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मैं अब चलने, लिखने और खाने में अक्षम हूं, तलोजा जेल ने मेरी ऐसी हालत कर दी है : फादर स्टेन स्वामी ने हाईकोर्ट से कहा
 फादर को तलोजा जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश किया गया था।
गहेना गम्बानी
22 May 2021
फादर स्टेन स्वामी

बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को तलोजा जेल के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह वयोवृद्ध फादर स्टेन स्वामी के इलाज और सुविधाओं के बारे में जेजे अस्पताल के दिये गये निर्देंशों का पालन करें। फादर स्वामी भीमा कोरेगांव मामले में अभियुक्त हैं। 

न्यायाधीश एसजे कठवाला और न्यायाधीश सुरेंद्र प्रसाद की दो सदस्यीय अवकाश खंडपीठ ने खराब सेहत के आधार पर जमानत देने की फादर स्टेन स्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।

हाई कोर्ट ने 19 मई को स्टेन स्वामी के स्वास्थ्य की जांच जेजे हॉस्पिटल से कराए जाने का आदेश दिया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई ने न्यायालय में फादर स्वामी का पक्ष रखा जबकि असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह और पीपी जयेश याग्निक अधिवक्ता क्रमश: एनआइए एवं महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए। 

देसाई को जेजे अस्पताल द्वारा मुवक्किल फादर स्वामी की जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी गई थी, इसलिए न्यायाधीशों ने उनकी सहायता के लिए इसे स्वयं पढ़कर सुनाया। इसके पहले, न्यायालय ने 19 मई को जे जे हॉस्पिटल के डीन को आदेश दिया था कि वह एक कमेटी का गठन कर 20 मई 2021 को फादर स्वामी की सेहत की जांच करे और इसकी रिपोर्ट पेश करे। यही रिपोर्ट शुक्रवार को न्यायालय में पेश की गई थी।

इस रिपोर्ट में कहा गया था कि याचिकाकर्ता फादर स्वामी की खराब सेहत की वजह उनका वयोवृद्ध होना है। चिकित्सकों की कमेटी ने उनमें किसी तरह के मस्तिष्कीय गड़बड़ी या मनोविकृति नहीं पाया था। रिपोर्ट में उनके शरीर के कुछ अंगों का जिक्र किया गया था, जिनमें अंगों के अंसतुलन, लुम्बो स्क्राल डिजेनरेशन और सुनने की क्षमता में कमी की बात कही गई थी। सुनने की क्षमता बनाये रखने के लिए तत्काल ऑपरेशन की सिफारिश की गई थी और उनकी सामान्य कमजोरी को देखते हुए शारीरिक मदद देने की भी बात कही गई थी।

फादर स्वामी तलोजा जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अदालती कार्रवाई में हिस्सा ले रहे थे। उन्होंने न्यायालय से कहा कि उनके स्वास्थ्य की जांच जेजे हॉस्पिटल द्वारा कर ली गई है, लेकिन उन्हें अपनी गड़बड़ियों की बारे में बताने का मौका नहीं दिया गया है। उन्होंने जोर दिया कि जेल में पिछले 8 महीने से रहने के दौरान उनके स्वास्थ्य में कई तरह की गिरावट आई है। वह अब बिना किसी की सहायता लिए अपने दैनिक कर्म जैसे, टहलना, लिखना और यहां तक की नहाना-धोना भी नहीं कर सकते  हैं। उन्हें किसी के द्वारा खिलाया जाता है और उनकी भूख भी काफी कम हो गई है। यहां तक कि उनकी सुनने की क्षमता काफी कम हो गई है और वह अब किसी से सामान्य तरीके से बातचीत भी नहीं कर पाते हैं।

उच्च न्यायालय ने तलोजा जेल में उपलब्ध सामान्य चिकित्सा-सुविधाओं के बारे में जानकारी ली। फादर स्वामी ने इसकी स्थिति को गंभीर बताया। उन्होंने न्यायालय से कहा कि खराब आर्थिक दशा ने कैदियों को एक दूसरे की मदद के लिए प्रेरित किया है। 

