NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
याकूब मेमन: धर्मनिरपेक्ष राज्य में पक्षपाती न्यायपालिका
महेश कुमार
30 Jul 2015

मैंने याकूब मेमन की फांसी का विरोध किया था और फांसी को उम्र कैद में तब्दील किये जाने पक्ष में था. व्यक्तिगत तौर पर याकूब की फांसी से मुझे कोई दुःख नहीं पहुंचा। लेकिन याकूब को इस तरह फांसी दिए जाने से मुझे इस व्यवस्था से थोडा ऐतराज़ है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो दुखी नहीं हैं। मगर लोग दुखी हैं तो इस बात से  कि इस तरह के अन्य गुनाहगार लोगों को यह सज़ा दी जायेगी या नहीं या फिर राज्य उन्हें बचाने में राज सत्ता की पूरी ताकत लगा देगी, जैसा कि कई अन्य मामलों में हुआ है या फिर हो रहा है। आज सुबह जब में पुरानी दिल्ली गया तो मैंने अपनी मित्र जोकि मुस्लिम है, से कहा,  आखिरकार 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को फांसी दे दी गयी है। उनकी प्रतिक्रया थी कि, ऐसे लोगों को फांसी जरूर होनी चाहिए. वे कहने लगी कि हर उस व्यक्ति को फांसी होनी चाहिए जो मासूम और मजलूम लोगों को बिना किसी जुर्म के मौत के घाट उतार देता है, फिर याकूब पर तो सैकड़ों लोगो को मारने का आरोप था। उनके कहने का कुछ यह भी मतलब था कि जो लोग आम आदमी को दंगे की बलि चढ़ा देते हैं या आतंकी हमलों के जरिए मासूम लोगों को मौत की गोद में सुला देते हैं उन्हें तो फांसी दे देनी चाहिए। उनका इशारा 2002 के गुजरात दंगों की ओर था.

                                                                                                                       

इस फांसी से समाज में एक बड़ी बहस छिड़ गयी है। विवादों से घिरी यह फांसी कई सवाल छोड़ जाती है। पहला यह कि क्या अब देश में फांसी की सज़ा एक समुदाय विशेष से सम्बंधित होने की वजह को आधार बनाकर फैसला लिया जाएगा और उसे लागू करवाने के लिए न्यायिक प्रक्रिया को भी धता बता दिया जाएगा, यानी अदालत के सामने सही तथ्य ही पेश नहीं किये जायेंगे? न्यापालिका को गुमराह करके कार्यपालिका यानी राजसत्ता क्यों एक ख़ास धर्म के अपराधियों के विरुद्ध बदला लेने जैसी कार्यवाही कर रही है? क्यों खालिस्तानी आतंकवादियों की मौत की सज़ा को उम्र कैद में तब्दील करवाने के लिए पंजाब की अकाली सरकार ने पूरी ताकत लगा दी। क्यों गुजरात दंगों में 90 लोगों को मौत के घाट उतारने की जिम्मेदार भाजपा  नेता और गुजरात सरकार में पूर्व मंत्री माया कोडनानी की फांसी की सज़ा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया?

रॉ के अफसर श्री रमण (जोकि रॉ में पाकिस्तान डेस्क पर थे) के लेख/पत्र से यह स्पष्ट है कि याकूब मेमन को गिरफ्तार नहीं किया गया था बल्कि उसने आत्म समर्पण किया था। यही नहीं उसने अपने परिवार के सभी सदस्यों को आत्मसमर्पण करने में मदद भी की थी. यह याकूब की ही मदद का नतीजा था  कि भारतीय सुरक्षा एजंसियां मुंबई बम्ब विस्फोटों में पाकिस्तान का हाथ है, को साबित कर पायी। इन तथ्यों को देखते हुए पहली बात तो यह साबित होती है कि, याकूब मेमन भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए भविष्य में सभी जांचों के लिए एक मुख्य स्रोत का काम कर सकता था। दुसरे वह इस बात के लिए भी मदद कर सकता था कि 1993 के मुंबई बम धमाकों के मुख्य दोषी या षड्यंत्रकारियों को कैसे गिरफ्त में लिया जाए। जो लोग याकूब की फांसी की सज़ा का विरोध कर रहे थे वे कतई याकूब को सज़ा से बचाने के पक्षधर नहीं थे. उनका केवल इतना कहना था कि उसकी फांसी की सज़ा को दो मुख्य कारणों की को ध्यान में रखते हुए  उम्र कैद में तब्दील कर दिया जाना चाहिए, पहला यह, कि वह मुख्य षड्यंत्रकारी नहीं था और उसने खुद को जांच एजेंसियों के हवाले किया था, दूसरा यह, कि पूरी दुनिया में फांसी की सज़ा को ख़त्म किया जा रहा है और भारत भी इस बाबत हस्ताक्षर कर चुका है तो इस रौशनी में याकूब को फांसी न देकर उम्र कैद दे देनी चाहिए. लेकिन कट्टर हिंदूवादी राज सता से आप क्या उम्मीद कर सकते हैं?

लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसे द्वेषपूर्ण, अमानवीय और साम्प्रदायिक सोच से प्रभावित दंड का कोई औचित्य नहीं बनता है। पूरी दुनिया के अधिकांश देश इसे बर्बरता का सबसे पुराना हथियार मानते हैं. सभी शोधों में यह साबित हो चुका है कि फांसी की सज़ा से समाज में अपराध कम नहीं हो सकता है. अपराध तभी कम हो सकते हैं जब समाज में धर्म, जात, भाषा, प्रांत और लैंगिक भेदभाव के आधार पर बर्ताव न किया जाए। वर्ग के आधार पर आर्थिक और सामाजिक शोषण न हो। सबके पास अपने जीवन को जीने के लिए सारे हक़ हों और न्यूनतम सुविधाएं भोगने की सुविधा हों. ऐसा अगर हो जाए तो फांसी की जरूरत नहीं पड़ेगी और समाज में अपराध कम हो जायेंगे.

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख में वक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं, आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारों को नहीं दर्शाते ।

याकूब मेमन
बम्बई बम ब्लास्ट
1993
भाजपा
सुप्रीम कोर्ट
फांसी

Related Stories

वोट बैंक की पॉलिटिक्स से हल नहीं होगी पराली की समस्या

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

सर्वोच्च न्यायालय में दलितों पर अत्याचार रोकथाम अधिनियम में संसोधन के खिलाफ याचिका दायर

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

सुप्रीम कोर्ट: मॉब लिंचिंग पर जल्द कानून लाए केंद्र

आरक्षण खात्मे का षड्यंत्र: दलित-ओबीसी पर बड़ा प्रहार

झारखंड बंद: भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त विरोध

झारखण्ड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल, 2017: आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार

यूपी: योगी सरकार में कई बीजेपी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License