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स्वास्थ्य
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स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को डब्ल्यूटीओ के एजेंडे की परवाह क्यों करनी चाहिए?
हालिया रद्द किए गए विश्व व्यापार संगठन मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में ट्रिप्स छूट प्रस्ताव पर चर्चा की जानी थी, पर इसके एजेंडे में अन्य विषय भी विचारणीय थे, जिन्हें दुनिया भर के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को गंभीरता से लेना चाहिए।
पीपल्स डिस्पैच
06 Dec 2021
WTO

चार साल में पहली बार विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) सदस्य देशों के व्यापार मंत्रियों को 30 नवंबर से लेकर 3 दिसंबर तक जिनेवा में एक व्यक्तिगत बैठक में भाग लेना था। लेकिन इस बैठक को अंतिम समय में रद्द कर दिया गया क्योंकि यूरोपीय सरकारों ने कोविड-19 के नए संस्करण ओमिक्रॉन के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए यात्रा पर सख्त प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया था-लेकिन मंत्रियों को जिस एजेंडे पर चर्चा करनी थी, वह बैठक के रद्द होने के बावजूद महत्त्वपूर्ण है। 

विश्व व्यापार संगठन की यह प्रस्तावित बैठक सामान्य तौर पर होने वाली बैठक से बिल्कुल अलग थी क्योंकि इसकी प्रासंगिकता न केवल व्यापार कार्यकर्ताओं द्वारा पहचानी गयी थी, बल्कि स्वास्थ्य के अधिकार के लिए अभियान चलाने वालों ने भी इसे चिह्नित किया था। उस मान्यता का एक बड़ा हिस्सा इस तथ्य से उभर कर आया था कि बैठक में ट्रिप्स छूट प्रस्ताव पर चर्चा की जानी थी, लेकिन यह कहना गलत होगा कि यह वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एकमात्र  प्रासंगिक एजेंडा था। 

इन वर्षों में, विश्व व्यापार संगठन ने कई मार्गदर्शक और बाध्यकारी दस्तावेज पारित किए हैं, जिन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को कमजोर किया है। वास्तव में, विश्व व्यापार संगठन ने वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था को कायम रखते हुए और इसके मूल्यों को बढ़ावा देते हुए, दुनिया के स्वास्थ्य पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला है, जिससे यह स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए एक अहम क्षेत्र बन गया है।

बहुपक्षीय वार्ता: विश्व व्यापार संगठन में विकासशील देशों को हाशिए पर रखने की एक नई रणनीति?

यह मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी) भी अद्वितीय है क्योंकि चर्चा के तहत मुद्दों को तथाकथित बहुपक्षीय प्रक्रियाओं द्वारा आकार दिया गया है- बहुपक्षीय (जिसमें सभी देश शामिल हों) वार्ताओं की बजाय केवल कुछेक विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देशों को शामिल करने वाली वार्ता का उपयोग बाध्यकारी निर्णयों पर पहुंचने के लिए किया जाना चाहिए। बहुपक्षीय वार्ताओं को डब्ल्यूटीओ के नियमों में आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी गई है, फिर भी उनका उपयोग तथाकथित संयुक्त वक्तव्य पहल (जेएसआई) बनाने के लिए किया जा रहा है, जो डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों के उप-वर्गों (सबसेट्स) द्वारा समर्थित है। 

जेएसआइ (JSI) को ई-कॉमर्स, निवेश सुविधा और घरेलू सेवा विनियमन के आधार पर विकसित किया गया है। वे अपने वर्तमान ताने-बाने में, सभी विकसित देशों के हितों का समर्थन करते हैं, जो कि सरकारों द्वारा विनियमित अंतरराष्ट्रीय निगमों (TNCs) की मात्रा को सीमित कर सकते हैं। भले ही बहुपक्षीय वार्ताओं का डब्ल्यूटीओ प्रक्रियाओं में आधिकारिक दर्जा हासिल नहीं है, फिर भी ऐसा लगता है कि यदि अधिकतर देश जेएसआई का समर्थन करते हैं, तो यह इन प्रस्तावों के लिए लोकप्रिय समर्थन को जाहिर करेगा, और इसके परिणामस्वरूप उन्हें आधिकारिक नीति के रूप में अपनाया जाएगा। 