न्यायालय ने जब उनसे पूछा कि क्या वे सामान्य उपचार के लिए जेजे हॉस्पिटल में भर्ती होना चाहेंगे, तो उन्होंने इसका जवाब न में दिया। फादर स्वामी का मानना था कि अब कोई भी अस्पताल उनकी खराब सेहत को सुधारने में सक्षम नहीं है और वह किसी अस्पताल में भर्ती होने की बजाय जेल में ही बीमार  रहना पसंद करेंगे।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह उनको जेजे हॉस्पिटल या उनकी पसंद के किसी अस्पताल में उनके  स्वास्थ्य के सामान्य उपचार के लिए भर्ती कराने पर तैयार है क्योंकि उनकी सेहत, उनकी बढ़ती उम्र के कारण ही बिगड़ रही है। इसका जवाब उन्होंने यह कहते हुए एक बार फिर न में दिया कि उन्होंने न्यायालय से अपने लिए एकमात्र आराम अंतरिम जमानत मांगते हैं। इसी क्रम में फादर ने रांची भेजे जाने की इच्छा जताई और कहा कि वहां वे अपनों के करीब रह सकते हैं।

फादर स्वामी के अधिवक्ता देसाई ने न्यायालय को सूचित किया कि वे जेजे हॉस्पिटल नहीं लौटना चाहते क्योंकि वे पहले भी वहां रह चुके हैं और उनका मानना है कि वे सुविधाएं उनकी कोई मदद नहीं कर सकती हैं।

फादर स्वामी ने न्यायालय से कहा कि उनके सह-अभियुक्त भी उनकी सेहत को लेकर चिंतित हैं और उनका विश्वास है कि अगर उन्हें वापस तलोजा जेल या अन्य किसी अस्पताल में रखा जाता है तो उनकी सेहत और बिगड़ जाएगी।

जब उच्च न्यायालय ने यह कहा कि फादर स्वामी स्वयं ही किसी अस्पताल नहीं जाना चाहते तो देसाई ने स्पष्ट किया कि उन्हें सुनने में भारी दिक्कत हो रही है और उन्हें सरकारी अस्पतालों में रेफर किया जाता रहा है, लेकिन न्यायालय ने उनके इस जवाब को खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि अभी प्राथमिक मुद्दा केवल फादर स्वामी की सामान्य सेहत है, जो चिंता का विषय है, न कि कोई खास मेडिकल कंडीशन।

देसाई ने तलोजा जेल अस्पताल ने एमबीबीएस डॉक्टर, नर्स, कंपाउंडर की कमी बताई और कहा कि वहां केवल तीन आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं, जो उनके मुवक्किल को ठीक तरह से तरह से जांचने में संसाधन के लिहाज से सक्षम नहीं हैं। 

फादर स्वामी ने बार-बार कहा कि वह न्यायालय से केवल अंतरिम जमानत देने की अपील कर रहे हैं, इस पर देसाई ने खंडपीठ से कहा कि उन्हें याचिकाकर्ता के साथ बातचीत करने की अनुमति दी जाए। फादर स्वामी ने वरिष्ठ अधिवक्ता देसाई से अंतरिम जमानत देने की अपनी अपील बार-बार दोहराई।  इस पर देसाई ने उन्हें सूचित किया कि एक मजबूत सलाह यह है कि उन्हें होली फैमिली हॉस्पिटल ने स्थानांतरित कर दिया जाए ताकि उनकी सामान्य सेहत की देखभाल सही तरीके से की जा सके।  उन्होंने फादर स्वामी को सूचित किया कि इस समय अंतरिम जमानत संभव नहीं हो सकती  है, लिहाजा उन्हें अंतरिम अवधि के दरमियान किसी हॉस्पिटल में इलाज कराने पर राजी हो जाना चाहिए।

देसाई ने अदालत में यह भी कहा कि चूंकि वह पादरी हैं, फादर स्वामी इस दृष्टिकोण को मानते हैं कि “हे पिता, तुम उन्हें माफ कर देना, क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।” हालांकि देसाई ने खंडपीठ से अपील की कि फादर जैसे ही अन्य अस्पताल में तत्काल इलाज के लिए तैयार हो जाएं, उन्हें इसके लिए याचिका दायर करने की छूट दी जाए। 

यह आलेख मूल रूप से दि लिफ्लेट में प्रकाशित हुआ था। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें-

Can Neither Walk, Write Nor Eat. Talojia Jail has Brought me to this Situation: Fr Stan Swamy Tells HC

Bhima Koregaon
Right to Life
Stan Swamy
Bombay High Court

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