NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
ये ख़ामोशी बता रही है पेट्रोल के दाम बढ़े नहीं, बल्कि काफी घट गए हैं
2013-14 के साल जितना अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में कच्चे तेल की कीमत अभी उछली भी नहीं है लेकिन उस दौरान बीजेपी ने देश को पोस्टरों से भर दिया था बहुत हुई जनता पर डीज़ल पेट्रोल की मार, अबकी बार बीजेपी सरकार।
रवीश कुमार
21 May 2018
petrol price hike
Image Courtesy : Hindustan Times

2013-14 के साल जितना अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में कच्चे तेल की कीमत अभी उछली भी नहीं है लेकिन उस दौरान बीजेपी ने देश को पोस्टरों से भर दिया था बहुत हुई जनता पर डीज़ल पेट्रोल की मार, अबकी बार बीजेपी सरकार। तब जनता भी आक्रोशित थी। कारण वही थे जो आज केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान गिना रहे थे। तब की सरकार के बस में नहीं था, अब की सरकार के बस में नहीं है। मगर राजनीति में जिस तरह से कुतर्कों को स्थापित किया गया है, वही कुतर्क लौट कर बार बार बीजेपी के नेताओं को पूछ रहे हैं। पेट्रोल की कीमत रिकार्ड स्तर पर है फिर भी आप मीडिया में इसकी खबरों को देखिए, लगेगा कि कोई बात ही नहीं है। यही अगर सरकार एक रुपया सस्ता कर दे तो गोदी मीडिया पहले पन्ने पर छापेगा।

कर्नाटक चुनावों के कारण 19 दिन सरकार दाम नहीं बढ़ने देती है। तब भी तो अंतर्राष्ट्रीय कारण थे। उसी दौरान तो अमरीका ईरान के साथ हुए परमाणु करार से अलग हुआ था। 19 दिन बीत गए अब दाम पर सरकार का नहीं, बाज़ार का बस है। एक सप्ताह में पेट्रोल के दाम में 1.62 रुपये की वृद्धि हो चुकी है । डीज़ल के दाम 1.64 रु प्रति लीटर बढ़े हैं। दाम अभी और बढ़ेंगे। मंत्री जी कहते हैं कि जल्दी ही समाधान लेकर हाज़िर होंगे। अभी तक वो समाधान क्यों नहीं तैयार हुआ। कच्चे तेल के दाम चुनाव बाद तो नहीं बढ़े।

दिल्ली में 14 सितबंर 2013 को एक लीटर पेट्रोल 76.06 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था। 20 मई 2018 को 76.24 रु प्रति लीटर हो गया है। अपने सबसे महंगे स्तर पर है। दिल्ली का मीडिया चुप है। बोलेगा तो गोदी से उतार कर सड़क पर फेंक दिया जाएगा। मुंबई में एक लीटर पेट्रोल 84.07 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है। पटना में 81.73 रुपये प्रति लीटर, भोपाल में 81.83 रु प्रति लीटर दाम है।

मलेशिया के नए प्रधानमंत्री ने कहा है कि हफ्ते हफ्ते का दामों में उतार चढ़ाव अब नहीं होगा। दाम को फिक्स किया जाएगा और ज़रूरत पड़ी तो सरकार सब्सिडी देगी। इसी मलेशिया का उदाहरण देकर भारत में कई लोग जीएसटी का स्वागत कर रहे थे। मलेशिया ने तीन साल तक जीएसटी लगाकर हटा दिया है। भारत में हफ्ते हफ्ते दाम बढ़ने की व्यवस्था की गई है। मगर सरकार चुनाव के हिसाब से चाहती है तो दाम नहीं बढ़ते हैं।

मोदी सरकार के मंत्री बार बार कहते रहे हैं कि बैंकों का एन पी ए यूपीए की देन है। बात सही भी है मगर कहा इस तरह से गया जैसे मोदी सरकार के दौरान कुछ हुआ ही नहीं और वह निर्दोष ही रही। आज के इंडियन एक्सप्रेस में जार्ज मैथ्यू की रिपोर्ट छपी है। ये रिपोर्ट प्राइवेट बैंकों के बारे में हैं। अभी तक हम पब्लिक बैंकों के एन पी ए की ही चर्चा करते थे। मगर अब पता चल रहा है कि प्राइवेट बैंकों की भी वही हालत है। मैथ्यू ने लिखा है कि पांच साल में बैंकों का एनपीए 450 प्रतिशत बढ़ा है। 2013-14 के वित्त वर्ष के अंत में कुल एन पी ए 19,800 करोड़ था, मार्च 2018 के अंत में एक लाख करोड़ से ज़्यादा हो गया।

उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने चुनावों में वादा किया था कि 14 दिनों के अंदर गन्ने का भुगतान होगा। इंडियन एक्सप्रेस में हरीश दामोदरन की रिपोर्ट पढ़ सकते हैं। हरीश फील्ड में दौरा करते हैं और काफी अध्ययन के बाद लिखते हैं। इनका कहना है कि मौजूदा 2017-18 के दौरान छह चीनी मीलों ने 1778.49 करोड़ का गन्ना खरीदा। कायदे से इन्हें 14 दिनों के अंदर 1695.2 5 करोड़ का भुगतान कर देना था। मगर अभी तक 888.03 करोड़ का ही भुगतान हुआ है। बाकी बकाया है ।

इस बीच बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपने संपादकीय में लिखा है कि मार्च 2018 में जिन 720 कंपनियों ने अपनी तिमाही के नतीजे घोषित किए थे, उनके कुल मुनाफे में 34 प्रतिशत की गिरावट है। यह बुरी ख़बर है। मगर अच्छी खबर है कि अगर इसमें से वित्त और ऊर्जा से संबंधित कंपनियों को निकाल दें तो कुल मुनाफा 15 प्रतिशत अधिक दिखता है। 720 कंपनियों का राजस्व बढ़ा है। यह पिछले तीन साल में अधिक है। इससे आने वाले समय में सुधार के संकेत दिख रहे हैं।

रवीश कुमार की फेसबुक वॉल से साभार I

पेट्रोल के दाम
petrol price hike
रवीश कुमार
अंतर्राष्ट्रीय तेल बाज़ार

Related Stories

महंगाई की मार मजदूरी कर पेट भरने वालों पर सबसे ज्यादा 

‘जनता की भलाई’ के लिए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के अंतर्गत क्यों नहीं लाते मोदीजी!

महंगाई पर देखिये: कैसे "सीएम मोदी" ने "पीएम मोदी" की पोल खोली !

महंगाई के कुचक्र में पिसती आम जनता

ग्राउंड रिपोर्टः डीज़ल-पेट्रोल की महंगी डोज से मुश्किल में पूर्वांचल के किसानों की ज़िंदगी

महंगाई के आक्रोश को मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत बढ़ाकर ढकने की कोशिश, आख़िर किसका नुक़सान? 

कच्चे तेल की तलाश की संभावनाओं पर सरकार ने उचित ख़र्च किया है?

दिल्ली में लगातार दूसरे दिन महंगी हुई सीएनजी, 2.5 रुपए बढ़ी क़ीमत

खाद्य मुद्रास्फीति संकट को और बढ़ाएगा रूस-यूक्रेन युद्ध

पेट्रोल डीजल के दाम याद दिलाया तो धमकाने लगे रामदेव!


बाकी खबरें

  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी
    25 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,124 नए मामले सामने आए हैं। वहीं देश की राजधानी दिल्ली में एक दिन के भीतर कोरोना के मामले में 56 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
  • weat
    नंटू बनर्जी
    भारत में गेहूं की बढ़ती क़ीमतों से किसे फ़ायदा?
    25 May 2022
    अनुभव को देखते हुए, केंद्र का निर्यात प्रतिबंध अस्थायी हो सकता है। हाल के महीनों में भारत से निर्यात रिकॉर्ड तोड़ रहा है।
  • bulldozer
    ब्रह्म प्रकाश
    हिंदुत्व सपाट है और बुलडोज़र इसका प्रतीक है
    25 May 2022
    लेखक एक बुलडोज़र के प्रतीक में अर्थों की तलाश इसलिए करते हैं, क्योंकि ये बुलडोज़र अपने रास्ते में पड़ने वाले सभी चीज़ों को ध्वस्त करने के लिए भारत की सड़कों पर उतारे जा रहे हैं।
  • rp
    अजय कुमार
    कोरोना में जब दुनिया दर्द से कराह रही थी, तब अरबपतियों ने जमकर कमाई की
    25 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है कि जहां कोरोना महामारी के दौरान लोग दर्द से कराह रहे…
  • प्रभात पटनायक
    एक ‘अंतर्राष्ट्रीय’ मध्यवर्ग के उदय की प्रवृत्ति
    25 May 2022
    एक खास क्षेत्र जिसमें ‘मध्य वर्ग’ और मेहनतकशों के बीच की खाई को अभिव्यक्ति मिली है, वह है तीसरी दुनिया के देशों में मीडिया का रुख। बेशक, बड़े पूंजीपतियों के स्वामित्व में तथा उनके द्वारा नियंत्रित…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License