महत्या की, जबकि तीसरे नंबर पर दैनिक वेतनभोगी महिलाएं (3,467) थी।

लगातार बढ़ती दिहाड़ी मज़दूरों की आत्महत्या

एनसीआरबी की रिपोर्ट एक और अहम बात की ओर इशारा करती है। जिसे शायद हर बार दख कर अनदेखा कर दिया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक बीते पांच सालों के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि आत्महत्या या खुदखुशी करने वाले दिहाड़ी मज़दूरों की संख्या हर साल लगातार बढ़ रही है।

अगर साल 2015 की बात करें तो इस साल आत्महत्या करने वाले दिहाड़ी मज़दूरों की कुल संख्या 23,779 थी, यानी प्रतिशत 17%. ये साल 2016 में बढ़कर 19% हो गई, यानी इस साल 21,902 दिहाड़ी मज़दूरों ने आत्महत्या की। इसके बाद साल 2017 में 28,737 मौत की बलि चढ़ गए और इनका प्रतिशत 22.1% तक पहंच गया। साल 2018 में ये ग्राफ 30,124 तक चढ़ गया यानी 22.4% प्रतिशत। ये आंकड़े साल दर साल दिहाड़ी मज़दूरों की खस्ता हालत की कहानी बयां कर रहे हैं।

आखिर क्या कारण है दिहाड़ी मज़दूरों के आत्महत्या के?

हमारे समाज की एक बड़ी सच्चाई ये है कि मज़दूरों को उनका उचित पारिश्रमिक समय से नहीं मिलता। एनसीआरबी की सर्वेक्षेण रिपोर्ट भी बताती है कि दिहाड़ी मज़दूरों की आत्महत्या की बहुत बड़ी वजह उनकी आमदनी में आई कमी है।

इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि आम तौर पर कम आमदनी वाले लोगों द्वारा आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं। 2019 में आत्महत्या करने वालों में दो तिहाई लोग ऐसे थे, जिनकी आमदनी सालाना 1 लाख रुपये या उससे कम थी।

आंकड़ें बताते हैं कि साल 2019 में 92,083 दिहाड़ी मज़दूरों यानी कुल 66.2% आत्महत्या करने वालों की वार्षिक आय 1 लाख रुपये से कम थी, जबकि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत वार्षिक आय न्यूतम 1 लाख और अधिकतम 5 लाख या उससे कम होनी चाहिए। पिछले वर्ष 2/3 मज़दूरों की वार्षिक आय 1 लाख रुपये से कम थी, यानी रोज का सिर्फ 278 रुपये जो कि कई राज्यों में मिलने वाली मजदूरी दर या मनरेगा से भी कम है।

बेरोज़गारी भी है आत्महत्या की एक बड़ी वजह

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक आत्महत्या से होने वाली मौत के पीछे बेरोज़गारी भी एक बड़ी वजह है। साल 2019 में 2,851 लोगों ने बेरोज़गारी के कारण आत्महत्या का रास्ता चुना। वहीं 14,019 लोग जिनकी मौत आत्महत्या के कारण हुई वे बेरोज़गार थे और इसमें शामिल ज़्यादातर लोगों की उम्र उम्र 18 से 30 साल के बीच थी।

2020 की तस्वीर और भयावह होगी!

गौरतलब है कि कोरोना संकट ने पहले से ही संघर्ष कर रही अर्थव्यवस्था को और गर्त में ढकेल दिया है। जीडीपी माइनस 23.9 प्रतिशत पर पहुंच गई है तो वहीं कई लाख लोग इस दौरान अपना काम तक गवां चुके हैं।

ग्रामीण मीडिया संस्थान गाँव कनेक्शन के राष्ट्रीय सर्वे में शामिल 42.5% श्रमिक मज़दूरों ने कहा कि लॉकडाउन में उन्हें पूरा वेतन मिला पर 30.6% को कुछ भी नहीं मिला। महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम के अनुसार 10 में से 8 मज़दूरों को लॉकडाउन में कोई काम नहीं मिला। कोविड -19 से हालत और बुरे होने वाले हैं। भुखमरी और बेरोजगारी जैसे जैसे अपने पांव पसारेगी। ज़िन्दगी को ताक पर रखने वालों की संख्या और बढ़ेगी। आर्थिक तंगी और कर्ज गरीब तबकों को इस कदर परेशान करेगी कि वर्ष 2020 की एनसीआरबी रिपोर्ट और भी भयावह और दर्दनाक हो सकती है।

हालांकि जानकारों का कहना है कि दिहाड़ी मज़दूरों और बेरोज़गारों को आत्महत्या करने से तभी बचाया जा सकता है जब सरकार बेहतर रोज़गार के अवसर प्रदान करे। सूक्ष्म, लघु और माध्यम स्तर के उद्यमों की स्थिति को सिर्फ कागज़ों में नहीं वास्तव में सुधार करे। रोज़गार के साथ-साथ उचित मेहनताना भी सरकार को सुनिश्चित करना होगा, जिससे संकट के इस दौर में हाशिए पर खड़ा मज़दूर-किसान इससे उभर सकें।

