NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
यूपीः मेरठ के मुस्लिमों ने योगी की पुलिस पर भेदभाव का लगाया आरोप, पलायन की धमकी दी
स्थानीय मुस्लिमों ने अपने घरों की दीवारों पर 'बिक्री’ करने का पोस्टर लगाया। लोगों से अपने घरों को ख़रीदने का अनुरोध किया ताकि दूसरे जगह शिफ्ट हो सकें।
न्यूज़क्लिक स्टाफ़
02 Jul 2018
यूपी में डर के साए में मुसलमान

उत्तर प्रदेश के मेरठ के लिसादी गाँव के सैंकड़ों मुस्लिम परिवारों ने आरोप लगाया है कि योगी आदित्यनाथ सरकार की निगरानी में स्थानीय पुलिस द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यक होने के चलते उन पर मुक़दमा चलाया जा रहा था। उन्होंने इस इलाक़े को भी छोड़ने की धमकी दी है जहां उन्होंने जन्म लिया, बड़े हुए और अपनी संपत्तियां बनाई हैं।

जबसे बीजेपी ने राज्य की सत्ता संभाली है तबसे पुलिस द्वारा भेदभाव के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन यह पहली तरह की घटना है जिसमें मुसलमानों ने कथित पुलिस अभियोजन के चलते पलायन करने की धमकी दी है।

स्थानीय मुस्लिम निवासियों के मुताबिक़ हिंदू तथा मुस्लिमों के बीच संघर्ष में एकतरफा पुलिसिया कार्रवाई और उत्पीड़न की कई घटनाओं के बाद सांप्रदायिक तनाव लिसादी गाँव में होते रहे है। स्थानीय मुस्लिमों ने अपने घरों की दीवार पर घरों की 'बिक्री के लिए' पोस्टर लगाए हैं। इस पोस्टर में लोगों से उक्त घरों को ख़रीदने का अनुरोध किया है जिससे कि वे दूसरे जगह स्थानांतरित हो सकें।

पुराने मेरठ शहर के लिसादी गाँव में दर्जनों घर की दीवार पर पोस्टर और बैनर में लिखा है, "यह घर बिक्री के लिए है। मैं एक मुस्लिम हूँ। मैं अपना घर बेच रहा हूँ। यहाँ हर छोटी घटनाओं और संघर्ष को सांप्रदायिक रूप दे दिया जाता है।"

यहाँ के एक निवासी इस्माइल ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "पश्चिमी उत्तर प्रदेश की फ़िज़ा में हमेशा सांप्रदायिक तनाव का मामूली कारण रहा है। इसलिए स्थानीय मुस्लिम सांप्रदायिक संघर्ष के आदी हो गए हैं। लेकिन पिछले एक साल से स्थिति खराब हो गई है। अब यहाँ कि फ़िज़ा को अक्सर पूरी तरह तनाव में झोंक दिया जाता है जो किसी भी समय हिंसा का कारण बन सकता है। छोटे से छोटे झगड़े को भी सांप्रदायिक रंग दे दिया जाता है। यहाँ तक कि अगर कोई एक बच्चा किसी दूसरे बच्चे को अपशब्द बोल देता है तो इसमें भी बुजुर्गों को शामिल कर लिया जाता है और अगर वे दोनों अलग-अलग समुदायों के हैं तो वे इसे हिंदू-मुस्लिम तनाव पैदा कर देंगे।"

उन्होंने आगे कहा "समस्या सिर्फ यही नहीं है। पुलिस एक निष्पक्ष एजेंसी की तरह काम नहीं करती है। पुलिस सिर्फ मुस्लिमों पर मुक़दमा चलाती है। सत्तारूढ़ दल के राजनेता तुरंत कूद इसमें जाते हैं और इसे एक सांप्रदायिक मुद्दा बना देते हैं भले ही मामला इससे काफी अलग हो। अल्पसंख्यक समुदाय को एक संदेश भेजा जा रहा है कि कोई भी हमें अब बचा नहीं सकता है।"

इस गाँव के दूसरे निवासी हनीफ जो कि इस्माइल के पड़ोसी हैं उन्होंने कहा, हालांकि इन पोस्टरों को कुछ घरों पर ही चिपकाया गया है लेकिन सौ से ज़्यादा परिवारों ने अपनी संपत्तियों को बेचने और इलाक़ा छोड़ने का फैसला किया है।

उन्होंने आगे कहा, "हम निरंतर तनाव और झगड़े से तंग आ चुके हैं। लोगों को विकास का वादा किया गया था, न कि इस तरह के नग्न और अनियंत्रित बहुसंख्यकों की फ़िज़ा जहां सबकुछ बहुसंख्यकों के प्रिज्म के ज़रीए देखा जाता है। अब यहाँ रहना और संभव नहीं है।"