पहली नज़र में, ऐसा लग सकता है कि घरेलू सेवा विनियमन, ई-कॉमर्स, और मत्स्य पालन और कृषि का स्वास्थ्य से बहुत कम लेना-देना है, पर व्यवहार में उनका प्रभाव व्यापक हो सकता है। उदाहरण के लिए, मत्स्य पालन और कृषि-क्षेत्र में प्रस्तावित उपायों का दक्षिणी विश्व के देशों में किसानों और मछुआरों पर अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि वे विकासशील देशों में छोटे मछुआरों को दी जाने वाली सब्सिडी की मात्रा को सीमित करने पर जोर देते हैं, जबकि विकसित देशों में बड़े पैमाने पर मछुआरों को सब्सिडी की छूट देते हैं, जब तक कि उनके द्वारा जाहिर किया जाता है कि वे (मछुआरे) जो औद्योगिक पैमाने पर मछली पकड़ते हैं, वह "जैविक रूप से टिकाऊ स्तर" की हैं। इस तरह की सब्सिडी प्रणाली सबसे हाशिए पर रहने वाले मछुआरे समुदायों और उनके आश्रितों की खाद्य सुरक्षा और आजीविका दोनों को कमजोर कर देगी। यह एक ऐसी प्रणाली को भी वैध बनाती है, जो जैव विविधता को घटा देती है, जूनोटिक रोगों के उभरने में सहायक होती है, और पौष्टिकता से भरपूर एवं सांस्कृतिक रूप से उचित खान-पान तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने की बजाय पैमाने और दक्षता पर जोर देती है। 

व्यापार नियम जो स्वास्थ्य में सार्वजनिक निवेश के दायरे को सीमित करेंगे

विश्व व्यापार संगठन में चर्चा के लिए निर्धारित सभी मामलों में उत्तरी विश्व के देशों और निजी निगमों का विशेष अनुकूल स्थिति का आनंद लेना जारी है। ई-कॉमर्स के मामले में बड़ी प्रौद्योगिक कंपनियों के राष्ट्रीय स्तर के नियमन को सीमित करने का प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान विचारणीय प्रस्तावों में स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को लोगों के डेटा तक पहुंचने और प्रीमियम निर्धारित करने में इसका उपयोग करने की अनुमति देना शामिल है। 

जीवन-निर्वाह करने वाली स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच को विनियमित करने के लिए उनके व्यक्तिगत डेटा का उपयोग करने के अलावा, बड़ी तकनीकी कंपनियां भी इस उद्देश्य के लिए एल्गोरिदम का उपयोग करती हैं। अनुसंधान का एक विकसित होता हुआ निकाय यह दर्शाता है कि एल्गोरिदम में नस्लीय, लिंग और सांस्कृतिक पूर्वाग्रह भी निहित हैं। ये समस्याएं निजी क्षेत्र तक ही सीमित नहीं हैं। वे सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकती हैं क्योंकि सार्वजनिक संस्थान बड़ी तकनीकी कंपनियों पर भरोसा करते हैं ताकि वे उन्हें आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए आवश्यक डिजिटल आधारभूत संरचना प्रदान कर सकें। 

जब घरेलू सेवाओं को विनियमित करने की बात आती है, तो प्रस्तावित योजना स्थानीय स्वास्थ्य प्रणालियों में विदेशी निगमों की गुंजाइश बना सकती है, जबकि उनके कार्यों को विनियमित करने की उनकी क्षमता को सीमित कर सकती है, जिसके हानिकारक स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं। 

