NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
हड़ताल पर रोक लगने के बाद रक्षा कर्मचारी संघ ओएफबी के निगमीकरण के ख़िलाफ़ लड़ेंगे क़ानूनी लड़ाई
एक अन्य कदम के बतौर 13 से 18 सितंबर के बीच एक जनमत-संग्रह आयोजित किया जाना है, जिसमें देश भर के आयुध कारखानों में मौजूद 76,000 रक्षा कर्मचारियों से केंद्र के कदम के बारे में अपना फैसला व्यक्त करने के लिए कहा जायेगा।
रौनक छाबड़ा
10 Sep 2021
हड़ताल पर रोक लगने के बाद रक्षा कर्मचारी संघ ओएफबी के निगमीकरण के ख़िलाफ़ लड़ेंगे क़ानूनी लड़ाई
फाइल फोटो 

केंद्र सरकार को आवश्यक रक्षा सेवाओं में हड़ताल की कार्यवाई पर रोक लगाने के लिए अधिकार संपन्न बनाने वाले विधेयक के संसद में पारित हो जाने के एक महीने बाद, रक्षा कर्मचारियों के संघों ने अब आयुध कारखाना बोर्ड (ओएफबी) के विघटन के खिलाफ अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए कानूनी राह पर जाने का फैसला लिया है। 

मान्यताप्राप्त रक्षा कर्मचारियों के महासंघों द्वारा पिछले कुछ दिनों के दौरान आवश्यक रक्षा सेवा (ईडीएस) विधेयक 2021 एवं नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली सरकार द्वारा आयुध कारखानों के निगमीकरण के फैसले, इन दोनों के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं। न्यूज़क्लिक को प्राप्त जानकारी के अनुसार अन्य रक्षा संघों से भी आने वाले दिनों में इस संबंध में क़ानूनी सहारा लिए जाने की उम्मीद है।

अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ़) की ओर से इस हफ्ते मद्रास हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है ताकि केंद्र को ओएफबी के निगमीकरण के अपने फैसले को लागू करने से “रोका” जा सके।

इसी प्रकार एआईडीईएफ़ ने भी पिछले महीने ईडीएस अधिनियम 2021 को चुनौती देने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। यूनियन ने अपनी रिट याचिका में यह दावा करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय से राहत की मांग की थी कि अधिनियम की कुछ धाराएं संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करती हैं।

जून में केंद्र ने 246 साल पुराने ओएफबी को निगमित किये जाने की योजना को मंजूरी दी थी। ओएफबी एक छतरी निकाय है जो देश भर में मौजूद 41 आयुध कारखानों की देखरेख करता है। मंत्रिमंडल के निर्णय के मुताबिक बोर्ड को अब सात नए रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयूज) में रूपांतरित कर दिया जाएगा। रक्षा उपकरण निर्माण के क्षेत्र में शामिल ओएफबी वर्तमान में डीडीपी के नियंत्रण में एक सरकारी विभाग के तौर पर संचालन कर रही है, जिसे रक्षा मंत्रालय (एमओडी) द्वारा प्रशासित किया जाता है।

केंद्र सरकार के इस कदम को देखते हुए तीन मान्यता-प्राप्त रक्षा कर्मचारी संघों – एआईडीईएफ, भारतीय राष्ट्रीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (आईएनडीडब्ल्यूएफ) और आरएसएस से सम्बद्ध भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ (बीपीएमएस) ने विरोधस्वरुप अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया था।

वहीँ दूसरी तरफ, केंद्र की ओर से रक्षा उपकरणों के उत्पादन में शामिल कर्मचारियों की हड़ताल को प्रतिबंधित करने के लिए आदेश जारी करने के मकसद से एक विवादस्पद अध्यादेश को लाया गया। यह अध्यादेश सेना से जुड़े किसी भी औद्योगिक प्रतिष्ठान में रक्षा उपकरणों के उत्पादन, सेवाओं एवं संचालन या रखरखाव के साथ-साथ रक्षा उत्पादों की मरम्मत और रख-रखाव में कार्यरत कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से प्रतिबंधित करता है। इसके अलावा, यह हर उस व्यक्ति को दण्डित करने की भी इजाजत देता है जो हड़ताल पर जाने की बात करता है, जिसे इस अध्यादेश के तहत गैर-क़ानूनी माना गया है।

अध्यादेश को बाद में विधेयक की शक्ल देने के लिए लाये गए ईडीएस विधेयक 2021 को हाल ही में संपन्न हुए मानसून सत्र के दौरान अगस्त में संसद के दोनों सदनों में पेश किया गया और पारित करा लिया गया था। श्रमिक संघों की ओर से इसकी कटु आलोचना की गई, जिन्होंने इसे “काला कानून” करार दिया था।

एआईडीईएफ के महासचिव सी श्रीकुमार ने बृहस्पतिवार को न्यूज़क्लिक को बताया कि रक्षा महासंघ ने सरकार द्वारा ओएफबी को निगमित किये जाने के फैसले को चुनौती देने के लिए हर संभव रास्ते को अपनाने का फैसला लिया है। उनका कहना था, “हम पिछले कई वर्षों से इस संबंध में अभियान और प्रदर्शन करते आ रहे हैं। पिछले साल, हमने हड़ताल का भी सहारा लिया था जो कि लगभग एक सप्ताह तक चली थी। अब हम अदालतों का भी दरवाजा खटखटा रहे हैं, यह देखने के लिए कि क्या वहां से किसी प्रकार की राहत मिल सकती है या नहीं।” इसके साथ ही उन्होंने बताया कि दोनों याचिकाओं पर अगले हफ्ते से सुनवाई शुरू होने की उम्मीद है। 