उन्होंने दो छोटे झगड़ों का ज़िक्र करते हुए कथित तौर पर कहा कि इसे सत्ताधारी पार्टी के नेताओं और पुलिस द्वारा सांप्रदायिक रंग दिया गया था।

हनीफ ने कहा, "पिछले सप्ताह लिसादी गेट पर दो मोटरसाइकिलों में टक्कर हो गई लेकिन इस लड़ाई को ऐसा बना दिया गया था जैसे कि दो समुदाय सड़क पर भिड़ गए थें। ऐसा लगता है कि आम चुनाव से पहले सब कुछ को बढ़ा चढ़ा कर और सांप्रदायिक परिप्रेक्ष्य में दिखाया जा रहा है। इसलिए जब इन दोनों लोगों ने पुलिस से संपर्क किया तो एक पक्ष जो हिंदू थे उनकी सुनवाई की गई। उनकी शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन जब दूसरे पक्ष ने पुलिस से संपर्क किया तो उन्हें पुलिस स्टेशन में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी गई। इसलिए पुलिस द्वारा उनकी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया गया। क्या इस तरह क़ानून-व्यवस्था नियंत्रण करने वाली एजेंसी को व्यवहार करना चाहिए? अगर पुलिस हिंदू-मुस्लिम के रूप में लोगों को देखना शुरू कर देती है तो राज्य में लड़ाई को कौन नियंत्रित करेगा और कानून-व्यवस्था को कौन लागू करेगा।"

स्थानीय मुस्लिमों का आरोप है कि दो समूहों के बीच विवाद का एक अन्य उदाहरण यह है कि मुस्लिम समूह को पुलिस ने "थाना से बाहर जाने" के लिए कहा था।

हालांकि स्थानीय पुलिस ने अभियोजन पक्ष के इस आरोप को खारिज कर दिया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश पांडे ने कहा कि पुलिस निष्पक्ष तरीक़े से काम कर रही थी क्योंकि धार्मिक पहचान पुलिस के लिए कोई मायने नहीं रखता।

कोतवाली पुलिस थाने के अधीन लिसादी इलाके के प्रभारी पुलिस अधिकारी दिनेश शुक्ला ने इस आरोप को ख़ारिज कर दिया। न्यूज़़क्लिक से बात करते हुए शुक्ला ने कहा कि अगर स्थानीय लोगों को कुछ घटनाओं के बारे में कुछ शिकायत होती है तो उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए। उन्होंने कहा, "दीवारों पर पोस्टर चिपकाना इसका कोई समाधान नहीं है। हम इसे हल करने की कोशिश कर रहे हैं।"

दिलचस्प बात यह है कि स्थानीय विधायक रफीक़ अंसारी लिसादी गाँव के मुस्लिम निवासियों के विचारों से सहमत हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस पक्षपातपूर्ण हो गई है और यहाँ तक कि उन्हें उस हमले को सहन करना पड़ता था।

अंसारी ने न्यूज़क्लिक से कहा, "मैं स्थानीय पुलिस अधिकारियों से पूछना चाहता हूं कि एक मुस्लिमों के लिए और दूसरे हिंदुओं के लिए ये दो तरह के पैरामीटर क्यों है। पुलिस को ग़ैर-पक्षपातपूर्ण तरीक़े से काम करना चाहिए था और काउंटर एफआईआर दर्ज करना चाहिए था, जैसा कि मशहूर उक्ति हैं कि न्याय न केवल दिया जाना चाहिए बल्कि इसे होता हुआ भी दिखना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि यहाँ तक कि पुलिस हस्तक्षेप के बाद भी इस मुद्दे का हल नहीं होगा क्योंकि समाज का बहुत ज़्यादा ध्रुवीकरण हो गया है।

उन्होंने कहा, "यह कोई एक या दो घटनाएं नहीं है। यूपी में समाज योगी आदित्यनाथ सरकार के दौरान बहुत ध्रुवीकृत और सांप्रदायिक बन गया है। नफ़रत और हिंसा को वैध कर दिया गया है और इसे सामान्य बना दिया गया है। नफ़रत के भाषण और भीड़ द्वारा की जाने वाली हत्या अब लोगों को परेशान नहीं करती है। हमने लिसादी क्षेत्र में जो देखा वह बर्फ के पहाड़ का महज एक सिरा है।"