विश्व व्यापार संगठन में निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) की स्थिति सबसे अधिक अनिश्चित है, और इस स्थिति में, महामारी की शुरुआत के बाद शुरू किए गए उपायों से और भी इजाफा हो गया है। कई देशों के प्रतिनिधि वैक्सीन में किए जाने वाले रंगभेद के चलते ओमिक्रॉन के उभार होने के पहले भी डब्ल्यूटीओ की प्रस्तावित बैठक में शामिल नहीं हो सकते थे, और जो लोग ऑनलाइन भाग ले सकते थे, उन्हें चर्चा में भाग लेने का अधिकार नहीं होगा। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि उनकी इस गैर-भागीदारी की व्याख्या नीतियों पर की गई चर्चा और उनमें लिए जाने वाले निर्णयों में उनकी सहमति मानी जा सकती थी, जो उनकी सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों और अर्थव्यवस्थाओं के लिए भारी झटका साबित होगा, क्योंकि विश्व व्यापार संगठन में उनकी चुप्पी की व्याख्या उनकी सहमति के रूप में की जाती है। 

ट्रिप्स छूट के खिलाफ वॉकर प्रक्रिया

इस मुद्दे को भारत सहित कई देशों ने उठाया है, खासकर जब उन्होंने तथाकथित वॉकर प्रक्रिया का उल्लेख किया है, जिसे कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रति विश्व व्यापार संगठन की 'बहुपक्षीय और क्षैतिज' प्रतिक्रिया को अंतिम रूप देना है।

इसकी बजाय, ऐसा मालूम होता है कि वॉकर प्रक्रिया विकासशील बाजारों तक विकसित देशों की पहुंच बढ़ाने पर ही अपना ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि उन उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री को सुविधाजनक बनाया जा सके जो कि कोविड-19 के प्रबंधन के लिए चिकित्सकीय रूप से निर्दिष्ट नहीं की गई हैं। इनमें वस्तुओं के अलावा, निर्यात प्रतिबंध, व्यापार सुविधा, नियामक सुसंगतता, सहयोग और शुल्क पर विषयगत चर्चाओं को भी शामिल किया गया है। 

यह ट्रिप्स छूट प्रस्ताव का कोई उल्लेख नहीं करता है, उल्टे इसके जरिए यह ओटावा समूह के देशों और पिछले साल से ही छूट प्रस्ताव में टांग अड़ाने वाले लोगों के हितों की तरफदारी करता है। ऐसा करके वॉकर प्रक्रिया दुनिया को महामारी के वास्तविक समाधान से दूर ले जा रही है, वह उत्तरी विश्व में स्थित दवा कंपनियों के मुनाफे को संरक्षित करने के लिए दक्षिणी विश्व के लोगों की जिंदगी की बलि ले रही है। 

और इन हालात में ऐसा लग सकता है कि 12 वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC12) का स्थगन ट्रिप्स छूट प्रस्ताव पर होने वाली चर्चा में एक अतिरिक्त रुकावट के रूप में आया है। यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि विश्व व्यापार संगठन के सदस्य इसे अपने मंत्रियों की बैठक से स्वतंत्र रूप से पारित कर सकते हैं। छूट का समर्थन करने का निर्णय डब्ल्यूटीओ जनरल काउंसिल द्वारा किया जा सकता है, जिसकी बैठक अधिक नियमित तौर पर होती है, और जिसके सत्र ने एमसी की जगह ले ली है। वैश्विक आपातकाल की समय-संवेदी प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, ट्रिप्स छूट का सामान्य परिषद द्वारा काफी पहले से अनुमोदन किया जा सकता था-और अब भी इसका समर्थन किया जा सकता है, जिससे कि वैक्सीन रंगभेद से होने वाली और अधिक मौतों को रोकने में मदद मिलती।

इसे सुनिश्चित करने में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भूमिका महत्त्वपूर्ण है: उन्हें अपने स्थानीय स्वास्थ्य और व्यापार मंत्रियों पर अधिक से अधिक प्रगतिशील रुख अपनाने के लिए दबाव डालना चाहिए, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर मौजूदा व्यापार प्रथाओं के पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों के खिलाफ अपनी आवाज भी उठाना चाहिए। 

मूल रूप से पीपुल्स डिस्पैच में प्रकाशित 

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Why Should Health Activists Care About WTO’s Agenda?

WTO
WHO
Health Treaty
COVID-19

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