श्रीकुमार ने खेद व्यक्त किया कि हालिया कदम उन रक्षा कर्मचारियों को दण्डित किये जाने के केंद्र के “असंवैधानिक” फैसले की पृष्ठभूमि में लिए गए हैं, जो हड़ताल पर जाने के विकल्प का चुनाव करते हैं। उन्होंने कहा “कानूनी राह मोदी सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ हमारे संघर्ष को और ज्यादा मजबूती प्रदान करेगी। बीपीएमएस जैसे अन्य रक्षा महासंघों से भी उम्मीद है कि वे आने वाले दिनों में अदालतों में याचिकाएं दायर करेंगे।”

न्यूज़क्लिक की ओर से बीपीएमएस यूनियन के एक नेता से इस बारे में पुष्टि करने की कोशिश की गई जो कि नाकाम रही।

इस बीच रक्षा उत्पादन (डीपी) सचिव और मान्यता प्राप्त रक्षा महासंघों के बीच हुई नवीनतम वार्ता— जिसमें यूनियनों को इस संबंध में भरोसे में लेने की बात थी कि ओएफबी के डीपीएसयूज में रूपांतरण कर दिए जाने के उपरांत रक्षा कर्मचारियों की सेवा शर्तों में किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया जायेगा— पूरी तरह से बेनतीजा रही। इस बैठक के बाद महासंघों ने “आगे की कार्यवाई पर कोई फैसला लेने” से पहले एक जनमत-संग्रह कराने का भी मन बनाया है।

13 सितंबर से 18 सितंबर के बीच में जनमत-संग्रह सप्ताह आयोजित किया जाना है जिसमें देश भर के आयुध कारखानों के 76,000 रक्षा कर्मचारियों से ओएफबी के निगमीकरण के बारे में अपने फैसले को व्यक्त करने के लिए कहा जायेगा। श्रीकुमार का इस बारे में कहना था कि “हमारे ट्रेड यूनियन संघर्ष के कार्यक्रम में क़ानूनी लड़ाई कोई अड़चन नहीं हैं। लेकिन हम जनमत-संग्रह के बाद ही भविष्य की कार्यवाई के बारे में कोई फैसला लेंगे।”

जनमत-संग्रह, जिसके बारे में न्यूज़क्लिक को बृहस्पतिवार को बताया गया, उसका आह्वान इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) से सम्बद्ध आईएनडीडब्ल्यूएफ को छोड़कर बाकी सभी रक्षा महासंघों की ओर से किया गया है। अन्य महासंघों की कतार को तोड़ते हुए आईएनडीडब्ल्यूएफ ने पिछले महीने ओएफबी के निगमीकरण को अपना समर्थन देने के लिए अपनी स्थिति में बदलाव कर लिया था।

आईएनडीडब्ल्यूएफ के महासचिव आर श्रीनिवासन ने बृहस्पतिवार को न्यूज़क्लिक को बताया कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी यूनियन ओएफबी को निगमित किये जाने के फैसले का समर्थन करती है या नहीं क्योंकि केंद्र इस मामले में कोई भी बात सुनने नहीं जा रहा है। उनका कहना था “इसीलिए अब हम इस बात को सुनिश्चित करने पर अपना सारा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं कि कर्मचारियों के सेवा शर्तों की गारंटी की जा सके।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

After Defence Workers Barred From Strike, Federations Take Legal Route to Battle OFB Corporatisation

Ordnance Factory Board
OFB
corporatisation
AIDEF
BPMS
INDWF
Union Defence Ministry

Related Stories

सरकार ने किया नई रक्षा कंपनियों द्वारा मुनाफ़ा कमाए जाने का दावा, रक्षा श्रमिक संघों ने कहा- दावा भ्रामक है 

रक्षा कर्मचारी संघों का केंद्र सरकार पर वादे से मुकरने का आरोप, आंदोलन की चेतावनी 

रायशुमारी में 99 फीसदी से अधिक रक्षाकर्मियों ने ओएफबी के निगमीकरण के ख़िलाफ़ वोट दिए

ओएफबी: केंद्र के ‘कड़े’ अध्यादेश के ख़िलाफ़ रक्षा महासंघों ने अखिल भारतीय काला दिवस मनाने का फ़ैसला किया

ओएफ़बी: अनिश्चितकालीन हड़ताल से पहले, केंद्र ने ख़ुद को 'आवश्यक रक्षा सेवाओं' के श्रमिकों को दंडित करने का अधिकार दिया

ओएफबी के निगमीकरण के ख़िलाफ़ रक्षा महासंघ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर विचार-विमर्श कर रहे हैं

भारत में लंबे समय से मौजूद कृषि संकट की जड़ क्या है?

‘सुलह समझौते का उल्लंघन’: रक्षा फ़ेडरेशनों ने ओएफ़बी के निगमीकरण पर राजनाथ सिंह को चिट्ठी लिखी

आयुध कारखानों के 82 हज़ार श्रमिक अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए तैयार

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ ने ज़िला अस्पतालों के निजीकरण के प्रस्ताव को ख़ारिज किया


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License