विपक्ष ने सरकार को बताया ज़िम्मेदार

एनसीआरबी की रिपोर्ट सामने आने के बाद विपक्ष ने मोदी सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है। कांग्रेस ने इस मामले में केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा है कि मोदी सरकार के कु-प्रबंधन के कारण आर्थिक तंगहाली से युवा, किसान और दिहाड़ी श्रमिक सबसे ज्यादा परेशान हैं। आत्महत्या करने को मजबूर हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ बोल नहीं रहे हैं।

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया, 'केवल 1 साल-वर्ष 2019 में देश में 42,480 किसान-मजदूरों ने आत्महत्या की। NCRB के आंकड़े बता रहे हैं कि बीजेपी सरकार के कु-प्रबंधन के कारण आर्थिक तंगहाली से युवा, किसान व दिहाड़ीदार मजदूर सबसे ज्यादा त्रस्त हैं। किसान आत्महत्या करने को मजबूर और मोदीजी दम साधे, होठ सीए बैठे रहे।'

केवल 1 साल-वर्ष 2019 में देश में 42,480 किसान-मजदूरों ने आत्महत्या की।

NCRB के आंकडे बता रहे हैं कि भाजपा सरकार के कु-प्रबंधन के कारण आर्थिक तंगहाली से युवा, किसान व दिहाड़ीदार मजदूर सबसे ज्यादा त्रस्त हैं।

किसान आत्महत्या करने को मजबूर और मोदीजी दम साधे होठ सीए बैठे रहे..
1/3 pic.twitter.com/GugTaAg4nL

— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) September 2, 2020

सुरजेवाला ने कहा कि 116 किसान हर रोज आत्महत्या को मजबूर है। यही नहीं, साल 2019 में 14,019 बेरोजगार आत्महत्या को मजबूर हुए। 38 बेरोजगार रोज जिंदगी देने को मजबूर। सबसे चिंता की बात यह है कि ये आंकड़े कोरोना महामारी से बहुत पहले के हैं। मोदी जी, आपको रात को नींद कैसे आती है?

सुरजेवाला ने कहा, “मोदी जी, देश की सुध लीजिए, सत्ता का घमंड छोड़िये, किसानों का कर्ज़ा माफ़ कीजिए, बेरोजगार को रोजगार दीजिए। प्रबंधन की विफलता और फेल लॉकडाउन से खराब हालत वाले वर्ष 2020 के आंकड़े जब आएंगे तो हालात और भयावह होंगे।”

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि ट्वीट किया, '12 करोड़ रोजगार गायब। 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था गायब। आम नागरिक की आमदनी गायब। देश की खुशहाली और सुरक्षा गायब। सवाल पूछो तो जवाब गायब। विकास गायब है।

? 12 करोड़ रोज़गार गायब
? 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था गायब
? आम नागरिक की आमदनी गायब
? देश की खुशहाली और सुरक्षा गायब
? सवाल पूछो तो जवाब गायब।#विकास_गायब_है

— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 4, 2020

उधर, हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने किसानों और मजदूरों की खुदकुशी को लेकर कहा कि देश की मीडिया ध्यान भटकाने का काम करेगी लेकिन इस पर बात नहीं करेगी। किसानों और मजदूरों की खुदकुशी के एनसीबी के डाटा को ट्विटर पर शेयर करते हुए ओवैसी ने लिखा कि रात 9 बजे वाले राष्ट्रवादी इस पर कभी भी प्रधानमंत्री से सवाल नहीं पूछेंगे क्योंकि उन्हें पबजी पर बात करनी है।

9 PM Nationalists won't do a show about India's poorest being forced to die by suicide. There'll be no inquiry, no interview of victims' family members, no drama. They'll not question @PMOIndia at any cost

Millions of Indians are in pain & deserve to have their voice heard [1/2] pic.twitter.com/5KFzn2IP7t

— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 2, 2020

एआईएमआईएम अध्यक्ष ओवैसी ने कहा, रात 9 बजे वाले राष्ट्रवादी देश के गरीब लोगों की खुदकुशी को मजबूर होने पर शो नहीं करेंगे। इस मामले पर कोई जांच भी नहीं होगी। पीड़ितों के परिवारों से कोई इंटरव्यू नहीं लिया जाएगा। कोई ड्रामा नहीं होगा। पीएमओ से तो कभी सवाल होगा ही नहीं। आज लाखों भारतीय दर्द में हैं और यह उनका हक है कि उनकी बात सुनी जाए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

Daily Wage Workers
Workers crisis
Sabka Saath Sabka Vikas
poverty
Coronavirus
Lockdown
modi sarkar
Narendra modi
UNEMPLOYMENT IN INDIA
Randeep Singh Surjewala
Rahul Gandhi
Asaduddin Owaisi

Related Stories

किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है

ज़रूरी है दलित आदिवासी मज़दूरों के हालात पर भी ग़ौर करना

मई दिवस: मज़दूर—किसान एकता का संदेश

मनरेगा: ग्रामीण विकास मंत्रालय की उदासीनता का दंश झेलते मज़दूर, रुकी 4060 करोड़ की मज़दूरी

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?

ग्राउंड रिपोर्टः डीज़ल-पेट्रोल की महंगी डोज से मुश्किल में पूर्वांचल के किसानों की ज़िंदगी

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License