यह कोई पहला मामला नहीं है जब मेरठ से ऐसी घटना की ख़बरें मिली हैं। पिछले साल मेरठ में एक मुस्लिम परिवार को घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था जिसे उन्होंने हाल ही में इस क्षेत्र में ख़रीदा था जहां हिंदू समाज की आबादी ज़्यादा थी। एक हिंदू ज्वेलर जिसने इस घर को एक मुस्लिम परिवार से बेच दिया था उसे स्थानीय हिंदू समाज के लोगों ने बीजेपी नेताओं के नेतृत्व में पैसा लौटाने और मुस्लिम परिवार को दूसरे जगह शिफ्ट होने के लिए मजबूर किया था।

उत्तर प्रदेश
योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश पुलिस
मुस्लिम
अल्पसंख्यक
अल्पसंख्यकों का भय

Related Stories

बदहाली: रेशमी साड़ियां बुनने वाले हाथ कर रहे हैं ईंट-पत्थरों की ढुलाई, तल रहे हैं पकौड़े, बेच रहे हैं सब्ज़ी

उप्र बंधक संकट: सभी बच्चों को सुरक्षित बचाया गया, आरोपी और उसकी पत्नी की मौत

नागरिकता कानून: यूपी के मऊ अब तक 19 लोग गिरफ्तार, आरएएफ और पीएसी तैनात

यूपी-बिहार: 2019 की तैयारी, भाजपा और विपक्ष

मीडिया पर खरी खरी भाषा सिंह के साथ : एपिसोड 10, न्यूज़ चैनल नफ़रत फ़ैलाने के माध्यम

सोनभद्र में चलता है जंगल का कानून

यूपी: योगी सरकार में कई बीजेपी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप

यूपी: बीआरडी अस्पताल में नहीं थम रहा मौत का सिलसिला, इस साल 907 बच्चों की हुई मौत

चीनी क्षेत्र के लिए केंद्र सरकार का पैकेज, केवल निजी मिलों को एक मीठा तोहफ़ा

2019 से पहले BJP के लिए बोझ साबित हो रहे योगीः कैराना और नूरपुर उपचुनाव में पार्टी का हुआ बड़ा नुकसान


बाकी खबरें

  • Sustainable Development
    सोनिया यादव
    सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भारत काफी पीछे: रिपोर्ट
    03 Mar 2022
    एनुअल स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2022 रिपोर्ट के मुताबिक सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भारत फिलहाल काफी पीछे है। ऐसे कम से कम 17 प्रमुख सरकारी लक्ष्य हैं, जिनकी समय-सीमा 2022 है और धीमी गति…
  • up elections
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वांचल की जंग: 10 जिलों की 57 सीटों पर सामान्य मतदान, योगी के गोरखपुर में भी नहीं दिखा उत्साह
    03 Mar 2022
    इस छठे चरण में शाम पांच बजे तक कुल औसतन 53.31 फ़ीसद मतदान दर्ज किया गया। अंतिम आंकड़ों का इंतज़ार है। आज के बाद यूपी का फ़ैसला बस एक क़दम दूर रह गया है। अब सात मार्च को सातवें और आख़िरी चरण के लिए…
  • election
    न्यूज़क्लिक टीम
    यूपी चुनाव: बस्ती के इस गांव में लोगों ने किया चुनाव का बहिष्कार
    03 Mar 2022
    बस्ती जिले के हर्रैया विधानसभा में आधा दर्ज़न गांव के ग्रामीणों ने मतदान बहिष्कार करने का एलान किया है। ग्रामीणों ने बाकायदा गांव के बाहर इसका बैनर लगा दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी…
  • gehariyaa
    एजाज़ अशरफ़
    गहराइयां में एक किरदार का मुस्लिम नाम क्यों?
    03 Mar 2022
    हो सकता है कि इस फ़िल्म का मुख्य पुरुष किरदार का अरबी नाम नये चलन के हिसाब से दिया गया हो। लेकिन, उस किरदार की नकारात्मक भूमिका इस नाम, नामकरण और अलग नाम की सियासत की याद दिला देती है।
  • Haryana
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हरियाणा: आंगनबाड़ी कर्मियों का विधानसभा मार्च, पुलिस ने किया बलप्रयोग, कई जगह पुलिस और कार्यकर्ता हुए आमने-सामने
    03 Mar 2022
    यूनियन नेताओं ने गुरुवार को कहा पंचकुला-यमुनानगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बरवाला टोल प्लाजा पर हड़ताली कार्यकर्ताओं और सहायकों पर  हरियाणा पुलिस ने लाठीचार्ज  किया।  
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License