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यूएस सीनेट ने ट्रंप की युद्ध शक्तियों को सीमित करने के लिए प्रस्ताव पारित किया
रिपब्लिकन नियंत्रित सीनेट द्वारा पारित किया गया यह प्रस्ताव पिछले महीने डेमोक्रेट्स-नियंत्रित हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव द्वारा पारित किए गए प्रस्ताव के समान है।
पीपल्स डिस्पैच
14 Feb 2020
यूएस सीनेट

संयुक्त राज्य अमेरिका के सीनेट ने गुरुवार 13 फ़रवरी को एक साधारण बहुमत के साथ ईरान पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की युद्ध शक्तियों को सीमित करने का एक प्रस्ताव पारित किया है।

इस प्रस्ताव का मसौदा डेमोक्रेटिक सीनेटर टिम कैन द्वारा तैयार किया गया था और उन्होंने ही इसे पेश किया। इसे 8 रिपब्लिकन ने समर्थन दिया था और 55 वोट पक्ष में और 45 विपक्षी वोटों के साथ इसे पास किया गया। रिपब्लिकन सीनेटर सुसान कोलिन्स ने प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया। अमेरिकी सीनेट में रिपब्लिकन 53 की संख्या के साथ बहुमत में है।

इस प्रस्ताव के अनुसार राष्ट्रपति ट्रंप के भविष्य में ईरान पर कोई भी मिलिट्री कार्रवाई करने से पहले कांग्रेस से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। प्रस्ताव में पिछले महीने ट्रंप द्वारा ईरानी जनरल क़सीम सुलेमानी की हत्या के क़दम की भी आलोचना की गई।

कैन के अनुसार, किसी भी आक्रामक युद्ध के लिए कांग्रेस के साथ बहस और वोट की आवश्यकता होती है।

पिछले महीने प्रतिनिधि सभा ने इसे के जैसा लेकिन एक अलग प्रस्ताव पारित किया था। हालाँकि, यह बाध्यकारी नहीं था। अगर यह वर्तमान संकल्प लेता है तो यह बाध्यकारी हो सकता है, यदि ट्रंप इसे वीटो ना करना चाहें। डेमोक्रेटिक पार्टी-नियंत्रित हाउस ने इस महीने के अंत में प्रस्ताव पर चर्चा करने का फ़ैसला लिया है।

राष्ट्रपति के अंतिम वीटो को ख़त्म करने के लिए, प्रस्ताव को अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत का समर्थन चाहिए। सीनेट की रचना को देखते हुए यह फ़िलहाल असंभव लग रहा है।

ईरान के संदर्भ में ट्रंप की नीतियों डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों ने आलोचना की है। ट्रंप 2015 में पूर्व राष्ट्रपति बराक़ ओबामा द्वारा किए गए ईरान के साथ ऐतिहासिक सौदे से पीछे हट गए और इसके ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाए। जनरल सुलेमानी की हत्या करने के ट्रंप के प्रशासनिक क़दम पर प्रतिकृया देते हुए ईरान ने 8 जनवरी को ईरान में यूएस फ़ौजियों के बेस पर जवाबी हमला किया। 100 से ज़्यादा फ़ौजियों को दिमाग़ी चोटें आई थीं। इराक़ी संसद ने सभी विदेशी सेनाओं की टुकड़ी को देश से चले जाने के लिए एक प्रस्ताव भी पारित कर दिया था। इराक़ में क़रीब 5000 अमेरिकी फ़ौजी हैं।

 

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